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अगर धारा 377 का मामला नहीं सुलझेगा, तो ऐसा ही होगा!

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 24 अप्रिल, 2018 09:29 PM
  • 24 अप्रिल, 2018 09:29 PM
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यूपी के आगरा में दो लड़कियों ने शादी कर ली है. शादी से पहले, शादी के दिन और शादी के कई दिन बाद तक किसी को भनक तक नहीं लगी कि जिन दो लोगों के बीच शादी हुई है, वो दोनों ही लड़कियां हैं.

भारत में समलैंगिक संबंध को मान्यता नहीं दी गई है. हालांकि, इस पर काफी समय से बहस चल रही है, लेकिन अभी तक इसे कानूनी नहीं बनाया जा सका है. इसी का नतीजा है कि अब समलैंगिक लोग शादी करने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं. एक ऐसा ही मामला यूपी के आगरा से भी सामने आया है, जहां पर दो लड़कियों ने शादी की है. शादी से पहले, शादी के दिन और शादी के कई दिन बाद तक किसी को भनक तक नहीं लगी कि जिन दो लोगों के बीच शादी हुई है, वो दोनों ही लड़कियां हैं. चलिए जानते हैं उन्होंने ये सब किया कैसा गया?

दूल्हा बनी लड़की पर किसी को भी शक नहीं हुआ. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सामूहिक विवाह में हुई शादी

उत्तर प्रदेश में भीम नागरी आयोजन कमेटी द्वारा हर साल एक सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसके तहत गरीब दलित परिवारों के लड़के-लड़कियों की शादी कराई जाती है. 16 अप्रैल को भी ऐसा ही एक आयोजन किया गया था, जिसमें आगरा की दो लड़कियों (20-20 साल) ने आपस में शादी कर ली. एक लड़की ने खुद को दूल्हा बना लिया और दूसरी लड़की बन गई दुल्हन. सामूहिक विवाह संपन्न हुआ और किसी को भनक तक नहीं लग पाई कि वो दोनों ही लड़कियां हैं.

क्यों नहीं हुआ शक?

किसी पर यकीन करने की सबसे बड़ी वजह होती है उसका पहचान पत्र, जैसे- आधार. आज के समय में आधार मुहैया कराने का मतलब है कि आप पर कोई शक नहीं करेगा. बस यही किया दूल्हा बनी लड़की ने भी. उसने आयोजन कमेटी को अपने सभी दस्तावेज और आधार कार्ड कार्तिक शुक्ला के नाम से जमा कर दिए. इसी के चलते किसी को भी उन पर शक नहीं हुआ. वहीं दूसरी ओर दूल्हा बनी लड़की की मां की बात सुनकर आपको भी ये भरोसा हो जाएगा कि उस लड़की पर शक करना बहुत ही मुश्किल था.

क्या कहना है मां का?

दूल्हा बनी...

भारत में समलैंगिक संबंध को मान्यता नहीं दी गई है. हालांकि, इस पर काफी समय से बहस चल रही है, लेकिन अभी तक इसे कानूनी नहीं बनाया जा सका है. इसी का नतीजा है कि अब समलैंगिक लोग शादी करने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं. एक ऐसा ही मामला यूपी के आगरा से भी सामने आया है, जहां पर दो लड़कियों ने शादी की है. शादी से पहले, शादी के दिन और शादी के कई दिन बाद तक किसी को भनक तक नहीं लगी कि जिन दो लोगों के बीच शादी हुई है, वो दोनों ही लड़कियां हैं. चलिए जानते हैं उन्होंने ये सब किया कैसा गया?

दूल्हा बनी लड़की पर किसी को भी शक नहीं हुआ. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सामूहिक विवाह में हुई शादी

उत्तर प्रदेश में भीम नागरी आयोजन कमेटी द्वारा हर साल एक सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसके तहत गरीब दलित परिवारों के लड़के-लड़कियों की शादी कराई जाती है. 16 अप्रैल को भी ऐसा ही एक आयोजन किया गया था, जिसमें आगरा की दो लड़कियों (20-20 साल) ने आपस में शादी कर ली. एक लड़की ने खुद को दूल्हा बना लिया और दूसरी लड़की बन गई दुल्हन. सामूहिक विवाह संपन्न हुआ और किसी को भनक तक नहीं लग पाई कि वो दोनों ही लड़कियां हैं.

क्यों नहीं हुआ शक?

किसी पर यकीन करने की सबसे बड़ी वजह होती है उसका पहचान पत्र, जैसे- आधार. आज के समय में आधार मुहैया कराने का मतलब है कि आप पर कोई शक नहीं करेगा. बस यही किया दूल्हा बनी लड़की ने भी. उसने आयोजन कमेटी को अपने सभी दस्तावेज और आधार कार्ड कार्तिक शुक्ला के नाम से जमा कर दिए. इसी के चलते किसी को भी उन पर शक नहीं हुआ. वहीं दूसरी ओर दूल्हा बनी लड़की की मां की बात सुनकर आपको भी ये भरोसा हो जाएगा कि उस लड़की पर शक करना बहुत ही मुश्किल था.

क्या कहना है मां का?

दूल्हा बनी लड़की की मां ने बताया कि उनके चार बच्चे थे, जिनमें एक लड़का भी था. जब उनके लड़के की मौत हो गई तो उन्होंने अपनी बेटी को बेटे की तरह बड़ा किया. वह हमेशा लड़कों की तरह ही कपड़े भी पहनती थी. उसे लड़कों की तरह कपड़े पहनना और उन्हीं की तरह बाल कटवाना हमेशा से बहुत पसंद था. लड़की की मां का कहना है कि उन्हें इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि लड़कों की तरह रहने वाली उनकी लड़की एक दिन किसी लड़की से ही शादी कर लेगी.

कैसे हुआ खुलासा?

दोनों दुल्हन के घर में ही रह रहे थे, क्योंकि अगर दूल्हा बनी लड़की उसे अपने घर ले जाती तो घरवालों को तुरंत शक हो जाता. रविवार को दुल्हन के घरवालों को यह पता चला कि दूल्हा कोई लड़का नहीं, बल्कि एक लड़की ही है, जो लड़के के भेष में उनके साथ रह रही है. इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. हालांकि, पुलिस ने यह साफ कर दिया है कि दोनों ही लड़कियां बालिग हैं, इसलिए इस मामले में पुलिस कुछ नहीं कर सकती है.

तो समलैंगिक विवाह भारत में कानूनन सही है या नहीं?

भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंध बनाना अपराध है और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है. ऐसा करने वालों को उम्र कैद या 10 साल तक की कैद और जुर्माना देने की सजा हो सकती है. लेकिन इसमें समलैंगिक विवाह को लेकर कोई प्रावधान नहीं है. जब 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्ज दिया, तब से समलैंगिकता को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ चुकी है.

समलैंगिक संबंधों को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में तो रख लिया गया है, लेकिन लगता है कि जल्द ही सरकार को समलैंगिक संबंध को अनुमति देनी होगी. अगर ऐसा नहीं होगा जो इस तरह के हथकंडे लोग अपनाते ही रहेंगे. जब तक धारा 377 का मामला सुलझेगा नहीं, तब तक इस तरह की खबरें सामने आती ही रहेंगी. वैसे भी, अगर दो लोग आपसी सहमति से एक साथ रहना चाहते हैं या फिर संबंध भी बनाना चाहते हैं तो इसमें कोर्ट को या फिर किसी को भी क्या आपत्ति है?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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