• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

क्या POCSO एक्ट में संसोधन से होगा बलात्कार के मामलों का समाधान?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 22 अप्रिल, 2018 07:36 PM
  • 22 अप्रिल, 2018 07:36 PM
offline
केवल मौत की सजा का प्रावधान मात्र से बच्चियों के साथ होने वाले अपराध में कमी आ जाएगी कहना मुश्किल है. अभी तक पॉक्सो एक्ट में कन्विक्शन रेट देखें तो लगभग 12 फीसदी का ही है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब 12 साल तक के मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी. कैबिनेट ने 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी POCSO एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया था, जिसे आज राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के एटा में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं के बाद पूरे देश में उबाल था, और देश भर में लोग मासूमों से हैवानियत करने वालों के लिए मौत की सजा की मांग कर रहे थे. अब इस संसोधन के बाद 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप करने वालों को मौत की सजा दी सकती है. हालांकि, केवल मौत की सजा का प्रावधान मात्र से बच्चियों के साथ होने वाले अपराध में कमी आ जाएगी कहना मुश्किल है.

देखा जाय नवंबर 2012 में ही बच्चियों के साथ होने वाले अपराध को रोकने के लिए पॉक्सो एक्ट लाया गया था. हालांकि, बावजूद इसके साल 2014-2016 के तीन सालों में पॉक्सो एक्ट के तहत 1,04,976 मामले दर्ज किये गए. हर साल इसमें लगभग 34 से 35 हजार मामले दर्ज किये गए. हालांकि, 1 लाख से ज्यादा मामलों में लगभग सवा लाख लोगों की गिरफ्तारी भी हुई, मगर इसमें 11266 लोगों को ही दोषी ठहराया गया. यानि पॉक्सो एक्ट में कन्विक्शन रेट देखें तो लगभग 12 फीसदी का ही है. कन्विक्शन रेट को देख कर सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है, पॉक्सो एक्ट में बेहतर प्रावधान होने के बावजूद कहीं ना कहीं इसको लागू करने की दिशा में खामियां हैं. ऐसे में मात्र सजा के प्रावधान को कड़ा कर के इन खामियों को दूर किया जा सकता है, ऐसा लगता नहीं है.

भारत में होने वाले बलात्कार के मामले में जो दूसरा और डराने वाला पहलू है वो यह कि देश में होने वाले ज्यादातर बलात्कार के मामलों में दोषी कोई नजदीकी ही होता है. ज्यादातर मामलों दोषी या तो पड़ोसी या...

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब 12 साल तक के मासूमों से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी. कैबिनेट ने 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी POCSO एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया था, जिसे आज राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के एटा में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं के बाद पूरे देश में उबाल था, और देश भर में लोग मासूमों से हैवानियत करने वालों के लिए मौत की सजा की मांग कर रहे थे. अब इस संसोधन के बाद 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप करने वालों को मौत की सजा दी सकती है. हालांकि, केवल मौत की सजा का प्रावधान मात्र से बच्चियों के साथ होने वाले अपराध में कमी आ जाएगी कहना मुश्किल है.

देखा जाय नवंबर 2012 में ही बच्चियों के साथ होने वाले अपराध को रोकने के लिए पॉक्सो एक्ट लाया गया था. हालांकि, बावजूद इसके साल 2014-2016 के तीन सालों में पॉक्सो एक्ट के तहत 1,04,976 मामले दर्ज किये गए. हर साल इसमें लगभग 34 से 35 हजार मामले दर्ज किये गए. हालांकि, 1 लाख से ज्यादा मामलों में लगभग सवा लाख लोगों की गिरफ्तारी भी हुई, मगर इसमें 11266 लोगों को ही दोषी ठहराया गया. यानि पॉक्सो एक्ट में कन्विक्शन रेट देखें तो लगभग 12 फीसदी का ही है. कन्विक्शन रेट को देख कर सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है, पॉक्सो एक्ट में बेहतर प्रावधान होने के बावजूद कहीं ना कहीं इसको लागू करने की दिशा में खामियां हैं. ऐसे में मात्र सजा के प्रावधान को कड़ा कर के इन खामियों को दूर किया जा सकता है, ऐसा लगता नहीं है.

भारत में होने वाले बलात्कार के मामले में जो दूसरा और डराने वाला पहलू है वो यह कि देश में होने वाले ज्यादातर बलात्कार के मामलों में दोषी कोई नजदीकी ही होता है. ज्यादातर मामलों दोषी या तो पड़ोसी या अपने घर का ही कोई रिश्तेदार निकलता है. ऐसे में क्या दुनिया कि कोई भी पुलिस या सरकार ऐसे मामलों में रोक लगा सकती है? शायद नहीं, क्योंकि जिन पर महिला या बच्चियों की सुरक्षा का दारोमदार है अगर वही हैवानियत पर उतर आएं तो फिर ऐसे मामले रोकना काफी मुश्किल है. ऐसी स्थिति में बच्चियों की सुरक्षा के लिए उन्हें जागरुक करना ज्यादा महत्वपूर्ण है. बच्चियों के साथ जिस तरह की दरिंदगी के मामले बढ़ रहे हैं वह कहीं न कहीं हमारे समाज में बढ़ रही विकृत सोच का नतीजा है. समाज में आई इस विकृति में कमी आये, और हमारे आने वाली पीढ़ी इस विकृति से दूर रहे. इसके लिए परिवार, समाज और सरकार को साथ काम करना होगा. तभी इन मामलों में कमी लायी जा सकती है. वर्ना कठोर से कठोर कानून भी कुछ दोषियों को जरूर सजा दिला सकती है, मगर समाज में इस विकृति को दूर कर दे ऐसा लगता नहीं.

ये भी पढ़ें-

ATM कैश पर दुविधा में सरकार, इधर गिरे तो कुआं उधर गिरे तो खाई

मोदी के मंत्री ने साबित कर दिया - प्रधानमंत्री की चुप्पी कितनी खतरनाक होती है !

यदि ये दिखावा है तो ऐसा होते रहना चाहिए


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲