• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

New York Times की दो खबरें बता रही हैं कि आतंकवाद की परिभाषा कितनी खोखली है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 13 मार्च, 2019 02:07 PM
  • 13 मार्च, 2019 02:07 PM
offline
अमेरिकी अखबार New York Times अमेरिका में होने वाली घटनाओं को ही गंभीरता से लेता है, जबकि दुनिया भर में हो रही आतंकी घटनाएं इनके लिए उतनी वजनी नहीं होतीं. दो खबरें आतंकवाद पर अखबार की असंवेदनशालता दिखा रही हैं.

अमेरिका के जाने माने अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक लेख छपा. लेख में पुलवामा में हुए आतंकी हमले को उन्होंने सिर्फ एक विस्फोट तक सीमित कर दिया. हमारे देश के लिए ये आतंकी हमला क्या था वो हमसे बेहतर कोई नहीं जानता. और इसीलिए न्यू यॉर्क टाइम्स के इस लेख पर भारतीयों का सवाल उठाना बनता था.

जेफरी जेटलमैन, विंदू गोयल और मारिया अबी हबीब द्वारा लिखे गए इस लेख का टाइटल था In India's Election Season, a explosion Interrupts Modi's Slump और जब इस लेख को ट्विटर पर शेयर किया गया तब भी इसके लिए कश्मीर में हुआ एक विस्फोट 'after an explosion in Kashmir...' लिखा गया. आलोचना होने के बाद explosion शब्द हटाकर bombing कर दिया गया.

पुलवामा में हुए आतंकी हमले को अखबार ने सिर्फ एक विस्फोट तक सीमित कर दिया

पुलवामा आतंकी हमले को हमला न लिखकर उसे सिर्फ विस्फोट लिख दिया जाना इतने बड़े आतंकी हमले की गंभीरता को खत्म करता है. जिसे भारतीय बर्दाश्त नहीं कर सके और सोशल मीडिया पर खूब आलोचनाएं की गईं, बहुतों ने अखबार से सवाल भी किया कि अगर पुलवामा में विस्फोट हुआ था तो 9/11 क्या एक प्लेन क्रैश था?

सिर्फ एक शब्द ने उस हमले के मायने बदल दिए जिसने पूरे देश को हिला डाला था. जो हमाला हमारे लिए आतंकवाद था, शायद उसे इंटरनेशनल मीडिया ने आतंकवाद समझा ही नहीं. असल में इंटरनेशनल मीडिया आतंकवाद की परिभाषा समझता ही नहीं. क्योंकि इस शब्द की universal defenition पर सिर्फ बहस होती आई है, कोई समझौता अब तक नहीं हो पाया है.

9/11 हमला अमेरिका के लिए बड़ा आतंकी हमला था. हजारों लोग मारे गए थे. हमला अल-कायदा ने किया था इसलिए अमेरिका ने इसका जवाब देते हुए अफगानिस्तान पर हमला कर दिया. और दोनों देशों के बीच की स्थिति आज भी बदली...

अमेरिका के जाने माने अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक लेख छपा. लेख में पुलवामा में हुए आतंकी हमले को उन्होंने सिर्फ एक विस्फोट तक सीमित कर दिया. हमारे देश के लिए ये आतंकी हमला क्या था वो हमसे बेहतर कोई नहीं जानता. और इसीलिए न्यू यॉर्क टाइम्स के इस लेख पर भारतीयों का सवाल उठाना बनता था.

जेफरी जेटलमैन, विंदू गोयल और मारिया अबी हबीब द्वारा लिखे गए इस लेख का टाइटल था In India's Election Season, a explosion Interrupts Modi's Slump और जब इस लेख को ट्विटर पर शेयर किया गया तब भी इसके लिए कश्मीर में हुआ एक विस्फोट 'after an explosion in Kashmir...' लिखा गया. आलोचना होने के बाद explosion शब्द हटाकर bombing कर दिया गया.

पुलवामा में हुए आतंकी हमले को अखबार ने सिर्फ एक विस्फोट तक सीमित कर दिया

पुलवामा आतंकी हमले को हमला न लिखकर उसे सिर्फ विस्फोट लिख दिया जाना इतने बड़े आतंकी हमले की गंभीरता को खत्म करता है. जिसे भारतीय बर्दाश्त नहीं कर सके और सोशल मीडिया पर खूब आलोचनाएं की गईं, बहुतों ने अखबार से सवाल भी किया कि अगर पुलवामा में विस्फोट हुआ था तो 9/11 क्या एक प्लेन क्रैश था?

सिर्फ एक शब्द ने उस हमले के मायने बदल दिए जिसने पूरे देश को हिला डाला था. जो हमाला हमारे लिए आतंकवाद था, शायद उसे इंटरनेशनल मीडिया ने आतंकवाद समझा ही नहीं. असल में इंटरनेशनल मीडिया आतंकवाद की परिभाषा समझता ही नहीं. क्योंकि इस शब्द की universal defenition पर सिर्फ बहस होती आई है, कोई समझौता अब तक नहीं हो पाया है.

9/11 हमला अमेरिका के लिए बड़ा आतंकी हमला था. हजारों लोग मारे गए थे. हमला अल-कायदा ने किया था इसलिए अमेरिका ने इसका जवाब देते हुए अफगानिस्तान पर हमला कर दिया. और दोनों देशों के बीच की स्थिति आज भी बदली नहीं है. इस हमले में जो दर्द अमेरिका को मिला वही दर्द पुलवामा में भारत ने भी झेला. दोनों ही हमले इस्लामी आतंकवाद के कारण हुए थे लेकिन अमेरिका ही हमलों के लिए शब्दों का चयन करने में चूक गया.

न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका में हुई घटनाओं को ही गंभीरता से लेता है, जबकि दुनिया भर में हो रही आतंकी घटनाएं इनके लिए उतनी वजनी नहीं होतीं. इस अखबार की असंवेदनशालता का एक नमूना और देखिए.

अफगानिस्तान में हुए इस आतंकी हमले को भी कितनी सजता से रिपोर्ट किया गया है

11 मार्च को ही इस अखबर में एक लेख छपा था. जिसका भारत से कोई लेना देना नहीं था. लेकिन घटना पुलवामा से मिलती जुलती ही थी. खबर का टाइटल था Taliban Wipe Out an Afghan Army Company While Talking Peace With the .S. यानी तालिबान ने अमेरिका से शांति वार्ता के दौरान अफगानिस्तान की आर्मी जिसमें 50 से भी ज्यादा जवान थे, उसे पूरा का पूरा उड़ा दिया. जो हालात भारत में कश्मीर को लेकर हैं लगभग वैसे ही हालात अफ्गानिस्तान में भी हैं. लेकिन भारत और अफ्गानिस्तान में सेना के जवानों पर हुए आतंकी हमलों को जितनी संवेदनशीलता और गंभीरता से उठाना चाहिए था, उसमें ये अखबार असफल रहा. और यही बात दिखाती है कि अमेरिका जिस आतंकवाद की बात करता है उसकी परिभाषा असल में कितनी खोखली है.

ये भी पढ़ें-

पुलवामा हमले के कितने गुनाहगार खत्म, कितने बाकी?

पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की जुबां पर ना सही, दिल में तो है 'भारत'

ग्रेनेड हमला करने वाले आतंकी इन कश्मीरी युवाओं को देख लें


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲