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वो बातें जो सिर्फ भारतीय ही कर सकते हैं..

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 25 दिसम्बर, 2017 07:12 PM
  • 25 दिसम्बर, 2017 07:12 PM
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भारत में हर किसी के पास अपनी अलग राय होती है और इसे दूसरों के सामने जाहिर करने से कोई कतराता भी नहीं है. लेकिन कुछ खास तरह की बातें होती हैं जो सिर्फ भारतीय ही करते हैं.. जैसे...

भारत में हर नुक्कड़, हर कोने पर कोई न कोई चर्चा चलती ही रहती है. चाहें राजनीति हो या फिर क्रिकेट हर इंसान की अपनी राय है और इसे लोगों के सामने जाहिर करने में कोई भी कतराता नहीं है. पर कुछ खास तरह की बातचीत होती है जो सिर्फ भारत में ही हो सकती है. जैसे...

1. कुएं में कूदने वाला ताना..

पिता जी से अगर बोला जाए कि सारी क्लास के पास स्मार्टफोन है मुझे भी ले दो तो एक सीधा सा जवाब मिलता है... क्या सब कुएं में कूदेंगे तो तुम भी कूद जाओगे.. (इसका तोड़ अभी तक नहीं निकाला गया है..)

2. क्या इसी दिन के लिए...

भारत में करियर का ख्याल सिर्फ और सिर्फ आस-पड़ोस के बच्चों के देखकर ही किया जाता है. मान लीजिए आपने पिता जी को कहा कि आपको फोटोग्राफर बनना है तो सीधा सा जवाब आएगा कि .. पूरे खानदान में आस-पड़ोस में किसी को बनते देखा है फोटोग्राफर.. शादियों में सबकी फोटो खींचेगा? कितना कमाएगा? शौक और नौकरी में फर्क होता है? क्या इसी दिन के लिए इंजीनियरिंग करवाई थी?

अब इस इमोशनल ड्रामे का जवाब दो तो मानें..

3. अच्छे घर की लड़कियां...

विदेशों में तो जी अच्छे घर की लड़कियां होती ही नहीं .. वो तो सिर्फ हिंदुस्तान में होती हैं. अच्छे घर की लड़कियां रात को घर से बाहर नहीं निकलतीं, अच्छे घर की लड़कियां किसी से ऐसे बात नहीं करतीं.. अच्छे घर की लड़कियां ये.. अच्छे घर की लड़कियां वो... और आप तो समझ ही गए होंगे.

4. अरे जरूरी फोन कॉल है...

फिल्म थिएटर में फोन कॉल लेना तो भारतीय सभ्यता का हिस्सा ही है. अब...

भारत में हर नुक्कड़, हर कोने पर कोई न कोई चर्चा चलती ही रहती है. चाहें राजनीति हो या फिर क्रिकेट हर इंसान की अपनी राय है और इसे लोगों के सामने जाहिर करने में कोई भी कतराता नहीं है. पर कुछ खास तरह की बातचीत होती है जो सिर्फ भारत में ही हो सकती है. जैसे...

1. कुएं में कूदने वाला ताना..

पिता जी से अगर बोला जाए कि सारी क्लास के पास स्मार्टफोन है मुझे भी ले दो तो एक सीधा सा जवाब मिलता है... क्या सब कुएं में कूदेंगे तो तुम भी कूद जाओगे.. (इसका तोड़ अभी तक नहीं निकाला गया है..)

2. क्या इसी दिन के लिए...

भारत में करियर का ख्याल सिर्फ और सिर्फ आस-पड़ोस के बच्चों के देखकर ही किया जाता है. मान लीजिए आपने पिता जी को कहा कि आपको फोटोग्राफर बनना है तो सीधा सा जवाब आएगा कि .. पूरे खानदान में आस-पड़ोस में किसी को बनते देखा है फोटोग्राफर.. शादियों में सबकी फोटो खींचेगा? कितना कमाएगा? शौक और नौकरी में फर्क होता है? क्या इसी दिन के लिए इंजीनियरिंग करवाई थी?

अब इस इमोशनल ड्रामे का जवाब दो तो मानें..

3. अच्छे घर की लड़कियां...

विदेशों में तो जी अच्छे घर की लड़कियां होती ही नहीं .. वो तो सिर्फ हिंदुस्तान में होती हैं. अच्छे घर की लड़कियां रात को घर से बाहर नहीं निकलतीं, अच्छे घर की लड़कियां किसी से ऐसे बात नहीं करतीं.. अच्छे घर की लड़कियां ये.. अच्छे घर की लड़कियां वो... और आप तो समझ ही गए होंगे.

4. अरे जरूरी फोन कॉल है...

फिल्म थिएटर में फोन कॉल लेना तो भारतीय सभ्यता का हिस्सा ही है. अब खुद ही सोच लीजिए कि कब आप कोई फिल्म देखने गए हों और कभी भी ऐसा हुआ हो कि किसी इंसान की मेरा मतलब है किसी के फोन की रिंग टोन न बजी हो या किसी ने अपने फोन में फिल्म के बीच में बात नहीं की हो.

5. आगे का क्या सोचा है?

ये सवाल जैसे ही पूछा जाए वैसे ही समझ लीजिए बस परिवार में से कोई न कोई तो इंजीनियरिंग बोलने ही वाला है. हमारा बेटा इंजीनियर बनेगा ये तो शायद पैदा होते ही कई मां-बाप सोच लेते हैं. इंजीनियरिंग भारत में अब पढ़ाई की स्ट्रीम नहीं बल्कि एक धर्म बन गई है.

6. शादी की चर्चा..

अगर टिपिकल भारतीयों की बात चल रही है और शादी की बात इसमें शामिल न की जाए तो हो ही नहीं सकता. शादी की उम्र से बात शुरू होती है और फिर शादी के लिए किस तरह से मनाया जाता है वो यहां पढ़ें- 10 अजीब तर्क, जो बताते हैं कि लड़कियों की हर समस्‍या का निदान शादी है

7. भाई बनाना..

जी हां, इस तरह से रिश्ते बनाना सिर्फ भारत में ही हो सकता है. पूरी दुनिया में भले ही फ्रेंडजोन चर्चित हो, लेकिन भारत में अहमियत तो भाईजोन को ही मिलती है. बिना किसी शक के भाईजोन सबसे अहम है.

8. धर्म के नाम पर वोट देना...

शायद इसे समझाने की जरूरत नहीं है. भारत में बरसों से क्या चलता आया है और इस समय क्या चल रहा है और दूसरे धर्म के लोगों के साथ कैसे बर्ताव हो रहा है ये तो सभी को पता है.

ये भी पढ़ें-

'शादी' से किसी के दिमाग पर बुरा असर कैसे पड़ता है?

अब और कितना लजवायेंगे ये नेता ?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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