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समाज

'शादी' से किसी के दिमाग पर बुरा असर कैसे पड़ता है?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 16 दिसम्बर, 2017 11:35 AM
  • 16 दिसम्बर, 2017 11:35 AM
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भले ही हम अब 21वीं सदी में जी रहे हों, लेकिन आज भी कई लोगों की सोच 18वीं सदी की मालूम पड़ती है.

भले ही हम अब 21वीं सदी में जी रहे हों, लेकिन आज भी कई लोगों की सोच 18वीं सदी की मालूम पड़ती है. सोच में कट्टरता भी चरम पर है. ताजा मामला जम्मू-कश्मीर का है, जहां एक शिक्षक-शिक्षिका (तारिक भट्ट और सुमाया बशीर) को इसलिए स्कूल से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने शादी कर ली. स्कूल ने कहा है कि इससे स्कूल के बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा. स्कूल की सोच किस दर्जे की है इसका तो अंदाजा भी लगाना मुश्किल है. सोचने की बात है कि आखिर शादी जैसे पवित्र बंधन से किसी के दिलो-दिमाग पर बुरा असर कैसे पड़ सकता है?

जम्मू-कश्मीर के इस जोड़े को स्कूल प्रशासन की तरफ से उनकी शादी के दिन ही एक ऐसा 'तोहफा' मिला, जिसके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा. 30 नवंबर को उनकी शादी के दिन ही स्कूल प्रशासन ने उन्हें फोन किया और कह दिया कि अब स्कूल आने की जरूरत नहीं है. अभी शादी की खुशी उनकी जिंदगी को खुशहाल बनाती, इससे पहले ही एक कट्टर सोच ने उन पर कोड़े बरसा दिए. शादी से पहले दोनों कमाते थे और घर चलाते थे, लेकिन शादी के बाद उनकी नौकरी ही छिन गई है.

स्कूल ने कहा कि उनका रोमांस स्कूल के 2000 बच्चों और 200 स्टाफ के लोगों पर बुरा असर डाल सकता है.

क्या है मामला?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में एक स्कूल (मुस्लिम एजुकेशनल इंस्टीट्यूट) से शादी के बंधन में बंधे शिक्षक-शिक्षिका को नौकरी से निकाल दिया गया है. यह बुरी खबर खुद स्कूल के चेयरमैन बशीर मसूदी ने विवाहित जोड़े को फोन कर के सुनाई. उन्होंने कहा कि उनका रोमांस स्कूल के 2000 बच्चों और 200 स्टाफ के लोगों पर बुरा असर डाल सकता है.

'रोमांस' की बात पर सवाल

विवाहित जोड़े ने दावा किया है कि उनकी शादी अरेंज हुई है, ना कि उन्होंने लव मैरिज की है. उन्होंने यह भी...

भले ही हम अब 21वीं सदी में जी रहे हों, लेकिन आज भी कई लोगों की सोच 18वीं सदी की मालूम पड़ती है. सोच में कट्टरता भी चरम पर है. ताजा मामला जम्मू-कश्मीर का है, जहां एक शिक्षक-शिक्षिका (तारिक भट्ट और सुमाया बशीर) को इसलिए स्कूल से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने शादी कर ली. स्कूल ने कहा है कि इससे स्कूल के बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा. स्कूल की सोच किस दर्जे की है इसका तो अंदाजा भी लगाना मुश्किल है. सोचने की बात है कि आखिर शादी जैसे पवित्र बंधन से किसी के दिलो-दिमाग पर बुरा असर कैसे पड़ सकता है?

जम्मू-कश्मीर के इस जोड़े को स्कूल प्रशासन की तरफ से उनकी शादी के दिन ही एक ऐसा 'तोहफा' मिला, जिसके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा. 30 नवंबर को उनकी शादी के दिन ही स्कूल प्रशासन ने उन्हें फोन किया और कह दिया कि अब स्कूल आने की जरूरत नहीं है. अभी शादी की खुशी उनकी जिंदगी को खुशहाल बनाती, इससे पहले ही एक कट्टर सोच ने उन पर कोड़े बरसा दिए. शादी से पहले दोनों कमाते थे और घर चलाते थे, लेकिन शादी के बाद उनकी नौकरी ही छिन गई है.

स्कूल ने कहा कि उनका रोमांस स्कूल के 2000 बच्चों और 200 स्टाफ के लोगों पर बुरा असर डाल सकता है.

क्या है मामला?

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में एक स्कूल (मुस्लिम एजुकेशनल इंस्टीट्यूट) से शादी के बंधन में बंधे शिक्षक-शिक्षिका को नौकरी से निकाल दिया गया है. यह बुरी खबर खुद स्कूल के चेयरमैन बशीर मसूदी ने विवाहित जोड़े को फोन कर के सुनाई. उन्होंने कहा कि उनका रोमांस स्कूल के 2000 बच्चों और 200 स्टाफ के लोगों पर बुरा असर डाल सकता है.

'रोमांस' की बात पर सवाल

विवाहित जोड़े ने दावा किया है कि उनकी शादी अरेंज हुई है, ना कि उन्होंने लव मैरिज की है. उन्होंने यह भी कहा है कि अगर स्कूल को कोई कंफ्यूजन था तो उन्हें अपनी सफाई देने का मौका क्यों नहीं दिया गया? शादी से कुछ महीने पहले ही सगाई के बारे में पूरे स्कूल को पता था, जिसकी पार्टी भी दी गई थी. जब शादी के लिए दोनों ने 1-1 महीने की छुट्टी ली तो वह भी मंजूर कर दी गई. आखिर इतना सब होने पर भी स्कूल ने कुछ क्यों नहीं कहा. विवाहित जोड़े का कहना है कि स्कूल सिर्फ उन्हें बदनाम करना चाहता है.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई खबर

जैसे ही यह खबर सुर्खी बनी तो सोशल मीडिया पर वायरल होते देर नहीं लगी. अभी इस मामले पर स्कूल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. स्कूल प्रशासन से मुलाकात नहीं हो पा रही है, क्योंकि स्कूल की ठंड की छुट्टी चल रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या स्कूल प्रशासन दोबारा उन्हें नौकरी पर रखता है? और क्या नौकरी पर रखने के बाद स्कूल उनके साथ सही व्यवहार करता है? यह भी बड़ा सवाल होगा कि क्या शादी के बाद उन्हें नौकरी पर रखने को लेकर स्कूल कोई शर्त रखेगा? इन सभी सवालों के जवाब मिलना अभी बाकी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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