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Ramzan 2020: अलविदा की नमाज़ मे हुईं दुआएं- 'अलविदा हो कोरोना'

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 22 मई, 2020 11:59 PM
  • 22 मई, 2020 11:59 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचने के लिए देश के मुसलमानों (Muslims) ने सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन किया और अपने घर में ही अलविदा जुमा (Alvida Juma) की नमाज (Namaz) पढ़ी. इस दौरान लोगों ने ये दुआ भी की कि जल्द ही भारत(India) कोरोना मुक्त हो.

इबादतों और बरकतों के माह-ए- रमज़ान (Ramadan) के आख़िरी जुमे अलविदा (Alvida Juma) की नमाज़ (Namaz) अपने-आपने घरों में पढ़ी गई. नमाज के बाद कोरोना (Coronavirus) के खात्में की दुआएं की गयीं. नमाजों से पहले कुछ पेशे इमामों ने ऑनलाइन खुदबा भी दिया. घरों में रहने की ताकीद की गई. लॉकडाउन (Lockdown) और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करने की हिदायत दी गयीं. उलमा ने अपने खुतबे रूपी ऑनलाइन संदेशों में कोरोना वबा से बचाव के लिए हुकुमत की गाइड लाइन पर चलने की ग़ुज़ारिश भी की. रहमतों और बरकतों के माह-ए-रमज़ान की इबादतों के इनाम के तौर पर अल्लाह पाक भारत से कोरोना का खात्मा करे. दुनिया जहान को इससे निजात मिले. हमारा देश समेत पूरी दुनियां खुशहाली और तरक्की की तरफ बढ़े. रोजदारों ने अपनी दुआओं में कहा कि रहमतों-बरकतों और दुआओं के असर से हर कोई सेहतयाब हो. रमजान के आखिरी जुमे अलविदा की नमाज के बाद कोरोना संक्रमण का खात्मा होने की दुआ के साथ रोज़दारों ने तमाम कोरोना योद्धाओं के सेहतयाब होने की खासकर के दुआ की. इस वबा(महामारी) से निजात की नेक ख्वाहिशात की दुआओं के सिलसिले में हिंदुस्तान को कोरोना और हर आफत-नागहानी से बचाने की दुआओं मांगी गयीं.

तमाम मुसलमानों ने अपने घर पर रहकर ही अलविदा जुमा की नमाज़ पड़ी और ये दुआ की कि बीमारी ख़त्म हो जाए

मुस्लिम विद्वानों ने कहा कि रमज़ान और ईद के मौके पर ज्यादा से ज्यादा दान कीजिए. जरूरतमंदों की मदद करें. फिजूरखर्ची ना करें. मुल्क की बेहतरी के बारे में सोचें. कोरोना महामारी की वैश्विक महामारी की मुश्किलों से अपने मुल्क को बचाना है. गरीबों की मदद और भूखों की फिक्र का जज्बा पैदा करने के लिए बेदार होने की जरुरत पर बल दिया गया.

अलविदा पर जारी मुस्लिम धार्मिक विद्वानों के आडियो और वीडियो पैग़ामों में कहा...

इबादतों और बरकतों के माह-ए- रमज़ान (Ramadan) के आख़िरी जुमे अलविदा (Alvida Juma) की नमाज़ (Namaz) अपने-आपने घरों में पढ़ी गई. नमाज के बाद कोरोना (Coronavirus) के खात्में की दुआएं की गयीं. नमाजों से पहले कुछ पेशे इमामों ने ऑनलाइन खुदबा भी दिया. घरों में रहने की ताकीद की गई. लॉकडाउन (Lockdown) और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का पालन करने की हिदायत दी गयीं. उलमा ने अपने खुतबे रूपी ऑनलाइन संदेशों में कोरोना वबा से बचाव के लिए हुकुमत की गाइड लाइन पर चलने की ग़ुज़ारिश भी की. रहमतों और बरकतों के माह-ए-रमज़ान की इबादतों के इनाम के तौर पर अल्लाह पाक भारत से कोरोना का खात्मा करे. दुनिया जहान को इससे निजात मिले. हमारा देश समेत पूरी दुनियां खुशहाली और तरक्की की तरफ बढ़े. रोजदारों ने अपनी दुआओं में कहा कि रहमतों-बरकतों और दुआओं के असर से हर कोई सेहतयाब हो. रमजान के आखिरी जुमे अलविदा की नमाज के बाद कोरोना संक्रमण का खात्मा होने की दुआ के साथ रोज़दारों ने तमाम कोरोना योद्धाओं के सेहतयाब होने की खासकर के दुआ की. इस वबा(महामारी) से निजात की नेक ख्वाहिशात की दुआओं के सिलसिले में हिंदुस्तान को कोरोना और हर आफत-नागहानी से बचाने की दुआओं मांगी गयीं.

तमाम मुसलमानों ने अपने घर पर रहकर ही अलविदा जुमा की नमाज़ पड़ी और ये दुआ की कि बीमारी ख़त्म हो जाए

मुस्लिम विद्वानों ने कहा कि रमज़ान और ईद के मौके पर ज्यादा से ज्यादा दान कीजिए. जरूरतमंदों की मदद करें. फिजूरखर्ची ना करें. मुल्क की बेहतरी के बारे में सोचें. कोरोना महामारी की वैश्विक महामारी की मुश्किलों से अपने मुल्क को बचाना है. गरीबों की मदद और भूखों की फिक्र का जज्बा पैदा करने के लिए बेदार होने की जरुरत पर बल दिया गया.

अलविदा पर जारी मुस्लिम धार्मिक विद्वानों के आडियो और वीडियो पैग़ामों में कहा गया कि इस सख्त वक्त में दुर्भावना रखने वालों के साथ अच्छा बर्ताव करें. उनका दिल जीतें. खुदा उन्हें नेक तौफीक़ दे, ये दुआएं करें. कोरोना से जंग के लिए हमें अपने दिलों से नफरतों और बुग़्ज(द्वेष भावना) को निकाल के मोहब्बे बांटनी होंगी. कोविड 19 (कोरोना वायरस) एक बीमारी है. इस वायरस से संक्रमित बीमार को कोरोना बम कहना बेहद गलत है.

बीमारों से नफरत ना करे. इनपर झूठे अल्ज़ाम ना लगाये. ये बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है. कोरोना को किसी धर्म-समुदाय, नस्ल, तब्के को ना जोड़े. अफवाहों से बचे और सरकार की गाइड लाइन पर चलें. बेहद ज़रूरी काम ना हो तो घरों मे ही रहें. साफ-सफाई का ध्यान दें. बार-बार साबुन से हाथ धोयें. बुजुर्ग और बच्चों का ख़ास ध्यान रखें. बुखार, नज़ला,खासी या गले में खराश हो तो फौरन डाक्टर से राब्ता क़ायम करें.

कोरोना जांच से बचना, मेडिकल टीम/पुलिस का सहयोग ना करना, एहतियात ना बरतना.. बेहद गलत है. ऐसी गल्तियां संवैधानिक और कानूनी तौर पर अपराध हैं. शरियत के नजरिए से भी ये गुनाह है. इस तरह की गलतियां अज्ञानता से पैदा होने वाली बड़ी मानवीय चूक हैं. समाज के तमाम तब्कों और बड़े बड़े संस्थानों ने इस तरह की गलतियां की हैं.

ताज्जुब ये है कि पढ़े लिखे तब्के और बुद्धिजीवी वर्ग सै भी कोरोना वायरस को लेकर अहतियात ना बरतने की गलतियां की हैं. जिसकी वजह से तमाम पढ़े लिखे लोगों के संस्थानों में भी सौ-पचास की तादाद में कोरोना संक्रमित लोग चिंहित हो रहे हैं. अल्लाह ताला ऐसे लोगों को नेक तौफीक़ दे और जल्द से जल्द शिफा अता करे.

भारत के जिन इलाकों में कोरोना वायरस तेजी से बढ़ रहा है वहां के बाशिंदो की फिक्र करते हुए तमाम रोजेदारों ने मुंबई, गुजरात और दिल्ली के लिए खासकर के दुआएं कीं. सोशल मीडिया में भी ऐसी नेक खाहिशात का ट्रेंड चला. दानिशवरों ने मुस्लिम समाज से इल्तिजा करते हुए सोशल मीडिया के ज़रिए कहा कि ईद पर नये कपड़ों इत्यादि नहीं खर्च ना करें. ईद मिलने, गले लगने और एक दूसरे के घरों में ईद मिलने ना जायें.

त्योहार पर फिजूल खर्ची से बचें. त्योहार के बजट की रकम आइंदा के लिए बचायें. या गरीबों को दान करें. उनके खाने का इंतजाम करें. ईद खुशियों और मोहब्बत की मिठास बांटने का त्योहार है. इबादतों का इनाम है. इसलिए अपने नेक कामों से सहयोग और सौहार्द को अंजाम दें. अपने बर्ताव से अहसास दिलायें कि हम देश और देश के बाशिंदों को कोरोना से बचाने के लिए लड़ रहीं हमारी सरकारों के साथ हैं.

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