• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

राजसमंद मामलाः कैसे बन गया वह इतना क्रूर हत्यारा?

    • सरोज कुमार
    • Updated: 09 दिसम्बर, 2017 12:13 PM
  • 09 दिसम्बर, 2017 12:13 PM
offline
लव जिहाद के नाम पर हत्या करने वाले हत्यारे शंभूलाल का मामला कई सवाल खड़े करता है. यदि इस हत्या पर हम गंभीर नहीं हुए और हमने उन सवालों के जवाब नहीं तलाशे तो अपने गर्त में जाने के जिम्मेदार हम खुद होंगे.

राजस्थान के राजसमंद में अफराजुल नामक मुस्लिम शख्स की हत्या का वीडियो किसी का भी दिल दहला सकता है. इतनी भयावहता कि रुह कांप उठे. आखिर अफराजुल की हत्या करने वाला शंभूलाल रैगर नामक यह शख्स इतना वहशी कैसे बन गया? अब तक की पुलिसिया जांच और मीडिया रिपोर्ट्स को देखने के बाद ये तीन बातें पता चलती हैं.

धार्मिक कट्टरता -

हत्या करके वीडियो बनाने वाला शंभूलाल रैगर उसमें मुसलमानों के खिलाफ वे सारी बातें बोल रहा है, जो कट्टर हिंदुवादी संगठन बोला करते हैं. लव जिहाद, कश्मीर में धारा 370, पत्थरबाजी आदि बातें बोल रहा है, जो खुद केंद्र और राज्य में सत्तासीन भाजपा के एजेंडे में रहती हैं और उसके कुछ नेता इसे हमेशा हवा देते रहते हैं. बताया जा रहा है कि शंभूलाल हमेशा धर्मांधता के भड़काऊ वीडियो देखता रहता था.

राजस्थान की ये दिल दहला देने वाली वारदात अपने आप में कई प्रश्न खड़े करती है

इससे संकेत मिलता है कि उसकी सोच में बेइंतहा नफरत के निर्माण में देश और राज्य के उस पूरे माहौल का योगदान है, जिसमें कट्टर धार्मिक ध्रुवीकरण किया जाता है. उसी का रिफ्लेक्शन शंभूलाल में वहशियाना तरीके से नजर आता है. अगर कुछ लोगों का यह तर्क हो कि यह कट्टर हिंदुत्व से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि आपसी रंजिश में उसने हत्या की और उसे लव जेहाद का बदला बता दिया, तो फिर उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि कट्टर हिंदुत्व ने लव जिहाद जैसी थ्योरी प्रचारित करके ऐसे हत्यारों को एक बहाना ही तो दिया है- हत्या करने का या हत्या को अलग सांप्रदायिक रुप देने का.

महिलाओं के खिलाफ पुरुषवादी सोच -

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि शंभूलाल के संबंध किसी महिला से थे, जो उसे छोड़कर मृतक के साथ रहने लगी थी. लेकिन पुलिस ने ऐसी बात से इनकार किया है और...

राजस्थान के राजसमंद में अफराजुल नामक मुस्लिम शख्स की हत्या का वीडियो किसी का भी दिल दहला सकता है. इतनी भयावहता कि रुह कांप उठे. आखिर अफराजुल की हत्या करने वाला शंभूलाल रैगर नामक यह शख्स इतना वहशी कैसे बन गया? अब तक की पुलिसिया जांच और मीडिया रिपोर्ट्स को देखने के बाद ये तीन बातें पता चलती हैं.

धार्मिक कट्टरता -

हत्या करके वीडियो बनाने वाला शंभूलाल रैगर उसमें मुसलमानों के खिलाफ वे सारी बातें बोल रहा है, जो कट्टर हिंदुवादी संगठन बोला करते हैं. लव जिहाद, कश्मीर में धारा 370, पत्थरबाजी आदि बातें बोल रहा है, जो खुद केंद्र और राज्य में सत्तासीन भाजपा के एजेंडे में रहती हैं और उसके कुछ नेता इसे हमेशा हवा देते रहते हैं. बताया जा रहा है कि शंभूलाल हमेशा धर्मांधता के भड़काऊ वीडियो देखता रहता था.

राजस्थान की ये दिल दहला देने वाली वारदात अपने आप में कई प्रश्न खड़े करती है

इससे संकेत मिलता है कि उसकी सोच में बेइंतहा नफरत के निर्माण में देश और राज्य के उस पूरे माहौल का योगदान है, जिसमें कट्टर धार्मिक ध्रुवीकरण किया जाता है. उसी का रिफ्लेक्शन शंभूलाल में वहशियाना तरीके से नजर आता है. अगर कुछ लोगों का यह तर्क हो कि यह कट्टर हिंदुत्व से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि आपसी रंजिश में उसने हत्या की और उसे लव जेहाद का बदला बता दिया, तो फिर उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि कट्टर हिंदुत्व ने लव जिहाद जैसी थ्योरी प्रचारित करके ऐसे हत्यारों को एक बहाना ही तो दिया है- हत्या करने का या हत्या को अलग सांप्रदायिक रुप देने का.

महिलाओं के खिलाफ पुरुषवादी सोच -

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि शंभूलाल के संबंध किसी महिला से थे, जो उसे छोड़कर मृतक के साथ रहने लगी थी. लेकिन पुलिस ने ऐसी बात से इनकार किया है और उसके मुताबिक मृतक अफराजुल का किसी हिंदू महिला से कोई संबंध नहीं था. लेकिन अगर मान भी लिया जाए कि शंभूलाल और अफराजुल में ऐसा कोई त्रिकोण था भी तो यह शंभूलाल की क्रूर पुरुषवादी सोच ही पता चलती है कि जो महिलाओं को अपनी संपत्ति समझते हैं और वह किसी और के पास चली जाए तो भड़क उठते हैं. शंभूलाल ने लव जिहाद और मुसलमानों की ओर से महिलाओं को बरगलाने की बात कहता है. यह नजरिया भी उसी पुरुषवादी सोच से आती है जो चाहते हैं कि कोई महिला उनके अनुसार रहें और मानो उनकी मर्जी कुछ न हो. लव जिहाद का प्रोपगेंडा कट्टर हिंदुत्ववादियों के इसी सोच को उजागर करते हैं.

और सबसे अहम, खाली दिमाग शैतान का घर -

मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस, दोनों के मुताबिक शंभूलाल रैगर करीब एक साल के बेकार बैठा था. वह पहले गुजरात और गुड़गांव में काम करने गया था और पिर वापस आकर फिर छोटा-मोटा कंस्ट्रक्शन का कारोबार करता था. लेकिन नोटबंदी ने उसके धंधे को बर्बाद कर दिया. सो एक साल से उसके पास कोई काम धंधा नहीं था. उस पर करीब एक लाख रु. का कर्ज भी था. एक तो नफरत का जहर उसमें भरा रहा, तिस पर बेकार बैठा आदमी. कहावत भी है खाली दिमाग शैतान का. वह दसवीं फेल भी था. जाहिर है, नफरत की काट शिक्षा और रोजगार ही हो सकती है, लेकिन कई लोगों को व्यवस्थागत तरीके से इससे महरूम रखा गया है और कट्टरता की आग में झोंक दिया गया है.

सिरफिरे हत्यारे शंभूलाल का केस एक सबक भी है. यह कि देश में धर्म के नाम फैलाई जा रही नफरत और कट्टरता का क्या अंजाम हो सकता है. यह किस हद तक लोगों को सिरफिरा बना सकता है. या फिर सिरफिरे हत्यारों को हत्या करने का बहाना दे सकता है.

ये भी पढ़ें -

Rajsamand love jihad video : सच लव-जिहाद नहीं कुछ और है...

यह लव जिहाद नहीं, जिहादी लव है साहब!

मोदी राज में खून की प्‍यासी क्‍यों हो रही है भीड़ !

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲