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कुरान में जीसस के जन्म की है बात..

    • राना सफ्वी
    • Updated: 26 दिसम्बर, 2017 04:45 PM
  • 25 दिसम्बर, 2017 12:14 PM
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मैं अल्लाह का नौकर हूं. मुझे मसीहा बनाकर भेजा गया है. मुझे जीवन में जो चाहिए वो मिलेगा और जब तक मैं जिंदा रहूंगा तब तक वो हमारी प्रार्थना में हमारे साथ रहेंगे. मैं अपनी मां पर बोझ नहीं बनूंगा बल्कि उसका सहारा हूं.

कुरान में सबसे ज्यादा जिस पैगंबर की चर्चा हुई है वो है जीसस. इसमें मरियम के बेटे को अरबी नाम ईसा या फिर इब्न-ए-मरियम को मसीहा बताया गया है. दरअसल, पूरे कुरान में सिर्फ एक ही महिला की चर्चा हुई है वो है मरियम. अब क्रिसमस के समय मैं कुरान में इनके जन्म की चर्चा के बारे में बताना चाहूंगी.

मदर मैरी का अरबी नाम मरियम है. मरियम के पिता इमरान और माता हना की शादी के 50 साल बाद मरियम का जन्म हुआ था. एक दिन हना ने एक पक्षी को अपने चूजे को खाना खिलाते देखा. तब उन्होंने प्रण लिया कि अपनी संतान को वो भगवान की सेवा में दान कर देंगी. हना के पति इमरान जेरूसलम के बैत-उल-मुकाद्दिस में पादरी थे. हना की इस प्रार्थना में उन्होंने साथ दिया. इमरान को निसंतान होने की वजह से लगातार लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. इससे दुखी होकर वो घर छोड़कर पहाड़ों पर एकांतवास में चले गए.

इधर हना ने बगीचे में प्रार्थना की और इमरान ने पहाड़ों पर. अल्लाह ने उनकी अरज सुन ली और हना गर्भवती हो गयी. लेकिन बेटी के जन्म से पहले ही इमरान की मृत्यु हो गई. हना को एक तरफ जहां बेटी के जन्म की खुशी थी तो दूसरी तरफ पति को खोने का गम. उन्होंने अपनी बेटी का नाम मरियम रखा और अपने प्रण के अनुसार बेटी को मंदिर में दान कर आई.

हना की बहन के पति ज़करियाह को मरियम का गार्जियन बनाया गया. उनका चयन एक लॉटरी से हुआ था. हना के परिवार ने जॉर्डन नदी के किनारे जाकर जिस कलम से तोराह लिखा गया था उसे नदी में फेंकने का फैसला किया. जिसकी भी कलम पानी में तैरती रहती वही मरियम का गार्जियन बनता. ज़करियाह की कलम तैरती रही और वो मरियम का गार्जियन नामित हो गया.

ज़करियाह जॉन द बापटिस्ट जिनका अरबी नाम याहया था के पिता थे. धरती पर ईसा मसीह के लाने की तैयारी करने की जिम्मदारी जॉन को ही थी. मंदिर में मरियम कायदे कानूनों के बीच बड़ी हुई....

कुरान में सबसे ज्यादा जिस पैगंबर की चर्चा हुई है वो है जीसस. इसमें मरियम के बेटे को अरबी नाम ईसा या फिर इब्न-ए-मरियम को मसीहा बताया गया है. दरअसल, पूरे कुरान में सिर्फ एक ही महिला की चर्चा हुई है वो है मरियम. अब क्रिसमस के समय मैं कुरान में इनके जन्म की चर्चा के बारे में बताना चाहूंगी.

मदर मैरी का अरबी नाम मरियम है. मरियम के पिता इमरान और माता हना की शादी के 50 साल बाद मरियम का जन्म हुआ था. एक दिन हना ने एक पक्षी को अपने चूजे को खाना खिलाते देखा. तब उन्होंने प्रण लिया कि अपनी संतान को वो भगवान की सेवा में दान कर देंगी. हना के पति इमरान जेरूसलम के बैत-उल-मुकाद्दिस में पादरी थे. हना की इस प्रार्थना में उन्होंने साथ दिया. इमरान को निसंतान होने की वजह से लगातार लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. इससे दुखी होकर वो घर छोड़कर पहाड़ों पर एकांतवास में चले गए.

इधर हना ने बगीचे में प्रार्थना की और इमरान ने पहाड़ों पर. अल्लाह ने उनकी अरज सुन ली और हना गर्भवती हो गयी. लेकिन बेटी के जन्म से पहले ही इमरान की मृत्यु हो गई. हना को एक तरफ जहां बेटी के जन्म की खुशी थी तो दूसरी तरफ पति को खोने का गम. उन्होंने अपनी बेटी का नाम मरियम रखा और अपने प्रण के अनुसार बेटी को मंदिर में दान कर आई.

हना की बहन के पति ज़करियाह को मरियम का गार्जियन बनाया गया. उनका चयन एक लॉटरी से हुआ था. हना के परिवार ने जॉर्डन नदी के किनारे जाकर जिस कलम से तोराह लिखा गया था उसे नदी में फेंकने का फैसला किया. जिसकी भी कलम पानी में तैरती रहती वही मरियम का गार्जियन बनता. ज़करियाह की कलम तैरती रही और वो मरियम का गार्जियन नामित हो गया.

ज़करियाह जॉन द बापटिस्ट जिनका अरबी नाम याहया था के पिता थे. धरती पर ईसा मसीह के लाने की तैयारी करने की जिम्मदारी जॉन को ही थी. मंदिर में मरियम कायदे कानूनों के बीच बड़ी हुई. जब उनकी माहवारी शुरु हुई तो ज़करियाह ने उन्हें एक अलग कमरा दे दिया जहां वो शांति से अपनी पूजा कर सकें. ज़करियाह उनसे मिलने जाते तो देखते कि मरियम के कमरे में ताजे फल और खाने रखे हैं.

ज़करियाह मरियम से पूछते- हे मैरी ये तुम्हें कहां से मिला?

मैरी- अल्लाह से.

मदर मैरी मरियम हैं कुरान में

अली इब्न अबी तलीब ने मुहम्मद की कहानी सुनाई. मुहम्मद ने कहा कि दुनिया से सबसे अच्छी औरतों में अपने अपने जीवनकाल में मरियम और खादिजा ही रही हैं. मरियम अल्लाह की ही संतान थी ये उन्हें कुछ दिनों बाद पता भी चल गया. प्रार्थना के दौरान मरियम को परी के रूप में एक आदमी दिखा. मरियम ने उसे कहा- मैं अल्लाह की शरण में जाना चाहती हूं.

एंजेल ने कहा- मैं सिर्फ अल्लाह बाशिंदा हूं और बेटे के रूप में उनका गिफ्ट आपको देने आया हूं. मैरी इसका नाम क्राइस्ट जीसस होगा. ये बचपन से ही लोगों से बात करना शुरू कर देगा और लोगों के भले के लिए काम करेगा.

मैरी- मेरा कोई बेटा कैसा हो सकता है जब मैं किसी पुरुष के संपर्क में आई ही नहीं तो!

अब मरियम की जिंदगी प्रार्थना और मंदिर के बंद अलग कमरे में बीत रही थी. उन्हें बाहर की दुनिया की कोई खबर नहीं थी. जल्दी ही वो गर्भवती हो गई. किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने के बाद भी वो गर्भवती कैसे हुई ये उसे समझ नहीं आया. इसलिए उन्होंने दूर किसी अनजान जगह जाने का फैसला किया.

सबसे पहले वो अपनी जन्मभूमि नाजेराथ में रुकी. लेकिन लोगों द्वारा बिन ब्याही मां बनने के तानों के डर से वो जेरूसलम के पूर्व की ओर चली गई. अपनी पूरी गर्भाव्स्था में मरियम वहीं रही और अल्लाह उन्हें गुजर बसर की चीजें मुहैया कराते रहे. अल्लाह ने उन्हें अकेला रहने और किसी से भी बात नहीं करने का आदेश दिया था.

बच्चे के जन्म तक मरियम वहीं रहीं. लेकिन किसी बच्चे का जन्म कैसे होता है वो उन्हें पता नहीं था. तो दर्द से रोते कराहते हुए वो चिल्लाने लगी. दर्द के मारे वो एक खजूर के पेड़ के नीचे बैठ गई और चिल्लाने लगी- इस दर्द से पहले मुझे मौत दे दो.

तभी पीछे से एक आवाज आई- रो मत. अल्लाह ने तुम्हारे लिए इंतजाम किया है. खजूर के पेड़ को हिलाओ, पके हुए फल नीचे गिरेंगे. फल खाओ और पानी पीयो. और अगर कोई इंसान तुम्हें देख ले तो कहना कि तुमने अल्लाह के नाम पर उपवास किया है. और किसी भी इंसान से बात नहीं करने का प्रण लिया है.

जब नाजेरथ के लोगों ने मैरी को बिन ब्याही मां बनने के लिए ताना देना शुरू किया तो नवजात बच्चे ने परियों की भाषा बोली-

मैं अल्लाह का नौकर हूं. मुझे मसीहा बनाकर भेजा गया है. मुझे जीवन में जो चाहिए वो मिलेगा और जब तक मैं जिंदा रहूंगा तब तक वो हमारी प्रार्थना में हमारे साथ रहेंगे. मैं अपनी मां पर बोझ नहीं बनूंगा बल्कि उसका सहारा हूं. तो जिस दिन मेरा जन्म हुआ, जिस दिन मैं मरूंगा और जिस दिन मैं जीवन में आगे बढू़ंगा तब शांति आएगी.

मरियम ने जेरुसलम वापस लौटने का फैसला किया. जेरुसलम के लोगों ने बिन ब्याही मां बनी मरियम को देखकर ताने देना शुरु कर दिया. उसे कहा कि तुमने पाप कर दिया है.

बहन. इसका पिता कोई कुसंस्कारी नहीं है. न ही इसकी मां ने गलत काम किया है. ये कहते हुए मरियम ने अपने बेटे की तरफ देखा. उसे पता था कि उसकी पवित्रता का गवाह उसका बेटा ही है.

शहरवालों ने पूछा- हम पालने के बच्चे से कैसे बात कर सकते हैं.

उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब पालने का बच्चा बोलने लगा. बच्चे ने कहा- मैं अल्लाह का बेटा हूं. उन्होंने मुझे मसीहा बनाकर धरती पर भेजा है. मुझे जीवन में जो चाहिए वो मिलेगा और जब तक मैं जिंदा रहूंगा तब तक वो हमारी प्रार्थना में हमारे साथ रहेंगे. मैं अपनी मां पर बोझ नहीं बनूंगा बल्कि उसका सहारा हूं. तो जिस दिन मेरा जन्म हुआ, जिस दिन मैं मरूंगा और जिस दिन मैं जीवन में आगे बढू़ंगा तब शांति आएगी.

ये जीसस थे. मरियम के बेटे. इसी पर दोनों धर्मों में मतभेद होते रहते हैं

कुरान और बाइबिल में बड़ा अंतर ये पंक्तियां हैं-

अल्लाह के लिए किसी बेटे का जन्म देना सही नहीं था.

इस्लाम में ईसा रूहु्ल्लाह ही मसीहा है.

मेरी क्रिसमस

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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