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शर्मनाक ! चितौड़ में वो अंधविश्‍वास आज भी कायम है जिससे पद्मावती दुखी थीं

    • शरत कुमार
    • Updated: 29 नवम्बर, 2017 04:23 PM
  • 29 नवम्बर, 2017 04:23 PM
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आज मेवाड़ में डाक्टरों के क्लीनिक की तरह तांत्रिकों के ठिकाने खुले हैं, जहां अस्पतालों जितनी भीड़ रहती है. इन जगहों पर सबसे बुरी स्थिति औरतों की होती है.

रानी पद्मिनी के गौरव को बनाए रखने के लिए पूरे देश में आंदोलन चल रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रानी पद्मिनी को जौहर करने की नौबत क्यों आई थी? दरअसल जिस वजह से 14वीं सदी में पूरा चित्तौड़ तबाह हुआ था, वो आज पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है. लेकिन इसके खिलाफ खड़ा होने वाला न तो कोई रानी पद्मिनी है और न ही राजा रतन सिंह. कहते हैं कि तंत्र-मंत्र की विधा से खफा होकर रानी पद्मिनी की शिकायत पर रतन सिंह ने चेतन तांत्रिक को चित्तौड़ से निकाला था और वही बदला लेने के लिए अलाउद्दीन खिलजी को पद्मिनी को पाने के लिए लेकर आया था.

इस कुरीति के खिलाफ बोलने पर पद्मावती को जौहर होना पड़ा

कहते हैं जब चित्तौड़गढ़ के राजा रतन सिंह की शादी रानी पद्मिनी से हुई थी, तो शादी के दौरान ही एक तांत्रिक चेतन राघव चित्तौड़ चला आया था. धीरे-धीरे वो दरबार में शामिल हो गया. मगर जब रानी पद्मिनी को इस बात का पता चला कि चेतन, तांत्रिक है और तंत्र-मंत्र कर किले में अंधविश्वास फैलाकर माहौल खराब कर रहा है, तो उन्होंने इसकी शिकायत रतन सिंह से कर दी. इसके बाद रतन सिंह ने उसे चित्तौड़ से निकाल दिया. उसी चेतन राघव ने दिल्ली जाकर अलाउद्दीन को पद्मिनी को पाने के लिए भड़काया और खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला बोला. इसकी वजह से पद्मिनी समेत 16 हजार रानियों को जौहर कर जान गंवानी पड़ी.

लेकिन आज आप मेवाड़ के किसी कोने में चले जाएं, हर जगह तांत्रिकों का डेरा बना हुआ है. आज तांत्रिकों ने अपना बाजार इस कदर बना लिया है कि चाहे कोई भी बीमारी हो इलाज भोपा यानी तांत्रिक ही करता है. महिलाओं की हालत ये है कि शहर-शहर आपको अच्छी खासी पढ़ी लिखी महिलाएं भूत, डायन या भैरु बाबा खेलते नजर आ जाएंगीं. महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने या मारने की राजस्थान की 90 फीसदी घटनाएं अकेले राजस्थान के मेवाड़...

रानी पद्मिनी के गौरव को बनाए रखने के लिए पूरे देश में आंदोलन चल रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रानी पद्मिनी को जौहर करने की नौबत क्यों आई थी? दरअसल जिस वजह से 14वीं सदी में पूरा चित्तौड़ तबाह हुआ था, वो आज पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है. लेकिन इसके खिलाफ खड़ा होने वाला न तो कोई रानी पद्मिनी है और न ही राजा रतन सिंह. कहते हैं कि तंत्र-मंत्र की विधा से खफा होकर रानी पद्मिनी की शिकायत पर रतन सिंह ने चेतन तांत्रिक को चित्तौड़ से निकाला था और वही बदला लेने के लिए अलाउद्दीन खिलजी को पद्मिनी को पाने के लिए लेकर आया था.

इस कुरीति के खिलाफ बोलने पर पद्मावती को जौहर होना पड़ा

कहते हैं जब चित्तौड़गढ़ के राजा रतन सिंह की शादी रानी पद्मिनी से हुई थी, तो शादी के दौरान ही एक तांत्रिक चेतन राघव चित्तौड़ चला आया था. धीरे-धीरे वो दरबार में शामिल हो गया. मगर जब रानी पद्मिनी को इस बात का पता चला कि चेतन, तांत्रिक है और तंत्र-मंत्र कर किले में अंधविश्वास फैलाकर माहौल खराब कर रहा है, तो उन्होंने इसकी शिकायत रतन सिंह से कर दी. इसके बाद रतन सिंह ने उसे चित्तौड़ से निकाल दिया. उसी चेतन राघव ने दिल्ली जाकर अलाउद्दीन को पद्मिनी को पाने के लिए भड़काया और खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला बोला. इसकी वजह से पद्मिनी समेत 16 हजार रानियों को जौहर कर जान गंवानी पड़ी.

लेकिन आज आप मेवाड़ के किसी कोने में चले जाएं, हर जगह तांत्रिकों का डेरा बना हुआ है. आज तांत्रिकों ने अपना बाजार इस कदर बना लिया है कि चाहे कोई भी बीमारी हो इलाज भोपा यानी तांत्रिक ही करता है. महिलाओं की हालत ये है कि शहर-शहर आपको अच्छी खासी पढ़ी लिखी महिलाएं भूत, डायन या भैरु बाबा खेलते नजर आ जाएंगीं. महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने या मारने की राजस्थान की 90 फीसदी घटनाएं अकेले राजस्थान के मेवाड़ में हुई हैं.

भूत भगाने का दावा करते हैं ये तांत्रिक यानी भोपा

चित्तौड़ किले के जिस द्वार पर पद्मावती फिल्म के खिलाफ सर्व समाज धरने पर बैठा है, ठीक उसी के पास चित्तौड़ में भरे बाजार महिलाओं के जुलूस निकले हैं. इनमें महिलाएं सड़कों पर झूम रही हैं और लेट जा रही हैं. दावा है कि महिलाओं के शरीर में साक्षात भैरों बाबा का प्रवेश है. इनके आगे एक भोपा चल रहा है जो नारियल फोड़कर और झाड़ा लगाकर उन्हें निकाल देता है. महिलाएं इन देवता का सरे बाजार जुलूस निकाल रही हैं. इनको संभालनेवाले पुरुषों का कहना है कि परिवार में एक डेथ हो गई थी जिसकी आत्मा इनके शरीर में 12 दिन तक रहेगी. भोपा का कहना है कि दो-चार मिनट के लिए कभी भैरो बाबा तो कभी गंगा मईया शरीर में आ रही हैं, लेकिन उन्हें हम तुरंत ठीक कर देते हैं.

ये हाल तो शहर का है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में चले जाएं तो और भी बुरा हाल है. जाटन के एक मंदिर में तो झूमड़ी नाम की महिला और उसका भोपा पति पूरी तरह से तंत्र-मंत्र के कारोबार के लिए मशहूर है. झूमरी के पास महिलाओं के लिए काम करनेवाली तारा अहलूवालिया और उनकी सहयोगी ये कहकर गई कि उसे दौरे पड़ते हैं और दिन भर उल्टे-सीधे ख्वाब आते हैं. उसके बाद उसका भोपा पति बोला कि मेरी पत्नी ही दुर्गा है और वो दुर्गा रुप में आकर सभी समस्या दूर कर देगी. अच्छी-खासी महिला को देखकर इन्होंने कहा कि उस पर किसी भूत का साया है और वो मां दूर्गा बनते ही निकाल देगी. उसके बाद किस तरह वो मां दुर्गा और काली बनी ये देखकर आप भी डर जाएंगें.

हाथ में तलवार लेकर जीभ निकालकर चिल्लाते हुए भूत निकालने के बाद वो सिगरेट के कश पर कश लगाने लगी और पूरे डिब्बे को खाली कर दी. फिर उसने सिगरेट पीते-पीते तंत्र-मंत्र के उपाय भी समझाए कि ऐसा करना दोनों बच्चियों को ये धागे बांध देना और फिर यहां से दो नारियल निकालकर एक-एक कर इनको  देना.

यहां काम करनेवाली सामाजिक संस्थाओं के सामाजिक कार्यकर्ता तारा अहलूवालिया ने बताया कि इस इलाके में भोपों का ऐसा राज है कि लोग डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं बल्कि अपनी जिंदगी की हर छोटी-बड़ी समस्या के लिए इन्हीं भोपों के पास आते हैं. मेवाड़ के किसी भी इलाके में चले जाइए, आपको डायन, भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र का मंजर दिख जाएगा. तांत्रिकों ने अपना एक बाजार भी बना लिया है जिसका प्रचार-प्रसार भी करते हैं. मगर न तो प्रशासन ने और न ही करणी सेना जैसे किसी संगठन ने रानी पद्मिनी के तंत्र-मंत्र के खिलाफ शुरु किए गए अभियान के प्रति दिलचस्पी दिखाई. फिल्म के प्रति जितना प्रदर्शन कर रहे हैं, उतना मेवाड़ की महिलाओं के लिए करते तो बेहतर होता. आज मेवाड़ में डाक्टरों के क्लिनिक की तरह तांत्रिकों के ठिकाने खुले हैं, जहां अस्पतालों जितनी भीड़ रहती है. इन जगहों पर सबसे बुरी स्थिति औरतों की होती है.

अंधविश्वास का एक विभत्स रूप

इसी तरह मेवाड़ के भिलवाड़ा के बखियानी मां के मंदिर को तो लोगों ने तंत्र-मंत्र का ही मंदिर घोषित कर दिया है. इस मदिर में आप जाएंगे तो पूरी तरह से डर जाएंगे. कहीं सिर पर जूता लेकर, तो कहीं पर जूता होठों में दबाए महिला मंदिर का चक्कर लगाते दिखती है. महिलाओं को डायन निकालने के नाम पर बुरी तरह से जूतों से पीटा जाता है. जूतों में पानी भरकर पिलाया जाता है. हैरत कि बात ये है कि ये मंदिर राजस्थान सरकार के देव स्थान विभाग का रजिस्टर्ड मंदिर है. इसका सर्टिफिकेट भी मंदिर में लटका हुआ है. लेकिन डायन निकालने का कारोबार यहां धड़ल्ले से चलता है. इस मंदिर पर अंधविश्वास की आग भड़काने के लिए जगह-जगह टीवी पर सीडी भी दिखाई जाती है.

इसके आगे बढ़ें तो केशिथल में एक महिला मंदिर में जंजीरों को हाथ में लिए चिल्लाते जा रही थी और बगल में बैठकर कुछ लोग शराब पी रहे थे. लोगों का कहना था कि उस महिला पर भैरवनाथ का साया आया हुआ है. वो जोर-जोर से अपने शरीर पर जंजीर से मार रही थी और चिल्लाए जा रही थी. थोड़ी देर बाद सिगरेट का कश भी लगा रही थी. चारो तरफ लोग इसी तरह से कहीं भूत, तो कहीं डायन निकालने के लिए महिलाओं को लेकर आए थे जिसका भोपा इलाज कर रहा था.

भूणाला के देवकिशन ने तो डायन निकालने का चबूतरा भी बना रखा है. आराम से बैठा रहता है. मगर जैसे ही कोई महिला उसके पास आती है वो चिल्लाना शुरु कर देता है. वो महिला का बाल पकड़कर उसमें से डायन निकालने का काम शुरु कर देता है. आप किसी भी भोपे के पास चले जाएं, आपको किसी अस्पताल से कम भीड़ नहीं दिखेगी.

यहां हिंदू-मुस्लिम का भी भेद नहीं है. चित्तौड़गढ़ के पुठोली में अल्लाह के नाम पर भी एक भोपा सिराजुद्दीन डायन निकालने का काम कर रहा है. वहां पर दुखियारों की भीड़ जमा रहती है, जिसमें वो लोगों का इलाज करता है. इलाज के नाम पर वो महिलाओं को बुरी तरह से छूता भी है. इसके खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज है मगर चित्तौड़ पुलिस ने कभी कोई कारर्वाई नहीं की है.

राज्य के गृहमंत्री कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं पर पुलिस शिकायत मिलने पर कारर्वाई करती है. मगर ये एक सामाजिक समस्या है. आज के जमाने में इन बातों को देखकर यकीन नहीं होता है. लेकिन ऐसी बात नहीं है कि पुलिस को इसकी जानकारी नही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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