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Omicron wave को लेकर की गई भविष्‍यवाणी में कुछ बातें राहत दे रही हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 23 दिसम्बर, 2021 02:35 PM
  • 23 दिसम्बर, 2021 02:35 PM
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Omicron को लेकर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने शोध किया है. शोध में आया है कि Omicron की वजह से भारत में फरवरी में कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है. स्टडी में दावा किया गया है कि फरवरी 2022 में भारत में ओमिक्रॉन अपने शीर्ष स्तर पर होगा. वहीं अच्छी बात ये है कि स्टडी इस बात का भी समर्थन करती नजर आ रही है कि भारत को चिंता करने के बजाए सावधान रहने की जरूरत है.

कोरोना के नए वैरिएंट Omicron के आगे एक बार फिर पूरा विश्व बेबस और लाचार नजर आ रहा है. बीमारी का स्वरूप क्या होगा? बीमारी कितनी और किस हद तक भयानक होगी? विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े अलग अलग संस्थानों और लैब्स में शोध शुरू हो गए हैं. ऐसा ही कुछ शोध देश के अग्रणीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी संस्थान आईआईटी में बजी हो रहे हैं जहां से omicron के प्रसार के मद्देनजर जो भविष्यवाणी की गई है वो चिंतित करने वाली तो जरूर है लेकिन उनमें कई ऐसी बातें भी हैं जो राहत देती नजर आ रही हैं. ध्यान रहे शोध में आया है कि Omicron की वजह से भारत में फरवरी में कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है. स्टडी में दावा किया गया है कि फरवरी 2022 में भारत में ओमिक्रॉन अपने शीर्ष स्तर पर होगा. वहीं अच्छी बात ये है कि स्टडी इस बात का भी समर्थन करती नजर आ रही है कि भारत को चिंता करने के बजाए सावधान रहने की जरूरत है. रिसर्च में जुटे वैज्ञानिकों ने माना है कि फरवरी माह के फौरन बाद ओमिक्रॉन के मामले घटने लगेंगे, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. दिलचस्प ये कि शोध से जुड़ी ये जानकारियां उस वक़्त बाहर आ रही हैं जब भारत में ओमिक्रॉन के कुल मामले 220 पहुंच चुके हैं.

शोध में आया है कि Omicron के संभावित खतरों को लेकर हमें चिंता नहीं करनी है बल्कि गंभीर होना है

गौरतलब है कि Sutra Model Of Tracking The Pandemic Trajectory के को-फाउंडर मनिंद्र अग्रवाल और IIT हैदराबाद के एम विद्यासागर ने भारत में Omicron के प्रसार पर कुछ बेहद अहम बातें की हैं और बताया है कि कोरोना के रोजाना नए मामले फरवरी में 1.5 से 1.8 लाख तक हो सकते हैं. ये उस वक़्त होगा जब नए वैरिएंट से प्राकृतिक रूप से या टीकाकरण के माध्यम से बचाव बना रहे.

वहीं Omicron को लेकर जो शुरुआती जानकारी आई है उसमें ये भी बताया गया है...

कोरोना के नए वैरिएंट Omicron के आगे एक बार फिर पूरा विश्व बेबस और लाचार नजर आ रहा है. बीमारी का स्वरूप क्या होगा? बीमारी कितनी और किस हद तक भयानक होगी? विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े अलग अलग संस्थानों और लैब्स में शोध शुरू हो गए हैं. ऐसा ही कुछ शोध देश के अग्रणीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी संस्थान आईआईटी में बजी हो रहे हैं जहां से omicron के प्रसार के मद्देनजर जो भविष्यवाणी की गई है वो चिंतित करने वाली तो जरूर है लेकिन उनमें कई ऐसी बातें भी हैं जो राहत देती नजर आ रही हैं. ध्यान रहे शोध में आया है कि Omicron की वजह से भारत में फरवरी में कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है. स्टडी में दावा किया गया है कि फरवरी 2022 में भारत में ओमिक्रॉन अपने शीर्ष स्तर पर होगा. वहीं अच्छी बात ये है कि स्टडी इस बात का भी समर्थन करती नजर आ रही है कि भारत को चिंता करने के बजाए सावधान रहने की जरूरत है. रिसर्च में जुटे वैज्ञानिकों ने माना है कि फरवरी माह के फौरन बाद ओमिक्रॉन के मामले घटने लगेंगे, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. दिलचस्प ये कि शोध से जुड़ी ये जानकारियां उस वक़्त बाहर आ रही हैं जब भारत में ओमिक्रॉन के कुल मामले 220 पहुंच चुके हैं.

शोध में आया है कि Omicron के संभावित खतरों को लेकर हमें चिंता नहीं करनी है बल्कि गंभीर होना है

गौरतलब है कि Sutra Model Of Tracking The Pandemic Trajectory के को-फाउंडर मनिंद्र अग्रवाल और IIT हैदराबाद के एम विद्यासागर ने भारत में Omicron के प्रसार पर कुछ बेहद अहम बातें की हैं और बताया है कि कोरोना के रोजाना नए मामले फरवरी में 1.5 से 1.8 लाख तक हो सकते हैं. ये उस वक़्त होगा जब नए वैरिएंट से प्राकृतिक रूप से या टीकाकरण के माध्यम से बचाव बना रहे.

वहीं Omicron को लेकर जो शुरुआती जानकारी आई है उसमें ये भी बताया गया है कि ये जितनी तेजी से बढ़ेगा, उतनी ही तेज गति से मामले भी कम होंगे. Omicron पर अपना तर्क पेश करते हुए मनिंद्र का मत है कि नया वैरिएंट जितनी तेजी से बढ़ेगा, उतनी ही गति से कम भी होगा. इसके लिए उन्होंने साउथ अफ्रिका का उदाहरण देते हुए कहा है कि साउथ अफ्रीका में में मामलों की संख्या तीन सप्ताह में चरम पर जाने के बाद गिरावट शुरू हो चुकी है. दक्षिण अफ्रीका में कोविड के मामलों की औसत संख्या 15 दिसंबर को लगभग 23,000 के उच्च स्तर पर रही. अब 20,000 से नीचे आ गई है.

जैसा कि पूरे देश में omicron को लेकर हव्वा बना हुआ है और बीमारी के संभावित खतरों के तहत देश तनाव में है IIT के प्रोफेसरों का मत है कि ओमिक्रॉन के मामले में भारत को चिंतित नहीं, बल्कि सावधान बने रहने की जरूरत है. चूंकि इस नए वेरिएंट के बारे में अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि ये किस हद तक घातक है तो कहा यही जा रहा है कि यदि कोरोना काल जैसी सावधानियों का लोग पालन करें तो बहुत हद तक इस बीमारी के प्रसार या कम्युनिटी स्प्रेड को आसानी से रोका जा सकता है.

आईआईटी के वैज्ञानिकों ने अपनी बात को वजन देने के लिए यूके और यूएसए का भी जिक्र किया है और स्पष्ट किया है कि अगर यूके और संयुक्त राज्य अमेरिका के मामलों, मौतों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के डेटा से अनुमान लगाया जाए तो फरवरी से ओमिक्रॉन का असर कम हो सकता है.

बात यूके की हुई है तो ये बता देना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि यूके स्थित स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, वहां ओमिक्रॉन मामले की संख्या 20 दिसंबर को 45,000 को पार कर गई, जहां 14 लोगों को इसकी चपेट में आने के बाद अपनी जान स हाथ धोना पड़ा. बहरहाल बात सावधानी की हुई है तो हमें इस बात को फिर से समझ लेना चाहिए कि बीमारी से बचने के लिए हमें वही रुख अपनाना है जो हमने तब अपनाया जब देश में कोविड और उससे जुड़े मामलों की शुरुआत हुई.

चूंकि बार बार यही तर्क दिया जा रहा है कि जानकारी ही बचाव है तो भले ही हम ये सोच लें कि हम वैक्सिनेटेड हैं तो हमें कुछ नहीं होगा ये एक भूल से ज्यादा कुछ नहीं है. बीमारी को लेकर रहस्य अभी भी बरकरार है इसलिए बेहतर यही है कि हम उन स्थानों का दौरा कम करें जहां से संक्रमण उठने या फैलने की प्रबल संभावनाएं हैं.

अब जब की आईआईटी के वैज्ञानिक भी इस बात को लेकर एकमत हों कि चिंता के बजाए हमें गंभीर होने की जरूरत है तो गंभीरता से मुराद यहां उन सेफ्टी मेजर्स पर है जिनका पालन हम पिछले कुछ समय से कर रहे हैं. क्योंकि मास्क सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजें अब हमारी आदत में शुमार हैं इसलिए अगर अब Omicron से बचने के लिए हम फिर से इनका इस्तेमाल करते हैं तो हमें परेशान या असहज होने की कोई जरूरत नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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