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सांड की हत्‍या पर भी गाय वाला गुस्‍सा!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 जनवरी, 2019 01:10 PM
  • 04 जनवरी, 2019 01:10 PM
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गौ मांस को लेकर नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट ने जो बातें कहीं हैं वो ये साफ बता रही हैं कि बीफ के अधिकांश मामले एक प्रोपेगेंडा से ज्यादा कुछ नहीं हैं.

गोवध के शक में अब तक जो फसाद हुए हैं, उसमें गफलत और साजिश का बड़ा बोलबाला सामने आया है. इन फसादों की जड़ में जो मांस मिला, उसकी जांच रिपोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है. 2014 से 2017 के बीच गोकशी के कई मामले प्रकाश में आए हैं. पुलिस और पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने गाय के मांस के नाम पर जो सैम्पल जब्त किये उनमें बहुत कम प्रतिशत गाय का था. ज्यादातर में या तो मांस भैंस का था या फिर सांड का.

ये अहम बात हमारी कोरी कल्पना नहीं है, हैदराबाद स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट (एनआरसीडब्लू ) द्वारा पूरे देश से प्राप्त 112 नमूनों के डीएनए विश्लेषण को टेस्ट करने के बाद ये महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाला गया है. मामले पर अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया का कहना है कि जितने भी सैम्पल जांच के लिए इकट्ठा किये गए उनमें महज 7 फीसदी गाय का मांस था.

एनआरसीडब्लू ने गौमांस की टेस्टिंग को लेकर जो आंकड़ें जारी किये हैं वो खासे दिलचस्प हैं

ज्ञात हो कि एनआरसीडब्लू भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत एक प्रमुख मांस अनुसंधान संस्थान है. बरामद किया गया मांस किस चीज का है इसके लिए लैब ने  2014 से 2017 तक यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, केरल, एमपी, पंजाब, छत्तीसगढ़, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की पुलिस और वहां के पशुपालन विभागों द्वारा भेजे गए सैम्पल्स को टेस्ट किया था.

जांच के लिए संसथान ने 139 सैम्पल्स प्राप्त किये मगर केवल 112 सैम्पल्स को ही डीएनए विश्लेषण के लिए उपयुक्त माना गया. प्रारंभ में अधिकारियों को संदेह था कि 69 सैम्पल्स गौ मांस थे जबकि 34 सैम्पल्स ऐसे थे जिन्हें लेकर ये क्लेरिटी नहीं थी कि ये अन्य मवेशियों के हैं या फिर भैंस के. 5 भैंस के मांस के नमूने थे, 4 बैल और एक के लिए ये संदेह जाताया गया था कि वो कुत्ते का...

गोवध के शक में अब तक जो फसाद हुए हैं, उसमें गफलत और साजिश का बड़ा बोलबाला सामने आया है. इन फसादों की जड़ में जो मांस मिला, उसकी जांच रिपोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है. 2014 से 2017 के बीच गोकशी के कई मामले प्रकाश में आए हैं. पुलिस और पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने गाय के मांस के नाम पर जो सैम्पल जब्त किये उनमें बहुत कम प्रतिशत गाय का था. ज्यादातर में या तो मांस भैंस का था या फिर सांड का.

ये अहम बात हमारी कोरी कल्पना नहीं है, हैदराबाद स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट (एनआरसीडब्लू ) द्वारा पूरे देश से प्राप्त 112 नमूनों के डीएनए विश्लेषण को टेस्ट करने के बाद ये महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाला गया है. मामले पर अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया का कहना है कि जितने भी सैम्पल जांच के लिए इकट्ठा किये गए उनमें महज 7 फीसदी गाय का मांस था.

एनआरसीडब्लू ने गौमांस की टेस्टिंग को लेकर जो आंकड़ें जारी किये हैं वो खासे दिलचस्प हैं

ज्ञात हो कि एनआरसीडब्लू भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत एक प्रमुख मांस अनुसंधान संस्थान है. बरामद किया गया मांस किस चीज का है इसके लिए लैब ने  2014 से 2017 तक यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, केरल, एमपी, पंजाब, छत्तीसगढ़, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की पुलिस और वहां के पशुपालन विभागों द्वारा भेजे गए सैम्पल्स को टेस्ट किया था.

जांच के लिए संसथान ने 139 सैम्पल्स प्राप्त किये मगर केवल 112 सैम्पल्स को ही डीएनए विश्लेषण के लिए उपयुक्त माना गया. प्रारंभ में अधिकारियों को संदेह था कि 69 सैम्पल्स गौ मांस थे जबकि 34 सैम्पल्स ऐसे थे जिन्हें लेकर ये क्लेरिटी नहीं थी कि ये अन्य मवेशियों के हैं या फिर भैंस के. 5 भैंस के मांस के नमूने थे, 4 बैल और एक के लिए ये संदेह जाताया गया था कि वो कुत्ते का मांस है.

मामले में दिलचस्प ये भी था कि 3 नमूने ऐसे भी थे जिन्हें गौ मांस कहा गया और जब उनका परीक्षण हुआ तो मिला कि जिसे गाय का मांस बताया गया दरअसल वो ऊंट का मांस था और जिसे कुत्ते का मांस बताया जा रहा था वो भेड़ का मांस था.

ध्यान रहे कि हाल फिल्हाल में कुत्ते का मांस भी चर्चा में बना हुआ है. माना जा रहा है कि हाई वे और सड़कों से दूर वर्तमान में कई ढाबे ऐसे हैं जिनमें ग्राहकों को मटन के नाम पर खाने के लिए कुत्ते का मांस परोसा जा रहा है. ऐसे मामलों की तेजी से शिकायत हो रही है और इनको लेकर पुलिस भी सख्त हुई है.

ऐसे कई मामले हमारे सामने आए हैं जब गाय के मांस के शक पर लोगों को मारा गया है

बात अगर गौ मांस या बीफ की हो तो 2014 से 2017 के बीच कई मामले ऐसे भी आए हैं जिनमें गोकशी का विरोध कर रहे लोगों द्वारा हर उस जीव हत्या का विरोध किया जा रहा है जो गो वंश से जुड़ी है. बात गो हत्या और उसपर चल रहे विरोध की चल रही है तो ऐसे में एक खबर और बताना बेहद जरूरी है.

मुरादाबाद में महिला पशु चिकित्साधिकारी का रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल हुआ है. गांव वालों ने पशु चिकित्साधिकारी पर इल्जाम लगाया है कि उसने ग्रामीणों को गोमांस का डर दिखाकर उनसे 30 हजार रुपये की रिश्वत ली थी. दिलचस्प ये है कि वायरल वीडियो का संज्ञान खुद जिलाधिकारी ने लिया है जिन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

आपको बताते चलें कि काशीपुर पुलिस ने एक युवक को पकड़ा था, जो घर में दावत के लिए 5 किलो मीट लेकर जा रहा था. पुलिस ने मीट को देख कर गौमांस होने का अंदेशा जताया. युवक ने रसीद दिखाकर बताया कि यह गौमांस नहीं है, बल्कि भैंस का मीट है, जिसके बाद मीट की जांच के आदेश पशु चिकित्सक डॉ. सुमन को दे दी गई थी. डॉक्टर सुमन के बारे में गांव वालों का तर्क है कि जो भी मीट खरीदकर लाता था. उसे रास्ते में पकड़कर रिश्वत वसूलने का काम करती थीं और जब मामले की शिकायत की जाती तो उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं होती थी.

बहरहाल एक ऐसे वक़्त में जब गाय के नाम पर लगातार लिंचिंग की वारदात पूरे देश से हमारे सामने आ रही हों तब नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट की ये रिपोर्ट हमारे लिए अहम हो जाती हैं और कहीं न कहीं हमारे लिए एक आई ओपनर का काम करती है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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