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योगी सरकार के फरमान से किसानों और पुलिस के साथ साथ गायें भी परेशान हैं

    • आईचौक
    • Updated: 29 दिसम्बर, 2018 09:56 AM
  • 29 दिसम्बर, 2018 09:56 AM
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बुलंदशहर हिंसा के बाद यूपी की योगी सरकार का फरमान हर किसी पर भारी पड़ रहा है. चाहे वे किसान हों, पुलिसवाले हों या फिर गायें सभी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. हालत ये है कि लोग परमिशन के लिए थाने पहुंच रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के फरमान से पुलिसवालों की मुसीबत और किसानों की फजीहत तो हो ही रही है, गायों के लिए भी शामत आ पड़ी है. गोशालों में जगह नहीं होने के कारण गायों को खुले में रहना पड़ रहा है - बीमारी के कारण बहुत सारी गायें कमजोर हो चुकी हैं और ठंड के चलते मौत भी हो रही है.

बुलंदशहर में हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोवध के खिलाफ सख्त एक्शन के निर्देश दिये थे. साथ ही सरकार ने गौशाला निर्माण के लिए फंड भी मुहैया कराया है.

तमाम कोशिशों के बावजूद गायों की ही मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है. अलीगढ़ के कई गांवों में किसानों ने गायों को सरकारी इमारतों में बंद करना शुरू कर दिया था. गायों को छुड़ाने के लिए पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा - गाजियाबाद में तो पुलिस गोकशी के मामलों में गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी कर रही है.

गायों को स्कूल में बंद किया

अलीगढ़ के गोराई गांव में किसानों ने एक दिन फसलों की बर्बादी से परेशान होकर छुट्टा घूम रही गायों एक स्कूल में बंद कर दिया. देखते देखते आस पास के गांवों के लोग गायों को स्कूलों, अस्पतालों और पानी टंकी परिसरों में बंद करना शुरू कर दिया. इगलास, खैर, जवां और अतरौली गांवों में ये सब 4-5 दिन तक चला. जब पुलिस हरकत में आयी तो ये सिलसिला बंद हुआ.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अलीगढ़-मथुरा रोड पर टीकापुर गांव के पास नहर किनारे लोग जुटे और हंगामा करने लगे. कुछ और इलाकों में भी बजरंग दल और युवा वाहिनी के कार्यकर्ता सक्रिय हो गये. हंगामा कर रहे लोगों ने हाइवे जाम कर दिया. हंगामा कर रहे लोगों का आरोप था कि जिंदा गायों को दफनाया गया है. प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद हालात पर काबू पाया जा सका. उसके बाद से पुलिस उनकी तलाश में जुटी है जिन पर गायों को दफानाने के आरोप हैं - और उसे पचास से ज्यादा लोगों की तलाश है.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के फरमान से पुलिसवालों की मुसीबत और किसानों की फजीहत तो हो ही रही है, गायों के लिए भी शामत आ पड़ी है. गोशालों में जगह नहीं होने के कारण गायों को खुले में रहना पड़ रहा है - बीमारी के कारण बहुत सारी गायें कमजोर हो चुकी हैं और ठंड के चलते मौत भी हो रही है.

बुलंदशहर में हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोवध के खिलाफ सख्त एक्शन के निर्देश दिये थे. साथ ही सरकार ने गौशाला निर्माण के लिए फंड भी मुहैया कराया है.

तमाम कोशिशों के बावजूद गायों की ही मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है. अलीगढ़ के कई गांवों में किसानों ने गायों को सरकारी इमारतों में बंद करना शुरू कर दिया था. गायों को छुड़ाने के लिए पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा - गाजियाबाद में तो पुलिस गोकशी के मामलों में गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी कर रही है.

गायों को स्कूल में बंद किया

अलीगढ़ के गोराई गांव में किसानों ने एक दिन फसलों की बर्बादी से परेशान होकर छुट्टा घूम रही गायों एक स्कूल में बंद कर दिया. देखते देखते आस पास के गांवों के लोग गायों को स्कूलों, अस्पतालों और पानी टंकी परिसरों में बंद करना शुरू कर दिया. इगलास, खैर, जवां और अतरौली गांवों में ये सब 4-5 दिन तक चला. जब पुलिस हरकत में आयी तो ये सिलसिला बंद हुआ.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अलीगढ़-मथुरा रोड पर टीकापुर गांव के पास नहर किनारे लोग जुटे और हंगामा करने लगे. कुछ और इलाकों में भी बजरंग दल और युवा वाहिनी के कार्यकर्ता सक्रिय हो गये. हंगामा कर रहे लोगों ने हाइवे जाम कर दिया. हंगामा कर रहे लोगों का आरोप था कि जिंदा गायों को दफनाया गया है. प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद हालात पर काबू पाया जा सका. उसके बाद से पुलिस उनकी तलाश में जुटी है जिन पर गायों को दफानाने के आरोप हैं - और उसे पचास से ज्यादा लोगों की तलाश है.

स्कूल में गाय, बच्चे घर पर

गायों को लेकर ऐसी अफरा-तफरी का माहौल यूपी के कई हिस्सों में बतायी जा रही है जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा बवाल हो रहा है. नतीजा ये हो रहा है कि अपनी गायों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने तक के लिए भी लोग पुलिस के पास पहुंच रहे हैं.

गाय ले जाने के लिए परमिशन

गाजियाबाद के सिहानी गेट थाने में एक बुजुर्ग परमिशन मांगने पहुंचे तो पुलिसवाले हक्के-बक्के रह गये. बताते हैं कि बीएसएनएल के एक रिटायर्ड कर्मचारी अपनी दो गायों को घूकना से बुलंदशहर के माकड़ी गांव ले जाना चाहते थे - और उसी के लिए वो पुलिस से परमिशन मांग रहे थे. दरअसल, वो डर रहे थे कि गायों को ले जाते वक्त कहीं गौरक्षा के नाम पर किसी ने हमला कर दिया तो क्या होगा? वो चाह रहे थे कि पुलिस कोई सर्टिफिकेट दे देती तो वो निश्चिंत होकर गायों को गांव ले जाते.

फिर एसएचओ ने अपनी ओर से भरोसा दिलाया कि वो आराम से ले जायें रास्ते ऐसा कुछ नहीं होने वाला है और उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. एसएचओ ने ये भी समझाया कि पुलिस ऐसा कोई सर्टिफिकेट नहीं जारी करती.

गाजियाबाद में गोकशी पर गैंगस्टर

हाल ही में जाने माने एक्टर नसीरुद्दीन शाह के एक बयान पर खासा विवाद हुआ था. एक वीडियो में नसीरुद्दीन शाह ने कहा है, 'कई इलाकों में हम देख रहे हैं कि एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत से ज्यादा एक गाय की मौत को अहमियत दी जा रही है. ऐसे माहौल में मुझे अपनी औलादों के बारे में सोचकर फिक्र होती है.'

नसीरुद्दीन शाह के बयान पर जो भी टिप्पणी हो, यूपी पुलिस ने साथी इंस्पेक्टर की हत्या की गुत्थी सुलझाने से पहले गोकशी का मामला तो सॉल्व कर ही लिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ तो खफा इस बात से हैं कि तारीफ की जगह लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने गोकशी के आरोपियों पर गाजियाबाद पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने की खबर दी है. गाजियाबाद के एसएसपी ने अफसरों की मीटिंग में गोहत्यारों के खिलाफ मुहिम चलाने का हुक्म दिया है. ऐसे आरोपियों जो गोहत्या के अपराध में कई बार शामिल पाये गये हों उन पर इनाम घोषित करने की भी तैयारी है. गैंगस्टर एक्ट तामील करने का पुलिस को फायदा ये होता है कि आरोपी को जमानत जल्दी नहीं मिलती - जो आईपीसी की दूसरी धाराओं में संभव नहीं हो पाता.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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