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कालेधन पर सख्‍ती के साथ ये मानवीय नरमी भी जरूरी है

    • आईचौक
    • Updated: 15 नवम्बर, 2016 08:58 PM
  • 15 नवम्बर, 2016 08:58 PM
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एक तरफ लोग मोदी जी की प्रशंसा कर रहे हैं तो वहीं इस काम को योजनाबद्ध तरीके से नहीं किए जाने को लेकर खफा हैं. लेकिन मानवीय आधार पर अगर सरकार सोचे तो लोगों की नाजगी कुछ कम हो सकती है.

कालेधन पर लगाम कसने के लिए मोदी जी की ये नोट बैन की योजना भले ही सराहनीय हो, लेकिन इससे आम जनता की परेशानियों को नकारा नहीं जा सकता. लोग घंटो एटीएम और बैंकों की लाइनों में खड़े हैं, नौकरी वाले छुट्टी लेकर खड़े हैं और देहाड़ी मजदूर अपनी एक दिन की रोजी छोड़कर. एक तरफ लोग मोदी जी की प्रशंसा कर रहे हैंतो वहीं कुछ लोग मोदी जी से नाराज भी हैं. नाराजगी इसलिए कि लोगों को लगता है कि ये काम योजनाबद्ध तरीके से नहीं किया गया जिससे आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 6 दिन में अलग- अलग जगह, अलग-अलग कारणों से 25 मौतें हो चुकी हैं. लेकिन अगर सरकार मानवीय आधार पर अभी भी ये काम करे, तो लोगों की नाराजगी कुछ कम हो सकती है.

बैंक और एटीएम के बाहर लम्बी लाइनें अगले कुछ हफ्तों तक बनी रहेंगी.

1. पुराने नोट न स्वीकार करने वालों पर स्ट्रिक्ट एक्शन ले सरकार

हालांकि सरकार ने पहले ही उन जगहों के बारे में निर्देश दे दिए थे जहां लोग अपने पुराने नोटों को चला सकते हैं, जैसे अस्पताल, मेडिकल स्टोर वगैरह. लेकिन कितने ही मामले ऐसे आए, जहां लोगों ने इस योजना को फेल पाया. अस्पताल जैसी जगह जहां लोग पैसा हाथ में लिए घूम रहे थे, वहां न तो इलाज मिल रहा था और न दवाएं. अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा था. मुंबई में इसी वजह से एक नवजात की मौत हो गई थी. वहीं कुछ मेडिकल स्टोर ऐसे भी रहे जो दवाएं तो दे रहे हैं लेकिन छुट्टे पैसे वापस नहीं कर रहे. कम से कम ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. और सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों को भी 500 और 1000 रुपए के नोट स्वीकार करने के निर्देश दिए जाएं. आखिर ये जीवन से जुड़े मामले हैं.

कालेधन पर लगाम कसने के लिए मोदी जी की ये नोट बैन की योजना भले ही सराहनीय हो, लेकिन इससे आम जनता की परेशानियों को नकारा नहीं जा सकता. लोग घंटो एटीएम और बैंकों की लाइनों में खड़े हैं, नौकरी वाले छुट्टी लेकर खड़े हैं और देहाड़ी मजदूर अपनी एक दिन की रोजी छोड़कर. एक तरफ लोग मोदी जी की प्रशंसा कर रहे हैंतो वहीं कुछ लोग मोदी जी से नाराज भी हैं. नाराजगी इसलिए कि लोगों को लगता है कि ये काम योजनाबद्ध तरीके से नहीं किया गया जिससे आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 6 दिन में अलग- अलग जगह, अलग-अलग कारणों से 25 मौतें हो चुकी हैं. लेकिन अगर सरकार मानवीय आधार पर अभी भी ये काम करे, तो लोगों की नाराजगी कुछ कम हो सकती है.

बैंक और एटीएम के बाहर लम्बी लाइनें अगले कुछ हफ्तों तक बनी रहेंगी.

1. पुराने नोट न स्वीकार करने वालों पर स्ट्रिक्ट एक्शन ले सरकार

हालांकि सरकार ने पहले ही उन जगहों के बारे में निर्देश दे दिए थे जहां लोग अपने पुराने नोटों को चला सकते हैं, जैसे अस्पताल, मेडिकल स्टोर वगैरह. लेकिन कितने ही मामले ऐसे आए, जहां लोगों ने इस योजना को फेल पाया. अस्पताल जैसी जगह जहां लोग पैसा हाथ में लिए घूम रहे थे, वहां न तो इलाज मिल रहा था और न दवाएं. अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा था. मुंबई में इसी वजह से एक नवजात की मौत हो गई थी. वहीं कुछ मेडिकल स्टोर ऐसे भी रहे जो दवाएं तो दे रहे हैं लेकिन छुट्टे पैसे वापस नहीं कर रहे. कम से कम ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. और सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों को भी 500 और 1000 रुपए के नोट स्वीकार करने के निर्देश दिए जाएं. आखिर ये जीवन से जुड़े मामले हैं.

2. गरीबों की आधारभूत जरूरतों के लिए कदम उठाए सरकार

डेबिट कार्ड होल्डर्स को छोड़ दें तो सबसे ज्यादा परेशान वो लोग हैं जिनके पास न तो आधार कार्ड है और न ही बैंक खाता. देहाड़ी मजदूर एक दिन की मजदूरी छोड़कर पोस्ट ऑफिस की लाइन में लगेगा. ऐसे लोग जो रोज कमाकर रोज खाते हैं, उनके लिए सरकार ठोस कदम उठाए जिससे कम से कम उनके खाने का इंतजाम हो सके. ऐसे लोगों के आधार कार्ड और बैंक का खाता खुलने में समय न लगाया जाए. और कम से कम खाने पीने की कुछ जरूरी चीजे पुराने नोटों में ही उपलब्ध कराई जाएं.

ये भी पढ़ें- हमें हजम क्यों नहीं हो रहा मोदी का यह फैसला ?

3. सीनियर सिटीजन, दिव्यांग और बच्चों वाली महिलाओं के लिए अलग लाइनों का प्रावधान हो

हालांकि सकार ने ऐसे निर्देश दे दिए हैं कि इन विशिष्ट लोगों के लिए अलग लाइनें हों, लेकिन कई जगह इनका पालन नहीं हो रहा, सरकार को इसपर भी निगाह रखनी होगी कि इन नियमों का पालन हो , नहीं तो लोगों में नाराजगी बनी रहेगी.

4. बैंकों और पोस्ट ऑफिसों के काम करने के घंटे बढ़ाए जाएं

जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि आने वाले कुछ हफ्तों ये परेशानी बनी रहेगी, तो ऐसे में बैंकों और पोस्ट ऑफिसों के काम करने के घंटे बढ़ाए जाएं, बैंकों की छुट्टी वाले दिन भी खोले जाएं. 14 नवंबर को बैंक बंद थे, जिससे अगले दिन लाइनों और लंबी दिखाई दीं. सरकार को इस तरह की व्यवस्था करना होगी कि लोगों को बैंक की सेवाएं रोजाना  मिल सकें.

5. लाइनों में खड़े लोगों का ख्याल रखा जाए-

बैंक और एटीएम के बाहर खड़े रहना अब घंटों का कार्यक्रम है. तो कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए कि लोग कम से कम वहां आराम भी कर पाएं. रेस्ट एरिया बनाए जाएं जिससे जरूरतमंदों को आराम मिल सके. ऐसे कई मामले आए जब लाइन में घंटों खड़े रहने के बाद कई बुजुर्गों की तबियत कराब हुई. कम से कम पानी का इंतजाम हो, कस्टमर केयर सर्विस थोड़ी सी और प्रबल हो, जिससे लोग इससे परेशान होने के बजाए इस मुहिम में सहयोग करें.

6. हर वर्ग के लोगों को जानकारी दे सरकार-

लोगों को अभी ये पता है कि मोदी जी ने नोट बंद कर दिए और अब नए नोट बाजार में आ गए हैं, इससे आने वाले समय में क्या फायदा होगा, वो लोग आज नहीं समझ रहे. लेकिन लोगों को अगर ये बताया जाए कि इस बदलाव के क्या फायदे हैं, उन्हें और देश को इससे क्या फायदा है तो लोगों में गुस्सा कम होगा.

ये भी पढ़ें- 500 और 1000 की करेंसी संकट का ये रहा समाधान

7. कार्ड मशीनों पर राहत दे सरकार-

छोटे दुकान दार और वो लोग जो नकद धंधा करते हैं वो लोग अपना माल बेच नहीं पा रहे क्योंकि बाजार में पैसा नहीं है. सरकार कार्ड मशीनों में राहत दे जिससे लोग आसानी से मशीनें खरीद सकें. सरकार कार्ड मशीनों से ट्रांजेक्शन पर पैसा काटती है, इसलिए लोग इन मशीनों का इस्तेमाल नहीं करते, ऐसे में सरकार मशीनों का इस्तेमाल करने पर पैसा न काटे.

8. लाइन में खड़े लोगों को देखकर धारणाएं न बनाएं-

अक्सर ऐसा देखा गया कि जो लोग पैसा लेकर लाइनों में खड़े हैं उन्हें लेकर सरकारी कर्मचारियों ने ये धरणा बना ली कि वो काला धन धारक हैं. हजारों ईमानदार लोग जो लाइनों में खड़े हैं वो खुद पर गलत कमेंट्स क्यों सुनें. ऐसे लोगों को निर्देश दे सरकार कि थोड़ा संवेदनशील बनें.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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