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500 और 1000 रु. के करेंसी संकट का ये रहा समाधान

    • मनोज जोशी
    • Updated: 14 नवम्बर, 2016 04:36 PM
  • 14 नवम्बर, 2016 04:36 PM
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शोक मनाने की कोई आवश्यकता नहीं. भारत सरकार के इस निर्णय का स्वागत करें एवं सहयोग करें. यह कदम राष्ट्र के लिए और आपके लिए जरूरी है...

भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित विमुद्रीकरण से भारत की जनता को, विशेषकर उन लोगों को जो नौकरी के आलावा अन्य धंधों में लगे हैं, डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. जिन्होंने नियमित कर का भुगतान किया है व अपनी आय का रिटर्न नियमित जमा किया है, बेधड़क अपना नकदी बैंक में जमा करवा सकते हैं.

यदि आपके पास घोषित आय 500 रु या 1000 रु के रूप में है तो तुरंत बैंक में जमा करावाएं. फिर भी यदि कोई संशय हो तो अपना संशय दूर करने के लिए किसी योग्य, अनुभवी एवं अधिकृत कर सलाहकार से उचित सलाह लें.  आयकर से संबंधित जानकारी आप आयकर विभाग की वेबसाइट से भी प्राप्त कर सकते हैं.

किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति से कोई जानकारी न लें. किसी अनाधिकृत व्यक्ति को अपनी वित्तीय जानकारी न दें.  किसी को अपना बैंक खाता गैकानूनी कार्यों के लिए उपयोग न करने दें. बैंक के आलावा,  किसी भी अनधिकृति व्यक्ति या संस्था से 500 या 1000 के नोट न बदलवाएं क्योंकि बदले हुए नोट जाली हो सकते हैं. ऐसा करना गैरकानूनी भी है.

विमुद्रीकरण एक सामान्य प्रक्रिया है. इसके द्वारा एक मुद्रा का अंत कर दूसरी मुद्रा को जन्म दिया जाता है. इस प्रक्रिया को आसानी से समझने के लिए:

श्रीमत भागवत गीता के अध्याय 2(22) को को देखिए:-

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

जैसे जगत् में मनुष्य पुराने जीर्ण वस्त्रों को त्याग कर अन्य नवीन वस्त्रों को ग्रहण करते हैं, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को छोड़कर अन्यान्य नवीन शरीर को प्राप्त करता है. अभिप्राय यह कि (मतलब वस्त्रों को छोड़कर नये धारण करनेवाले) पुरुष की भाँति जीवात्मा सदा निर्विकार ही रहता है.

इसे भी पढ़ें: कैश की अफरातफरी और 70 के दशक वाली नसबंदी...

भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित विमुद्रीकरण से भारत की जनता को, विशेषकर उन लोगों को जो नौकरी के आलावा अन्य धंधों में लगे हैं, डरने की कोई आवश्यकता नहीं है. जिन्होंने नियमित कर का भुगतान किया है व अपनी आय का रिटर्न नियमित जमा किया है, बेधड़क अपना नकदी बैंक में जमा करवा सकते हैं.

यदि आपके पास घोषित आय 500 रु या 1000 रु के रूप में है तो तुरंत बैंक में जमा करावाएं. फिर भी यदि कोई संशय हो तो अपना संशय दूर करने के लिए किसी योग्य, अनुभवी एवं अधिकृत कर सलाहकार से उचित सलाह लें.  आयकर से संबंधित जानकारी आप आयकर विभाग की वेबसाइट से भी प्राप्त कर सकते हैं.

किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति से कोई जानकारी न लें. किसी अनाधिकृत व्यक्ति को अपनी वित्तीय जानकारी न दें.  किसी को अपना बैंक खाता गैकानूनी कार्यों के लिए उपयोग न करने दें. बैंक के आलावा,  किसी भी अनधिकृति व्यक्ति या संस्था से 500 या 1000 के नोट न बदलवाएं क्योंकि बदले हुए नोट जाली हो सकते हैं. ऐसा करना गैरकानूनी भी है.

विमुद्रीकरण एक सामान्य प्रक्रिया है. इसके द्वारा एक मुद्रा का अंत कर दूसरी मुद्रा को जन्म दिया जाता है. इस प्रक्रिया को आसानी से समझने के लिए:

श्रीमत भागवत गीता के अध्याय 2(22) को को देखिए:-

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

जैसे जगत् में मनुष्य पुराने जीर्ण वस्त्रों को त्याग कर अन्य नवीन वस्त्रों को ग्रहण करते हैं, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को छोड़कर अन्यान्य नवीन शरीर को प्राप्त करता है. अभिप्राय यह कि (मतलब वस्त्रों को छोड़कर नये धारण करनेवाले) पुरुष की भाँति जीवात्मा सदा निर्विकार ही रहता है.

इसे भी पढ़ें: कैश की अफरातफरी और 70 के दशक वाली नसबंदी !

 इन सावधानियों से बचें करेंसी संकट की मुसीबत से

विमुद्रीकरण में भी मुद्रा की आत्मा अर्थात उसकी क्रय शक्ति वही रहती है. केवल मुद्रा का रूप बदल जाता है. अतः शोक मनाने की कोई आवश्यकता नहीं. भारत सरकार के इस निर्णय का स्वागत करें एवं सहयोग करे. यह कदम राष्ट्र निर्माण में आवश्यक है.

यहाँ पर भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 (g) को देखना जरूरी है. इस आर्टिकल के अन्तर्गत,  भारतीय संविधान ने, नागरिकों को अपनी आजीविका चलाने के लिए, किसी भी प्रकार के व्यवसाय को करने एवं उससे धन कमाने की आजादी प्रदान की है.  कोई भी सरकार आपकी ये आजादी छीन नहीं सकती. प्रत्येक नागरिक रुपया कमाने के लिए स्वतंत्र है.

फिर डर किस बात का?   भारतीय संविधान, जहाँ कमाने की इजाजत देता है वहीँ भारत सरकार को उस कमाई पर कर लगाने की इजाजत भी देता है. संविधान के आर्टिकल 265 के अनुसार, केवल अधिकृत सरकार के द्वारा ही कर लिया जा सकता है.  अतः जहाँ हमे कमाई करने का अधिकार है वहीं हमारा यह भी उत्तरदायित्व भी है की हम करों का भुगतान करें.

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यहाँ पर ध्यान देने की बात है की आयकर अधिनियम 1961 में जहाँ आय पर कर का प्रावधान है वहीँ पर कुल आय में से छूट का भी प्रावधान है. लिहाजा, आपके द्वारा कमाई हुई पूरी आय पर कर नहीं लगता. कृषि पर आय भी करमुक्त है. यहाँ पर महत्वपुर्ण बात यह है की आप 1 अप्रैल 2016 के बाद होने वाली आय का पूर्वानुमान लगाकर आपकी व्यक्तिगत या व्यवसाय की नकद रकम बैंक में जमा करवा सकते हैं. यदि वह नकदी ज्ञात सूत्रों से है तो सरकार आपको दण्डित नहीं कर सकती.

कुल आय का निर्धारण विभिन्न मदों की आयों को जोड़कर किया जाता है. वे मद हैं नौकरी से आय, गृह संपत्ति से आय, व्यसाय या पेशे से आय, पूंजी लाभ एवं अन्य स्त्रोतों से आय. इन सभी का योग कुल आय होता है जिस पर कर का निर्धारण किया जाता है. करों का भुगतान न करने या आयकर अधिनियमों के प्रावधानों का पालन नहीं करने पर विभिन्न धाराओं में 300% तक आर्थिक दंड या 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. आर्थिक दंड या जेल की सजा से बचने के लिए निम्नलिखित उपायों का अनुपालन करे:

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-तुरंत किसी अनुभवी,योग्य एवं अधिकृत कर सलाहकार से उचित सलाह लें. आयकर अधिनियम में अनजाने में हुई गलतियों को माफ़ करने के भी प्रावधान हैं.

- अपनी आय का तुरंत निर्धारण करावाएं.

- किसी अनाधिकृत व्यक्ति या एजेंट से नोट चेंज न करें.

- तुरंत अपने बकाए कर का भुगतान करें।

- अपने बहिखाते नियमानुसार लिखकर रखें।

-  यदि कोई संपत्ति बेची हो तो उसपर लगने वाले केपिटल गेन का तुरंत भुगतान करें.

- यदि आपने कोई संपत्ति बेची हो तो सेल डीड में सही रकम दर्शाएं और किसी भी रकम का 2 नंबर में न तो भुगतान करें न कोई भुगतान प्राप्त करें.

- किसी भी अन्य व्यक्ति का कोई भी कैश अपने घर में न रखें.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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