• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

जिसकी उंगलियों के निशान बायोमैट्रिक में नहीं आ पा रहे उसके आधार का क्या?

    • आईचौक
    • Updated: 26 मार्च, 2018 01:27 PM
  • 26 मार्च, 2018 01:27 PM
offline
हालांकि देश से जमींदार और जमींदारी प्रथा समाप्त हो गई है लेकिन लोगों की मानसिकता अभी भी जमींदारों वाली ही है. जियो-एयरटेल के झगड़े में रिलायंस जीओ के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एयरटेल के सीईओ सुनील मित्तल को जो व्यंग्य भरा जवाब दिया उसका ही नमूना देख लीजिए. मुकेश अंबानी ने कहा- हम सभी अब बड़े हो चुके हैं.

हाल ही में जब मैं पुणे गया था तो एक दोस्त के पास ठहरा था जिसका आधार कार्ड अभी तक नहीं मिला था. मेरे दोस्त को नया मोबाइल कनेक्शन चाहिए था, तो उसने मुझसे कहा कि मेरे आधार नंबर पर मेरे नाम से कनेक्शन उसको लेना है. हालांकि जब हम दोनों सिम कार्ड खरीदने स्टोर पर गए तो मुझे अपने फिंगरप्रिंट स्कैन कराने थे. स्कैनर मेरी ऊंगलियों को निशान को पढ़ नहीं पाया और स्कैनिंग फेल हो गई (आधार बनवाते समय भी मेरी उंगलियों का निशान छप नहीं पाया था).

मैंने स्टोर में मौजूद एक्जीक्यूटिव को हर संभव समझाने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ. अंतत: हम बिना फोन कनेक्शन के वापस आ गए. लगभग हर रोज हम ये खबर पढ़ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने फोन नंबरों और बैंक अकाउंटों के लिए आधार को जोड़ने की बाध्यता पर रोक लगा दी है. आधार को जोड़ने पर रोक तो लगा दी गई है लेकिन फिर भी अनगिनत भारतीयों को बैंक और फोन कंपनी वालों द्वारा लगातार आधार लिंक कराने और डराने की घटना नहीं रुक रही.

मेरी बाकी 9 उंगलियों के निशान नहीं होने के पीछे कारण ये है कि मेरा जन्म समय से पहले हुआ था....

हाल ही में जब मैं पुणे गया था तो एक दोस्त के पास ठहरा था जिसका आधार कार्ड अभी तक नहीं मिला था. मेरे दोस्त को नया मोबाइल कनेक्शन चाहिए था, तो उसने मुझसे कहा कि मेरे आधार नंबर पर मेरे नाम से कनेक्शन उसको लेना है. हालांकि जब हम दोनों सिम कार्ड खरीदने स्टोर पर गए तो मुझे अपने फिंगरप्रिंट स्कैन कराने थे. स्कैनर मेरी ऊंगलियों को निशान को पढ़ नहीं पाया और स्कैनिंग फेल हो गई (आधार बनवाते समय भी मेरी उंगलियों का निशान छप नहीं पाया था).

मैंने स्टोर में मौजूद एक्जीक्यूटिव को हर संभव समझाने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ. अंतत: हम बिना फोन कनेक्शन के वापस आ गए. लगभग हर रोज हम ये खबर पढ़ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने फोन नंबरों और बैंक अकाउंटों के लिए आधार को जोड़ने की बाध्यता पर रोक लगा दी है. आधार को जोड़ने पर रोक तो लगा दी गई है लेकिन फिर भी अनगिनत भारतीयों को बैंक और फोन कंपनी वालों द्वारा लगातार आधार लिंक कराने और डराने की घटना नहीं रुक रही.

मेरी बाकी 9 उंगलियों के निशान नहीं होने के पीछे कारण ये है कि मेरा जन्म समय से पहले हुआ था. जिसकी वजह से उन्हें बढ़ने का पूरा मौका नहीं मिला. अब मैं समय को तो पीछे कर नहीं सकता कि अपनी मां के गर्भ में वापस चला जाऊं और फिर आज के समय में वापस आ जाउं. इस समय ही मुझे अहसास हुआ कि मैं आधार से जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाउंगा क्योंकि हमारा बायोमैट्रिक स्कैनर भी खराब है. मतलब ये कि अन्य मूलभूत सुविधाओं के साथ साथ न तो मैं नया बैंक अकाउंट खुलवा पाउंगा, न ही नया सिम कार्ड खरीद पाउंगा.

भगवान न करे अगर कभी ऐसा हुआ कि इंटरनेट, खाना मंगाने, अस्पताल की सेवाएं लेने, जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र लेने, कार खरीदने, पेट्रोल का पैसा देने, फ्लैट किराए पर लेने, फिल्म देखने, नौकरी पाने या यहां तक कि टॉयलेट जाने तक के लिए आधार जरुरी कर दिया जाए. जिस तरह से वर्तमान सरकार भारत में हर चीज, हर काम, हर सुविधा को आधार कार्ड से जुड़वाने के पीछ आमाद है, वो दिन दूर नहीं जब हमें उबर कैब बुक करने के लिए भी बायोमैट्रिक की जरुरत पड़ेगी.

बैंक और मोबाइल कंपनियों पर जुर्माना क्यों नहीं लगता

ज्यादा डराने वाली बात ये है कि आईसीआईसीआई बैंक का मेरा अकाउंट जिसे मेरे इस्तेमाल न करने की वजह से साल भर पहले ही बंद कर दिया गया था, उसे भी आधार से जुड़वाने के लिए मुझे लगातार मैसेज आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला आने तक आधार के लिंक करवाने पर अनिश्चितकाल तक रोक लगाने के बावजूद वोडाफोन द्वारा मुझे आधार से लिंक करवाने के मैसेज आ रहे हैं.

ये कंपनियां कानून की अवहेलना कर रही हैं और लोगों का शोषण करने और मानसिक प्रताड़ना देने के लिए इनपर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. मैं हैरान हूं कि आखिर बैंकों और मोबाइल कंपनियों पर अभी तक कोई जुर्माना नहीं लगाया गया. क्या इसलिए क्योंकि हम इतने सहिष्णु, विनम्र और भोले बन गए हैं कि एक "लोकतांत्रिक" देश में नागरिकों के रूप में अपने ही अधिकारों के लिए खड़े नहीं हो सकते हैं?

या फिर असलियत ये है कि हम लोकतांत्रिक देश नहीं हैं? बल्कि एक छद्म-लोकतंत्र - एक सामंती अभिजात वर्ग है जो अभी भी राज करता है?

हालांकि देश से जमींदार और जमींदारी प्रथा समाप्त हो गई है लेकिन लोगों की मानसिकता अभी भी जमींदारों वाली ही है. जियो-एयरटेल के झगड़े में रिलायंस जीओ के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने एयरटेल के सीईओ सुनील मित्तल को जो व्यंग्य भरा जवाब दिया उसका ही नमूना देख लीजिए. मुकेश अंबानी ने कहा- "हम सभी अब बड़े हो चुके हैं."

आधार और सिस्टम का परेशान करने वाला एक पहलू यह भी है कि एसएमएस द्वारा मुझे वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) ऐसे नंबरों के लिए मिलते रहते हैं जो मेरे है भी नहीं! क्या यह प्रणाली वास्तव में इतनी त्रुटिपूर्ण है? मेरे पास ये नंबर पिछले पांच साल से है. आधार के आने से पहले से. और मुझे यकीन है कि मैं अकेला नहीं हूं जिसे राज्य द्वारा इस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है. इनके बैकएंड सिस्टम में क्या गलत है? निश्चित रूप से आईटी प्रतिभा से भरपूर इस देश में लोगों  को इस तरह से प्रताड़ित करने की जरुरत नहीं थी.

उदाहरण के तौर पर चुनाव आईडी कार्ड की गलतियां- मेरी जन्म तिथि, मेरी मां की जन्मतिथि से बदल गई- जैसी गलतियां होती रहेंगी. चिंता करने वाली बात यह भी है कि आंकड़ों के चोरी के रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. अगर आधार प्रणाली को अमेरिकी 'सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था' की तर्ज पर तैयार की गई है, तो यह भारी असुरक्षा पैदा करने वाली एक बड़ी विफलता है. हालांकि डाटा फ्रॉड का मैं अभी तक शिकार नहीं हुआ हूं, लेकिन वो दिन दूर नहीं है.

पूरे आधार सिस्टम को तुरंत खत्म करने की जरुरत है.

(इस लेख को कोलिन फर्नानडिस ने मूलत: DailyO के लिए लिखा था)

ये भी पढ़ें-

अपने आधार को फेसबुक से कैसे लिंक करें?

वाह साहब ! माना हमारा "आधार" बिकाऊ है, मगर उसकी कीमत इतनी सस्ती!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲