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अब तो मान लीजिये मोदी जी... आधार सिस्टम में ढेरों खामियां हैं...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 जनवरी, 2018 12:24 PM
  • 07 जनवरी, 2018 12:24 PM
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अब तक हम और आप ही आधार की आलोचना कर रहे थे मगर अब इसके बारे में विदेशों भी बात हो रही है जहां विदेशी लोग भी इसकी कमियां निकाल रहे हैं और इसे भारत सरकार का एक ऐसा फैसला बता रहे हैं जिसमें ढेरों कमियां हैं.

पूरी दुनिया भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में रहने वाले हम भारतीयों को बड़ा भोला भाला और सीधा साधा मानती हैं. ये हमारा सीधापन ही है जिसके चलते हमें हर रोज रात 12 बजे के बाद, टीवी पर वेट कम करने के नुस्खे बताए जाते हैं और वेट लॉस  वाले प्रोडक्ट बेचे जाते हैं. इसके अलावा दुनिया जहान की कंपनियों का ये जानते हुए कि हम भारतीय रंग के हिसाब से गेहुएं रंग के हैं हमें गोरा खूब गोरा बनाने वाली क्रीम बेच देना अपने आप में हैरत में डालने वाला है. इतनी बातें ये बताने के लिए काफी हैं कि हम भारतीय ट्रेंड कम बनाते हैं मगर दूसरों की अपेक्षा उसे ज्यादा फॉलो करते हैं.

हमारे आधार की नकामियाबी को लेकर अब अमेरिका तक में चर्चा हो रही है

मौजूदा परिपेक्ष में शायद ये कहना बिल्कुल भी गलत न हो कि आज हम अपने "अपनों" की बातें सुनने के मुकाबले इन लोगों की बातों पर ज्यादा यकीन करते हैं जिनका हमसे दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि भले ही घर में मां पिता द्वारा हमें नालायक और नाकारा मान के सिर पीटा जा रहा हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता मगर जैसे ही बगल वाले शर्मा जी या फिर किराने की दुकान वाले गुप्ता जी ने हमारे नाकारा होने के चलते हमें ताने दिए तो हमारी भावना आहत हो जाती है और हम उनपर बिखर पड़ते हैं.

अब इन पूरी बातों को अपनी सुरक्षा, प्राइवेसी और आधार कार्ड के सन्दर्भ में रखकर देखिये. मुहल्ले की पांचवी गली में सब्जी और फल का ठेला लगाने वाले असलम भाई अगर आपसे ये कहें कि आधार कार्ड देश के नागरिक की प्राइवेसी पर सरकार का प्रहार है तो हम और आप आग बबूला हो उठेंगे मगर जब यही बात एक अमेरिकन कह रहा है तो हम भारतीय गंभीर हो गए हैं और हमने उसके द्वारा कही बातों पर विचार करते हुए चाय के कई भरे कप खाली कर दिए हैं और नतीजा ये निकाला है कि...

पूरी दुनिया भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में रहने वाले हम भारतीयों को बड़ा भोला भाला और सीधा साधा मानती हैं. ये हमारा सीधापन ही है जिसके चलते हमें हर रोज रात 12 बजे के बाद, टीवी पर वेट कम करने के नुस्खे बताए जाते हैं और वेट लॉस  वाले प्रोडक्ट बेचे जाते हैं. इसके अलावा दुनिया जहान की कंपनियों का ये जानते हुए कि हम भारतीय रंग के हिसाब से गेहुएं रंग के हैं हमें गोरा खूब गोरा बनाने वाली क्रीम बेच देना अपने आप में हैरत में डालने वाला है. इतनी बातें ये बताने के लिए काफी हैं कि हम भारतीय ट्रेंड कम बनाते हैं मगर दूसरों की अपेक्षा उसे ज्यादा फॉलो करते हैं.

हमारे आधार की नकामियाबी को लेकर अब अमेरिका तक में चर्चा हो रही है

मौजूदा परिपेक्ष में शायद ये कहना बिल्कुल भी गलत न हो कि आज हम अपने "अपनों" की बातें सुनने के मुकाबले इन लोगों की बातों पर ज्यादा यकीन करते हैं जिनका हमसे दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि भले ही घर में मां पिता द्वारा हमें नालायक और नाकारा मान के सिर पीटा जा रहा हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता मगर जैसे ही बगल वाले शर्मा जी या फिर किराने की दुकान वाले गुप्ता जी ने हमारे नाकारा होने के चलते हमें ताने दिए तो हमारी भावना आहत हो जाती है और हम उनपर बिखर पड़ते हैं.

अब इन पूरी बातों को अपनी सुरक्षा, प्राइवेसी और आधार कार्ड के सन्दर्भ में रखकर देखिये. मुहल्ले की पांचवी गली में सब्जी और फल का ठेला लगाने वाले असलम भाई अगर आपसे ये कहें कि आधार कार्ड देश के नागरिक की प्राइवेसी पर सरकार का प्रहार है तो हम और आप आग बबूला हो उठेंगे मगर जब यही बात एक अमेरिकन कह रहा है तो हम भारतीय गंभीर हो गए हैं और हमने उसके द्वारा कही बातों पर विचार करते हुए चाय के कई भरे कप खाली कर दिए हैं और नतीजा ये निकाला है कि "हां,लड़का सही कह रहा है! इसकी बात में दम है."

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. खबर ट्विटर के गलियारों में से है जहां सुरक्षा मामलों के जानकार और अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने भारत के आधार सिस्टम पर अविश्वास जताया है और तर्क दिया है कि सरकारें ऐसे डेटा सिर्फ इसलिए लेती हैं ताकि वो उसका गलत इस्तेमाल कर सकें.

गौरतलब है कि स्नोडेन ने ये बातें मशहूर सीबीएस जर्नलिस्ट जैक विटेकर के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कही. ज्ञात हो कि जैक विटेकर ने बज़फीड के एक लेख को साझा किया था जो भारत में आधार सिक्योरिटी की हैंकिंग पर था. आपको बताते चलें कि विटेकर ने अपने ट्वीट में लिखा थाकि, 'भारत के पास एक नेशनल आईडी डेटाबेस है, जिसमें 100 करोड़ से ज्यादा नागरिकों की निजी जानकारियां हैं. रिपोर्ट है कि इसकी सुरक्षा हैक हो गई है. इस डेटा को एक्सेस किया जा रहा है साथ ही इसकी खरीद और फरोख्त भी धड़ल्ले से जारी है.

ध्यान रहे कि अभी बीते दिनों ही मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक आधार को लेकर चर्चा हो रही थी जहां लोग  ट्रिब्यून की एक खबर पर बात कर रहे थे कि गेटवे नाम का हैकिंग ग्रुप महज 500 रुपए में 10 मिनट के अन्दर किसी भी व्यक्ति के आधार का डेटा उपलब्ध करा सकता है और यदि व्यक्ति चाहे तो 300 रुपए और देकर इसे प्रिंट भी करवा सकता है. ट्रिब्यून की इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बयान जारी कर कहा था कि आधार से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक नहीं हुई है और नागरिकों से जुड़ी सभी जानकारियां पूर्णतः सुरक्षित हैं.

बहरहाल अब चूंकि आधार को लेकर रोज नई नई बातें सामने आ रही हैं तो ये मान लेना चाहिए कि सरकार उसे एक ऐसे वक़्त में लोगों पर थोप रही है जब खुद उसमें कई खामियां हैं. कहा जा सकता है कि हर चीज में लिंक कराने की बात कहने से पहले सरकार को इसकी कमियां दूर करनी चाहिए थीं और उन कमियों का निवारण करना चाहिए था. अंत में हम ये कहते हुए अपने बात खत्म करेंगे कि छोटी सी बात थी कि आधार में कमियां हैं. विदेशियों को ये बात समझ आ गयी मगर हाय रे हमारी सरकार ईश्वर ही जानें उसे ये बात कब समझ आएगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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