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आधार को निराधार बताने के चक्कर में पत्रकार पर केस तो कर दिया पर हकीकत?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 08 जनवरी, 2018 01:10 PM
  • 08 जनवरी, 2018 01:10 PM
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किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी में इस बात को सिरे से नहीं नकारा जा सकता कि उनमें सेंधमारी नहीं की जा सकती. मगर आधार को लेकर सरकार किसी भी तरह के डिबेट के लिए तैयार नहीं दिखती. आखिर ऐसा क्यों है?

4 जनवरी 2018 को द ट्रिब्यून में एक खबर छपी थी कि मात्र 500 रुपये में भारत में बनाये गए किसी भी आधार की जानकारी ली जा सकती है. अख़बार ने बाकायदा इस बात की पूरी जानकारी प्रकाशित की कि कैसे उनके रिपोर्टर ने वॉट्सएप के जरिए सर्विस देने वाले एक ट्रेडर से मात्र 10 मिनट में भारत में बने सारे आधार कार्ड की जानकारी प्राप्त कर ली. खबर के अनुसार मात्र आधार-नंबर डाल कर उस नंबर से संबंधित व्यक्ति की सारी जानकारी जैसे नाम, जन्म तिथि, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल तक का पता लगाया जा सकता है.

हालांकि हर बार की भांति इस बार भी यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IDAI) ने इस खबर को सिरे को ख़ारिज करते हुए आधार डाटा लीक होने की आशंका से इंकार कर दिया. साथ ही आधार से होने वाले फायदे की फेहरिस्त भी जारी कर दी. हालांकि इस बार IDAI ने जरूर उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ करते हुए इस खबर को करने वाली रिपोर्टर और अखबार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है. यानी देश की जनता को उनका डाटा कैसे सुरक्षित है ये बताने के बजाए, अथॉरिटी ने इसमें हेरफेर करने की साजिश को उजागर करने वाले के खिलाफ कारवाई करना ही उचित समझा. हालांकि इस मुद्दे पर सफाई देते हुए अथॉरिटी ने ये जरूर कहा कि चूंकि आधार के डाटा...

4 जनवरी 2018 को द ट्रिब्यून में एक खबर छपी थी कि मात्र 500 रुपये में भारत में बनाये गए किसी भी आधार की जानकारी ली जा सकती है. अख़बार ने बाकायदा इस बात की पूरी जानकारी प्रकाशित की कि कैसे उनके रिपोर्टर ने वॉट्सएप के जरिए सर्विस देने वाले एक ट्रेडर से मात्र 10 मिनट में भारत में बने सारे आधार कार्ड की जानकारी प्राप्त कर ली. खबर के अनुसार मात्र आधार-नंबर डाल कर उस नंबर से संबंधित व्यक्ति की सारी जानकारी जैसे नाम, जन्म तिथि, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल तक का पता लगाया जा सकता है.

हालांकि हर बार की भांति इस बार भी यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IDAI) ने इस खबर को सिरे को ख़ारिज करते हुए आधार डाटा लीक होने की आशंका से इंकार कर दिया. साथ ही आधार से होने वाले फायदे की फेहरिस्त भी जारी कर दी. हालांकि इस बार IDAI ने जरूर उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ करते हुए इस खबर को करने वाली रिपोर्टर और अखबार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है. यानी देश की जनता को उनका डाटा कैसे सुरक्षित है ये बताने के बजाए, अथॉरिटी ने इसमें हेरफेर करने की साजिश को उजागर करने वाले के खिलाफ कारवाई करना ही उचित समझा. हालांकि इस मुद्दे पर सफाई देते हुए अथॉरिटी ने ये जरूर कहा कि चूंकि आधार के डाटा का अनाधिकृत इस्तेमाल किया गया है, इसलिए इस मामले में शामिल सारे लोगों की जानकारी साझा की गयी है और जरुरी नहीं है की जिन लोगों के नाम दिए गए वो सारे दोषी ही हैं.

आधार की साजिश को सामने लाने की सजा देगी सरकार?

हो सकता है कि IDAI की नीयत अख़बार या पत्रकार के खिलाफ कारवाई की ना हो. मगर सबसे बड़ी बात ये है कि ऑथोरिटी पूरी घटना के बावजूद भी IDAI को सुरक्षित बताने में लगी है. यानी अगर आपकी जानकारी के बिना आपका फ़ोन नंबर, पता, ईमेल आईडी आदि जानकारी कोई भी आसानी से देख सकता है तो इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है. कम से कम खबर के छपने के बाद IDAI के बयान तो इसी ओर इशारा करते हैं. IDAI यही जताना चाहती है कि आधार के बायोमेट्रिक में किसी भी तरह की सेंधमारी संभव नहीं है. मगर बिना बायोमेट्रिक के भी जो सूचनाएं पब्लिक डोमेन में हैं, वो गलत मकसद से बड़ी आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है. पहले भी समय समय पर आधार के डाटा लीक को लेकर ख़बरें आती रही हैं. मगर हर बार उन शंकाओं-आशंकाओं को बेबुनियाद साबित करने की ही कोशिश की जाती रही है.

वर्तमान समय ऐसा है की टेक्नोलॉजी काफी तेजी से बदल रही है. हर दूसरे दिन कोई ना कोई नई टेक्नोलॉजी आ जाती है और पुरानी टेक्नोलॉजी की खामियां भी उजागर हो जाती है. अभी पिछले ही हफ्ते खबर आयी है कि अब तक सबसे सुरक्षित माने जाने वाले एप्पल के फ़ोन्स, आईपैड्स और लैपटॉप्स भी हैकिंग से सुरक्षित नहीं हैं. अब तक एप्पल के प्रोडक्ट्स को सबसे सुरक्षित माना जाता था. मगर हाल ही में पाए गए बग के बाद अब इस बात की आशंका बढ़ गयी है कि अब एप्पल को भी हैक किया जा सकता है.

यानी किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी में इस बात को सिरे से नहीं नकारा जा सकता कि उनमें सेंधमारी नहीं की जा सकती. मगर आधार को लेकर सरकार किसी भी तरह के डिबेट के लिए तैयार नहीं दिखती. बेशक इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि अगर आधार अपने मकसद में कामयाब हो जाता है, तो यह सरकार और भारत के नागरिकों के लिए भी बहुत ही लाभदायक होगा. मगर आधार को हर भारतीय का अभिन्न अंग बनाने से पहले सरकार को जनता को यह भरोसा जरूर दिलाना होगा कि उनकी जो भी निजी जानकारी है उसे कोई भी बिना उसके मर्जी के इस्तेमाल ना कर सके.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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