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विश्व गुरु बनने का सपना देखने वाले देश के माथे पर कलंक हैं ये घटनाएं...

    • अतुल यादव
    • Updated: 10 दिसम्बर, 2017 05:36 PM
  • 10 दिसम्बर, 2017 05:36 PM
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लव जिहाद के नाम पर निर्मम हत्या का मामला तब संज्ञान में आया, जब सोशल मीडिया पर हत्या का वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में दिख रहा है कि लव जिहाद के नाम पर एक शख्स पहले 50 वर्षीय अफरजुल को तलवार व कुल्हाड़ी से काटता है, फिर उसे आग के हवाले कर देता है.

हम अगर अभी भी विश्व गुरु बनने के सपने की जद में हैं तो उससे पहले ये समझने की कोशिश करें कि हिंसा और कट्टरपंथ से ग्रस्त समाज पूरी मानवता को शर्मसार करता है. अगर किसी दौर में किसी समाज में कट्टरता बढ़ने लगे, तो समझ जाइए कि उस समाज के मुख्यधारा के लोगों की बौद्धिकता कम है या कम बौद्धिकता के लोग मुख्यधारा में हैं. धर्म की राजनीति केवल वोट बैंक तक ही सीमित नहीं होती है. बल्कि समाज को असहिष्णु बनाती है और धर्म की राजनीति करने वाले कट्टरपंथ को नैतिक बल भी प्रदान करते हैं.

शायद यही वजह रही है कि पिछले कुछ सालों में वही मुद्दे कट्टरपंथ का कारण बने हैं, जो राजनीतिक प्रयोगशाला से वोटों के ध्रुवीकरण के लिए लाए गए थे. मसलन लव जिहाद और गौ रक्षा. वोटों के ध्रुवीकरण के लिहाज से यह तजुर्बा सफल तो रहा, पर सामाजिक तौर पर इन तजुर्बों का नतीजा क्या निकलता है, इसकी झांकी है दादरी के अखलाक से राजसमंद के मोहम्मद अफरजुल तक का मामला.

समाज का ये चेहरा डराने वाला है

लव जिहाद के नाम पर निर्मम हत्या का मामला तब संज्ञान में आया, जब सोशल मीडिया पर हत्या का वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में दिख रहा है कि लव जिहाद के नाम पर एक शख्स पहले 50 वर्षीय अफरजुल को तलवार व कुल्हाड़ी से काटता है, फिर उसे आग के हवाले कर देता है. एक और वीडियो के माध्यम से वही शख्स लोगों से लव जिहाद को रोकने के इस पहल के लिए समर्थन भी मांगता है. इस वीडियो को कई व्हाट्स एप ग्रुप पर शेयर भी किया जा रहा है. इनमें से “स्वच्छ राजसमंद स्वच्छ भारत” नाम के एक ग्रुप में राजसमंद से बीजेपी सांसद हरोइम सिंह राठौड़ और विधायक किरन माहेश्वरी भी सदस्य हैं. इस ग्रुप को प्रेम माली ने बनाया है और उसका दावा है कि वह राजसमंद से बीजेपी का बूथ लेवल कार्यकर्ता है. इस ग्रुप पर शंभूलाल के लिए तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं और “लव जिहादियों सावधान, जाग उठा है शंभू लाल, जय श्री राम.” जैसे मैसेज शेयर किए जा रहे हैं.

हम अगर अभी भी विश्व गुरु बनने के सपने की जद में हैं तो उससे पहले ये समझने की कोशिश करें कि हिंसा और कट्टरपंथ से ग्रस्त समाज पूरी मानवता को शर्मसार करता है. अगर किसी दौर में किसी समाज में कट्टरता बढ़ने लगे, तो समझ जाइए कि उस समाज के मुख्यधारा के लोगों की बौद्धिकता कम है या कम बौद्धिकता के लोग मुख्यधारा में हैं. धर्म की राजनीति केवल वोट बैंक तक ही सीमित नहीं होती है. बल्कि समाज को असहिष्णु बनाती है और धर्म की राजनीति करने वाले कट्टरपंथ को नैतिक बल भी प्रदान करते हैं.

शायद यही वजह रही है कि पिछले कुछ सालों में वही मुद्दे कट्टरपंथ का कारण बने हैं, जो राजनीतिक प्रयोगशाला से वोटों के ध्रुवीकरण के लिए लाए गए थे. मसलन लव जिहाद और गौ रक्षा. वोटों के ध्रुवीकरण के लिहाज से यह तजुर्बा सफल तो रहा, पर सामाजिक तौर पर इन तजुर्बों का नतीजा क्या निकलता है, इसकी झांकी है दादरी के अखलाक से राजसमंद के मोहम्मद अफरजुल तक का मामला.

समाज का ये चेहरा डराने वाला है

लव जिहाद के नाम पर निर्मम हत्या का मामला तब संज्ञान में आया, जब सोशल मीडिया पर हत्या का वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में दिख रहा है कि लव जिहाद के नाम पर एक शख्स पहले 50 वर्षीय अफरजुल को तलवार व कुल्हाड़ी से काटता है, फिर उसे आग के हवाले कर देता है. एक और वीडियो के माध्यम से वही शख्स लोगों से लव जिहाद को रोकने के इस पहल के लिए समर्थन भी मांगता है. इस वीडियो को कई व्हाट्स एप ग्रुप पर शेयर भी किया जा रहा है. इनमें से “स्वच्छ राजसमंद स्वच्छ भारत” नाम के एक ग्रुप में राजसमंद से बीजेपी सांसद हरोइम सिंह राठौड़ और विधायक किरन माहेश्वरी भी सदस्य हैं. इस ग्रुप को प्रेम माली ने बनाया है और उसका दावा है कि वह राजसमंद से बीजेपी का बूथ लेवल कार्यकर्ता है. इस ग्रुप पर शंभूलाल के लिए तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं और “लव जिहादियों सावधान, जाग उठा है शंभू लाल, जय श्री राम.” जैसे मैसेज शेयर किए जा रहे हैं.

तो क्या समर्थन में उठे हाथ ISIS जैसे खतरे को बुलावा नहीं दे रहे? धर्म की राजनीति का कट्टरपंथ को आभासी समर्थन, हमें ऐसे खतरे की तरफ ले जा रहा है जहां हमारी हजारों सालों की संस्कृति तो दागदार होगी ही. साथ ही कट्टरता सामाजिक सहिष्णुता व भाईचारे को भी तबाह कर देगी. तो समाज को ऐसी क्रूरता से बचाने के लिए जरूरी है कि धर्म के नाम पर कट्टरता बेचने वालों को नकारा जाए और भारत की संस्कृति व संविधान के प्रति सच्ची आस्था दिखाई जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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