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सेना की गोली लगी और वो अल्लाह से मिलने, अल्लाह के पास चला गया

    • विजय मनोहर तिवारी
    • Updated: 08 मई, 2018 09:27 PM
  • 08 मई, 2018 09:27 PM
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कश्मीर में सेना द्वारा आतंकी मोहम्मद रफी बट को मार गिराया गया है. ये अपने आप में हैरत में डालने वाला है कि मरने से पहले आतंकी ने अपने पिता से कहा था कि वो अल्लाह के पास जा रहा है.

कश्मीर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र पढ़ाते हुए आतंक की राह पर चल पड़ा मोहम्मद रफी बट अब इस दुनिया में नहीं है. पिछले 24 घंटे में घाटी में हुए दो एनकाउंटर में मारे गए आठ आतंकियों में वह भी अपने पांच साथियों के साथ फौज की गोली खाकर मर गया. घाटी में लगातार मारे जा रहे आतंकियों की संख्या में यह एक थोक इजाफे की खबर है. मगर मेरा ध्यान उस आखिरी बातचीत पर टिका, जिसमें मोहम्मद रफी बट फौज से घिरने के बाद अपने बाप फयाज बट से कह रहा है- मैं अल्लाह के पास जा रहा हूं. अल्लाह के पास जाने की खुश खबरी देते हुए वह इन अलफाजों में अफसोस भी जताता है-मैंने आपको दुख पहुंचाया है तो माफी मांगता हूं. ऐसे काबिल बेटे के बाप फयाज भी नब्बे के दशक में आतंकी संगठनों के लिए वफादारी से काम कर चुके हैं. वे इस वक्त अपने जवान बेटे को सुपुर्दे-खाक करने की तैयारी में होंगे जो उसी के अनुसार अल्लाह के पास गया है.

कश्मीर में एक बड़ी कार्यवाई करते हुए सेना ने मोहम्मद रफ़ी बट को मार गिराया है

मैं ईश्वरवादी हूं. मेरा यकीन है कि इस कायनात को बनाने वाला कोई है. कोई ऐसी ताकत जो हमारी मामूली समझ के दायरे से ही बहुत बाहर है. ये दुनिया जो धरती पर बसी है. ये धरती जो आसमान में सूरज के चारों तरफ घूमते अनगिनत सितारों में सबसे खूबसूरत है. इस एक धरती, इसके एक चांद और एक सूरज से भी अरबों-खरबों मील के फासले पर ऐसे नामालूम कितने सितारों की यह कभी न खत्म होने वाली पूरी कायनात है, जिसमें ऐसे तमाम सूरज, चांद और सितारे भरे हुए हैं.

यह सब बेमतलब और बेमकसद कतई नहीं है. कोई तो है जो इस सबके पीछे है. उसे ईश्वर कहिए, गॉड कहिए, अल्लाह कहिए. नाम कुछ भी हो. भाषाएं बहुत बाद की ईजाद हैं. हर भाषा में उस सर्वशक्तिमान का कोई नाम है. मोहम्मद रफी बट के यकीन में वह जो है उसने उसे अल्लाह कहा है. तभी तो उसने मरने के...

कश्मीर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र पढ़ाते हुए आतंक की राह पर चल पड़ा मोहम्मद रफी बट अब इस दुनिया में नहीं है. पिछले 24 घंटे में घाटी में हुए दो एनकाउंटर में मारे गए आठ आतंकियों में वह भी अपने पांच साथियों के साथ फौज की गोली खाकर मर गया. घाटी में लगातार मारे जा रहे आतंकियों की संख्या में यह एक थोक इजाफे की खबर है. मगर मेरा ध्यान उस आखिरी बातचीत पर टिका, जिसमें मोहम्मद रफी बट फौज से घिरने के बाद अपने बाप फयाज बट से कह रहा है- मैं अल्लाह के पास जा रहा हूं. अल्लाह के पास जाने की खुश खबरी देते हुए वह इन अलफाजों में अफसोस भी जताता है-मैंने आपको दुख पहुंचाया है तो माफी मांगता हूं. ऐसे काबिल बेटे के बाप फयाज भी नब्बे के दशक में आतंकी संगठनों के लिए वफादारी से काम कर चुके हैं. वे इस वक्त अपने जवान बेटे को सुपुर्दे-खाक करने की तैयारी में होंगे जो उसी के अनुसार अल्लाह के पास गया है.

कश्मीर में एक बड़ी कार्यवाई करते हुए सेना ने मोहम्मद रफ़ी बट को मार गिराया है

मैं ईश्वरवादी हूं. मेरा यकीन है कि इस कायनात को बनाने वाला कोई है. कोई ऐसी ताकत जो हमारी मामूली समझ के दायरे से ही बहुत बाहर है. ये दुनिया जो धरती पर बसी है. ये धरती जो आसमान में सूरज के चारों तरफ घूमते अनगिनत सितारों में सबसे खूबसूरत है. इस एक धरती, इसके एक चांद और एक सूरज से भी अरबों-खरबों मील के फासले पर ऐसे नामालूम कितने सितारों की यह कभी न खत्म होने वाली पूरी कायनात है, जिसमें ऐसे तमाम सूरज, चांद और सितारे भरे हुए हैं.

यह सब बेमतलब और बेमकसद कतई नहीं है. कोई तो है जो इस सबके पीछे है. उसे ईश्वर कहिए, गॉड कहिए, अल्लाह कहिए. नाम कुछ भी हो. भाषाएं बहुत बाद की ईजाद हैं. हर भाषा में उस सर्वशक्तिमान का कोई नाम है. मोहम्मद रफी बट के यकीन में वह जो है उसने उसे अल्लाह कहा है. तभी तो उसने मरने के पहले अपने अब्बू को यह खुश खबरी दी कि वह अल्लाह के पास जा रहा है.

मोहम्मद रफी बट के आखिरी बोल वचन से एक जिज्ञासा पैदा हुई. उसे कैसे पता चला कि वह अल्लाह के पास ही जा रहा है? मान लीजिए वह अल्लाह के पास ही जा रहा है तो जब वह अल्लाह के पास पहुंचा होगा तो अल्लाह ने उससे क्या कहा होगा? अगर अल्लाह ने कुछ कहा होगा तो क्या उसका कोई आकार-प्रकार होगा या कहीं शून्य से आवाज आई होगी? जब रफी ऊपर कहीं पहुंचा होगा तो उसने किससे कहा होगा कि वह अपना काम पूरा करके आ गया है? फिर उसे किसने किससे मिलवाया होगा?

बताया जा रहा है कि मारा गया आतंकी समाजशास्त्र का प्रोफ़ेसर था

जब उसने स्वर्ग सी सुंदर कश्मीर की धरती पर अपने इरादे और कारनामे गिनकर बताए होंगे तो क्या उसे शाबासी मिली होगी? क्या उसने यह कहा होगा कि वह बार-बार कश्मीर जाकर अपनी लड़ाई जारी रखना चाहता है इसलिए उसे एक बार वहां पैदा किया जाए? बट या भट्‌ट कश्मीरियों की मूल पहचान जाहिर करने वाले सरनेम हैं. मोहम्मद रफी बट के साथ मारे गए दूसरे साथियों के नामों पर भी गौर फरमा लीजिए. ये हैं-सद्दाम पद्दार, नेसार पंडित, अफ्फाक भट्‌ट, सब्जार भट्‌ट, अशफाक डार और एक जिसने अल्लाह के पास जाने का इरादा सामने फौज को देखकर मुलतवी कर दिया-तारिक पंडित.

ये जो इनके नाम के आगे लगे हैं-डार, जो एक और प्रचलित सरनेम धर (धर) ही है, भट्‌ट, पंडित के बारे में तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है. ये सरनेम यही जाहिर करते हैं कि हमारे किन्हीं पुरखों ने न जाने किन हालातों में एक नई राह पर चल पड़ने का फैसला लिया होगा. वे भी अपनी उम्र पूरी करके अल्लाह के पास ही गए होंगे. मोहम्मद रफी बट जब अल्लाह के पास पहुंचा होगा तो क्या उससे उसके किसी सदियों पुराने पुरखे का आमना-सामना हुआ होगा? उसने रफी से कश्मीर के हाल भी पूछे होंगे.

क्या उन्होंने यह सवाल भी किया होगा कि इतनी कम उम्र के नौजवान कश्मीर से लगातार यहां क्यों आ रहे हैं? वहां चल क्या रहा है? क्या हो गया है हमारे कश्मीर को? क्या बताया होगा रफी ने? अगर सच बताया होगा तो उस पुरखे के चेहरे पर क्या भाव पैदा हुए होंगे?

कश्मीर शैव परंपरा का एक पुराना नॉलेज सेंटर रहा है, जहां बौद्ध धर्म ने भी अपनी गहरी जड़ें कायम कीं. गौतम बुद्ध के निर्वाण के बाद संघ का एक बड़ा सम्मेलन यहीं हुआ था, जिसमें तथागत के कथनों को लिपिबद्ध करने जैसे अहम फैसले लिए गए. घाटी में दसवीं सदी, उसके भी पहले और बाद के तमाम मंदिरों के खंडहर बरबाद हालत में खड़े हैं. इनमें अनंतनाग के पास भव्य मार्त्तंड मंदिर भी एक है, जिसके काले पत्थर हरे-भरे पहाड़ों के बीच सदियों से बेरौनक हैं.

पंडित तो घाटी से अब बेदखल हुए हैं. देवता सदियों पहले ही दफा किए जा चुके हैं. किसी समय यहां आए और हुकूमत में काबिज हुए जाहिल जत्थों ने तोड़कर बरबाद हालत में छोड़ दिया होगा. कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में लगा श्री उसके उस अतीत की ध्वनि देता है, जो हिंदुस्तान के दूसरे कई हिस्सों की तरह बुरी तरह घायल है. क्या आप बता सकते हैं कि मोहम्मद रफी बट ने अल्लाह के पास पहुंचकर क्या कहा-सुना होगा? उसके पुरखों ने किन अलफाजों में उसका इस्तकबाल किया होगा? हुआ क्या होगा? बंदे के दिल में क्या है, अल्लाह जानता है!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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