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Kanika Kapoor: बेबीडॉल घबराओ नहीं, हम तुम्हारे साथ हैं...

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 23 मार्च, 2020 03:57 PM
  • 23 मार्च, 2020 03:55 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) से पीड़ित होने के बावजूद जो कुछ भी कनिका कपूर (Kanika Kapoor) ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में किया उसने हमारे पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. तमाम पक्ष ऐसे हैं जो बता रहे हैं कि कनिका से ज्यादा दोष सिस्टम का है.

कनिका कपूर (Kanika Kapoor), सुनो आइसोलेशन (Isolation) में इस वक्त तुम्हारे साथ दो ख़तरनाक चीजें होंगी. एक कोरोना और दूसरा मीडिया ट्रायल वाले जहालत भरे झूठ का जाल. जिसमें तुम उलझी होगी. नाउम्मीदी और निराशा की दरिया की तेज़ धारा में बहती ज़िंदा लाशों के रुख के खिलाफ ज़िन्दा दलीलों का ये राइटअप शायद तुम्हें कुछ राहत दे. इस वक्त देश-दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर क़यामत मची है. इस कयामत को क़ाबू करने के लिए तीन क्षेत्रों से सबसे ज्यादा उम्मीद की जा रही है.

चिकित्सा व्यवस्था- किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए चिकित्सा व्यवस्था पर ही हर किसी की उम्मीद होती है.

एयरपोर्ट- कोरोना वायरस उन विदेशियों के जरिये देश में आ सकता है, जिन देशों में इस वायरस ने जन्म लिया है. इसलिए इस वायरस को अपने देश में आने से रोकने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी की मुश्तैदी की सबसे बड़ी भूमिका है.

लखनऊ में जो हुआ उसके लिए कनिका कपूर से ज्यादा हमारा सिस्टम जिम्मेदार है

जिस देश ने कोरोना को महामारी घोषित कर लिया हो, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे वैश्विक महामारी घोषित किया हो. केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट अथारिटी को सख्त निर्देश दिये हों. एयरपोर्ट ही एक ऐसी जगह होती है जहां देश भर का हर एक सशक्त बल तैनात होता है. इतने गंभीर वक्त में क्या कोई जाना पहचाना चेहरा (सेलेब्रिटी) वाशरूम में छिप कर एयरपोर्ट के चैकिंग प्रक्रिया से बच निकलेगा, क्या ये संभव है? अगर ये भी संभव है तो मान लीजिए कि हमारे देश का सरकारी तंत्र हमें कोरोना से बिल्कुल भी नही बचा सकता.

मीडिया- शुक्रवार दोपहर से कनिका कपूर उर्फ बेबीडॉल के कोरोनाग्रस्त होने का जो मीडिया ट्रायल शुरु हुआ उससे कहीं एयरपोर्ट अथारिटी का कोई वर्जन...

कनिका कपूर (Kanika Kapoor), सुनो आइसोलेशन (Isolation) में इस वक्त तुम्हारे साथ दो ख़तरनाक चीजें होंगी. एक कोरोना और दूसरा मीडिया ट्रायल वाले जहालत भरे झूठ का जाल. जिसमें तुम उलझी होगी. नाउम्मीदी और निराशा की दरिया की तेज़ धारा में बहती ज़िंदा लाशों के रुख के खिलाफ ज़िन्दा दलीलों का ये राइटअप शायद तुम्हें कुछ राहत दे. इस वक्त देश-दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर क़यामत मची है. इस कयामत को क़ाबू करने के लिए तीन क्षेत्रों से सबसे ज्यादा उम्मीद की जा रही है.

चिकित्सा व्यवस्था- किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए चिकित्सा व्यवस्था पर ही हर किसी की उम्मीद होती है.

एयरपोर्ट- कोरोना वायरस उन विदेशियों के जरिये देश में आ सकता है, जिन देशों में इस वायरस ने जन्म लिया है. इसलिए इस वायरस को अपने देश में आने से रोकने के लिए एयरपोर्ट अथारिटी की मुश्तैदी की सबसे बड़ी भूमिका है.

लखनऊ में जो हुआ उसके लिए कनिका कपूर से ज्यादा हमारा सिस्टम जिम्मेदार है

जिस देश ने कोरोना को महामारी घोषित कर लिया हो, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे वैश्विक महामारी घोषित किया हो. केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट अथारिटी को सख्त निर्देश दिये हों. एयरपोर्ट ही एक ऐसी जगह होती है जहां देश भर का हर एक सशक्त बल तैनात होता है. इतने गंभीर वक्त में क्या कोई जाना पहचाना चेहरा (सेलेब्रिटी) वाशरूम में छिप कर एयरपोर्ट के चैकिंग प्रक्रिया से बच निकलेगा, क्या ये संभव है? अगर ये भी संभव है तो मान लीजिए कि हमारे देश का सरकारी तंत्र हमें कोरोना से बिल्कुल भी नही बचा सकता.

मीडिया- शुक्रवार दोपहर से कनिका कपूर उर्फ बेबीडॉल के कोरोनाग्रस्त होने का जो मीडिया ट्रायल शुरु हुआ उससे कहीं एयरपोर्ट अथारिटी का कोई वर्जन नहीं. कनिका का बयान है कि उसने एयरपोर्ट की चैकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से निभाया. वाशरूम में छिप कर निकलने वाली बात ना एयरपोर्ट अथारिटी कह रही है. और ना कनिका. तो फिर हवा में ये बात करके मीडिया दुनिया के सामने देश की सुरक्षा व्यवस्था की खिल्ली क्यों उड़ा रही है?

क्या यही मीडिया देश में कोरोना से बचने की जागरूकता पैदा करने की जिम्मेदारी निभा पायेगी?

दूसरी बात ये कि कनिका साफ तौर से ये भी कह रही है कि उसने मामूली साधारण से लग रहे ज़ुकाम की शिकायत पर एक डाक्टर को दिखाया था. डाक्टर ने देखकर कहा कि साधारण फ्लू है जो समय पर ठीक हो जायेगा. कनिका कपूर ने जिस डाक्टर को दिखाने का दावा किया था क्या मीडिया ने उस डाक्टर से मिलकर सच जानने की कोशिश की? और यदि ये सच है तो क्या ऐसे चिकित्सकों के भरोसे भारत को कोरोना से बचाया जा सकता है?

इन सब के सिवा आप ख़ुद सोचिए, जिसे ये मालूम हो कि वो कोरोना वायरस से ग्रसित है क्या वो पार्टियों में घूम-घूम कर एन्जॉय कर सकता है ?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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