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Open Letter: काश शाहीनबाग़ के प्रदर्शनकारियों ने जनता की परवाह की होती...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 मार्च, 2020 06:02 PM
  • 22 मार्च, 2020 06:01 PM
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एक ऐसे वक़्त में जब सारा देश कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चिंतित हो शाहीनबाग़ (Shaheenbagh) की महिलाओं का अपना धरना (CAA NRC Protest) जारी रखना ये बताता है कि इनका झूठा दंभ और अहंकार इन्हें गर्त के अंधेरों में ले जाएगा.

शाहीनबाग़ की आदरणीय महिलाओं,

आखिरकार आप नहीं मानी. एक ऐसे वक्त में जब पूरा भारत कोरोना वायरस (Coronavirus In India) को लेकर गंभीर है. 1 विदेशी नागरिक समेत 5 लोग अपनी जान से हाथ धो (Coronavirus Death In India) बैठे हैं. 300 से अधिक लोग बीमार हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के आव्हान पर, अपनी सुरक्षा के लिए भारत की एक बड़ी आबादी अपने अपने घरों में मौजूद है. और जैसा कि लग रहा है कि घर में रहने का सिलसिला इस बीमारी की रोकथाम के लिए आगे भी जारी रखना होगा. लेकिन इन तमाम चिंताओं का आप पर क्या असर होने वाला था. जनता कर्फ्यू (Janta Curfew) के दौरान भी दोपहर तक शाहीनबाग़ (Shaheen Bagh) पर धरने पर बैठी रहीं. थोड़ा दबाव पड़ा तो कुछ महिलाएं चप्पल रखकर इधर-उधर हो गईं. ये फैसला कि आप धरने को जारी रखेंगी पूरे देश को विचलित करता नजर आ रहा है.

जनता कर्फ्यू के दौरान कुछ महिलााएं चप्पल रखकर इधर-उधर हो गईं,  बाकी कोरोना वायरस की चिंंता से बेपरवाह वही डटी रहीं.

मुश्किल वक़्त होने के बावजूद आपका इस तरह धरने पर बैठना फिर एक बार ये साबित करता है कि न तो आपको देश की फिक्र है. न खुद की. आपको सिर्फ अपना ईगो संतुष्ट करना है जो आप पिछले 3 महीनों से बखूबी कर रही हैं. आपका धरना एक ऐसी चीज के लिए है जिसका कोई औचित्य नहीं है मगर राजनीति... राजनीति जो न कराए वो कम है. आज आपकी ज़िद एक गहरी चिंता का विषय तो है ही. साथ ही उसने ये भी बता दिया है कि आप देश की सरकार और देश के प्रधानमंत्री के विरोध में किसी भी सीमा तक जा सकती हैं.

बात तीन महीना पुरानी है. जामिया के छात्र नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सड़कों पर आए थे. छात्रों ने सड़कों पर खूब उत्पात मचाया.स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस आई और...

शाहीनबाग़ की आदरणीय महिलाओं,

आखिरकार आप नहीं मानी. एक ऐसे वक्त में जब पूरा भारत कोरोना वायरस (Coronavirus In India) को लेकर गंभीर है. 1 विदेशी नागरिक समेत 5 लोग अपनी जान से हाथ धो (Coronavirus Death In India) बैठे हैं. 300 से अधिक लोग बीमार हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के आव्हान पर, अपनी सुरक्षा के लिए भारत की एक बड़ी आबादी अपने अपने घरों में मौजूद है. और जैसा कि लग रहा है कि घर में रहने का सिलसिला इस बीमारी की रोकथाम के लिए आगे भी जारी रखना होगा. लेकिन इन तमाम चिंताओं का आप पर क्या असर होने वाला था. जनता कर्फ्यू (Janta Curfew) के दौरान भी दोपहर तक शाहीनबाग़ (Shaheen Bagh) पर धरने पर बैठी रहीं. थोड़ा दबाव पड़ा तो कुछ महिलाएं चप्पल रखकर इधर-उधर हो गईं. ये फैसला कि आप धरने को जारी रखेंगी पूरे देश को विचलित करता नजर आ रहा है.

जनता कर्फ्यू के दौरान कुछ महिलााएं चप्पल रखकर इधर-उधर हो गईं,  बाकी कोरोना वायरस की चिंंता से बेपरवाह वही डटी रहीं.

मुश्किल वक़्त होने के बावजूद आपका इस तरह धरने पर बैठना फिर एक बार ये साबित करता है कि न तो आपको देश की फिक्र है. न खुद की. आपको सिर्फ अपना ईगो संतुष्ट करना है जो आप पिछले 3 महीनों से बखूबी कर रही हैं. आपका धरना एक ऐसी चीज के लिए है जिसका कोई औचित्य नहीं है मगर राजनीति... राजनीति जो न कराए वो कम है. आज आपकी ज़िद एक गहरी चिंता का विषय तो है ही. साथ ही उसने ये भी बता दिया है कि आप देश की सरकार और देश के प्रधानमंत्री के विरोध में किसी भी सीमा तक जा सकती हैं.

बात तीन महीना पुरानी है. जामिया के छात्र नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सड़कों पर आए थे. छात्रों ने सड़कों पर खूब उत्पात मचाया.स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस आई और लाठीचार्ज किया. दिल्ली पुलिस द्वारा जिस तरह छात्रों को मारा गया उसकी खूब आलोचना हुई. आप जामिया के छात्रों की सॉलिडेरिटी में धरने पर आईं और एक अहिंसक आंदोलन की शुरुआत की.

शुरू शुरू में जैसा आपका धरना था, उसे देश के आम लोगों का खूब समर्थन मिला . एक बड़ा वर्ग था जिसने कहा कि धरना तो ऐसा ही होना चाहिए. मगर जैसे जैसे दिन बीते हकीकत एक के बाद एक खुल कर सामने आती रही और साफ हो गया कि आपको सरकार के विरोधियों ने उन भेड़ों में तदबील कर दिया जिन्हें हांका ही इसलिए जा रहा है ताकि विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सके.

हो सकता है ये बात आपको आहत कर दें.तो बता दें कि चाहे वो देश के प्रधानमंत्री रहे हों या फिर गृह मंत्री और कानून मंत्री तमाम मंचों से सरकार की तरफ से ये बात कही गई कि नए कानून से भारत के मुसलमानों की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं है. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात.

आपने धरना जारी रखा जिसका नतीजा ये निकला कि दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद के लोगों को दिक्कत हुई. लोग विरोध में सड़कों पर आए और साथ ही आपके इसी खोखले विरोध प्रदर्शन को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में स्थिति बद से बदतर हुई. दंगे की नौबत आई. लोगों को अपनी जान और माल से हाथ धोना पड़ा.

कोरोना वायरस के मामले जैसे एक के बाद एक देश के सामने आए, तो वो लोग जो आपके इस धरने के समर्थन कर रहे थे उन्हें लगा कि अब शायद आप धरना खत्म कर अपने अपने घरों में लौट जाएंगी. लेकिन आप वहीं है. उसी टेंट के नीचे सरकार विरोधी नारे लगाते हुए.

एक बात याद रखिये आज जिन गांधी और अंबेडकर के नाम पर आप धरना कर रही हैं, यदि आज वो हमारे बीच होते तो वो भी इन मुश्किल हालातों में अपना धरना स्थगित कर देते. याद रखिये आपकी ये हठधर्मिता चीख चीखकर इस बात की गवाही दे रही है कि आपका ये कट्टरपंथ आपको केवल गर्त के अंधेरों में ले जाएगा.

इस बीच सोशल मीडिया पर इस तरह की ख़बरें भी आ रही हैं कि धरने को उस वक़्त एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया जब सुबह दो अज्ञात युवकों ने धरना स्थल पर पेट्रोल बम फेंका।

धरने की जो ताजा ख़बरें आ रही हैं उसके अनुसार धरना स्थगित किये जाने की खबर अफवाह है और ये धरना बदस्तूर जारी है. अब भी वहां 15-20 औरतें मौजूद हैं जो बिना कोरोना वायरस की परवाह के धरना स्थल पर बैठी हैं.

अब जबकि आपकी तरफ से ये धरना स्थगित नहीं हुआ है तो बस ये कहते हुए हम भी अपनी बात को विराम देंगे कि आगे जब कभी इतिहास लिखा जाएगा आपका ये कारनामा उसमें दर्ज होगा और लोग याद रखेंगे कि कुछ ऐसी औरतें थीं जिन्होंने अपने अहंकार और झूठे दंभ में सम्पूर्ण मानवता को खतरे में डाला.

आपका

आपकी हरकतों पर अफसोस मनाता, इस देश का एक आम आदमी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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