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लखनऊ में जब सही साबित हुई कहावत, 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे'...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 19 दिसम्बर, 2018 07:04 PM
  • 19 दिसम्बर, 2018 07:04 PM
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लखनऊ में जैसी बदतमीजी युवाओं के द्वारा दरोगा के साथ हुई. वो ये साफ बताती है कि बात जब समूह की हो तब क्या यूपी क्या बिहार एक के सामने दूसरा शेर है. मौके पर जिसके पास संख्याबल है खिलाड़ी वही है

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा था कि सूबे में कहीं भी कानून व्यवस्था के साथ समझौता नहीं किया जाएगा. साथ ही कई मौकों पर सीएम ने ये भी कहा था कि प्रदेश को अपराध मुक्त बनाना उनकी पहली प्राथमिकता है. एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ये बातें हैं दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ से वायरल हुआ एक वीडियो है. मुख्यमंत्री की बातों को ध्यान रखकर यदि लगातार वायरल हो रहे वीडियो का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की चीज न कभी थी और शायद न कभी भविष्य में होगी.

लखनऊ में युवकों द्वारा पुलिस वाले को हड़काना ये बताता है कि जब सामने समूह हो तो नियम कानून अपने आप ताख पर चले जाते हैं

राजधानी लखनऊ में एसएसपी कलानिधि नैथानी के दिशा निर्देश पर यातायात व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने, अपराधियों और संदिग्ध व्यक्तियों को धर दबोचने के उद्देश्य से अभियान चलाया जा रहा है. इसी क्रम में जब गलत पार्किंग में खड़ी गाड़ी में बैठे रईसजादे को दरोगा ने टोका तो विरोध के स्वर बुलंद हो गए और चूंकि मामले एक रईस से जुड़ा था 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाली कहावत ने वास्तविक रूप ले लिया.

गाड़ी में बैठे युवक ने ऑन ड्यूटी ऑफिसर का न सिर्फ गिरेबान बल्कि उससे काफी बदतमीजी से बात की और धमकी दी. फिलहाल रात भर के समय में पुलिस की टीमों ने रईसजादे को पकड़ कर उसके खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि लखनऊ के विभूति खंड स्थित सेमी ग्रांड होटल के पास डीजीपी ओपी सिंह के आगमन को लेकर सब इंस्पेक्टर शिवेंद्र रूट व्यवस्था देख रहे थे. इसी बीच उन्हें एक गाड़ी गलत खड़ी दिखाई दी और उन्होंने वाहन चालक से सवाल किये.

दरोगा का सवाल करना वाहन चलक को नागवार गुजरा और नौबत...

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा था कि सूबे में कहीं भी कानून व्यवस्था के साथ समझौता नहीं किया जाएगा. साथ ही कई मौकों पर सीएम ने ये भी कहा था कि प्रदेश को अपराध मुक्त बनाना उनकी पहली प्राथमिकता है. एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ये बातें हैं दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ से वायरल हुआ एक वीडियो है. मुख्यमंत्री की बातों को ध्यान रखकर यदि लगातार वायरल हो रहे वीडियो का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की चीज न कभी थी और शायद न कभी भविष्य में होगी.

लखनऊ में युवकों द्वारा पुलिस वाले को हड़काना ये बताता है कि जब सामने समूह हो तो नियम कानून अपने आप ताख पर चले जाते हैं

राजधानी लखनऊ में एसएसपी कलानिधि नैथानी के दिशा निर्देश पर यातायात व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने, अपराधियों और संदिग्ध व्यक्तियों को धर दबोचने के उद्देश्य से अभियान चलाया जा रहा है. इसी क्रम में जब गलत पार्किंग में खड़ी गाड़ी में बैठे रईसजादे को दरोगा ने टोका तो विरोध के स्वर बुलंद हो गए और चूंकि मामले एक रईस से जुड़ा था 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाली कहावत ने वास्तविक रूप ले लिया.

गाड़ी में बैठे युवक ने ऑन ड्यूटी ऑफिसर का न सिर्फ गिरेबान बल्कि उससे काफी बदतमीजी से बात की और धमकी दी. फिलहाल रात भर के समय में पुलिस की टीमों ने रईसजादे को पकड़ कर उसके खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि लखनऊ के विभूति खंड स्थित सेमी ग्रांड होटल के पास डीजीपी ओपी सिंह के आगमन को लेकर सब इंस्पेक्टर शिवेंद्र रूट व्यवस्था देख रहे थे. इसी बीच उन्हें एक गाड़ी गलत खड़ी दिखाई दी और उन्होंने वाहन चालक से सवाल किये.

दरोगा का सवाल करना वाहन चलक को नागवार गुजरा और नौबत युवकों द्वारा दरोगा के साथ बदतमीजीकरने, गिरेबान पकड़ने और धमकी देने तक आ गयी.  मामला शांत होने के बाद सब इंस्पेक्टर शिवेंद्र सिंह की तहरीर पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 353, 504, 506 के तहत अभियोग दर्ज किया. चूंकि मामला खुद पुलिस के रसूख से जुड़ा था इसलिए दरोगा की शिकायत पर एक्शन लिया गया और लखनऊ के कल्याणपुर निवासी सौरभ त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया.

बात बीते कुछ घंटे हो चुके हैं. इन बीतें हुए कुछ घंटों में पुलिस ने मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई कर दी है. मगर जब इस वीडियो का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि नियम कानून  उस वक़्त ताख पर रख दिए जाते हैं जब बात समूह की हो. इस मामले में अभियुक्त के साथ उसके दोस्त थे जबकि पुलिस वाला अकेला था इसलिए हम ये कह रहे हैं कि यहां युवकों ने पुलिस के साथ बदसलूकी की. वहीं एक परिस्थिति वो भी है जब कोई सामान्य नागरिक अकेला हो और पुलिस वालों की भीड़ उसे घेर ले. जैसी बदतमीजी यहां दरोगा के साथ हुई वैसी ही बदतमीजी तक उस सामान्य नागरिक के साथ होती.

इस मामले की पृष्ठभूमि में भी हम बस ये कहना चाहेंगे कि इससे मतलब नहीं है कि घटना यूपी की या फिर बिहार की बात बहुबल संख्याबल की है युवाओं की संख्या अधिक थी इसलिए उन्होंने अपना रौब जमाने की कोशिश की यदि यहां दो चार पुलिस वाले दरोगा के साथ होते तो वो भी उतना ही दबंग होता जितना उसे धमकाने वाले युवक. खैर अब जबकि मामला हमारे सामने आ ही गया है तो हम बस ये कहकर बात को विराम देंगे कि बात जब यूपी की हो तो सड़क से लेकर सदन तक शक्तिशाली वही है जिसके पास संख्याबल है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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