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कविता देवी ने अपने दम-खम से नई दुनिया बसा ली है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 13 सितम्बर, 2018 10:46 AM
  • 22 जुलाई, 2018 01:35 PM
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जब पहली बार वह रिंग में उतरीं तो लोग सबसे अधिक इस बात से हैरान थे कि वह सूट सलवार में लड़ाई के लिए उतरी थीं. कविता ने दुनिया की सारी पाबंदियां जरूर तोड़ दीं, लेकिन वह अभी भी सूट सलवार पहन कर लड़ाई करती हैं.

हर इंसान सपने तो देखता है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए पर्याप्त मेहनत कुछ ही लोग कर पाते हैं. इनमें से ही एक हैं कविता देवी, जिन्होंने अपने खुद के दम पर अपनी एक अलग दुनिया बनाई और रेसलिंग में एक खास पहचान बना ली है. जब कभी द ग्रेट खली या जिंदर महल की बात छिड़ती है, तो कविता देवी का जिक्र भी जरूर होता है. और हो भी क्यों ना. कविता सिर्फ रेसलिंग रिंग में अपने विरोधियों को ही पटखनी नहीं देतीं, बल्कि अपनी वास्तविक जिंदगी में भी उन्होंने कामयाबी के रास्ते में आने वाली अड़चनों को चारों खाने चित किया है. चलिए जानते हैं रेसलिंग की दुनिया में एक अलग पहचान बनाने वाली इस महिला के बारे में-

सूट सलवार में कुश्ती लड़ने वाली पहलवान

हरियाणा के जींद जिले की रहने वाली कविता भारत की पहली महिला पहलवान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (WWE) में हिस्सा लिया. जब पहली बार वह रिंग में उतरीं तो लोग सबसे अधिक इस बात से हैरान थे कि वह सूट सलवार में लड़ाई के लिए उतरी थीं. कविता ने दुनिया की सारी पाबंदियां जरूर तोड़ दीं, लेकिन वह अभी भी सूट सलवार पहन कर लड़ाई करती हैं. कविता के अनुसार, उन्होंने सूट पहनकर इसलिए लड़ाई की ताकि बाकी लड़कियों को कपड़ों को लेकर किसी तरह की हिचकिचाहट ना हो. साथ ही वह अपनी संस्कृति तो पूरी दुनिया को दिखाना चाहती हैं.

कविता सूट पहनकर इसलिए लड़ती हैं ताकि बाकी लड़कियों को कपड़ों को लेकर कोई हिचकिचाहट ना हो.

अपनी ही जान लेना चाहती थीं कविता

आज कविता देवी लोकप्रिय हैं, तो सभी उन्हें कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते देख रहे हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वह अपनी जान तक देने को आमादा हो गई थीं. कविता देवी ने अपने करियार की शुरुआत वेटलिफ्टिंग से की. 2016 के साउथ एशियन गेम्स...

हर इंसान सपने तो देखता है, लेकिन उसे पूरा करने के लिए पर्याप्त मेहनत कुछ ही लोग कर पाते हैं. इनमें से ही एक हैं कविता देवी, जिन्होंने अपने खुद के दम पर अपनी एक अलग दुनिया बनाई और रेसलिंग में एक खास पहचान बना ली है. जब कभी द ग्रेट खली या जिंदर महल की बात छिड़ती है, तो कविता देवी का जिक्र भी जरूर होता है. और हो भी क्यों ना. कविता सिर्फ रेसलिंग रिंग में अपने विरोधियों को ही पटखनी नहीं देतीं, बल्कि अपनी वास्तविक जिंदगी में भी उन्होंने कामयाबी के रास्ते में आने वाली अड़चनों को चारों खाने चित किया है. चलिए जानते हैं रेसलिंग की दुनिया में एक अलग पहचान बनाने वाली इस महिला के बारे में-

सूट सलवार में कुश्ती लड़ने वाली पहलवान

हरियाणा के जींद जिले की रहने वाली कविता भारत की पहली महिला पहलवान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (WWE) में हिस्सा लिया. जब पहली बार वह रिंग में उतरीं तो लोग सबसे अधिक इस बात से हैरान थे कि वह सूट सलवार में लड़ाई के लिए उतरी थीं. कविता ने दुनिया की सारी पाबंदियां जरूर तोड़ दीं, लेकिन वह अभी भी सूट सलवार पहन कर लड़ाई करती हैं. कविता के अनुसार, उन्होंने सूट पहनकर इसलिए लड़ाई की ताकि बाकी लड़कियों को कपड़ों को लेकर किसी तरह की हिचकिचाहट ना हो. साथ ही वह अपनी संस्कृति तो पूरी दुनिया को दिखाना चाहती हैं.

कविता सूट पहनकर इसलिए लड़ती हैं ताकि बाकी लड़कियों को कपड़ों को लेकर कोई हिचकिचाहट ना हो.

अपनी ही जान लेना चाहती थीं कविता

आज कविता देवी लोकप्रिय हैं, तो सभी उन्हें कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते देख रहे हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वह अपनी जान तक देने को आमादा हो गई थीं. कविता देवी ने अपने करियार की शुरुआत वेटलिफ्टिंग से की. 2016 के साउथ एशियन गेम्स में 75 किलोग्राम की वेटलिफ्टिंग की कैटेगरी में वह भारत के लिए स्वर्ण पद भी जीत चुकी हैं. जैसे-जैसे कविता का जीवन आगे बढ़ता गया, वह जरूरी जिम्मेदारियों को निभाती चली गईं. शादी हुई, बच्चा हुआ और खेल से वह दूर होती चली गईं. शादी के बाद परिवार वाले चाहते थे कि कविता खेल छोड़ दें और पूरा ध्यान परिवार पर दें. एक वक्त ऐसा भी आ गया जब परेशान होकर उन्होंने खुद की जान भी लेनी चाही. खैर, दिन बीतते गए और खेल के पास आने की कविता की कोशिशें भी रंग लाईं. परिवार को उन्होंने मना लिया और पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाने के लिए वह रिंग में उतर गईं.

वायरल हो गया था उनकी फाइट का ये वीडियो

कविता देवी पहले भी यंग क्लासिक टूर्नामेंट में भाग ले चुकी हैं. तब वह अधिक देर तक रिंग में टिक नहीं पाई थीं, लेकिन जितनी भी देर वह रिंग में थीं, अपने दम खम से उतनी ही देर में उन्होंने दुनिया का दिल जीत लिया. उस लडाई का वीडियो तब से लेकर अब तक खूब देखा जाता है. आप भी देखिए चंद मिनटों में ही कविता ने कैसे अपनी विरोधी को धूल चटा दी.

इस फाइट ने बना दी अलग पहचान

स्कूली शिक्षा के बाद कविता ने 2004 में लखनऊ में रेसलिंग की ट्रेनिंग ली. यही नहीं रेसलिंग से पहले कविता वेट लिफ्टिंग में भी कई मेडल जीत चुकी हैं. 2004 से 2014 के बीच उन्होंने कई नेशनल और इंटरनेशनल कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया. फरवरी 2016 में साउथ एशियन गेम्स में कविता ने स्वर्ण पदक जीता. लेकिन उनको पहचान मिली CWE चैम्पियनशिप से, जहां उन्होंने नेशनल रेसलर बुलबुल के चैलेंज को स्वीकार किया और सलवार कमीज पहने रिंग में उतरीं और बुलबुल को बुरी तरह पीटा. उनका ये वीडियो काफी वायरल हुआ था.

उनकी फाइट को देख द ग्रेट खली ने अपने शो 'द ग्रेट खली रिटर्न शो' में बुलाया. जहां उनका मुकाबला अमेरिका की इंटरनेशनल रेसलर नटरिया से हुआ. लोग तो तब चौंक हो गए जब उन्होंने इस पहलवान को 12 मिनट में चित कर दिया. जिसके बाद उनका रेसलिंग में करियर शुरू हो गया.

दिन में 5 टाइम खाती हैं खाना

सुबह का नाश्ता : 6 केले, 6 अंडे, दो लीटर दूध, 30 बादाम, 9 ब्रैड पीस जैम के साथ, 100 ग्राम मूंगफली.

दोपहर का खाना : 500 ग्राम दही, हरा सलाद, चार चपाती, चावल, दावल, सूखी सब्जी.

शाम 5 बजे प्रैक्टिस से पहले : एक ग्लास दूध या कॉफी के साथ 100 ग्राम देशी घी में भुने हुए बादाम.

शाम 7.30 बजे प्रैक्टिस के तुरंत बाद : 85 ग्राम डब्बाबंद प्रोटीन व विटामिन.

रात का खाना : 500 ग्राम से लेकर एक किलोग्राम तक मटन/मीट, दूध और ग्लूकोज.

भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में एक महिला के लिए किसी भी खेल में हिस्सा लेना कितना मुश्किल है ये तो सभी जानते हैं. ऐसे में, रेसलिंग जैसे खेल को करियर बनाने वाली कविता को कितना कुछ झेलना पड़ा होगा, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. मौजूदा समय में वह द ग्रेट खली की एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही हैं और वह भी खली जैसी कामयाब होना चाहती हैं, जिसके लिए वह जी तोड़ मेहनत करती हैं. खेल को लेकर कविता का लगाव इसी बात से पता चलता है कि वह कहती हैं जब वह रिंग में होती हैं तो भूल जाती हैं कि उनका कोई परिवार या कोई बच्चा भी है और सिर्फ अपने खेल पर फोकस करती हैं. इस बार के टूर्नामेंट में कविता क्या दम-खम दिखाती हैं, इसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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