• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

क्या मोदी 26 जनवरी को एक बड़ा मौका चूक रहे हैं?

    • आईचौक
    • Updated: 22 जुलाई, 2018 11:54 AM
  • 22 जुलाई, 2018 11:54 AM
offline
जिस तरह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणतंत्र दिवस पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बुला रहे हैं कहीं न कहीं वो मोदी की कमजोरी को दर्शाता है.

हाल ही में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने 2019 रिपब्लिक डे परेड के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को न्योता दिया है. जिस दौर में दुनिया के तमाम देशों में ट्रम्प की यात्रा का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है, उसी समय ट्रम्प को न्योता भेजकर मोदी सरकार इसे अपना ट्रम्प कार्ड बता रही है. दरअसल भारतीय राजनीति में अपने मज़बूत व्यक्तित्व का प्रचार करने के लिए विश्व के ताक़तवर नेताओं के साथ खड़े होने का फैशन पुराना रहा है. इसके पहले साल 2015 में रिपब्लिक डे के मुख्य अतिथि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा बने थे जिसे मोदी सरकार ने अपने विदेश नीति की सफलता के रूप में प्रचारित किया था. विश्व नेता का तमगा प्राप्त करने के लिए नरेंद्र मोदी ने विश्व नेताओं को हमेशा अपने पास ही रखा है.

ट्रंप का रवैया हाल- फिलहाल में भारत के हितों के खिलाफ रहा है.

ट्रम्प को न्योता भेजा तो किम जोंग उन को क्यों नहीं

हाल के दिनों में पूरी दुनिया में ट्रम्प की गतिविधियों के कारण वैश्विक स्तर पर असुरक्षा का माहौल बना है. कभी इनका डंडा आप्रवासियों पर चलता है तो कभी अपने वर्ल्ड पावर होने की सनक में ईरान और मेक्सिको जैसे छोटे देशों को निशाना बनाते हैं. 2015 में हुए ईरान और अमेरिका के न्यूक्लिअर डील को रद्द करके इन्होने पूरे मध्य-पूर्व को बारूद की ढेर पर बैठने को मज़बूर कर दिया है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपनी छवि के विपरीत जाकर विश्व शांति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अमेरिका के साथ समझौता किया. मानवता की कसौटी पर ट्रम्प से ज्यादा तो किम जोंग उन खड़े उतर रहे है. दरअसल अमेरिका आज भी वर्ल्ड पावर का तमगा अपने पास रखता है, सांकेतिक रूप से ही सही अमेरिका को साधना आज भी सरकार के एक मज़बूत पक्ष के रूप में देखा जाता है.

हाल ही में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने 2019 रिपब्लिक डे परेड के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को न्योता दिया है. जिस दौर में दुनिया के तमाम देशों में ट्रम्प की यात्रा का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है, उसी समय ट्रम्प को न्योता भेजकर मोदी सरकार इसे अपना ट्रम्प कार्ड बता रही है. दरअसल भारतीय राजनीति में अपने मज़बूत व्यक्तित्व का प्रचार करने के लिए विश्व के ताक़तवर नेताओं के साथ खड़े होने का फैशन पुराना रहा है. इसके पहले साल 2015 में रिपब्लिक डे के मुख्य अतिथि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा बने थे जिसे मोदी सरकार ने अपने विदेश नीति की सफलता के रूप में प्रचारित किया था. विश्व नेता का तमगा प्राप्त करने के लिए नरेंद्र मोदी ने विश्व नेताओं को हमेशा अपने पास ही रखा है.

ट्रंप का रवैया हाल- फिलहाल में भारत के हितों के खिलाफ रहा है.

ट्रम्प को न्योता भेजा तो किम जोंग उन को क्यों नहीं

हाल के दिनों में पूरी दुनिया में ट्रम्प की गतिविधियों के कारण वैश्विक स्तर पर असुरक्षा का माहौल बना है. कभी इनका डंडा आप्रवासियों पर चलता है तो कभी अपने वर्ल्ड पावर होने की सनक में ईरान और मेक्सिको जैसे छोटे देशों को निशाना बनाते हैं. 2015 में हुए ईरान और अमेरिका के न्यूक्लिअर डील को रद्द करके इन्होने पूरे मध्य-पूर्व को बारूद की ढेर पर बैठने को मज़बूर कर दिया है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपनी छवि के विपरीत जाकर विश्व शांति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अमेरिका के साथ समझौता किया. मानवता की कसौटी पर ट्रम्प से ज्यादा तो किम जोंग उन खड़े उतर रहे है. दरअसल अमेरिका आज भी वर्ल्ड पावर का तमगा अपने पास रखता है, सांकेतिक रूप से ही सही अमेरिका को साधना आज भी सरकार के एक मज़बूत पक्ष के रूप में देखा जाता है.

रूस भारत का पारम्परिक दोस्त रहा है लेकिन भारत के अमेरिकी झुकाव को देखते हुए उसने भी अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव किया है. रूस का रुख चीन और पाकिस्तान को लेकर थोड़ा नरम हुआ है. रूस को लगता है कि जब भारत अपने हित के लिए अमेरिका और इजराइल से अपनी नज़दीकी बढ़ा सकता है तो रूस पाकिस्तान और चीन से क्यों नहीं. इन हालात में ट्रम्प की जगह पुतिन को न्योता देकर मोदी भारत और रूस के संबंधों में एक नई सरगर्मी पैदा कर सकते थे.

अमेरिका ने पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर का एक नया सीरीज लांच किया है जिसके लपेटे में चीन से लेकर भारत और पूरा यूरोप आ चूका है. सरंक्षणवाद की नीति और अमेरिका फर्स्ट की विचारधारा ने ट्रम्प को खलनायक बना दिया है. मध्य-पूर्व में सऊदी अरब की गुंडागर्दी को सरंक्षण देकर अमेरिका ने अपनी दोहरी नीति को एक बार फिर से सिद्ध किया है. पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने का कुतर्क और भारत जैसे विकासशील देशों का माखौल उड़ाकर ट्रम्प ने अपनी संकुचित सोच का एक नायाब नमूना पेश किया था. ईरान से आयातित होने वाले कच्चे तेल पर पूर्ण प्रतिबन्ध की धमकी अमेरिका पहले ही दे चूका है.

मोदी सरकार शायद इस मकसद से भी ट्रम्प को बुलाना चाहती है ताकि ईरान में उसके हालिया निवेश की रक्षा हो सके और कच्चे तेल के मुद्दे पर उसे थोड़ी राहत मिल जाये. लेकिन ट्रम्प का व्यक्तित्व ऐसा है कि कुछ घंटों के भीतर ही वो अपने स्टैंड से बदल जाते हैं. भारत ने रूस से हाल ही में S-400 एंटी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के खरीद की योजना बनाई है और ट्रम्प सरकार ने इसके ऊपर भी नाराज़गी व्यक्त किया है. सबसे बड़ा सवाल तो यहीं है की आज जब नरेंद्र मोदी बोलते हैं की भारत दुनिया के ताक़तवर देशों के साथ भी आँख में आंख डालकर बात करता है तो फिर अमेरिका कैसे हमारे सामरिक समझौतों के ऊपर सवाल उठा सकता है.

खैर मोदी सरकार के विरोधी तो यही बोल रहे हैं की एक लोकतान्त्रिक तानाशाह ने दुसरे लोकतान्त्रिक तानाशाह को न्योता भेजा है. राष्ट्रवाद की अग्नि में प्रज्जवलित दोनों नेताओं की विचारधारा एक दुसरे से पारस्परिक सम्बन्ध रखती है. इसमें कोई शक नहीं है कि नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले अपने मजबूत नेता की छवि को एक मजबूत पक्ष देना चाहते हैं. ट्रम्प को न्योता भेजकर मोदी सरकार ने अमेरिका के पिछलगू होने का ही संकेत दिया है और इसके अलावा कोई भी संकेत नरेंद्र मोदी के मन की मिथ्या है.

कंटेंट - विकास कुमार - इंटर्न- आईचौक

ये भी पढ़ें-

ट्रंप-किम को सिंगापुर में देखकर अमन के फाख्‍ते चिंता में क्यों हैं?

अमेरिका और भारत ने N मानवाधिकार काउंसिल का शर्मनाक चेहरा उजागर कर दिया है

किम यदि तानाशाह हैं तो भी इससे 5 सबक सीख लीजिए...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲