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पीरियड्स को लेकर शास्त्रों में दी गई है ये अजीबो-गरीब वजह..

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 02 दिसम्बर, 2017 04:39 PM
  • 02 दिसम्बर, 2017 04:39 PM
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अलग-अलग धर्मों में पीरियड्स में महिलाओं पर तरह तरह के अत्याचार किए जाते हैं. अगर धार्मिक ग्रंथों में देखें तो महिलाओं के पीरियड्स की वजह भी लिखी हुई है.

पीरियड्स का दर्द.. दाग लगने का झंझट.. और दुनिया भर के नियम. ये सब किसी भी आम लड़की के लिए हर महीने की जंग होती है. हिंदुस्तान में तो लड़कियों को अगर पीरियड्स हो तो न तो उन्हें किचन में एंट्री नहीं मिलती, मंदिर में एंट्री नहीं मिलती, कुछ-कुछ घरों में तो उन्हें बिस्तर में सोने भी नहीं दिया जाता और उन्हें अशुद्ध माना जाता है. भई वाह!! किसी न किसी तरह से लड़कियों को उनकी शारीरिक संरचना के कारण दंड दो. सिर्फ हिंदुओं में ही नहीं यहूदियों में भी महिलाओं के पीरियड्स को लेकर काफी अत्याचार होता है. इस धर्म में पीरियड्स की शुरुआत में औरतों को निद्दाह माना जाता है और ये प्रक्रिया पूरे 14 दिन चलती है. इस दौरान महिलाओं को अपवित्र माना जाता है.

वैसे तो इस मामले में पहले भी काफी कुछ लिखा जा चुका है, सुना जा चुका है, लेकिन अगर धर्म के नजरिए से देखें तो भी हमेशा से ही औरतें दोषी रही हैं. ये सिर्फ रेप विक्टिम को दोष देने वाली बात नहीं जो हमारे देश के नेता और समाज अक्सर करता आया है, ये तो शास्त्रों में लिखा है. औरतों के पीरियड्स को अलग-अलग धर्म अपने-अपने नजरिए से देखते हैं...

1. हिंदू...

हिंदू धर्म में नारी को पीरियड्स होने का मतलब है कि उसे ब्रह्महत्या का पाप लगा था. कहानी के अनुसार भगवान इंद्र ने विश्वरूपाचार्य का सिर धड़ से अलग कर दिया था. कारण ये था कि विश्वरूपाचार्य का नाम इंद्र नहीं ले पा रहे थे.

दूसरी कहानी ये कहती है कि इंद्र ने ब्रह्म ज्ञानी की हत्या की थी. इंद्र के बढ़ते घमंड के कारण गुरू ब्रहस्पती इंद्र लोक छोड़कर चले गए और इंद्र कमजोर हो गए इस समय असुरों ने इंद्रलोक पर हमला कर दिया. इंद्र जब ब्रह्मा के पास गए तो उन्होंने इंद्र को ब्रह्म ज्ञानी की मदद लेने को कहा. ब्रह्म ज्ञानी असुर के पुत्र थे और हवन के समय आहूती उन्होंने असुरों के...

पीरियड्स का दर्द.. दाग लगने का झंझट.. और दुनिया भर के नियम. ये सब किसी भी आम लड़की के लिए हर महीने की जंग होती है. हिंदुस्तान में तो लड़कियों को अगर पीरियड्स हो तो न तो उन्हें किचन में एंट्री नहीं मिलती, मंदिर में एंट्री नहीं मिलती, कुछ-कुछ घरों में तो उन्हें बिस्तर में सोने भी नहीं दिया जाता और उन्हें अशुद्ध माना जाता है. भई वाह!! किसी न किसी तरह से लड़कियों को उनकी शारीरिक संरचना के कारण दंड दो. सिर्फ हिंदुओं में ही नहीं यहूदियों में भी महिलाओं के पीरियड्स को लेकर काफी अत्याचार होता है. इस धर्म में पीरियड्स की शुरुआत में औरतों को निद्दाह माना जाता है और ये प्रक्रिया पूरे 14 दिन चलती है. इस दौरान महिलाओं को अपवित्र माना जाता है.

वैसे तो इस मामले में पहले भी काफी कुछ लिखा जा चुका है, सुना जा चुका है, लेकिन अगर धर्म के नजरिए से देखें तो भी हमेशा से ही औरतें दोषी रही हैं. ये सिर्फ रेप विक्टिम को दोष देने वाली बात नहीं जो हमारे देश के नेता और समाज अक्सर करता आया है, ये तो शास्त्रों में लिखा है. औरतों के पीरियड्स को अलग-अलग धर्म अपने-अपने नजरिए से देखते हैं...

1. हिंदू...

हिंदू धर्म में नारी को पीरियड्स होने का मतलब है कि उसे ब्रह्महत्या का पाप लगा था. कहानी के अनुसार भगवान इंद्र ने विश्वरूपाचार्य का सिर धड़ से अलग कर दिया था. कारण ये था कि विश्वरूपाचार्य का नाम इंद्र नहीं ले पा रहे थे.

दूसरी कहानी ये कहती है कि इंद्र ने ब्रह्म ज्ञानी की हत्या की थी. इंद्र के बढ़ते घमंड के कारण गुरू ब्रहस्पती इंद्र लोक छोड़कर चले गए और इंद्र कमजोर हो गए इस समय असुरों ने इंद्रलोक पर हमला कर दिया. इंद्र जब ब्रह्मा के पास गए तो उन्होंने इंद्र को ब्रह्म ज्ञानी की मदद लेने को कहा. ब्रह्म ज्ञानी असुर के पुत्र थे और हवन के समय आहूती उन्होंने असुरों के नाम की डाली देवताओं के नाम की नहीं. इस गुस्से में इंद्र ने ब्रह्म ज्ञानी को मार दिया और उनपर ब्रह्म हत्या का पाप लगा.

इंद्र के पीछे एक राक्षस पड़ गया जो उनके पाप थे. इंद्र कई वर्षों तक एक फूल में छुपे रहे और विष्णु की अराधना करते रहे. ऐसे में विष्णु ने कहा कि इंद्र अपना पाप दूसरों में बांट दें. वो पाप पेड़, पानी, जमीन और औरत में बटा. इसी कारण औरतों को मासिक धर्म होने लगा. क्योंकि औरतों पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था इसलिए मासिक धर्म के दौरान औरतें मंदिरों में नहीं जा सकतीं.

हिंदुओं में तो ये कहानी दी गई है, लेकिन बाकी धर्मों में भी पीरियड्स को लेकर कोई न कोई बात ग्रंथों में लिखी गई है. जैसे...

2. इसाई...

बुद्धिज्म की तरह इसाई लोगों के लिए भी महिलाएं अपवित्र नहीं होती हैं. इस धर्म में औरतों को लेकर सबसे कम अत्याचार किए जाते हैं. हालांकि, बाइबल (ओल्ड टेस्टामेंट) में कुछ जगहों पर इसे अपवित्र कहा गया है. लेकिन कहीं भी महिलाओं को दूर करने की बात नहीं कही गई है.

इस धर्म में भी पूर्वी कट्टर चर्च (Eastern Orthodox Church) जहां महिलाओं के लिए किसी भी तरह का समागम करना गलत माना गया है. इसके अलावा, रोमन चर्च महिलाओं के लिए थोड़ा कट्टर था जहां पीरियड्स के दौरान महिलाओं को

3. इस्लाम...

कुरान में 2:222 के अनुसार....

अगर कोई मासिक धर्म के बारे में पूछे तो कहिए ये अपवित्रता है. इस दौरान महिलाओं से दूर रहिए और उनके पास तभी जाइए जब वो पूरी तरह से पवित्र हो चुकी हों.

इस्लाम में महिलाओं का पीरियड्स के समय कुरान को छूना, मस्जिद में जाना और सेक्स करना वर्जित है, ये यहूदियों से बहुत अच्छा है जहां महिलाओं को पूरे दो हफ्ते के लिए ये सब झेलना पड़ता है और उनके द्वारा पहने गए कपड़े, इस्तेमाल की गई चादर आदि सब को धोना होता है. पूरे घर की सफाई करनी होती है और किसी का भी उन्हें छूना वर्जित होता है.

4. बौद्ध धर्म...

इस धर्म में महिलाओं के अपवित्र होने की बात नहीं कही गई, लेकिन कुछ बौद्ध मान्यताएं कहती हैं कि इस दौरान महिलाएं अपनी जिंदगी की कुछ शक्ति खो देती है. इस दौरान खून पीने वाले भूत (पिशाच) उसके पीछे लग सकते हैं और वो आत्माओं के खतरे में रहती है. इस धर्म में भी मंदिरों में जाना मना है.

5. शिंतो धर्म...

जापान के शिंतो धर्म में महिलाओं को सिर्फ पीरियड के समय ही अपवित्र नहीं माना जाता बल्कि उन्हें अपवित्र ही माना जाता है क्योंकि उन्हें पीरियड्स होते हैं. सिर्फ मंदिर और पूजा घर में जाना ही नहीं उनके लिए पवित्र पहाड़ चढ़ना भी गलत माना जाता है.

6. सिख धर्म...

सभी धर्मों में से सिर्फ सिख धर्म ही ऐसा है जो महिलाओं को पीरियड्स के समय पवित्र मानता है. महिलाएं इस समय और भी ज्यादा पूजनीय हो जाती हैं. सिख धर्म के रचियता गुरू नानक के अनुसार एक मां का खून जीवन देने के लिए बहुत जरूरी होता है और इसलिए ये पवित्र है. सिख धर्म सभी धर्मों में से महिलाओं का सम्मान करने वाला सबसे अच्छा धर्म है.

7. नेपाली..

नेपाल में तो महिलाओं पर अत्याचार ही किया जाता है. पीरियड्स के दौरान उन्हें ठंड में घर से बाहर बनी एक कुटिया में सोना पड़ता है. उन्हें कुछ भी छूने की इजाजत नहीं होती. इस दौरान कई लड़कियों का रेप भी हुआ है, कइयों ने अपनी जान भी गंवाई है और कई तो बहुत बीमार भी हो गई हैं. इन पीरियड्स वाली झोपड़ियों में बहुत मुश्किल से इतनी जगह होती है कि एक इंसान अपने पैर फैला कर सो जाए. ऐसे में अगर घर में दो या अधिक लड़कियों को पीरियड्स हैं तो उन्हें वो कुटिया ही सहारे के लिए लेनी होती है.

महिलाओं को सिर्फ उबले चावल खाने को मिलते हैं, ऐसा माना जाता है कि अगर वो किसी पुरुष को छू लेंगी तो वो बीमार हो जाएगा, अगर किसी गाय या भैंस को छू लेंगी तो वो दूध देना बंद कर देंगी. उन्हें नहाने के लिए भी अलग जाना होता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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