• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Great Indian Bustard: भारत-पाक सीमा पर खतरे में पड़ी चिड़िया को बचाना है !

    • आईचौक
    • Updated: 30 जुलाई, 2019 06:11 PM
  • 30 जुलाई, 2019 06:11 PM
offline
ऐसा पहली बार है कि आर्टिफिशियल हैचिंग के जरिए पिछले 5 महीनों में गोदावन के ये बच्चे पैदा किए गए हैं. ये बच्चे उन 7 अंडों में से निकले हैं, जिन्हें वन्यजीव अधिकारियों ने जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क से इकट्ठा किया है.

राजस्थान की एक हैचरी में चिड़िया के 5 छोटे-छोटे बच्चों की चूं-चूं की आवाज इस उम्मीद को मजबूत कर रही है, कि इस प्रजाति को कैसे विलुप्त होने से बचाया जाए. स्थानीय भाषा में इस ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी को गोदावन कहते हैं. ये पांचों बच्चे जैसलमेर के एक गांव सम में पैदा हुए हैं, जो ऊंटों की सवारी और रेगिस्तान के लिए लोकप्रिय है. आपको बता दें कि इन बच्चों को हैचरी में पैदा करने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि पूरे राजस्थान में अब इनकी संख्या 150 से भी कम बची है. राजस्थान का ये राज्य पक्षी गोदावन विलुप्त होने की कगार पर है.

ऐसा पहली बार है कि आर्टिफिशियल हैचिंग के जरिए पिछले 5 महीनों में गोदावन के ये बच्चे पैदा किए गए हैं. ये बच्चे उन 7 अंडों में से निकले हैं, जिन्हें वन्यजीव अधिकारियों ने जैसलमेर के डिजर्ट नेशनल पार्क से इकट्ठा किया है. अभी और भी बच्चे पैदा होंगे, क्योंकि ब्रीडिंग प्रोग्राम के तहत अभी करीब 10 अंडे और इकट्ठा किए जाने हैं. वन्यजीव अधिकारियों का मानना है कि गोदावन के बच्चे धीरे-धीरे एक बड़े गोदावन की तरह बढ़ेंगे और जंगल में अपनी जिंदगी जी सकेंगे. भारत-पाकिस्तान सीमा पर अधिकारी एक ऐसे पक्षी को बचाने में लगे हुए हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है.

आर्टिफिशियल हैचिंग के जरिए पिछले 5 महीनों में गोदावन के ये बच्चे पैदा किए गए हैं.

चिड़िया के इन नन्हें बच्चों का पैदा होना राजस्थान सरकार की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत कुल 25 गोदावन पक्षियों को जन्म देकर उन्हें जंगल में छोड़ा जाए. ऐसा नहीं है कि इस प्रोजेक्ट पर राजस्थान अकेले काम कर रहा है. राजस्थान वन्यजीव विभाग के अलावा देहरादून वन्यजीव विभाग, पर्यावरण केंद्रीय मंत्रालय, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज और अबु-धाबी आधारित इंटरनेशनल फंड फॉर हौबारा कंजर्वेशन...

राजस्थान की एक हैचरी में चिड़िया के 5 छोटे-छोटे बच्चों की चूं-चूं की आवाज इस उम्मीद को मजबूत कर रही है, कि इस प्रजाति को कैसे विलुप्त होने से बचाया जाए. स्थानीय भाषा में इस ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी को गोदावन कहते हैं. ये पांचों बच्चे जैसलमेर के एक गांव सम में पैदा हुए हैं, जो ऊंटों की सवारी और रेगिस्तान के लिए लोकप्रिय है. आपको बता दें कि इन बच्चों को हैचरी में पैदा करने की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि पूरे राजस्थान में अब इनकी संख्या 150 से भी कम बची है. राजस्थान का ये राज्य पक्षी गोदावन विलुप्त होने की कगार पर है.

ऐसा पहली बार है कि आर्टिफिशियल हैचिंग के जरिए पिछले 5 महीनों में गोदावन के ये बच्चे पैदा किए गए हैं. ये बच्चे उन 7 अंडों में से निकले हैं, जिन्हें वन्यजीव अधिकारियों ने जैसलमेर के डिजर्ट नेशनल पार्क से इकट्ठा किया है. अभी और भी बच्चे पैदा होंगे, क्योंकि ब्रीडिंग प्रोग्राम के तहत अभी करीब 10 अंडे और इकट्ठा किए जाने हैं. वन्यजीव अधिकारियों का मानना है कि गोदावन के बच्चे धीरे-धीरे एक बड़े गोदावन की तरह बढ़ेंगे और जंगल में अपनी जिंदगी जी सकेंगे. भारत-पाकिस्तान सीमा पर अधिकारी एक ऐसे पक्षी को बचाने में लगे हुए हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है.

आर्टिफिशियल हैचिंग के जरिए पिछले 5 महीनों में गोदावन के ये बच्चे पैदा किए गए हैं.

चिड़िया के इन नन्हें बच्चों का पैदा होना राजस्थान सरकार की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत कुल 25 गोदावन पक्षियों को जन्म देकर उन्हें जंगल में छोड़ा जाए. ऐसा नहीं है कि इस प्रोजेक्ट पर राजस्थान अकेले काम कर रहा है. राजस्थान वन्यजीव विभाग के अलावा देहरादून वन्यजीव विभाग, पर्यावरण केंद्रीय मंत्रालय, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज और अबु-धाबी आधारित इंटरनेशनल फंड फॉर हौबारा कंजर्वेशन (IFHC) इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. IFHC ने पाकिस्तान के जंगलों में गोदावन से मिलते-जुलते हौबारा की ब्रीडिंग की है.

एक मीटर तक ऊंची हो जाने वाली बस्टर्ड प्रजाति की इस चिड़िया की कहानी भी काफी दर्दभरी है. पाकिस्तान में हौबारा बस्टर्ड प्रजाति की चिड़िया का इतना शिकार किया गया कि वह विलुप्त होने के कगार पर आ गई. भारत में भी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानी गोदावन पक्षी विलुप्त होने के कगार पर जा पहुंचा है. गुजरात में तो सिर्फ 7 गोदावन बचे हैं और आंध्र प्रदेश में गिनती की 2 मादा गोदावन हैं. यानी इन जगहों पर तो मानो गोदावन लगभग विलुप्त हो ही चुकी हैं, अब सिर्फ राजस्थान ही है, जहां पर इस चिड़िया को बचाया जा सकता है.

ब्रीडिंग प्रोग्राम के तहत अभी करीब 10 अंडे और इकट्ठा किए जाने हैं.

गोदावन की ब्रीडिंग से जुड़े विशेषज्ञों को चिड़िया के नए बच्चों के जन्म से काफी खुशी हुई है. उन्हें उम्मीद है कि इंसानों के खतरों से बचाते हुए कुछ नए पक्षियों को जन्म देकर जंगल में छोड़ा जा सकेगा. इन नए बच्चों को जन्म देने के लिए पहले तो विशेषज्ञों ने एक मादा गोदावन की पहचान की और फिर उसे ट्रैक करते हुए उसके अंडे जमा किए. ये चिड़िया तीन साल की उम्र के बाद ही अंडे देना शुरू करती है. ट्रैकर्स ने अंडों को सम गांव के पास की अस्थाई हैचरी में शिफ्ट किया, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया की जा सकी.

देहरादून के वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 2013 में पहली बार 'रेसिडेंट बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम' को लेकर अपनी रिपोर्ट पब्लिश की. 2016 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बस्टर्ड पक्षी को विलुप्त होने से बचाने के लिए ब्रीडिंग प्रोग्राम को शुरू करने की मंजूरी दे दी. IFHC ने भारत के विशेषज्ञों को बस्टर्ड ब्रीडिंग की तकनीक समझाई और सम हैचरी में दो वैज्ञानिकों को भी रहने के लिए कहा. इसकी हैचरी बनाने के लिए गुजरात का कच्छ सबसे आदर्श जगह थी, लेकिन राजस्थान इस बात पर राजी नहीं हुआ कि अंडों को दूसरे राज्य में ले जाया जाए, इसलिए हैचरी को सम गांव में ही बनाया गया.

ये भी पढ़ें-

समझ से परे है जीवन और कानून के रक्षकों की 'टिकटॉक' की दीवानगी

बाघ की मॉब लिंचिंग और वन्यजीव कानून

Chandrayaan-2: विज्ञान अपनी जगह है और मुहब्बत अपनी जगह!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲