• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Chandrayaan-2: विज्ञान अपनी जगह है और मुहब्बत अपनी जगह!

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 24 जुलाई, 2019 03:53 PM
  • 24 जुलाई, 2019 03:53 PM
offline
चंदा मामा दूर के, पुए पकाएं बूर के वाले हमारे बचपन के प्यारे मामाजी अब दूर के नहीं रहे! अब हम दौड़कर उनकी गोदी में जा बैठे हैं और वो बूढ़ी अम्मा जो वहां बैठ रात-रात भर सूत काता करती हैं; अब उनके बच्चे उनकी देखभाल के लिए वहां पहुंच गए हैं

चांद पर हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने अभूतपूर्व फतह का जो झंडा फहराया है वो यकीनन पूरे देश के लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है. हमारा तिरंगा वहां लहराने के लिए समस्त देशवासियों की ओर से इसरो की पूरी टीम को बधाई और इन स्वर्णिम पलों का साक्षी बनाने के लिए धन्यवाद भी बनता ही है! यह दिन हमें और आनेवाली पीढ़ियों को सदा गौरवान्वित करता रहेगा.

चांद के बारे में सोचती हूं तो न जाने कितनी बातें याद आने लगती हैं. "चांद को क्या मालूम, चाहता है उसको ये चकोर!" पता नहीं, दूसरे देशों में इसे लेकर क्या-क्या कहा गया है! लेकिन हम भारतीयों का तो ये करीबी रिश्तेदार ही रहा है. कितना प्यारा अहसास है यह कि "चंदा मामा दूर के, पुए पकाएं बूर के" वाले हमारे बचपन के प्यारे मामाजी अब दूर के नहीं रहे! अब हम दौड़कर उनकी गोदी में जा बैठे हैं और वो बूढ़ी अम्मा जो वहां बैठ रात-रात भर सूत काता करती हैं; अब उनके बच्चे उनकी देखभाल के लिए वहां पहुंच गए हैं कि अम्मा को इस उम्र में जरा आराम तो मिले. हमारे कितने अपने जो चांद के आसपास सितारा बन मौजूद हैं, अब खुशी में कैसे जगमगाते होंगे न!

चांद तो हम भारतीयों का तो करीबी रिश्तेदार ही रहा है.

चांद को लेकर हम भारतीयों की कल्पनायें भी कितनी कमाल की रही हैं. हम अपने-अपने मूड के हिसाब से इससे रिश्ता जोड़ते रहे हैं. जन्म हुआ तो मां ने अपने लाड़ले को गोदी में उठा गुनगुनाया- "चंदा है तू मेरा सूरज है तू". बचपन में जो मामा थे, युवावस्था की दहलीज़ पर कदम रखते ही उन पर भी यौवन छा बैठा और अनगिनत गीत बने. कभी नायक को अपनी प्रियतमा का चेहरा चांद सा लगा और वो कह उठा- "चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया-सितारा", तो कभी उसके लजाने के अन्दाज़ को उसने यूं बयां किया -"चांद छुपा बादल में, शरमा के मेरी जानां". कभी उलाहना भी दिया -"ए चांद, तुझे चांदनी की...

चांद पर हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने अभूतपूर्व फतह का जो झंडा फहराया है वो यकीनन पूरे देश के लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है. हमारा तिरंगा वहां लहराने के लिए समस्त देशवासियों की ओर से इसरो की पूरी टीम को बधाई और इन स्वर्णिम पलों का साक्षी बनाने के लिए धन्यवाद भी बनता ही है! यह दिन हमें और आनेवाली पीढ़ियों को सदा गौरवान्वित करता रहेगा.

चांद के बारे में सोचती हूं तो न जाने कितनी बातें याद आने लगती हैं. "चांद को क्या मालूम, चाहता है उसको ये चकोर!" पता नहीं, दूसरे देशों में इसे लेकर क्या-क्या कहा गया है! लेकिन हम भारतीयों का तो ये करीबी रिश्तेदार ही रहा है. कितना प्यारा अहसास है यह कि "चंदा मामा दूर के, पुए पकाएं बूर के" वाले हमारे बचपन के प्यारे मामाजी अब दूर के नहीं रहे! अब हम दौड़कर उनकी गोदी में जा बैठे हैं और वो बूढ़ी अम्मा जो वहां बैठ रात-रात भर सूत काता करती हैं; अब उनके बच्चे उनकी देखभाल के लिए वहां पहुंच गए हैं कि अम्मा को इस उम्र में जरा आराम तो मिले. हमारे कितने अपने जो चांद के आसपास सितारा बन मौजूद हैं, अब खुशी में कैसे जगमगाते होंगे न!

चांद तो हम भारतीयों का तो करीबी रिश्तेदार ही रहा है.

चांद को लेकर हम भारतीयों की कल्पनायें भी कितनी कमाल की रही हैं. हम अपने-अपने मूड के हिसाब से इससे रिश्ता जोड़ते रहे हैं. जन्म हुआ तो मां ने अपने लाड़ले को गोदी में उठा गुनगुनाया- "चंदा है तू मेरा सूरज है तू". बचपन में जो मामा थे, युवावस्था की दहलीज़ पर कदम रखते ही उन पर भी यौवन छा बैठा और अनगिनत गीत बने. कभी नायक को अपनी प्रियतमा का चेहरा चांद सा लगा और वो कह उठा- "चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया-सितारा", तो कभी उसके लजाने के अन्दाज़ को उसने यूं बयां किया -"चांद छुपा बादल में, शरमा के मेरी जानां". कभी उलाहना भी दिया -"ए चांद, तुझे चांदनी की कसम", "चांद सिफ़ारिश जो करता हमारी", "वो चांद खिला, वो तारे हंसे".

जब-जब किसी ने कहा, "चांद के पास जो सितारा है, वो सितारा हसीन लगता है", तो प्रेमियों ने प्रेमिकाओं को चांद-तारे तोड़ने के खूब वादे किये. एक ने तो यहां तक कह दिया- 'चांद चुरा के लाया हूं, चल बैठे चर्च के पीछे." हुस्न की तारीफ़ करने में भी ये चांद खूब काम आया- "चौदहवीं का चांद हो, या आफताब हो", "चांद सी महबूबा हो मेरी कब, ऐसा मैंने सोचा था", "जून का मौसम मस्त महीना, चांद सी गोरी एक हसीना", "चांद मेरा दिल, चांदनी हो तुम", "ये चांद सा रोशन चेहरा", "चांद ने कुछ कहा, रात ने कुछ सुना".

किसी ने चांद के प्रति सजग किया - "चांद से परदा कीजिये, कहीं चुरा न ले चेहरे का नूर". कभी चांद को ठहरने की गुजारिश की गई - "धीरे-धीरे चल, चांद गगन में" तो कभी ये तमाम उदासियों और निराशा भरे पलों का सबब भी बना- "चांद फिर निकला, मगर तुम न आये", "चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला", "ये रात, ये चांदनी फिर कहां" तो कभी इसके सहारे प्रश्न भी पूछे गए- "खोया-खोया चांद, खुला आसमां...तुमको भी कैसे नींद आएगी".

रक्षाबंधन पर ये चंद्रमा बहिन का स्नेह बन उमड़ पड़ता है -"मेरे भैया, मेरे चंदा, मेरे अनमोल रतन" तो करवाचौथ पर इसके दर्शन सुहागिनों के व्रत खुलवाते आये हैं. ईद के पावन पर्व पर भी ये उल्लास का रूप धर मस्ती से झूमता गाता है -"देखो, देखो, देखो चांद नज़र आया", "चांद नजर आ गया, अल्लाह ही अल्लाह छा गया".

चांद से हम भारतीयों की मुहब्बत की दास्तां बहुत पुरानी है जो इतनी आसानी से जाने वाली नहीं! प्राचीन कवियों से लेकर वर्तमान के ग़ज़लकारों, गीतकारों, चित्रकारों तक चांद के बिना किसी की बात न बनी! चांद है तो खूबसूरती है, करवाचौथ का इश्क़ है, ईद का जश्न है. चांद की इतनी बातें हैं कि लगने लगा है- "आधा है चंद्रमा रात आधी, रह न जाए तेरी-मेरी बात आधी".

चांद पर पहुंचकर भी इससे जुड़ी प्रेम कहानियां सलामत रहेंगीं क्योंकि विज्ञान अपनी जगह है और मुहब्बत अपनी जगह!

"चलो, दिलदार चलो! चांद के पार चलो!....हम हैं तैयार चलो!

ये भी पढ़ें-

चंद्रयान 2 की कामयाबी का श्रेय लेने वाले रूसी रुकावट के समय कहां थे?

Chandrayaan 2 मिशन का अब तक सफर उसकी कामयाबी की गारंटी है

चंद्रयान-2 मिशन की कामयाबी मनुष्य जाति को बहुमूल्य सौगात देने जा रही है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲