• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

बाघ की मॉब लिंचिंग और वन्यजीव कानून

    • प्रभुनाथ शुक्ल
    • Updated: 28 जुलाई, 2019 08:43 PM
  • 28 जुलाई, 2019 08:43 PM
offline
देश भर में इंसानों पर बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाएं अब जानवारों पर भी घटने लगी हैं. मॉब लिंचिंग को जाति-धर्म से जोड़ कर संसद में हंगामा करने वाले लोग बाघ की लिंचिंग पर क्यों मौन हैं. अफसोस इस बात का है कि देश में संरक्षित वन्यजीव हमारी चिंता का विषय नहीं बनते हैं.

यूपी के पीलीभीत से एक बेजुबान संरक्षित बाघ के साथ मॉब लिचिंग की घटना सामने आयी है. वायरल हुआ वीडियो दहला देने वाला है. वीडियो में गांव वाले ताबड़तोड़ हमला कर बाघ को मौत के घाट उतार देते हैं. घटना पूरनपुर मंटेना की है. जहां एक बाघ देउरिया वन रेंज से बाहर निकल कर गांव में घुस आया. बाघ के हमले में नौ गांव वाले घायल हो गए, जिसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने बाघ को लाठी-डंडे से पीट-पीट कर मार डाला. हालांकि, बाघ के शव का पोस्टमार्टम कराए जाने के बाद वन विभाग ने 45 से अधिक गांव वालों के खिलाफ वन संरक्षण अधियम के तहत मामला दर्ज कराया है. लेकिन संरक्षित बाघों का शिकार और हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है. तराई इलाका होने से पीलीभीत में बाघों के साथ इस तरह की अमानवीय खबरें आती रहती हैं. यह बेहद चिंता का विषय है. देश भर में इंसानों पर बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाएं अब जानवारों पर भी घटने लगी हैं. मॉब लिंचिंग को जाति-धर्म से जोड़ कर संसद में हंगामा करने वाले लोग बाघ की लिंचिंग पर क्यों मौन हैं. लिंचिंग की घटनाओं पर एक प्रबुद्ध वर्ग ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख इस पर गहरी चिंता भी जताई है, जिस पर दूसरे वर्ग ने उसी भाषा में उसका जवाब भी दिया है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि देश में संरक्षित वन्यजीव हमारी चिंता का विषय नहीं बनते हैं, जबकि यह हमारे पर्यावरण में अच्छी भूमिका निभाते हैं.

देश भर में इंसानों पर बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाएं अब जानवारों पर भी घटने लगी हैं.

आपको शायद यह नहीं मालूम होगा कि दुनिया भर में पाए जाने वाले बाघों में 70 फीसदी बाघ भारत में पाए जाते हैं. बाघ केवल बारह देशों में मिलते हैं. वर्तमान समय में भारत में एक अनुमान के अनुसार 4500 से अधिक बाघ हैं. 2016 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने बाघ संरक्षण पर तीसरे एशिया सम्मेलन...

यूपी के पीलीभीत से एक बेजुबान संरक्षित बाघ के साथ मॉब लिचिंग की घटना सामने आयी है. वायरल हुआ वीडियो दहला देने वाला है. वीडियो में गांव वाले ताबड़तोड़ हमला कर बाघ को मौत के घाट उतार देते हैं. घटना पूरनपुर मंटेना की है. जहां एक बाघ देउरिया वन रेंज से बाहर निकल कर गांव में घुस आया. बाघ के हमले में नौ गांव वाले घायल हो गए, जिसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने बाघ को लाठी-डंडे से पीट-पीट कर मार डाला. हालांकि, बाघ के शव का पोस्टमार्टम कराए जाने के बाद वन विभाग ने 45 से अधिक गांव वालों के खिलाफ वन संरक्षण अधियम के तहत मामला दर्ज कराया है. लेकिन संरक्षित बाघों का शिकार और हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है. तराई इलाका होने से पीलीभीत में बाघों के साथ इस तरह की अमानवीय खबरें आती रहती हैं. यह बेहद चिंता का विषय है. देश भर में इंसानों पर बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाएं अब जानवारों पर भी घटने लगी हैं. मॉब लिंचिंग को जाति-धर्म से जोड़ कर संसद में हंगामा करने वाले लोग बाघ की लिंचिंग पर क्यों मौन हैं. लिंचिंग की घटनाओं पर एक प्रबुद्ध वर्ग ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख इस पर गहरी चिंता भी जताई है, जिस पर दूसरे वर्ग ने उसी भाषा में उसका जवाब भी दिया है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि देश में संरक्षित वन्यजीव हमारी चिंता का विषय नहीं बनते हैं, जबकि यह हमारे पर्यावरण में अच्छी भूमिका निभाते हैं.

देश भर में इंसानों पर बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाएं अब जानवारों पर भी घटने लगी हैं.

आपको शायद यह नहीं मालूम होगा कि दुनिया भर में पाए जाने वाले बाघों में 70 फीसदी बाघ भारत में पाए जाते हैं. बाघ केवल बारह देशों में मिलते हैं. वर्तमान समय में भारत में एक अनुमान के अनुसार 4500 से अधिक बाघ हैं. 2016 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने बाघ संरक्षण पर तीसरे एशिया सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए बताया था कि 12 सालों में बाघों के संरक्षण को लेकर सकारात्मक परिणाम आए हैं. उस समय दुनिया में बाघों की आबादी 3200 से बढ़कर 3890 तक पहुंच गयी थी, यह बाघों की आबादी का 22 फीसदी था. भारत सरकार तीन साल पूर्व बाघ संरक्षण परियोजना के बजट को 185 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 380 करोड़ कर दिया था. भारत में बाघ संरक्षित और राष्ट्रीय पशु है. यह बेहद शक्तिशाली और मांसाहारी होता है. बाघ 12 फीट से अधिक लंबा और 300 किलोग्राम तक वजनी होता है. एशिया महाद्वीप में बाघ भारत, नेपाल, तिब्बत, श्रीलंका, भूटान, कोरिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में पाए जाते हैं. यह जंगल और घास के मैदानों में अधिक रहना पसंद करता है. बाघ अपने आप में स्वच्छंद प्राणी है. जंगल में यह अकेले रहना पसंद करता है. लेकिन प्रजनन काल के दौरान जोड़े के साथ दिखता है. हर बाघ का अपना इलाका होता है. एक बाघ की औसत आयु तकरीबन 20 साल होती है. एक शोध के अनुसार दुनिया भर में पाए जाने वाली बाघ की नौ प्रजातियों में तीन विलुप्त हो चुकी हैं. भारत में उत्तर-पूर्व को छोड़ कर रॉयल बंगाल टाइगर हर जगह पाया जाता है. बाघों की घटती संख्या और शिकार को देखते हुए 1973 में बाघ परियोजना शुरुआत की गयी. देश को बाघ संरक्षण के लिए 27 इलाकों में बांटा गया है.

भारत में बाघ संरक्षण के लिए 2019 की जनवरी में नई दिल्ली में वैश्विक सम्मेलन किया गया था. 2012 के बाद देश में आयोजित होने वाला यह दूसरा सम्मेलन था. 2010 में पीट्सवर्ग में आयोजित वैश्विक सम्मेलन में बाघों की आबादी बढ़ाने पर बल दिया गया था. जिसमें 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प लिया गया था. उस समय भारत में अनुमान लगाया गया था कि देश में कुल 1411 बाघ थे. बाद में संरक्षण पर विशेष ध्यान और सरकारी पहल के बाद अब यह बढ़ कर 2600 से अधिक पहुंच गए हैं. बाघों को संरक्षित करने के लिए उनका शिकार प्रतिबंधित है. सीमा पार के देशों से इसकी खालों और दूसरी वस्तुओं का व्यापार भी प्रतिबंधित है. पश्चिम बंगाल के सुंदर वन डेल्टा में बाघों के संरक्षण के लिए बंग्लादेश से भी समझौता किया गया है. वैश्विक देशों ने बाघों के संरक्षण के लिए ग्लोबल टाइगर फोरम बनाया है. फोरम दुनिया भर में 13 क्षेत्रों में पांच प्रजातियों को बचाने के लिए काम करता है. फोरम की स्थापना का निर्णय नई दिल्ली में 1993 में लिया गया था. जिसके बाद 1994 में भारत को इसका अध्यक्ष चुना गया. देश में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 2006 को संशोधित कर 1972 में बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना की गयी.

भारत में वन्यजीव संरक्षण कानून बाघों के साथ तकरीबन सौ से अधिक वनीय पशु-पंक्षियों के साथ वनस्पतियों के संरक्षण का भी अधिकार देता है. इसमें कम से कम तीन और अधिकतम सात साल की सजा के साथ दस हजार रुपये के आर्थिक जुर्माने का भी प्राविधान है. संरक्षित वन्यजीवों के शिकार या किसी दूसरे तरीके से नुकसान पहुंचाने पर अधिकतम 25 लाख और कम से कम 25 हजार रुपये तक के अर्थदंड का प्राविधान है. भारत में तकरीबन 20 राज्यों में 50 से अधिक टाइगर रिजर्व पार्क हैं. जिसमें रणथंभौर, काजीरंगा, कान्हा, सहयाद्रि, दुधवा, पीलीभीत, जिम कार्बेट और अन्नामलाई प्रमुख रूप से शामिल हैं. देश में जब बाघ संरक्षण परियोजना शुरू की गई तो उस दौरान तकनीबन नौ टाइगर रिजर्व थे. वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कानून तो बन गए हैं, लेकिन शिकारियों की सक्रियता की वजह से कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. लगातार वनों की कटाई और बढ़ती आबादी जंगली जानवरों के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है.

वन विभाग के जिम्मेदार लोग वन्यजीवों के संरक्षण पर गंभीर नहीं दिखते हैं. पीलीभीत की घटना कम से कम यही साबित करती है. बाघ की मौत के बाद वन विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए 45 से अधिक गांव वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. लेकिन उन्होंने क्या अपनी जिम्मेदारी निभाई. बाघ संरक्षित रेंज से कैसे बाहर आया. अगर आया भी तो जब गांव वालों ने इसकी सूचना दी तो जिम्मेदार लोगों ने बाघ को जिंदा पकड़ कर जंगल में भेजने का कदम क्यों नहीं उठाया. क्योंकि बाघ अगर एक बार इंसान का मांस निगल लेता तो उसके नरभक्षी बनने का भी खतरा था. गांव वालों ने अपनी आत्मरक्षा में जो कदम उठाया उसे गलत नहीं ठहराया जा सकता है. कोई भी व्यक्ति अपनी प्राणरक्षा में इस तरह का फैसला ले सकता था. इस घटना के लिए पूरी तरह वन-विभाग जिम्मेदार है. दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. संरक्षित वन्यजीवों के लिए और प्रभावी कानून बनाए जाने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें-

APA bill: ओवैसी का आतंक के खिलाफ कानून में मुस्लिम एंगल ढूंढना दुर्भाग्‍यपूर्ण

इमरान खान और ट्रंप के रोमांस से पैदा होगा तालिबान 2.0

कर्नाटक केस सिर्फ स्टेट पॉलिटिक्स नहीं, देश के विपक्ष की तस्वीर है!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲