• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर, किसान आंदोलन और एक खुशनुमा दोपहर...

    • अणु शक्ति सिंह
    • Updated: 02 फरवरी, 2021 06:02 PM
  • 02 फरवरी, 2021 06:02 PM
offline
सिंघु बॉर्डर जाने पर महसूस हुआ कि किसान धरना स्थल का उत्साह टूटी हुई आस में भी रण जीतने जैसा जोश भर सकता है. और क्या संक्रामक. ख़ुद में मैं इतना सारा जोश भर आयी कि सखी और साथी में थोड़ा-थोड़ा बांट देने पर भी, अभी लबालब भरी हुई हूं.

जिम्मेदारियां बहुत कुछ छीन लेती हैं. कई एहसास भी दे जाती हैं, मसलन हम सोचते ही रह जाते हैं कि किसी ज़रूरी आंदोलन में मुखर होकर शामिल होना क्या लाजवाब अनुभव हो सकता था. सिंघु बॉर्डर पर जाना बहुत देर रुकने का सबब नहीं था. रुककर हिस्सा बन सकने की चाह अधूरी रही थी. आज उसी एहसास-ए-कमतरी को दूर करने की एक कोशिश थी. बीते दिन ही तय कर लिया गया था, की एक दोपहर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के बीच बीतेगी.

आह! क्या जगह. इस रास्ते से पहले जब भी गुज़री, महानगर दिल्ली के उत्सर्जन की बदबू से ख़ुद को बचाती हुई गुज़री. नाक पर रूमाल और ऊपर मंडराते गिद्ध. दिली तमन्ना यह कि रास्ते का यह हिस्सा जितनी जल्दी बीत जाए उतना अच्छा. आज उसी जगह, जहां गिद्ध अब भी मौक़े की ताक में हैं, बग़ल में शहर के कचरे का पहाड़ उतना ही बड़ा है, तीन घंटे रुकने के बाद भी लौटने को जी नहीं चाह रहा था.

सिंघु बॉर्डर पर किसी मेले सरीखा माहौल है

जागृत युद्ध शिविरों में कैसा उत्साह होता होगा, यह नहीं जानती. ग़ाज़ीपुर के किसान धरना स्थल का उत्साह टूटी हुई आस में भी रण जीतने जैसा जोश भर सकता है. और क्या संक्रामक. ख़ुद में मैं इतना सारा जोश भर आयी कि सखी और साथी में थोड़ा-थोड़ा बांट देने पर भी, अभी लबालब भरी हुई हूं.

जाने कितने-कितने लोग और तमाम उम्र के. जैसे कोई गांव बसा हुआ हो, जहां रोज़ कोई उत्सव हो. अधिकार का उत्सव. जन-उत्सव. इस गांव की कोई तय सीमा नहीं है. लोकतंत्र क़ायम रखने के इस अभूतपूर्व त्योहार के परिक्षेत्र की शुरुआत दिल्ली की सीमाओं से होती है, विस्तार इसका देश के आख़िरी कोने तक होगा. दिल्ली तो है ही दिल से साथ.

अभिनंदन मेरे देश के किसानों. अभिनंदन आपका. हमसब के साथ की आवाज़ पहुंचेगी दूर तक. यह अभूतपूर्व...

जिम्मेदारियां बहुत कुछ छीन लेती हैं. कई एहसास भी दे जाती हैं, मसलन हम सोचते ही रह जाते हैं कि किसी ज़रूरी आंदोलन में मुखर होकर शामिल होना क्या लाजवाब अनुभव हो सकता था. सिंघु बॉर्डर पर जाना बहुत देर रुकने का सबब नहीं था. रुककर हिस्सा बन सकने की चाह अधूरी रही थी. आज उसी एहसास-ए-कमतरी को दूर करने की एक कोशिश थी. बीते दिन ही तय कर लिया गया था, की एक दोपहर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों के बीच बीतेगी.

आह! क्या जगह. इस रास्ते से पहले जब भी गुज़री, महानगर दिल्ली के उत्सर्जन की बदबू से ख़ुद को बचाती हुई गुज़री. नाक पर रूमाल और ऊपर मंडराते गिद्ध. दिली तमन्ना यह कि रास्ते का यह हिस्सा जितनी जल्दी बीत जाए उतना अच्छा. आज उसी जगह, जहां गिद्ध अब भी मौक़े की ताक में हैं, बग़ल में शहर के कचरे का पहाड़ उतना ही बड़ा है, तीन घंटे रुकने के बाद भी लौटने को जी नहीं चाह रहा था.

सिंघु बॉर्डर पर किसी मेले सरीखा माहौल है

जागृत युद्ध शिविरों में कैसा उत्साह होता होगा, यह नहीं जानती. ग़ाज़ीपुर के किसान धरना स्थल का उत्साह टूटी हुई आस में भी रण जीतने जैसा जोश भर सकता है. और क्या संक्रामक. ख़ुद में मैं इतना सारा जोश भर आयी कि सखी और साथी में थोड़ा-थोड़ा बांट देने पर भी, अभी लबालब भरी हुई हूं.

जाने कितने-कितने लोग और तमाम उम्र के. जैसे कोई गांव बसा हुआ हो, जहां रोज़ कोई उत्सव हो. अधिकार का उत्सव. जन-उत्सव. इस गांव की कोई तय सीमा नहीं है. लोकतंत्र क़ायम रखने के इस अभूतपूर्व त्योहार के परिक्षेत्र की शुरुआत दिल्ली की सीमाओं से होती है, विस्तार इसका देश के आख़िरी कोने तक होगा. दिल्ली तो है ही दिल से साथ.

अभिनंदन मेरे देश के किसानों. अभिनंदन आपका. हमसब के साथ की आवाज़ पहुंचेगी दूर तक. यह अभूतपूर्व जनआंदोलन अपने लक्ष्य को हासिल करेगा. नागरिक आंदोलन के क़िस्सों में नयी इबारत दर्ज करेगा.

ये भी पढ़ें -

nion Budget 2021 में किसानों को हुए 5 फायदे और 5 नुकसान, जानिए एक नजर में

Budget 2021: किसानों का गुस्सा ठंडा करने के लिए बजट में क्या है?

Rakesh Tikait को नेताओं का उमड़ा प्यार कहीं अगला कफील न बना दे!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲