• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

दुनिया के कैलेंडर में यह साल 2017 है, जबकि उत्तर कोरिया में 106

    • आईचौक
    • Updated: 12 मई, 2017 06:02 PM
  • 12 मई, 2017 06:02 PM
offline
एक ऐसा तानाशाह शासक जिसने अपनी मर्जी से देश की कैलेंडर तय किया है. उसके मुताबिक वह और उसका परिवार ही पूरे देश का भगवान है.

उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन को तानाशाह हुकुमत उसके दादा और पिता से विरासत में मिली. तीन पीढ़ियों से तानाशाही झेल रहा यह देश एक काल-कोठरी की तरह है. वहां लोगों के लिए आज़ादी या अपनी मर्जी चलाने का मतलब है सिर्फ़ और सिर्फ़ मौत...! यानी वहां मौत की सज़ा सुनाना आम बात है. वहां हर चीजों पर सरकार की हुकुमत चलती है. तो आईए आज हम आपको उत्तर कोरिया के कुछ तानाशाही नियामों के बारे में बताते हैं.

किम जोंग के दादा के जन्म के समय से शुरू होता है कैलेंडर

उत्तरी कोरिया के केलेंडर के सन् जीसस से आरंभ न करके उसके दादा के जन्म वर्ष से सन् को आरम्भ किया जाता है. यानी अभी कोरिया में सन् 2017 नहीं बल्कि सन् 106 चल रहा है.

किम के पूर्वजों को भगवान मानने पर मजबूर किया जाता है 

उत्तर कोरिया में तानाशाह किम जोंग उन और उसके पूर्वजों को ही भगवान की तरह मानने को मजबूर किया जाता है. इनके दादा किम द्वितीय को भगवान मानने का सरकारी हुक्म है. सरकारी अभिलेखों में उसके पैदा होते ही कई चमत्कारों का वर्णन किया जाता है. इस देश की इतीहास की किताबों में सिर्फ किम जोंग प्रथम किम जोंग द्वितीय की वीर गाथाएं पढ़ाई जाती हैं.

क्रिसमस पर यीशु मसीह नहीं, दादी की पूजा का फरमान

बीते साल ही क्रिसमस के मौके पर किम जोंग उन ने एक नया फरमान जारी किया. उत्तर...

उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन को तानाशाह हुकुमत उसके दादा और पिता से विरासत में मिली. तीन पीढ़ियों से तानाशाही झेल रहा यह देश एक काल-कोठरी की तरह है. वहां लोगों के लिए आज़ादी या अपनी मर्जी चलाने का मतलब है सिर्फ़ और सिर्फ़ मौत...! यानी वहां मौत की सज़ा सुनाना आम बात है. वहां हर चीजों पर सरकार की हुकुमत चलती है. तो आईए आज हम आपको उत्तर कोरिया के कुछ तानाशाही नियामों के बारे में बताते हैं.

किम जोंग के दादा के जन्म के समय से शुरू होता है कैलेंडर

उत्तरी कोरिया के केलेंडर के सन् जीसस से आरंभ न करके उसके दादा के जन्म वर्ष से सन् को आरम्भ किया जाता है. यानी अभी कोरिया में सन् 2017 नहीं बल्कि सन् 106 चल रहा है.

किम के पूर्वजों को भगवान मानने पर मजबूर किया जाता है 

उत्तर कोरिया में तानाशाह किम जोंग उन और उसके पूर्वजों को ही भगवान की तरह मानने को मजबूर किया जाता है. इनके दादा किम द्वितीय को भगवान मानने का सरकारी हुक्म है. सरकारी अभिलेखों में उसके पैदा होते ही कई चमत्कारों का वर्णन किया जाता है. इस देश की इतीहास की किताबों में सिर्फ किम जोंग प्रथम किम जोंग द्वितीय की वीर गाथाएं पढ़ाई जाती हैं.

क्रिसमस पर यीशु मसीह नहीं, दादी की पूजा का फरमान

बीते साल ही क्रिसमस के मौके पर किम जोंग उन ने एक नया फरमान जारी किया. उत्तर कोरिया की जनता से उसने कहा कि वे इस दिन यीशु मसीह की जगह उसके दादी की पूजा करें. उसकी दादी सन् 1919 में क्रिसमस के दिन ही पैदा हुई थीं, इसलिए किम चाहता है कि उसकी दादी का जन्मदिन पूरा देश मनाएं. द न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक किम जोंग उसकी दादी जोंग सुक उत्तर कोरिया के पहले तानाशाह किम द्वितीय की पत्नी थी. यानी किम जोंग–इल की मां थी. किम जोंग-इल जापान का विरोधी गुरिल्ला और कम्युनिस्ट था. जोंग सुक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. बस तब से उन्हें मदर ऑफ रिवॉल्युशन के लिए याद किया जाता है.

पिता की मौत पर न रोने वालों को दी गई मौत की सजा

चार साल पहले जब किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल की मौत हुई थी. तब भी कई लोगों को मौत की सज़ा दी गई थी. दरअसल किम जोंग उन ने फरमान सुनाया था कि जब उसके पिता का जनाजा निकलेगा तो सभी को रोना पड़ेगा. उस रोज प्योंगयांग की सड़कों पर हज़ारों लोग रहे थे. लेकिन जो नहीं रोया उसकी मौत आ गई. किम जोंग ने ऐसे लोगों को फौरन गिरफ्तार करने का फरमान सुना दिया. दर्जनों लोगों को शोक नहीं मनाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया और फिर उन्हें गोली मार दी गई.

अपनी मर्जी से गाना सुन और गा नहीं सकते

यहां अपनी मर्जी से कोई भी गाना को नहीं गा सकते हैं और न ही सुन सकते हैं. लिहाजा यहां के गीतों में सरकार की वाहवाही होनी जरूरी है. ऐसा न होने पर भी मौत की सजा हो सकती है.

किम जोंग का खुद को भगवान साबित करना

उत्तर कोरिया में खुद को भगवान साबित कर किम लोगों के दिलों पर राज करना चाहता है. किम के मुताबिक उसका जन्म दो इंद्र धनुषों के नीचे हुआ. उसके जन्म के समय एक सितारा आसमान में बना था. इसके साथ उसने और भी कई दावे किए है जिसमें उसने दावा किया है कि वो मौसम में होने वाले बदलावों पर नियंत्रण कर सकता है.  वहां यह भी बात फैली है कि जब किम 3 साल का था तो वह कार चला लेता था और सिर्फ एक ओवरकोट और लेदर के जूते पहनकर उसने 900 फुट ऊंची माउंट पाएक्टू को पार कर लिया था. इन दावों के साथ ही किम जोंग की जन्म की तारीख भी एक नहीं तीन बताई जाती है.

अपराध करने पर तीन पीढ़ियों तक दी जाती है सजा

उत्तर कोरिया में अगर कोई अपराध करता है तो उसकी सज़ा अगली तीन पीढ़ियों तक भुगतनी होती है. सज़ा ऐसी की रूह कांप जाए. तोप के सामने बांध कर उड़ा दिया जाएगा या भूखे नरभक्षी कुत्तों के सामने फेंक दिया जा सकता है.

8 जुलाई और 17 दिसंबर को कोई भी खुशी नहीं मना सकता

आपको बता दें कि इस देश में 8 जुलाई और 17 दिसंबर को कोई भी खुशी नहीं मना सकता या हंसता नहीं दिख सकता. अगर ऐसा करता पाया गया तो मौत की भी सजा हो सकती है, सिर्फ इसलिए क्योंकि किम सुंग(दादा) और किम जोंग द्वितीय(पिता) की मौत क्रमश: इन दिनों पर हुई थी. अब जरा आप ही सोचिए इन दो दिनों में यदि किसी का बर्थडे आता होगा तो वह क्‍या करता होगा. जी हां, ऐसे लोगों को अगले दिन सेलिब्रेशन करने की छूट है. उस दिन वे भी गम में रहेंगे. 8 जुलाई की जगह 9 जुलाई और 17 दिसंबर की जगह 18 दिसंबर को लोग अपना बर्थडे मनाते हैं.

इंटरनेट के इस्तेमाल पर पाबंदी

उत्तर कोरिया में अपना अलग इंडरनेट चलता हैं, यहां महज 605 लोगों को इंटरनेट चलाने की आज़ादी है, जो सिर्फ कोरियन भाषा में हैं. कम्प्यूटर सिर्फ कोरियन भाषा में चलाया जा सकता है, ऑपरेटिंग सिस्टम भी कोरिया में ही विकसित है. सोशल मीडिया का तो नामोनिशान नहीं है. यहां तक कि उत्तर कोरिया के हर घर में सरकार की तरफ से ही संचालित रेडियो लगा हुआ है, आम लोग इसे खुद से बंद भी नहीं कर सकते हैं. इस देश में सिर्फ 3 टीवी चैनल है जिस पर एक खास समय खास शो दिखाया जाता है जो देखना अनिवार्य होता है.

किसी भी नागरिक को देश छोड़कर जाने पर मौत की सजा

यहां किसी भी नागरिक को देश छोड़कर दूसरे देश जाने व बसने की आज़ादी नहीं है. यदि ऐसे किसी भी शख्स के बारे में सरकार को पता चल जाता है तो उसको वापस बुलाया जाता है और सख्त सजा दी जाती है. उसका यह कदम सरकार के नियमों के खिलाफ माना जाता है.

किसीभी दिन कोई छुट्टी नहीं

आपको अगर हफ्ते में एक दिन ऑफ मिलता है तो आपको बुरा लगता है कि महज एक ही दिन छुट्टी क्यों, लेकिन हम आपको बता दें कि यहां साप्ताहिक अवकाश नाम की कोई चीज नहीं है. यहां हर रोज ऑफिस आना होता है.

कंटेंट : सुंदरम कुमार ( इंटर्न, ichowk.in )

ये भी पढ़ें-

एक देश जिसके नागरिकों का हेयरस्‍टाइल उसके नेता जैसा होगा...

रियो ओलंपिकः उत्तर कोरिया की इस एथलीट के लिए जानलेवा बनेगी सेल्फी...

ओलंपिक से खाली हाथ लौटने वालों को उत्‍तर कोरिया में सजा...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲