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Coronavirus Lockdown: बंदी का नौवां दिन और प्रेमियों की पसंदीदा देश इटली

    • अंकिता जैन
    • Updated: 02 अप्रिल, 2020 09:35 PM
  • 02 अप्रिल, 2020 09:35 PM
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कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) का आज नौवां दिन हैं. इस खली पड़े समय में विचार कहीं बाहर घूमने जाने का मगर इटली (इटली ) और फ्रांस (France) जैसे देश कोरोना वायरस के चलते बंदी के कारण बंद हैं इसलिए व्यक्ति के सामने दुविधाओं और चुनौतियों का पहाड़ है.

मेरे प्रिय,

कल टीवी में एक सेरियल देख रही थी. एक लड़का एक लड़की के सामने अपने प्रेम का इज़हार कर रहा था. बहुत ही सादा और साधारण तरीक़े से अपने दिल की बात कहने के बाद उसने कहा, 'मैं जानता हूं ये माहौल और मौसम बहुत रोमेंटिक नहीं है. तुम्हें बहुत ही साधारण सा लग रहा होगा, लेकिन मैं क्या करूं तुम्हें इटली और फ़्रांस फ़िलहाल ले जा नहीं सकता. इसलिए अभी सिर्फ मेरे दिल का हाल समझकर इसे ही दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत प्रोपोज़ल मान लो' वह देखते हुए मैं मुस्कुरा रही थी. किन्तु उसके ख़त्म होने के बाद मेरे ज़हन में इटली रह गया. इटली जिसे दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में गिना जाता है. जिसे हमेशा ही प्रेम से जोड़कर देखा गया है. वेनिस के बारे में तो तुम्हे पहले ही लिख चुकी हूं. आज रोम के बारे में बता रही हूं. क्योंकि कल जब मेरे कानों में इटली पड़ा तो रोम की मुख्य सड़क पर चलती एक महिला मेरी आंखों के सामने घूमने लगी.

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वह मुझे ‘रोम’ की सड़कों पर वैसे ही चलते हुए दिखी थी जैसे वहां कई दूसरे लोग चल रहे थे. उन सभी के लिए उसमें कुछ भी निराला नहीं था. मेरे लिए था. उम्र समझने की कोशिश करूं तो वह सत्तर के आस-पास की होगी. घुटनों तक की एक चुस्त सी स्कर्ट, एक सुन्दर सी फ्लोरल शर्ट, उस पर एक ओवेरकोट. एक हाथ से ट्रोली बैग घसीटती, अपनी झुकी हुई कमर लेकर...

मेरे प्रिय,

कल टीवी में एक सेरियल देख रही थी. एक लड़का एक लड़की के सामने अपने प्रेम का इज़हार कर रहा था. बहुत ही सादा और साधारण तरीक़े से अपने दिल की बात कहने के बाद उसने कहा, 'मैं जानता हूं ये माहौल और मौसम बहुत रोमेंटिक नहीं है. तुम्हें बहुत ही साधारण सा लग रहा होगा, लेकिन मैं क्या करूं तुम्हें इटली और फ़्रांस फ़िलहाल ले जा नहीं सकता. इसलिए अभी सिर्फ मेरे दिल का हाल समझकर इसे ही दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत प्रोपोज़ल मान लो' वह देखते हुए मैं मुस्कुरा रही थी. किन्तु उसके ख़त्म होने के बाद मेरे ज़हन में इटली रह गया. इटली जिसे दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत जगहों में गिना जाता है. जिसे हमेशा ही प्रेम से जोड़कर देखा गया है. वेनिस के बारे में तो तुम्हे पहले ही लिख चुकी हूं. आज रोम के बारे में बता रही हूं. क्योंकि कल जब मेरे कानों में इटली पड़ा तो रोम की मुख्य सड़क पर चलती एक महिला मेरी आंखों के सामने घूमने लगी.

लॉकडाउन के चलते छुट्टी है तो लोग विदेश घूमने के बारे में भी सोच रहे हैं लेकिन बंदी के कारण वो कहीं जा नहीं पा रहे

वह मुझे ‘रोम’ की सड़कों पर वैसे ही चलते हुए दिखी थी जैसे वहां कई दूसरे लोग चल रहे थे. उन सभी के लिए उसमें कुछ भी निराला नहीं था. मेरे लिए था. उम्र समझने की कोशिश करूं तो वह सत्तर के आस-पास की होगी. घुटनों तक की एक चुस्त सी स्कर्ट, एक सुन्दर सी फ्लोरल शर्ट, उस पर एक ओवेरकोट. एक हाथ से ट्रोली बैग घसीटती, अपनी झुकी हुई कमर लेकर वह तने हुए आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही थी. उसे पता था उसे कहां जाना है और मैं मैप में कोलोसियम की तरफ़ जाती किसी सड़क को ढूंढ रही थी.

सड़क पार करते समय हमारी आंखें टकराईं थी. वैसे ही जैसे हजारों मुसाफिरों की आपस में टकराती होंगी उसने मुझमें कुछ नहीं देखा होगा. मगर मुझे उसमें बहुत कुछ दिखा. उसके चेहरे पर झुर्रियां थीं मगर उन झुर्रियों के पीछे से उसकी सुन्दरता आज भी झांक रही थी. कभी जिस चेहरे को देख दिल फिसलें होंगे आज उस पर बिखरे मोह और सौम्यता पर मैं फिसली जा रही थी.

उसकी आंखों में मुझे बेबसी या लाचारी नहीं दिखी, कि कैसे वह बुढ़ापे में यूं अकेले छोड़ दी गई है, बल्कि वह स्फूर्ति और आत्मविश्वास से भरपूर थी. आज जब इटली सड़कों पर इंसान नहीं मौत का साया घूम रहा है. जीवंत से उस देश में आज जहां शमशान में लाशों का ढेर इकठ्ठा हो रहा है तब सोचती हूं वह बूढ़ी औरत कहां होगी? क्या वह जीवित होगी? या वह भी एक विषाणु के आगे दम तोड़कर काल का ग्रास बन गई होगी.

रोम का वह कोलोज़ियम जहां सैलानियों की भीड़ सुबह से रात तक टिकी रहती थी वहां आज इस समय में तेज़ धूप और चुभते से सन्नाटे के अलावा कुछ और होगा क्या? तुम्हें याद है मैंने एक बार बताया था कि मैं रोम के मेट्रो स्टेशन पर खड़े उस मुस्टंडे से रक्षक के आगे अपने फिसलते दिल को बमुश्किल संभाल पाई थी.

हाय कितने सुन्दर होते हैं वे सैनिक. रंग-रूप, कद-काठी, गहरी नीली आंखें, चुस्त, कसा हुआ बदन जो उनके सैन्य यूनिफार्म में और भी मोहक लगता है. ऐसे में उनके हाथ में वो बड़ी सी गन भी भय पैदा नहीं करती बल्कि आकर्षण और बढ़ा देती है. अच्छा...अच्छा अब तुम जलो मत, मैं बस सुन्दरता की तारीफ़ कर रही हूं. तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जा रही.

आज सोचती हूं क्या ज़मीन के नीचे सुरंगों में बने उन मेट्रो स्टेशन पर आज भी वैसा ही कोई आकर्षक सैनिक खड़ा होगा? देखो ना आज दुनिया के कितने ही सैनिक जो अपने देश और देशवासियों की रक्षा में तैनात रहते हैं, समर्पण के ज़ज्बे से भरे रहते हैं वे कितना असहाय महसूस कर रहे होंगे. वे जो एक साथ दसियों दुश्मन का खत्म करने की क्षमता रखते होंगे वे एक पिद्दी से विषाणु से अपने लोगों को नहीं बचा पा रहे.

कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा होगा ना इटली का वह छबीला सा सैनिक. क्या वह बचा पाएगा अपने देश को? उस देश को जिसे दुनियाभर के प्रेमी अपनी उपमाओं में रखते हैं. वे देते हैं हवाला अपनी प्रेमिकाओं के आगे? सुनो वादा करो ना कि जब यह वैश्विक संकट समाप्त हो जाएगा तो तुम और मैं भी घूमेंगे रोम की उस सड़क पर जहां हाथों में हाथ डाले घूमते हैं हज़ारों सैलानी. देखेंगे वैटिकन का वह भव्य चर्च जिसमें जड़े हैं सितारे, सोना और लोगों की आस्था.

सड़कों के किनारे बने वे छोटे-छोटे से फुलवारी से सुन्दर रेस्ट्रोरेन्ट में हम खाएंगे कोई लज़ीज़ सा इटेलियन खाना और सामने होगी दुनिया के अजूबों में शामिल वह भव्य कोलोज़ियम की इमारत. मुझे यकीन है मैं किसी सुबह जागूंगी तुम्हारी बांहों में देखते हुए इटली के आकाश में चमकता ललछौंहा सा सुन्दर सूरज.

उसी सुबह की आस में आज कट जाएगी बंदी के दिनों की यह नौवीं रात, तुम्हें ख़्वाब में ही सही पा तो लूंगी.

तुम्हारी

प्रेमिका

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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