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ओह, तो इस वजह से ऊल-जुलूल बयान देते हैं डोनाल्ड ट्रंप!

    • संध्या द्विवेदी
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2017 12:13 PM
  • 22 दिसम्बर, 2017 12:13 PM
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हाल ही में आई एक किताब ‘The Dangerous Case of Donald Trump: 27 Psychiatrists and Mental Health Experts Assess a President' में राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण से उनके तीन नकारात्मक पहलू सामने आए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के बयानों और फैसलों के पीछे राजनैतिक मंसूबे क्या हैं, यह तो राजनैतिक विश्लेषक ही बताएंगे. 27 मनोचिकत्सकों और मनोवैज्ञानिकों की टोली ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति के बयानों और फैसलों के पीछे का लिटमस टेस्ट किया है. डोनाल्ड ट्रंप के बारे में किया गया यह विश्लेषण हैरान करने वाला है...

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैसे तो अपने बयानों की वजह से राजनैतिक विरोधियों के निशाने पर हमेशा ही रहते हैं. लेकिन इस बार तो उनकी मानसिक हालत पर ही सवाल खड़े कर दिए गए हैं. हाल ही में आई एक किताब ‘द डेंजरस केस ऑफ डोनाल्ड ट्रंपः 27 सियाकियाट्रिस्ट एंड मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट एक्सेस अ प्रेसीडेंट’ ( The Dangerous Case of Donald Trump: 27 Psychiatrists and Mental Health Experts Assess a President ) में राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण से खासतौर पर उनके व्यक्तित्व के तीन नकारात्मक पहलू सामने आए हैं. इस अध्ययन के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप को सोशियोपैथ (यानी समाज के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का बोध न होना), नार्सिसिस्टिक (आत्ममुग्ध) बताया गया है. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि वे फैंटेसीलैंड में रहने वाले व्यक्ति हैं.

ट्रंप के इस व्यवहार के पीछे का राज खुल ही गया

अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के 27 मनोचिकित्सकों एवं मनोवैज्ञानिकों ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार घोषित कर दिया है. इस समूह का नेतृत्व येल यूनिवर्सिटी के बैंडी ली ने किया है. व्यक्तित्व विश्लेषण के कई मानकों का इस्तेमाल करते हुए ‘डेंजरस केस ऑफ डोनाल्ड ट्रंप’ नाम से एक किताब लिखी गई है. इस किताब में भाषा विज्ञानी नोम चोम्सकी और पत्रकार गेल सीही ने भी चैप्टर लिखे हैं. मनोचिकित्सक डॉ. लांस डोड्स ने ट्रंप के...

डोनाल्ड ट्रंप के बयानों और फैसलों के पीछे राजनैतिक मंसूबे क्या हैं, यह तो राजनैतिक विश्लेषक ही बताएंगे. 27 मनोचिकत्सकों और मनोवैज्ञानिकों की टोली ने दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति के बयानों और फैसलों के पीछे का लिटमस टेस्ट किया है. डोनाल्ड ट्रंप के बारे में किया गया यह विश्लेषण हैरान करने वाला है...

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैसे तो अपने बयानों की वजह से राजनैतिक विरोधियों के निशाने पर हमेशा ही रहते हैं. लेकिन इस बार तो उनकी मानसिक हालत पर ही सवाल खड़े कर दिए गए हैं. हाल ही में आई एक किताब ‘द डेंजरस केस ऑफ डोनाल्ड ट्रंपः 27 सियाकियाट्रिस्ट एंड मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट एक्सेस अ प्रेसीडेंट’ ( The Dangerous Case of Donald Trump: 27 Psychiatrists and Mental Health Experts Assess a President ) में राष्ट्रपति ट्रंप के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण से खासतौर पर उनके व्यक्तित्व के तीन नकारात्मक पहलू सामने आए हैं. इस अध्ययन के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप को सोशियोपैथ (यानी समाज के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का बोध न होना), नार्सिसिस्टिक (आत्ममुग्ध) बताया गया है. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि वे फैंटेसीलैंड में रहने वाले व्यक्ति हैं.

ट्रंप के इस व्यवहार के पीछे का राज खुल ही गया

अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के 27 मनोचिकित्सकों एवं मनोवैज्ञानिकों ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार घोषित कर दिया है. इस समूह का नेतृत्व येल यूनिवर्सिटी के बैंडी ली ने किया है. व्यक्तित्व विश्लेषण के कई मानकों का इस्तेमाल करते हुए ‘डेंजरस केस ऑफ डोनाल्ड ट्रंप’ नाम से एक किताब लिखी गई है. इस किताब में भाषा विज्ञानी नोम चोम्सकी और पत्रकार गेल सीही ने भी चैप्टर लिखे हैं. मनोचिकित्सक डॉ. लांस डोड्स ने ट्रंप के व्यक्त्तित्व में सोशियोपैथी यानी (समाज के प्रति नैतिक जिम्मेदारी खो चुकना) और पर्सिस्टेंट लॉस ऑफ रियलिटी यानी (वास्तविकता का एहसास लगातार खो चुकने) जैसे नकारात्मक गुणों को ट्रंप के व्यक्तित्व का अहम हिस्सा बताया है.

मनोवैज्ञानिक फिलिप जोंबार्डो ने तो एक कदम आगे जाते हुए और भी खतरनाक विश्लेषण किया है. वे कहते हैं, 'डोनाल्ड ट्रंप, दुनिया के लिए सबसे खतरनाक हैं. ट्रंप अपनी व्यक्तिगत हानि से या व्यक्तिगत गुस्से के कारण किसी भी देश में मिसाइल दाग सकते हैं.' हालांकि इस तरह की यह पहली किताब नहीं है. इससे पहले भी लेखक कर्ट एंडर्सन की फैंटेसीलैंड नाम से किताब आ चुकी है. इस किताब में फैंटेसी, रियलिटी और इल्यूजन के बीच की बारीक लाइन का हवाला देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया गया है.

ट्ंप के दिमाग में ही केमिकल लोचा है

हालांकि ‘द डेंजरस केस ऑफ डोनाल्ड ट्रंप’ नाम की किताब के आने के बाद गोल्डवाटर रूल पर बहस तेज हो गई है. यह नियम कहता है कि किसी व्यक्ति का बिना व्यक्तिगत परीक्षण किए उस पर सावर्जनिक तौर पर मनोचिकत्सकों और मनोवैज्ञानिकों का अपनी राय रखना अनैतिक है. 

पहली बार हिटलर के मनोविश्लेषण पर लिखी गई थी किताब:

जर्मनी के तानाशाह और यहूदियों का नरसंहार करने वाले हिटलर के मनोविश्लेषण पर पहली बार 1972 में किताब पब्लिश हुई थी. इस किताब का नाम था, 'माइंड ऑफ एडॉल्फ हिटलर'. यह किताब वर्ल्ड वार सेकेंड के दौरान यूएस की इंटेलीजेंस सर्विस (ओएसएस) द्वारा 1943 में बनाई गई रिपोर्ट पर आधारित थी. इस हिटलर के मनोविश्लेषण पर आधारित इस किताब को तैयार करने वाले मनोविश्लेषक वाल्टर चार्ल्स लैंगर थे. इस किताब में की गई कई भविष्यवाणियां बिल्कुल ठीक निकली हैं. इस किताब में पहले ही यह बता दिया गया था अगर युद्ध में हिटलर की हार होती है तो वह आत्महत्या कर लेगा. वह शांति समझौते या आत्मसमर्पण के लिए किसी भी हालत में तैयार नहीं होगा. और यह भविष्यवाणी सच भी निकली. हिटलर के साइकोहिस्टोरिकल एनालिसिस पर एक और किताब 1977 में लिखी गई. इस किताब का नाम द साइकोपैथ गॉड था और लेखक थे राबर्ट जी.एल. वेट.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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