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Bone China गोरक्षकों का नया निशाना बन रहा है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 07 अगस्त, 2018 07:04 PM
  • 07 अगस्त, 2018 07:04 PM
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वर्षों पहले एक टीवी कार्यक्रम में मेनका गांधी ने बड़े ही प्रभावी ढंग से समझाया था कि किस तरह गायों को मारकर Bone China बनाया जाता है. अब उसी का हवाला देकर बोन चाइना पर रोक लगाने की मांग की जा रही है.

इन दिनों वाट्सऐप पर एक मैसेज वायरल हो रहा है कि Bone China के बर्तन बनाने में गौ माता की हड्डियों का इस्तेमाल हो रहा है. वाट्सऐप पर आए दिन अफवाहें फैलती रहती हैं और इस मैसेज को भी हमने एक अफवाह होने के शक से पड़ताल शुरू की. जब इसके तथ्यों को टटोला गया तो पता चला कि ये मैसेज कोई अफवाह नहीं, बल्कि एक कड़वा सच है. बोन चाइना के बर्तन वाकई हड्डियों का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं, जिसकी पुष्टि खुद केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी की है.

वाट्सएप पर बताया जा रहा है कि बोन चाइना बनाने के लिए हड्डियों का इस्तेमाल होता है.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कई साल पहले एक वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने बोन चाइना का सच बताया था. जब वे श्रीलंका गई थीं तो उन्हें किसी ने बोन चाइना का एक डिनर सेट दिया था. उसके कुछ सालों बाद उन्हें पता चला कि बोन चाइना के बर्तन हड्डियों (बोन) से बनाए जाते हैं, इसीलिए उनका नाम बोन चाइना है. मेनका गांधी ने यह भी बताया है कि भारत में बोन चाइना के बर्तन राजस्थान में बहुतायत में बनते हैं. जिस मुद्दे को मेनका गांधी ने कई साल पहले उठाया था अब उसे शायद सरकार भूल चुकी है, तभी तो बोन चाइना अभी भी बन रहा है. वरना जहां एक ओर गाय की तस्करी का शक भर होने पर लोगों की मोब लिंचिंग हो जा रही है, वहीं उनकी हड्डियों से बर्तन बनाने का काम कभी नहीं चल पाता. वीडियो में देखिए क्या कहा है मेनका गांधी ने-

कहां से हुई बोन चाइना की शुरुआत?

इसकी शुरुआत इंग्लैंड से हुई. दरअसल, इंग्लैंड के लोगों को चीनी मिट्टी के बने बर्तन बहुत अच्छे लगते हैं, इसलिए वहां की कंपनियां चीन से चीनी मिट्टी आयात करती थीं और फिर उससे बर्तन बनाकर बेचती थीं. चीन से मिट्टी इंग्लैड ले जाने में कंपनियों को बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है,...

इन दिनों वाट्सऐप पर एक मैसेज वायरल हो रहा है कि Bone China के बर्तन बनाने में गौ माता की हड्डियों का इस्तेमाल हो रहा है. वाट्सऐप पर आए दिन अफवाहें फैलती रहती हैं और इस मैसेज को भी हमने एक अफवाह होने के शक से पड़ताल शुरू की. जब इसके तथ्यों को टटोला गया तो पता चला कि ये मैसेज कोई अफवाह नहीं, बल्कि एक कड़वा सच है. बोन चाइना के बर्तन वाकई हड्डियों का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं, जिसकी पुष्टि खुद केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी की है.

वाट्सएप पर बताया जा रहा है कि बोन चाइना बनाने के लिए हड्डियों का इस्तेमाल होता है.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कई साल पहले एक वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने बोन चाइना का सच बताया था. जब वे श्रीलंका गई थीं तो उन्हें किसी ने बोन चाइना का एक डिनर सेट दिया था. उसके कुछ सालों बाद उन्हें पता चला कि बोन चाइना के बर्तन हड्डियों (बोन) से बनाए जाते हैं, इसीलिए उनका नाम बोन चाइना है. मेनका गांधी ने यह भी बताया है कि भारत में बोन चाइना के बर्तन राजस्थान में बहुतायत में बनते हैं. जिस मुद्दे को मेनका गांधी ने कई साल पहले उठाया था अब उसे शायद सरकार भूल चुकी है, तभी तो बोन चाइना अभी भी बन रहा है. वरना जहां एक ओर गाय की तस्करी का शक भर होने पर लोगों की मोब लिंचिंग हो जा रही है, वहीं उनकी हड्डियों से बर्तन बनाने का काम कभी नहीं चल पाता. वीडियो में देखिए क्या कहा है मेनका गांधी ने-

कहां से हुई बोन चाइना की शुरुआत?

इसकी शुरुआत इंग्लैंड से हुई. दरअसल, इंग्लैंड के लोगों को चीनी मिट्टी के बने बर्तन बहुत अच्छे लगते हैं, इसलिए वहां की कंपनियां चीन से चीनी मिट्टी आयात करती थीं और फिर उससे बर्तन बनाकर बेचती थीं. चीन से मिट्टी इंग्लैड ले जाने में कंपनियों को बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है, जिसका कोई और विकल्प तलाशने के दौर में बोन चाइना की शुरुआत हुई. सबसे पहले इंग्लैंड के थॉमस फ्रे ने 1748 में हड्डियों को राख बनाकर उससे बर्तन बनाए, जो चीनी मिट्टी जैसे मुलायम भी थे और उससे सुंदर भी. इसके बाद इंग्लैंड में खूब सारी कंपनियों ने कत्लखानों से हड्डियां लाकर उनसे प्लेट बनानी शुरू कर दीं. करीब 200 सालों तक को बोन चाईना सिर्फ यूके के पास था, लेकिन उसके बाद जापान, चीन और पूरी दुनिया में फैल गया. भारत में इसकी शुरुआत बंगाल से 1964 में हुई. कुछ ही समय बाद राजस्थान बोन चाइना के बर्तनों का गढ़ बनया, जहां से 2009 में लगभग 16-17 टन बोन चाइना के बर्तन रोज बनते थे.

भारत के लोगों के लिए नकली बोन चाइना अच्छा

बोन चाइना के बर्तनों की फिनिशिंग बहुत अच्छी होती है, जिसके चलते वह लोगों को बहुत पसंद आते हैं. वहीं दूसरी ओर, हड्डियों से बनने की वजह से भारत जैसे देश में बहुत से लोग इन बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. लेकिन भारत जैसी जगहों पर नकली बोन चाइना काम की चीज हो सकती है. जैसा कि खुद मेनका गांधी ने भी कहा है कि आप नकली बोन चाइना इस्तेमाल कर सकते हैं. अब सवाल ये है कि आखिर नकली और असली की पहचान कैसे होगी?

ऐसे पहचानें असली-नकली

अगर आप जानना चाहते हैं कि बोन चाइना का कौन सा बर्तन असली है और कौन सा नकली तो ये काफी आसान है. बोन चाइना की खासियत होती है कि यह थोड़ा सा पारदर्शी होता है. यानी अगर आप बोन चाइना की किसी प्लेट को रोशनी के सामने रखते हुए अपने हाथ को प्लेट के पार से देखेंगे तो वह साफ दिखाई देगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो समझ लें कि बोन चाइना से बना जो बर्तन आपको दिया जा रहा है वह नकली बोन चाइना है और दरअसल यही नकील बोन चाइना आपके काम का भी है. यूं तो आप हर चीज को खरीदने से पहले देखते होंगे कि वह असली है या नहीं, लेकिन बोन चाइना खरीदने से पहले ये देखें कि वह नकली है या नहीं. नकली बोन चाइना में हड्डी का इस्तेमाल नहीं होता है, बल्कि कैल्शियम फॉस्फेट, कुछ रासायनिक पदार्थ और अच्छी मिट्टी का इस्तेमाल होता है.

बोन चाइना के बर्तन थोड़े पारदर्शी होते हैं, यही इनके असली होने की पहचान है.

वीडियो में आपने ये भी देखा कि कैसे मेनका गांधी लोगों से अपील कर रही हैं कि वे बोन चाइना का इस्तेमाल ना करें. उनका कहना है कि अगर लोग इस्तेमाल करना बंद कर देंगे तो इसके बर्तन बनेंगे ही नहीं. मेनका गांधी इस वीडियो में भले ही बोन चाइना के खिलाफ खड़ी नजर आ रही हों, लेकिन आज भी राजस्थान बोन चाइना के बर्तनों का गढ़ बना हुआ है. गाय को लेकर इतने सख्त कानून बनाने वाली सरकार की मंत्री होने के बावजूद न तो मेनका गांधी बोन चाइना के बर्तनों को बनने से रोक पा रही हैं, ना ही खुद मोदी सरकार का कोई और मंत्री ऐसा करने में सक्षम है. दिलचस्प बात ये है कि इस समय केंद्र में तो भाजपा की सरकार है ही, राजस्थान में भी भाजपा की सरकार है, लेकिन बावजूद इसके कोई सख्त कदम देखने को नहीं मिल रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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