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इस दिवाली खरीददारी करने से पहले जान लीजिए कौन से पटाखे हैं 'मान्यता प्राप्त'

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 28 अक्टूबर, 2018 05:12 PM
  • 28 अक्टूबर, 2018 05:12 PM
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सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार इस दिवाली पटाखों की लड़ी तो आप नहीं जला सकते हैं, लेकिन क्या सभी पटाखे जलाने की इजाजत है? या पटाखों को लेकर भी कोई नियम हैं? जानिए दिवाली की रात आप कौन-कौन से पटाखे जला सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर अपना फैसला सुना दिया है. दिवाली पर पटाखे जलाने या बेचने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन कुछ नियम जरूर बना दिए हैं. इसके साथ ही एक पटाखे पर बैन भी लगा दिया गया है, जो लगभग सबका फेवरेट होता है. ये है पटाखों की लड़ी. अपनी धौंस दिखाने के लिए लोग अक्सर पटाखों की एक लंबी लड़ी जलाते थे. जीत का जश्न मनाने के लिए भी लड़ी को ही आग लगाई जाती है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इन पटाखों से ही सबसे अधिक वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण होता है. इसके अलावा सबसे अधिक कचरा भी इन्हीं पटाखों से जमा होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी दिवाली की रात 8 से 10 बजे तक का निर्धारित कर दिया है. अब सवाल ये है कि आखिर कौन से पटाखे आप इस दिवाली फोड़ सकेंगे. पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के Explosive Rules, 1983 के मुताबिक आपको पहले से ही कुछ पटाखों से आतिशबाजी करने की इजाजत मिली हुई है. इन पटाखों का आकार और वजन पहले से निर्धारित है. अगर यह सीमा लांघ कर कोई पटाखा बनाया गया है तो समझ लीजिए वह नियमों के खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी दिवाली की रात 8 से 10 बजे तक का निर्धारित कर दिया है.

चाइनीज पटाखा- यह 75 मिमी. तक लंबा और 15 मिमी. तक के व्यास के खोल से बना होता है, जिसमें गन पाउडर, नाइट्रेट मिक्चर या सफेद पाउडर का मिक्चर या फिर कोई ऐसा विस्फोटक पदार्थ भरा होता है, जिसकी चीफ कंट्रोलर की तरफ से अनुमति मिली हुई हो.

एटम बम- इसमें भी गन पाउडर, नाइट्रेट मिक्चर या सफेद पाउडर का मिक्चर या फिर...

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर अपना फैसला सुना दिया है. दिवाली पर पटाखे जलाने या बेचने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक तो नहीं लगाई है, लेकिन कुछ नियम जरूर बना दिए हैं. इसके साथ ही एक पटाखे पर बैन भी लगा दिया गया है, जो लगभग सबका फेवरेट होता है. ये है पटाखों की लड़ी. अपनी धौंस दिखाने के लिए लोग अक्सर पटाखों की एक लंबी लड़ी जलाते थे. जीत का जश्न मनाने के लिए भी लड़ी को ही आग लगाई जाती है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इन पटाखों से ही सबसे अधिक वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण होता है. इसके अलावा सबसे अधिक कचरा भी इन्हीं पटाखों से जमा होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी दिवाली की रात 8 से 10 बजे तक का निर्धारित कर दिया है. अब सवाल ये है कि आखिर कौन से पटाखे आप इस दिवाली फोड़ सकेंगे. पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के Explosive Rules, 1983 के मुताबिक आपको पहले से ही कुछ पटाखों से आतिशबाजी करने की इजाजत मिली हुई है. इन पटाखों का आकार और वजन पहले से निर्धारित है. अगर यह सीमा लांघ कर कोई पटाखा बनाया गया है तो समझ लीजिए वह नियमों के खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी दिवाली की रात 8 से 10 बजे तक का निर्धारित कर दिया है.

चाइनीज पटाखा- यह 75 मिमी. तक लंबा और 15 मिमी. तक के व्यास के खोल से बना होता है, जिसमें गन पाउडर, नाइट्रेट मिक्चर या सफेद पाउडर का मिक्चर या फिर कोई ऐसा विस्फोटक पदार्थ भरा होता है, जिसकी चीफ कंट्रोलर की तरफ से अनुमति मिली हुई हो.

एटम बम- इसमें भी गन पाउडर, नाइट्रेट मिक्चर या सफेद पाउडर का मिक्चर या फिर कोई ऐसा विस्फोटक पदार्थ होता है, जिसकी चीफ कंट्रोलर की तरफ से अनुमति मिली हुई हो, लेकिन इसका आकार चाइनीज पटाखे से अलग होता है. यह पेपर को मोड़ कर बनाया गया होता है और उस पर सुतली या ऊन लपेटा होता है. इस बम का वजन 25 ग्राम से अधिक नहीं हो सकता है. साथ ही इसकी लंबाई अधिकतम 40 मिमी. हो सकती है और इसका व्यास 20 मिमी. तक हो सकता है.

मरून- यह वो बम होते हैं जो फटते भी हैं और रोशनी भी करते हैं. यानी जिन्हें आम भाषा में अनार बम कहते हैं, जो पहले रोशनी करते हैं और फिर फटते हैं. ये भी पेपर को ट्यूब की तरह मोड़कर बनाए जाते हैं, जिनमें सफेद पाउडर का विस्फोटक मिक्चर भरा होता है. इनकी लंबाई 100 मिमी. तक हो सकती है और व्यास 25 मिमी. तक हो सकता है.

रॉकेट- PESO के नियमों के मुताबिक रॉकेट 76 मिमी. तक लंबा और 25.4 मिमी. तक के व्यास का हो सकता है. यह किसी धातु का बना नहीं होना चाहिए. रॉकेट में लड़की की एक पतली सी छड़ी जुड़ी होती है. इसमें विस्फोटक के तौर पर गन पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है.

फुलझड़ी- इसमें एक लोहे की तार, नाइट्रेट या बेरियम का मिक्चर, एल्युमिनियम पाउडर, मैग्नीशियम पाउडर, आयरन, डेक्सट्रिन और गोंद शामिल होते हैं, जिनसे मिलकर फुलझड़ी बनती है. इसका वजन 22 ग्राम से अधिक नहीं हो सकता है. अगर फुलझड़ी का वजन या आकार इससे अधिक है तो समझ लीजिए कि वह PESO के नियमों के मुताबिक नहीं बनी है.

दिवाली आते ही बाजार में एक से बढ़कर एक पटाखे, फुलझड़ियां और रॉकेट आते हैं. लेकिन इनकी खरीददारी करते समय इस बात का ध्यान रखें कि अच्छी कंपनी के पटाखे ही खरीदें. एक तो ये पटाखे नियमों को ध्यान में रखकर बने होते हैं और दूसरा ये सुरक्षा का ध्यान रखकर PESO के नियमों के मुताबिक बनाए गए होते हैं. स्थानीय रूप से बनाए गए पटाखों में सस्ता या जानलेवा बारूद भी इस्तेमाल किया गया हो सकता है, जो खतरनाक साबित हो सकता है. कई बार अनार और चकरी फट जाया करते हैं, जो गलत तरीके से पटाखे बनाने का जीता-जागता उदाहरण हैं. इस दिवाली आप लड़ियां तो नहीं जला सकेंगे, लेकिन छोटे पटाखे और बम जलाकर दिवाली का मजा जरूर ले सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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