• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Opinion: दि‍वाली पर पटाखे फोड़ने के नियम सबरीमला फैसले जैसे हैं

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 23 अक्टूबर, 2018 06:15 PM
  • 23 अक्टूबर, 2018 02:27 PM
offline
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर जो फैसला दिया है, उसकी धज्जियां दिवाली की शाम से उड़नी शुरू हो जाएगी. इस फैसले की दुर्गति वैसी होना तय है, जैसी कि सबरीमला में महिलाओं को दर्शन कराने के मामले में हुई.

दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट के जिस अहम फैसले पर पूरा देश निगाहें टिकाए बैठा था, आखिरकार वह आ गया है. कोर्ट ने पूरे देश में पटाखे बेचने पर बैन लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है. हां ये जरूर है कि पटाखे बेचने और फोड़ने को लेकर कुछ नियम जरूर बना दिए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से पटाखों को लेकर नियम बनाए हैं, उन्हें देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि उसकी हालत सबरीमला वाले फैसले जैसी हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पटाखे से दिवाली की रात 8 से 10 बजे के बीच फोड़े जाएं. लेकिन, क्‍या होगा जब कोई बच्‍चा शाम 6 बजे ही पटाखा फोड़ देगा? दिवाली पटाखे फोड़ने का सबसे ज्‍यादा बच्‍चों में ही होता है. क्‍या वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय की पाबंदी के लिए धैर्य बनाए रखेंगे.

दिवाली की रात पटाखों को सिर्फ रात 8 से 10 बजे तक ही फोड़ने की अनुमति है.

एचएचओ के गले की फांस न बन जाए ये फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सिकरी और अशोष भूषण की बेंच ने कम प्रदूषण फैलाने वाले और कम आवाज वाले पटाखों को बनाने और उन्हें बेचने की इजाजत दे दी है. आपको बता दें कि Petroleum and Explosive Safety Organisation (PESO) द्वारा बनाए गए Environment (Protection) Rules, 1986 के तहत 4 मीटर की दूरी से पटाखों की आवाज 125 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा, स्कूलों, अस्पतालों, नर्सिंग होम, शिक्षण संस्थानों, कोर्ट और धार्मिक जगहों से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर ही पटाखे फोड़े जा सकेंगे. अगर कहीं पर नियमों का उल्लंघन करने हुए अधिक प्रदूषण करने वाले या अधिक आवाज वाले पटाखे बेचे गए तो इसकी जिम्मेदारी उस इलाके के एसएचओ की होगी. मतलब हर एसएचओ की नौकरी अब खतरे में है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद पिछले साल दिल्ली में जिस तरह आतिशबाजी हुई, उसमें सारे नियम और कानून की धज्जियां उड़ गई थीं. इसके अलावा किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर पटाखे बेचने पर बैन लगाया गया है और ऐसा करने पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट के जिस अहम फैसले पर पूरा देश निगाहें टिकाए बैठा था, आखिरकार वह आ गया है. कोर्ट ने पूरे देश में पटाखे बेचने पर बैन लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है. हां ये जरूर है कि पटाखे बेचने और फोड़ने को लेकर कुछ नियम जरूर बना दिए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से पटाखों को लेकर नियम बनाए हैं, उन्हें देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि उसकी हालत सबरीमला वाले फैसले जैसी हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पटाखे से दिवाली की रात 8 से 10 बजे के बीच फोड़े जाएं. लेकिन, क्‍या होगा जब कोई बच्‍चा शाम 6 बजे ही पटाखा फोड़ देगा? दिवाली पटाखे फोड़ने का सबसे ज्‍यादा बच्‍चों में ही होता है. क्‍या वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय की पाबंदी के लिए धैर्य बनाए रखेंगे.

दिवाली की रात पटाखों को सिर्फ रात 8 से 10 बजे तक ही फोड़ने की अनुमति है.

एचएचओ के गले की फांस न बन जाए ये फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सिकरी और अशोष भूषण की बेंच ने कम प्रदूषण फैलाने वाले और कम आवाज वाले पटाखों को बनाने और उन्हें बेचने की इजाजत दे दी है. आपको बता दें कि Petroleum and Explosive Safety Organisation (PESO) द्वारा बनाए गए Environment (Protection) Rules, 1986 के तहत 4 मीटर की दूरी से पटाखों की आवाज 125 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा, स्कूलों, अस्पतालों, नर्सिंग होम, शिक्षण संस्थानों, कोर्ट और धार्मिक जगहों से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर ही पटाखे फोड़े जा सकेंगे. अगर कहीं पर नियमों का उल्लंघन करने हुए अधिक प्रदूषण करने वाले या अधिक आवाज वाले पटाखे बेचे गए तो इसकी जिम्मेदारी उस इलाके के एसएचओ की होगी. मतलब हर एसएचओ की नौकरी अब खतरे में है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद पिछले साल दिल्ली में जिस तरह आतिशबाजी हुई, उसमें सारे नियम और कानून की धज्जियां उड़ गई थीं. इसके अलावा किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर पटाखे बेचने पर बैन लगाया गया है और ऐसा करने पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

पटाखे फोड़ने का भी है नियम

बात अगर पटाखों की हो रही है तो सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ पटाखे बनाने और बेचने वालों के लिए ही नियम नहीं बनाए हैं, बल्कि आम जनता के लिए भी कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिवाली की रात पटाखों को सिर्फ रात 8 से 10 बजे तक ही फोड़ने की अनुमति है. इसके अलावा नए साल और क्रिसमस पर पटाखे रात 11.45 से 12.15 तक फोड़े जा सकेंगे. इतना ही नहीं, पटाखों की लड़ियां यानी जो पटाखों लंबी लड़ियों के रूप में बिकते थे, उन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा दिया है.

वहीं अगर दिल्ली की बात करें तो इस बार दिल्ली में हर जगह पटाखे नहीं फोड़े जा सकेंगे. आतिशबाजी के लिए कुछ जगह निर्धारित की जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सप्ताह भर के अंदर इन जगहों की पहचान कर ली जाए. जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में पटाखे बेचने पर ही बैन लगा दिया था और उसके बावजूद दिवाली की रात जमकर आतिशबाजी हुई थी, ऐसे में महज 2 घंटे तक पटाखे फोड़ने के इस नियम को कौन मानेगा? जब पिछले साल दिल्ली में नियमों की धज्जियां उड़ाने पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो इस बार क्या उम्मीद की जा सकती है? खैर, जिम्मेदारी तो एसएचओ की तय की गई है और इस तरह से हर एसएचओ का फेल होना भी तय समझिए.

पटाखे की हालत गुटखे जैसी!

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015-16 में ही गुटखा और चबाने वाले तंबाकू उत्पादों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी थी. दिल्ली सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन तो जारी किया था, लेकिन अदालत के आदेश को सख्ती से लागू नहीं किया गया. अभी भी गुटखा और तंबाकू कंपनियां कानून को चकमा देकर अलग-अलग पाउच में उत्पाद बेच रही हैं. हर साल लाखों लोग तंबाकू उत्पादों के सेवन से मरते हैं, लेकिन दिल्ली में इनकी बिक्री धड़ल्ले से होती देखी जा सकती है. गुटखा बैन को लेकर तो एक याचिका भी हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को तलब भी किया था. अब पटाखों पर बैन की याचिका को जैसी नियम व शर्तों के साथ खारिज किया है, यूं ही लगता है जैसे इसकी हालत भी गुटखा बैन जैसी हो गई है. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिवाली से महज 15 दिन पहले सुनाया है तो ऐसे में जिन व्यापारियों ने बैन हुए पटाखे बना लिए होंगे या बेचने के लिए खरीद लिए होंगे, वो तो बाजार में आने तय ही हैं, भले ही उन्हें रोकने की कितनी भी कोशिश क्यों ना हो जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015-16 में ही गुटखा और चबाने वाले तंबाकू उत्पादों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी थी.

पटाखों पर बैन लगाने की अपील इसलिए की गई थी, क्योंकि पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है. अगर अभी दिल्ली की हवा में फैले प्रदूषण पर नजर डालें तो तस्वीर काफी डरावनी है. 21 और 22 अक्टूबर को दिल्ली की हवा बेहद खराब कैटेगरी में रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के डेटा के मुताबिक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कुल मिलकार 301 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' की श्रेणी में आता है. सुप्रीम कोर्ट में जज के सामने ये तर्क दिया गया कि पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने से उन लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा, जो इस उद्योग से जुड़े हैं. तो क्या रोजगार बचाने के लिए प्रदूषण फैलने दिया जा सकता है? खैर, सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर जो फैसला सुनाया है, उसका लोग और विक्रेता कितना सम्मान करते हैं, ये जानने के लिए दिवाली की एक रात ही काफी होगी.

ये भी पढ़ें-

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI की जांच आखिर हुई कैसे?

ऐसे पुरुषों के लिए भी लिफ्ट में चढ़ना सेफ नहीं हैं !

कृत्रिम चांद बनाकर कई जानवरों की जिंदगी में कलह घोलने जा रहा है चीन


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲