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GAY मैट्रिमोनियल की ये कहानी भारत की बंदिशों को तोड़ रही है

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 24 जुलाई, 2018 01:21 PM
  • 24 जुलाई, 2018 01:21 PM
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जिस देश में समलैंगिकता के लिए कानून बना हुआ है उस देश में अरेंज मैरिज तो सही है, लेकिन लव मैरिज के लिए ही परिवार को मनाना एक बड़ा काम साबित हो जाता है ऐसे देश में एक समलैंगिक अरेंज मैरिज ब्यूरो है जो सारी सुविधाएं देता है.

भारत जैसे देश में समलैंगिकता के मायने क्या हैं? कुछ लोगों के लिए ये छिछोरापन है, कुछ के लिए ये पागलपन है, कुछ के लिए ये संस्कृति के विरुद्ध है, लेकिन बहुत कम ही लोग ऐसे हैं जिनके लिए ये प्राकृतिक है. जी हां, ये प्राकृतिक है. ये बात समझने की कोशिश हमारा समाज नहीं करता है. ये बात समाज के कुछ ही लोग समझ पाते हैं कि समलैंगिकता कोई बीमारी या छिछोरापन नहीं बल्कि प्रकृति का एक तरीका है. जो लोग इसे समझ पाते हैं उनमें से ही एक है उर्वी शाह. उर्वी वो लड़की है जिसने 24 साल की उम्र में ही देश ही नहीं बल्कि दुनिया का अपनी तरह का एक अनोखा मैरिज ब्यूरो खोला.

www.arrangedgaymarriage.com यानी समलैंगिक लोगों की अरेंज मैरिज करवाने वाली वेबसाइट. अकेलापन दुनिया में किसी को भी हो सकता है इसमें सेक्शुएलिटी कहीं से कहीं तक मायने नहीं रखती है. शायद यही कारण है कि उर्वी ने समलैंगिक लोगों के लिए मैरिज ब्यूरो खोला है.

जिस देश में समलैंगिकता के लिए कानून बना हुआ है उस देश में अरेंज मैरिज तो सही है, लेकिन लव मैरिज के लिए ही परिवार को मनाना एक बड़ा काम साबित हो जाता है ऐसे देश में आखिर समलैंगिक लोगों को शादी और प्यार जैसे सुख नहीं मिल पाते.

उर्वी की वेबसाइटा स्क्रीनशॉट

इसी बात को ध्यान में रखकर 24 साल की उर्वी ने 2015 में शिकागो में अपना बिजनेस स्टार्ट किया. इसके बाद ये बिजनेस सिकंदराबाद शिफ्ट कर दिया गया और अब उर्वी अहमदाबाद में रहती हैं और वहीं से काम करती हैं. अब उर्वी की वेबसाइट में 24 देशों के लोग हैं और अभी तक 42 शादियां करवा चुकी हैं.

उर्वी की इस पहल से सामने आया कि भारत में ऐसे न जाने कितने Gay हैं जिन्हें शादी करती हैं, जिन्हें प्यार और कमिटमेंट चाहिए, लेकिन वो इस सब से दूर हैं.

कैसे आया आइडिया...

जब उर्वी...

भारत जैसे देश में समलैंगिकता के मायने क्या हैं? कुछ लोगों के लिए ये छिछोरापन है, कुछ के लिए ये पागलपन है, कुछ के लिए ये संस्कृति के विरुद्ध है, लेकिन बहुत कम ही लोग ऐसे हैं जिनके लिए ये प्राकृतिक है. जी हां, ये प्राकृतिक है. ये बात समझने की कोशिश हमारा समाज नहीं करता है. ये बात समाज के कुछ ही लोग समझ पाते हैं कि समलैंगिकता कोई बीमारी या छिछोरापन नहीं बल्कि प्रकृति का एक तरीका है. जो लोग इसे समझ पाते हैं उनमें से ही एक है उर्वी शाह. उर्वी वो लड़की है जिसने 24 साल की उम्र में ही देश ही नहीं बल्कि दुनिया का अपनी तरह का एक अनोखा मैरिज ब्यूरो खोला.

www.arrangedgaymarriage.com यानी समलैंगिक लोगों की अरेंज मैरिज करवाने वाली वेबसाइट. अकेलापन दुनिया में किसी को भी हो सकता है इसमें सेक्शुएलिटी कहीं से कहीं तक मायने नहीं रखती है. शायद यही कारण है कि उर्वी ने समलैंगिक लोगों के लिए मैरिज ब्यूरो खोला है.

जिस देश में समलैंगिकता के लिए कानून बना हुआ है उस देश में अरेंज मैरिज तो सही है, लेकिन लव मैरिज के लिए ही परिवार को मनाना एक बड़ा काम साबित हो जाता है ऐसे देश में आखिर समलैंगिक लोगों को शादी और प्यार जैसे सुख नहीं मिल पाते.

उर्वी की वेबसाइटा स्क्रीनशॉट

इसी बात को ध्यान में रखकर 24 साल की उर्वी ने 2015 में शिकागो में अपना बिजनेस स्टार्ट किया. इसके बाद ये बिजनेस सिकंदराबाद शिफ्ट कर दिया गया और अब उर्वी अहमदाबाद में रहती हैं और वहीं से काम करती हैं. अब उर्वी की वेबसाइट में 24 देशों के लोग हैं और अभी तक 42 शादियां करवा चुकी हैं.

उर्वी की इस पहल से सामने आया कि भारत में ऐसे न जाने कितने Gay हैं जिन्हें शादी करती हैं, जिन्हें प्यार और कमिटमेंट चाहिए, लेकिन वो इस सब से दूर हैं.

कैसे आया आइडिया...

जब उर्वी एंटरप्रिनियरशिप डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में थीं तो उनकी क्लास को एक प्रोजेक्ट करने को दिया गया था. उस समय उन्हें किसी भी सामाजिक मामले को उठाकर एक बिजनेस मॉडल बनाना था. कुछ सीनियर लोगों ने महिलाओं को चुना, कुछ ने शिक्षा को, उर्वी किसी की कॉपी नहीं करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने LGBTQ चुना. ये भारत में अभी तक मान्य नहीं है और कई लोग तो इस बारे में जानते तक नहीं हैं कि उनके आस-पास कई समलैंगिक लोग मौजूद हैं.

उर्वी शाह

हफिंगटन पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में उर्वी कहती हैं कि वो इस मामले में रिसर्च कर रही थीं. वो दिल्ली में ऐसे लोगों से मिलीं जो होमोसेक्शुअल थे और 30 साल की उम्र पार कर चुके थे. उनसे पूछने पर पता चला कि वो लोग अपने परिवारों को भी इस बारे में नहीं बता सकते थे. उर्वी ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने कोई मेट्रिमोनियल साइट ट्राई की है. जवाब सीधा सा था. ऐसी कोई वेबसाइट थी ही नहीं जो LGBTQ कम्युनिटी के लिए बनाई गई थी.

किसी भी वेबसाइट पर उर्वी को समलैंगिकों के लिए कोई स्थान नहीं मिला तो इसका जिम्मा उर्वी ने खुद उठाया.

भारत में मनाही फिर भी?

समलैंगिकता भारत में किसी डर की तरह है जिससे लोग इतना डरते हैं कि अपने समलैंगिक बच्चों को अपनाने तक से इंकार कर देते हैं. भारत में Gay शादियों को कानूनी वैध्यता नहीं मिलती है. इसका मतलब ये नहीं की कई समलैंगिक जोड़े शादी ही न करें. उन्हें पूरे विधि-विधान से शादी करनी होती है और उन्हें बस खुश रहना होता है.

भारतीय कल्चर में लिव-इन रिलेशनशिप का कोई अस्तित्व नहीं है और बचपन से ही शादी का महत्व समझाया जाता है. ऐसे में समलैंगिक लोगों को भी हक है शादी और खुशी का. भारतीय सभ्यता ने जो सिखाया है उसके हिसाब से कई समलैंगिक लोग शादी जैसे बंधंन में बधंना चाहते हैं ताकि वो एक दूसरे के और करीब आ सकें.

जब से ये ब्यूरो खुला है तब से 42 जोड़ों की शादी हो चुकी है और अन्य 48 एक साथ रह रहे हैं और उर्वी की इस वेबसाइट के जरिए 1500 लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. उर्वी की कंपनी न सिर्फ जोड़ों को मिलवाती है बल्कि उन्हें पंडित भी मुहैया करवाती है जो ये शादी करवा सके.

इसके अलावा, उर्वी का ब्यूरो उन माता-पिता को भी काउंसलिंग देता है जिनके बच्चे समलैंगिक हैं. ये हर कोई इसे स्वीकार नहीं कर पाता. कई लोग अपने बच्चों को छोड़ भी देते हैं. बेंगलुरु के एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन के साथ यही हुआ. 37 साल के उस व्यक्ति का ट्रांसपोर्ट का बिजनेस था शहर में ब्राह्मण परिवार का वो सदस्य जब घर वालों को सब कुछ बता पाया तब उसके घर वालों ने उसे अलग कर दिया. उसने उर्वी के मैरिज ब्यूरो की मदद ली और अब वो शादीशुदा है. उसका कहना है कि उसे पता है उसके और उसके पार्टनर की शादी मान्य नहीं है, लेकिन हो सकता है कि कभी नियम बदल जाए.

कैसे काम करती है सर्विस...

रजिस्ट्रेशन के पहले फ्री कंसलटेशन किया जा सकता है. उसके लिए जाकर वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.

उर्वी की वेबसाइटा स्क्रीनशॉट

इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में खुद कैसे हैं और पार्टनर कैसा चाहिए इसके बारे में भी जानकारी दी जाती है. इस मैरिज ब्यूरो की सुविधाएं लेने के लिए एक बार की रजिस्ट्रेशन फीस भी देनी होती है. कहीं भी किसी मेंबर की डिटेल नहीं दी गई है.

भारत में LGBT कम्युनिटी के लोग अभी तक अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं वहां ये नई पहल एक इस ओर इशारा कर रही है कि अब शायद हालात बदलने शुरू होंगे. सुप्रीम कोर्ट भी लगातार धारा 377 पर विचार कर रहा है और बस उम्मीद ही की जा सकती है कि आगे चलकर समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए कुछ बेहतर कदम उठाए जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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