• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

...यानी ट्रांसजेंडर्स को सताता है 'पहचान' का संकट

    • आईचौक
    • Updated: 11 मई, 2018 11:18 AM
  • 11 मई, 2018 11:18 AM
offline
एक बार जेंडर बदलकर लोग हमेशा अपनी जेंडर आइडेंटिटी के लिए परेशान रहते हैं. उन्हें हमेशा लोगों को ये बताना पड़ता है कि वो पुरुष हैं या महिला. कहने को उन्होंने अपने मन का तो कर लिया लेकिन बाद में वो खुश ही रहें इसकी कोई गारंटी नहीं होती.

दुनिया में ऐसे बहुत लोग हैं जो अपने शरीर से खुश नहीं होते, वो अपने ही शरीर में खुद को कैद महसूस करते हैं. ऐसे लोग अक्सर हॉर्मोन्स लेकर या सर्जरी करवाकर अपना जेंडर बदल लेते हैं. यानी लड़की से लड़का और लड़के से लड़की बन जाते हैं. ईश्वर के दिए हुए रूप को स्वीकार न करना और प्रकृति के खिलाफ जाकर खुद को बदल देना हमेशा से ही बहस का विषय रहा है. फिर भी ऐसे ट्रीटमेंट लेकर लोगों का अपनी नई जिंदगी में सहज हो जाना हर किसी के लिए प्रश्चिन्ह होता है कि आखिर कैसे? कैसे कोई खुद को बदलकर नॉर्मल रह सकता है.

पर आज इस खबर ने कहीं न कहीं उसी प्रश्न का जवाब दिया है कि 'नहीं'. ट्रांसजेंडर की जिंदगी आसान नहीं होती, वो भले ही अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रहे हों, लेकिन जिंदगी से संघर्ष खत्म नहीं होते. एक मॉडल जिसने खुद को लड़की बनाने के लिए 3 साल लगा दिए, अब उसने हार्मोन्स लेना बंद कर दिया है. वो अब पुरुष बनकर ही जीवन जीना चाहता है.

3 सालों से महिला बनकर रह रहे थे एलेक्जेंडर

लॉस एंजेल्स, कैलीफोर्निया के रहने वाले अलेक्जेंडर वीच की उम्र 30 साल है और वो पिछले 3 साल से आरिया यानी लड़की बनकर रह रहे थे और कोशिश कर रहे थे कि वो मेल और फीमेल दोनों ही बने रहें.(इसे bigender कहा जाता है).

खुद को बाइजेंडर बनाए रखने के लिए खुद पर 10 हजार डॉलर भी खर्च किए, जिससे एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरोन दोनों हार्मोन्स का बैलेंस बराबर बना रहे. लेज़र से शरीर के बालों को भी साफ करवाया. लेकिन दिन में पुरुष और रात को एक औरत की जिंदगी जीते-जीते एलेक्जेंडर खुद से परेशान हो गए. और पिछले साल उन्होंने महसूस किया कि वो अब और महिला बनकर नहीं रह सकेंगे और फिर खुद को वापस बदलने का निर्णय लिया.

एलेक्जेंडर का कहना है- 'ट्रांसजेंडर रहकर बहुत सी परेशानियां आती हैं, बहुत सी...

दुनिया में ऐसे बहुत लोग हैं जो अपने शरीर से खुश नहीं होते, वो अपने ही शरीर में खुद को कैद महसूस करते हैं. ऐसे लोग अक्सर हॉर्मोन्स लेकर या सर्जरी करवाकर अपना जेंडर बदल लेते हैं. यानी लड़की से लड़का और लड़के से लड़की बन जाते हैं. ईश्वर के दिए हुए रूप को स्वीकार न करना और प्रकृति के खिलाफ जाकर खुद को बदल देना हमेशा से ही बहस का विषय रहा है. फिर भी ऐसे ट्रीटमेंट लेकर लोगों का अपनी नई जिंदगी में सहज हो जाना हर किसी के लिए प्रश्चिन्ह होता है कि आखिर कैसे? कैसे कोई खुद को बदलकर नॉर्मल रह सकता है.

पर आज इस खबर ने कहीं न कहीं उसी प्रश्न का जवाब दिया है कि 'नहीं'. ट्रांसजेंडर की जिंदगी आसान नहीं होती, वो भले ही अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रहे हों, लेकिन जिंदगी से संघर्ष खत्म नहीं होते. एक मॉडल जिसने खुद को लड़की बनाने के लिए 3 साल लगा दिए, अब उसने हार्मोन्स लेना बंद कर दिया है. वो अब पुरुष बनकर ही जीवन जीना चाहता है.

3 सालों से महिला बनकर रह रहे थे एलेक्जेंडर

लॉस एंजेल्स, कैलीफोर्निया के रहने वाले अलेक्जेंडर वीच की उम्र 30 साल है और वो पिछले 3 साल से आरिया यानी लड़की बनकर रह रहे थे और कोशिश कर रहे थे कि वो मेल और फीमेल दोनों ही बने रहें.(इसे bigender कहा जाता है).

खुद को बाइजेंडर बनाए रखने के लिए खुद पर 10 हजार डॉलर भी खर्च किए, जिससे एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरोन दोनों हार्मोन्स का बैलेंस बराबर बना रहे. लेज़र से शरीर के बालों को भी साफ करवाया. लेकिन दिन में पुरुष और रात को एक औरत की जिंदगी जीते-जीते एलेक्जेंडर खुद से परेशान हो गए. और पिछले साल उन्होंने महसूस किया कि वो अब और महिला बनकर नहीं रह सकेंगे और फिर खुद को वापस बदलने का निर्णय लिया.

एलेक्जेंडर का कहना है- 'ट्रांसजेंडर रहकर बहुत सी परेशानियां आती हैं, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अब मैं अपनी जिंदगी पहले की तरह सरल बनाना चाहता हूं. आरिया हो या एलेक्जेंडर ये दोनों ही अलग-अलग जिंदगियां हैं और मैं अब प्रकृति के हिसाब से ही रहना चाहता हूं.'

कारण जिसकी वजह से महिला होना रास नहीं आया-

ऐलेक्जेंडर को हमेशा से ही लगता था कि वो एक महिला है जो पुरुष के शरीर में कैद है. इसीलिए उसने जेंडर बदला बिना किसी सर्जरी की मदद से. लेकिन तीन साल में उन्होंने बहुत कुछ झेला, जो इस निर्णय का कारण भी बना, जैसे-

- ट्रांसजेंडर होने से तनाव बहुत ज्यादा होता है.

- अकेला और अलग-थलग महसूस होता है.

- अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना एक चुनौती होती है.

- लोग उन्हें फेक कहते थे.

- उनके परिचित लोग उन्हें 'मिस आरिया' कहकर ही बुलाते थे जैसे कि उनका केवल एक यही रूप हो.

- परिवार और समाज का साथ नहीं मिलता.

- महिलाओं को बहुत ज्यादा खर्चे झेलने होते हैं. मैंने स्त्री रूप छोड़ा क्योंकि ये बहुत महंगा और प्रतिस्पर्धी है और मेरे पास इसके लिए समय नहीं है.

अब उन्हें संतोष है कि उनका परिवार उनका साथ दे रहा है. खुद को वापस अपने रूप में पाकर ऐलेक्जेंडर खुश तो हैं, लेकिन अब उनके बड़े ब्रेस्ट उनके लिए परेशानी बन रहे हैं, जिसे छिपाने के लिए वो सर्जरी नहीं करवाना चाहते, वो वर्कआउट कर रहे हैं, जिससे अपना पुराना शारीर भी वापस पा सकें.

खुद को बाइजेंडर बनाए रखने के लिएखर्च किए  10 हजार डॉलर

'ट्रांसजेंडर रीग्रेट'

जो ऐलेक्जेंडर ने किया वो कम ही होता है लेकिन होता है और इसे 'ट्रांसजेंडर रीग्रेट' कहते है. एक बार जेंडर बदलकर लोग हमेशा अपनी जेंडर आइडेंटिटी के लिए परेशान रहते हैं. उन्हें हमेशा लोगों को ये बताना पड़ता है कि वो पुरुष हैं या महिला. कहने को उन्होंने अपने मन का तो कर लिया लेकिन बाद में वो खुश ही रहें इसकी कोई गारंटी नहीं होती. अमेरिका में 2015-16 में ऐसी सर्जरीज़ 20 प्रतिशत तक बढ़ गईं. लेकिन साथ ही अब रिवर्सल सर्जरीज़ की संख्या भी बढ़ रही है. और ज्यादातर ट्रांसजेंडर महिलाएं ही इससे खुश नहीं हैं.

पहले ऐसे लगते थे ऐलेक्जेंडर

यानी पुरुष जो महिला बन गए वो अब अपना शरीर वापस चाहते हैं. कारण हैं बहुत ज्यादा डिप्रेशन और कभी कभी आत्महत्या की प्रवृत्ति भी. क्योंकि किसी भी पुरुष का महिला होना किसी को भी पसंद नहीं आता और न ही उसे कोई असली महिला की तरह स्वीकार पाता है. 2011 के एक अध्ययन में पाया गया कि सेक्स चेंज सर्जरी के बाद, 300 से ज्यादा स्वीडिश ट्रांससेक्सुअल लोगों को आत्महत्या के विचार और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ा.

ये भी पढ़ें- 

अगर धारा 377 का मामला नहीं सुलझेगा, तो ऐसा ही होगा!

क्या आप जानते हैं कि किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

कैसा होता है एक मुस्लिम का Gay होना...



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲