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एक बाप अपनी ही बच्ची का रेप कैसे कर सकता है?

    • आईचौक
    • Updated: 01 दिसम्बर, 2018 06:20 PM
  • 01 दिसम्बर, 2018 06:20 PM
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गुड़गांव की इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उसके रौंगटे खड़े हो गए, लेकिन उस बाप के हाथ-पैर नहीं कांपे जिसने अपनी छोटी सी बच्ची का बलात्कार सिर्फ इसलिए कर दिया क्योंकि वो पत्नी को सबक सिखाना चाहता था.

रेप से ज्यादा घिनौना शायद कुछ और नहीं. लेकिन ये तब और भी ज्यादा क्रूर लगता है जब किसी मासूम के साथ हो. अफसोस है कि हम उस समाज का हिस्सा हैं जहां एक बाप अपनी ही 3 साल की बच्ची का रेप कर देता है.

पत्नी को सबक सिखाने के लिए बच्ची का रेप

गुड़गांव की इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उसके रौंगटे खड़े हो गए, लेकिन उस बाप के हाथ-पैर नहीं कांपे जिसने अपनी छोटी सी बच्ची का बलात्कार सिर्फ इसलिए कर दिया क्योंकि वो पत्नी को सबक सिखाना चाहता था. आरोपी और उसकी पत्नी के दो बच्चियां हैं एक 3 साल की और एक 1 साल की. पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ, शराब का नशा और उसपर मर्दानगी का भूत, पति ने पत्नी को खूब पीटा, अपनी जान बचाने के लिए पत्नी छोटी बेटी को लेकर पास ही में रहने वाली अपनी बुआ के घर चली गई, लेकिन बड़ी बेटी सो रही थी इसलिए उसे वहीं छोड़ दिया.

पत्नी को सबक सिखाने के लिए 3 साल की बच्ची का रेप

पति गुस्से और नशे में इतना पागल था कि सिर्फ पिटाई करके उसका मन नहीं भरा. उसे पत्नी को सबक सिखाना था, और सबक सिखाने का मर्दों को सिर्फ एक ही तरीका आता है कि बलात्कार कर दो. पत्नी वहां होती तो शायद उसका बलात्कार होता, लेकिन वो नहीं थी तो उसकी बच्ची ही सही. उस दरिंदे ने अपनी 3 साल की बच्ची के साथ अपना हवस मिटाई. बच्ची की हालत इतनी खराब है कि वो अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है.  

एक बाप अपनी ही बच्ची का रेप क्यों करता है?

बच्चियों से रेप करने के मामलों में अक्सर कुछ बातें बहुत कॉमन होती हैं.

- शराब इसमें सबसे प्रमुख होती है क्योंकि इसके नशे में इंसान हैवान बन जाता है. उसकी सोचने, समझने की शक्ति छिन जाती है.

- एक कारण पारिवारिक कलह भी होता है, और इस मामले में तो ये दोनों...

रेप से ज्यादा घिनौना शायद कुछ और नहीं. लेकिन ये तब और भी ज्यादा क्रूर लगता है जब किसी मासूम के साथ हो. अफसोस है कि हम उस समाज का हिस्सा हैं जहां एक बाप अपनी ही 3 साल की बच्ची का रेप कर देता है.

पत्नी को सबक सिखाने के लिए बच्ची का रेप

गुड़गांव की इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उसके रौंगटे खड़े हो गए, लेकिन उस बाप के हाथ-पैर नहीं कांपे जिसने अपनी छोटी सी बच्ची का बलात्कार सिर्फ इसलिए कर दिया क्योंकि वो पत्नी को सबक सिखाना चाहता था. आरोपी और उसकी पत्नी के दो बच्चियां हैं एक 3 साल की और एक 1 साल की. पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ, शराब का नशा और उसपर मर्दानगी का भूत, पति ने पत्नी को खूब पीटा, अपनी जान बचाने के लिए पत्नी छोटी बेटी को लेकर पास ही में रहने वाली अपनी बुआ के घर चली गई, लेकिन बड़ी बेटी सो रही थी इसलिए उसे वहीं छोड़ दिया.

पत्नी को सबक सिखाने के लिए 3 साल की बच्ची का रेप

पति गुस्से और नशे में इतना पागल था कि सिर्फ पिटाई करके उसका मन नहीं भरा. उसे पत्नी को सबक सिखाना था, और सबक सिखाने का मर्दों को सिर्फ एक ही तरीका आता है कि बलात्कार कर दो. पत्नी वहां होती तो शायद उसका बलात्कार होता, लेकिन वो नहीं थी तो उसकी बच्ची ही सही. उस दरिंदे ने अपनी 3 साल की बच्ची के साथ अपना हवस मिटाई. बच्ची की हालत इतनी खराब है कि वो अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है.  

एक बाप अपनी ही बच्ची का रेप क्यों करता है?

बच्चियों से रेप करने के मामलों में अक्सर कुछ बातें बहुत कॉमन होती हैं.

- शराब इसमें सबसे प्रमुख होती है क्योंकि इसके नशे में इंसान हैवान बन जाता है. उसकी सोचने, समझने की शक्ति छिन जाती है.

- एक कारण पारिवारिक कलह भी होता है, और इस मामले में तो ये दोनों ही वजह थीं.

- एक और वजह जो कुछ लोगों के दिमागों में बसी होती है, वो ये कि कुछ लोग अपने बेटियों को अपनी पत्नी की तरह ही अपनी जागीर समझते हैं. जिसके साथ कुछ भी किया जा सकता है, रेप भी.

- कई बार कारण ये भी होता है कि रेप करने वाला खुद भी बचपन में यौन शोषण या शारीरिक शोषण का शिकार हुआ होता है, इसलिए भी उन्हें बच्चों के साथ रेप करने में जरा भी अजीब नहीं लगता, क्यों खुद पर हुए ऐसे व्यवहार के कारण ये लोग बेहद असंवेदनशील और क्रूर बन जाते हैं.

- कई मामलों में रेप का मतलब सेक्स नहीं होता. रेप का आशय 'शक्ति' से होता है. इसे ऐसा भी कह सकते हैं कि पीड़िता गलत समय पर गलत जगह पर थी, इसलिए रेप हुआ. क्योंकि रेप करने वाला बेतहाशा गुस्से में होता है जिसकी वजह से वो ऐसा करता है.

कितनी अजीब बात है कि बच्चियों के साथ हुए अधिकतर रेप उनके अपने ही घर पर होते हैं. वो जगह जिसे बच्चियों के लिए सबसे सुरक्षित कहा जाता है और करने वाले थे वो, जिन्हें रक्षक कहा जाता है. ऐसे लोगों को पिता होने का कोई अधिकार ही नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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