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किसे भरोसा होगा इनके बलात्कारी होने पर?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 20 सितम्बर, 2018 07:45 PM
  • 20 सितम्बर, 2018 07:45 PM
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पटना से एक खबर आ रही है, जिसमें प्रिंसिपल और क्लर्क ने एक बच्ची के साथ रेप किया है. हाल ही में रेवाड़ी गैंगरेप में एक फौजी रेप में शामिल था और अप प्रिंसिपल के शामिल होने की घटना सामने आ रही है.

वो मासूम तो स्कूल में पढ़ने के लिए जाती थी. मन एक कोरे कागज की तरह साफ था, शायद इसीलिए अपने आस-पास के भेड़ियों को नहीं पहचान सकी और हैवानियत का शिकार हो गई. 5वीं में पढ़ने वाली एक मासूम बच्ची के साथ एक-दो नहीं, पूरे 9 महीने तक रेप किया गया. ये मामला पटना का है, जहां एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल और क्लर्क ने बच्ची का बलात्कार किया. जब सही गलत का पाठ पढ़ाने वाला गुरु ही बलात्कारी बन जाए, तो बेटी ना पढ़ पाएगी, ना कभी आगे बढ़ पाएगी. यहां तो सिर्फ गुरु पर उंगली उठी है, लेकिन ऐसे कई मामले हैं, जिनमें चाचा, मामा या अन्य कोई रिश्तेदार, ट्रेनर, टीचर और यहां तक कि धर्म गुरु ने भी बलात्कार जैसा घिनौना काम किया.

पटना के एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल और क्लर्क ने बच्ची से रेप किया है.

बच्ची के गर्भवती होने पर प्रिंसिपल का राज खुला

बिहार के पटना में एक निजी स्कूल में 5वीं में पढ़ने वाली बच्ची के साथ रेप किया गया है. 11 साल की इस बच्ची के साथ स्कूल के प्रिंसिपल और एक क्लर्क ने 9 महीनों तक रेप किया. शायद ये सिलसिला आगे भी चलता रहता, अगर बच्ची के घरवालों को पता नहीं चलता. दरअसल, बच्ची के शरीर में कुछ बदलाव दिखने लगे, उल्टी और पेटदर्द की शिकायत हुई. जब जांच कराई तो पता चला कि बच्ची दो महीने की गर्भवती है. मामला पुलिस में दर्ज कराया गया. जब आरोपी प्रिंसिपल और क्लर्क का मोबाइल फोन खंगाला गया तो उसमें दोनों की बच्ची के साथ बहुत सारी तस्वीरें और सेल्फी मिली. देखते हैं इस मामले की जांच कब तक पूरी होती है और ये दोनों फांसी के तख्ते पर पहुंचते हैं या नहीं.

बेटियों के लिए नरक बनता जा रहा समाज

अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो 2016 में रेप के मामले 82 फीसदी बढ़ गए. 2015 में 10,854 रेप के केस दर्ज हुए थे, जबकि...

वो मासूम तो स्कूल में पढ़ने के लिए जाती थी. मन एक कोरे कागज की तरह साफ था, शायद इसीलिए अपने आस-पास के भेड़ियों को नहीं पहचान सकी और हैवानियत का शिकार हो गई. 5वीं में पढ़ने वाली एक मासूम बच्ची के साथ एक-दो नहीं, पूरे 9 महीने तक रेप किया गया. ये मामला पटना का है, जहां एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल और क्लर्क ने बच्ची का बलात्कार किया. जब सही गलत का पाठ पढ़ाने वाला गुरु ही बलात्कारी बन जाए, तो बेटी ना पढ़ पाएगी, ना कभी आगे बढ़ पाएगी. यहां तो सिर्फ गुरु पर उंगली उठी है, लेकिन ऐसे कई मामले हैं, जिनमें चाचा, मामा या अन्य कोई रिश्तेदार, ट्रेनर, टीचर और यहां तक कि धर्म गुरु ने भी बलात्कार जैसा घिनौना काम किया.

पटना के एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल और क्लर्क ने बच्ची से रेप किया है.

बच्ची के गर्भवती होने पर प्रिंसिपल का राज खुला

बिहार के पटना में एक निजी स्कूल में 5वीं में पढ़ने वाली बच्ची के साथ रेप किया गया है. 11 साल की इस बच्ची के साथ स्कूल के प्रिंसिपल और एक क्लर्क ने 9 महीनों तक रेप किया. शायद ये सिलसिला आगे भी चलता रहता, अगर बच्ची के घरवालों को पता नहीं चलता. दरअसल, बच्ची के शरीर में कुछ बदलाव दिखने लगे, उल्टी और पेटदर्द की शिकायत हुई. जब जांच कराई तो पता चला कि बच्ची दो महीने की गर्भवती है. मामला पुलिस में दर्ज कराया गया. जब आरोपी प्रिंसिपल और क्लर्क का मोबाइल फोन खंगाला गया तो उसमें दोनों की बच्ची के साथ बहुत सारी तस्वीरें और सेल्फी मिली. देखते हैं इस मामले की जांच कब तक पूरी होती है और ये दोनों फांसी के तख्ते पर पहुंचते हैं या नहीं.

बेटियों के लिए नरक बनता जा रहा समाज

अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो 2016 में रेप के मामले 82 फीसदी बढ़ गए. 2015 में 10,854 रेप के केस दर्ज हुए थे, जबकि 2016 में 19,765 मामले सामने आए. एनसीआरबी के अनुसार 2016 में पूरे देश में बच्चों के खिलाफ कुल 1,06,958 अपराध के मामले सामने आए. बच्चे से रेप के मामले में मध्य प्रदेश सबसे ऊपर है, जिसके बाद महाराष्ट्र, यूपी, ओडिशा और तमिलनाडु आते हैं. अगर सिर्फ बिहार की बात करें तो 2012-2016 के बीच बिहार में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध करीब 36 फीसदी बढ़ गए. सिर्फ 2016 में ही 3,932 मामले सामने आए, जबकि 2015 में ये आंकड़ा 1917 था. बचपन बचाओ आंदोलन कार्यक्रम के डायरेक्टर संपूर्ण बेहुरा ने कहा कि 20 सालों में पूरे देश में करीब 87,000 बच्चों को बचाया गया, जिनमें से 76,000 बच्चे बिहार के थे.

अपने ही लूट लेते हैं आबरू !

बच्चियों को हर मां-बाप ये सिखाते हैं कि अनजान लोगों से दूर रहें, उनसे बात ना करें, उनके साथ कहीं ना जाएं, लेकिन पहचान वालों का क्या? 2015 के एनसीआरबी डेटा के अनुसार रेप करने वालों में करीब 95 फीसदी पहचान वाले ही पाए गए हैं. जैसे 27 फीसदी मामलों में पड़ोसी ने रेप किया, 22 फीसदी मामलों में शादी का झांसा देकर रेप हुआ और 9 फीसदी मामलों में परिवार के किसी सदस्य या किसी रिश्तेदार ने रेप किया. आंकड़ों के अनुसार बिहार में 1041 रेप के मामले सामने आए. यहां एक बात ध्यान देने की है कि बहुत से मामलों में घर की इज्जत के बारे में सोचकर उन्हें दबा दिया जाता है, अगर सभी मामले दर्ज हों, तो ये आंकड़े भयावह हो सकते हैं.

इनके बलात्कारी होने की बात सुनकर चौंक गए थे लोग

जिस तरह पटना में एक प्रिंसिपल द्वारा बच्ची के रेप की खबर सुनकर लोग हैरान रह गए हैं, वैसे ही कई मामले हो चुके हैं. चलिए जानते हैं इनके बारे में.

- हाल ही में हरियाणा के रेवाड़ी में एक लड़की का गैंगरेप हुआ. इस मामले में एक फौजी भी शामिल है. किसी ने सोचा नहीं था कि देश की रक्षा करने वाला शख्स बेटियों के लिए हैवान साबित होगा.

- कुछ दिन पहले ही केरल के एक चर्च में पादरी ने नन के साथ रेप किया. पीड़ित नन का आरोप है कि बिशप ने 2014 से 2016 के बीच 13 बार रेप किया. कोई धर्मगुरू ऐसी घिनौनी हरकत करे तो हैरानी तो होगी ही और गुस्सा भी आएगा.

- दिल्ली पुलिस के एक असिस्टेंट कमिश्नर पर एक महिला से बलात्कार का आरोप लगा है. अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कौन सुरक्षित बचेगा भला?

- कुछ समय पहले ही मध्य प्रदेश के सतना में महज 4 साल की एक बच्ची से स्कूल टीचर ने रेप किया था. उसे तो उसके किए की सजा मिल भी गई है. कोर्ट ने दोषी महेंद्र सिंह गौड़ को फांसी की सजा सुनाई है.

बिटिया को बचाएं भी तो कैसे?

राह चलते मनचलों और गुंडे-बदमाशों से तो अपने बच्चों की हिफाजत की जा सकती है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर उन लोगों से बच्चों के कैसे बचाएं, जिन पर रेपिस्ट होने का शक भी नहीं होता. हर बच्ची को शिक्षा का अधिकार है, इसलिए उसे स्कूल भेजा जाता है, लेकिन अगर गुरु ही हैवानियत पर उतर आए तो क्या करें? बच्ची के चाचा-मामा ने तो उसे अपनी गोद में खिलाया है, आखिर कैसे कोई सोचेगा कि वो बच्ची का रेप भी कर सकते हैं? जिस पिता ने जन्म दिया, अगर वही रेप करने पर उतारू हो जाए, तो इससे शर्मनाक बात और क्या होगी?

पैदा होने के बाद से ही बेटी का जीवन कांटों भरा हो जाता है, क्योंकि ये समाज एक जंगल जैसा है, जहां हर ओर भूखे भेड़िये घूम रहे हैं. ये सिर्फ घरों से बाहर नहीं, बल्कि अंदर भी हैं. शिक्षा का मंदिर भी इनसे अछूता नहीं रहा है. ये क्रिमिनल नहीं हैं, जिन पर हर वक्त पुलिस नजर रखे. इनमें से अधिकतर के कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं होते हैं. लेकिन बावजूद इसके ये क्राइम कर देते हैं और जब तक पता चलता है, बहुत देर हो चुकी होती है. बेटी को इन हैवानों से बचाने की हर कोशिश नाकाम होती दिख रही है. जब तक दिमाग की गंदगी साफ नहीं होगी, तब तक बेटियां सेफ नहीं होंगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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