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नवाज पाकिस्तान का इतिहास जानते हैं, तूफान से कश्ती निकलना भी उन्हें खूब आता है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 14 अप्रिल, 2018 03:03 PM
  • 14 अप्रिल, 2018 03:03 PM
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पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के नवाज शरीफ पर आए फैसले से दुनिया जहां हैरत में हो मगर इससे नवाज को कोई खास फर्क नहीं पड़ता. ऐसा इसलिए क्योंकि नवाज जानते हैं उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य बचाने के लिए क्या करना है.

पाकिस्तान का शुमार विश्व के उन चुनिन्दा देशों में है जिसने कई मौकों पर ऐसा बहुत कुछ किया है जिससे बाकी दुनिया के लोग हैरत में पड़ गए हैं. ताजा मामला प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का है. पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने अपने आप में एक बेहद अनूठा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले के तहत पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को ज़िन्दगी भर के लिए सार्वजनिक पद के अयोग्य ठहरा दिया है. यानी अगर कोर्ट की बात पर यकीन किया जाए तो अब आने वाले वाले वक़्त में हम नवाज शरीफ को बतौर नेता नहीं देख पाएंगे. माना जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान की सियासत में ऐसा बहुत कुछ देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो.

पाकिस्तान में कोर्ट ने जो नवाज के साथ किया वो कई मायनों में हैरत में डालने वाला है

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने संविधान की धारा 62 (1)(एफ) के हवाले से तर्क दिया है कि और कहा है कि अगर किसी शख्स को इस धारा के तहत अयोग्य करार दिया गया है तो वह शख्स आजीवन ही अयोग्य रहेगा. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के अपनी तरह के बेहद अलग इस निर्णय के बाद भविष्य में नवाज शरीफ कभी भी किसी सार्वजनिक पद पर काबिज नहीं हो पाएंगे. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि अब वो वक़्त आ गया है जब पाकिस्तान में जनता को अच्छे चरित्र वाले नेताओं की जरूरत है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान  में अलग-अलग मौकों पर तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को कोर्ट ने जुलाई 2017 में भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत दोषी ठहराया था, जिसके बाद नवाज ने अपना पड़ छोड़ दिया था. ये फैसला यदि विश्व के और किसी हिस्से में होता तो बात साधारण थी मगर जब यहां पाकिस्तान जुड़ा है तो संशय होना लाजमी है. ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में...

पाकिस्तान का शुमार विश्व के उन चुनिन्दा देशों में है जिसने कई मौकों पर ऐसा बहुत कुछ किया है जिससे बाकी दुनिया के लोग हैरत में पड़ गए हैं. ताजा मामला प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का है. पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने अपने आप में एक बेहद अनूठा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. इस फैसले के तहत पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को ज़िन्दगी भर के लिए सार्वजनिक पद के अयोग्य ठहरा दिया है. यानी अगर कोर्ट की बात पर यकीन किया जाए तो अब आने वाले वाले वक़्त में हम नवाज शरीफ को बतौर नेता नहीं देख पाएंगे. माना जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान की सियासत में ऐसा बहुत कुछ देखने को मिलेगा जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो.

पाकिस्तान में कोर्ट ने जो नवाज के साथ किया वो कई मायनों में हैरत में डालने वाला है

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने संविधान की धारा 62 (1)(एफ) के हवाले से तर्क दिया है कि और कहा है कि अगर किसी शख्स को इस धारा के तहत अयोग्य करार दिया गया है तो वह शख्स आजीवन ही अयोग्य रहेगा. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के अपनी तरह के बेहद अलग इस निर्णय के बाद भविष्य में नवाज शरीफ कभी भी किसी सार्वजनिक पद पर काबिज नहीं हो पाएंगे. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया कि अब वो वक़्त आ गया है जब पाकिस्तान में जनता को अच्छे चरित्र वाले नेताओं की जरूरत है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान  में अलग-अलग मौकों पर तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को कोर्ट ने जुलाई 2017 में भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत दोषी ठहराया था, जिसके बाद नवाज ने अपना पड़ छोड़ दिया था. ये फैसला यदि विश्व के और किसी हिस्से में होता तो बात साधारण थी मगर जब यहां पाकिस्तान जुड़ा है तो संशय होना लाजमी है. ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का माहौल है उसके बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि वहां कोर्ट-कचहरी, थाना-पुलिस तराजू के एक पलड़े में है और एक नेता और उसकी नेतागिरी तराजू के दूसरे पलड़े में. जो पाकिस्तान के हाल हैं उसके बाद ये कहना शायद गलत नहीं है कि वहां एक नेता से उसकी नेतागिरी केवल उसकी मौत ही छीन सकती है.

ध्यान रहे कि आज नवाज सत्ता से बाहर हैं मगर कल जब दोबारा उनकी सरकार आएगी तो वो कोई न कोई गणित लगाकर संविधान/ कानून में कुछ तकनीकी बदलाव करा लेंगे जिसके बाद उनकी राजनीति बदस्तूर जारी रहेगी.

जैसा पाकिस्तान का इतिहास है कह सकते हैं नवाज फिर धमाकेदार वापसी करेंगे

इस बात को पढ़कर विचलित होने की जरूरत नहीं है. ये एक ऐसा सत्य है जिसे पाकिस्तान के सन्दर्भ में नाकारा नहीं जा सकता. यदि इतिहास उठाकर देखें तो मिलता है कि आसिफ अली जरदारी से लेकर परवेज़ मुशर्रफ तक और परवेज़ मुशर्रफ से लेकर नवाज शरीफ तक पाकिस्तान जैसे जटिल देश की सियासत में कई ऐसे मौके आए हैं. जब इन नेताओं को देखकर लगा कि इनकी सियासत का अंत हो गया है मगर गर्त के अंधेरों में जा चुके इन नेताओं ने जब वापसी की तो वो इतनी धमाकेदार वापसी थी कि लम्बे समय तक इन नेताओं ने पाकिस्तान पर राज किया.

पूर्व में मुशर्रफ को भी देखने पर लगा था कि उनका राजनीतिक भविष्य खत्म हो गया है

परवेज मुशर्रफ

बात 1999 की है नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे. नवाज ने जनरल परवेज मुशर्रफ को हटाने की कोशिश की तो सत्ता का संघर्ष छिड़ गया. मुशर्रफ जहाज में थे और उनके जहाज को उतरने नहीं दिया गया. एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने मुशर्रफ के हवाई जहाज को उतरने की इजाजत देने से इनकार कर दिया. इसे पहले ओमान और फिर भारत डायवर्ट किया गया. बाद में मुशर्रफ के वफादार सैनिकों ने क्या किया उसका इतिहास गवाह है. नवाज को अपना देश छोड़ना पड़ा और मुशर्रफ पाकिस्तान के हाकिम के तौर पर वहां की जनता के सामने थे. इस पूरे प्रकरण को देखें तो एक बार लगेगा कि शायद वो रात मुशर्रफ के लिए आखिर रात थी.

आसिफ अली ज़रदारी

आसिफ अली जरदारी कैसे पाकिस्तान की सत्ता में आए ये बात जहां आज भी एक तरफ बड़ा रहस्य है तो वहीं पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने आरोप लगाया है कि आसिफ अली जरदारी बेनजीर भुट्टो और मुर्तजा भुट्टो की हत्या में शामिल रहे हैं. तब मुशर्रफ ने कहा था बेनजीर भुट्टो की हत्या का सबसे ज्यादा फायदा बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी को हुआ.

अब बेनजीर की मौत का कितना फायदा ज़रदारी ने उठाया इसका वो खुद जानें मगर बेनजीर की मौत के वक़्त जो उनकी हालत ही उसको देखकर कोई भी कह सकता था कि जरदारी जयादा दिन पाकिस्तान की सियासत में टिकने वाले नहीं हैं. मगर इन बातों के बीच जिस तरह जरदारी ने पाकिस्तान की राजनीति में कमबैक किया वो अपने आप में हैरत में डालने वाला था.

बहरहाल, हम बात नवाज शरीफ की कर रहे थे. आज भले ही अदालत के फैसले से नवाज आहत हों मगर जो उनका और पाकिस्तानी सियासत का इतिहास है उसको ध्यान से देखने पर कहीं से  भी ये कहना गलत न होगा कि आने वाले वक़्त में  नवाज कमबैक करेंगे और अपने मुल्क के अलावा दुनिया भर के लोगों को हैरत में डालेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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