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दीपक हुडा के इस शॉट पर सल्तनतें भी दान कर दी जाए तो बहुत कम है!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 05 सितम्बर, 2022 06:30 PM
  • 05 सितम्बर, 2022 03:29 PM
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पाकिस्तानी तेज गेंदबाज हसनैन पर दीपक हुडा का यह शॉट तेज गेंदबाजों के सबसे खतरनाक हथियार के बौना हो जाने की मुनादी है. यह एक असंभव शॉट है.

एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के दूसरे टी 20 मुकाबले में दीपक हुडा ने मुहम्मद हसनैन की शार्ट बॉल जो करीब करीब बाउंसर थी, जिस तरह का हैरान करने वाला शॉट खेला वह आने वाले वक्त में तेज गेंदबाजों के सबसे खौफनाक हथियार को भोथरा कर सकता है.

जबकि बाउंसर और यॉर्कर लंबे वक्त से तेज गेंदबाजों का एक ऐसा भयावह हथियार रहा है कि इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों के पास भी उसकी काट नहीं नजर आती थी. सिवाय सम्मान में सिर झुकाकर गेंदों को खुद से अलग करने के. जिन्होंने अड़ने ई हिम्मत दिखाई, यातो विकेट गंवाना पड़ा या जख्मी होकर मैदान से बाहर गए. इसी हथियार के बूते वेस्टइंडीज के 'खूनी गेंदबाजों' ने लंबे वक्त क्रिकेट में तहलका मचाए रखा. कोई तोड़ नहीं मिलने और गेंदबाजों के दबदबे की वजह से बाद में एकदिवसीय मैचों के लिए बल्लेबाजों के पक्ष में नियम बदलने पड़े. एक बाउंसर डालने का नियम आया. इसमें कोई शक नहीं कि लंबे वक्त तक पाकिस्तान क्रिकेट की सबसे बड़ी ताकत उसकी फास्ट बॉलिंग स्क्वाड ही रही है.

इमरान खान से शोएब अख्तर तक पाकिस्तान ने ऐसे आला दर्जे के गेंदबाज दिए हैं जिनकी गेंदों को खेलना किसी भी धुरंधर बैटर के लिए नाको चने चबाने से कम नहीं था. वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे गेंदबाज तो फास्ट स्विंग गेंदों से कहर ढाते थे. बेहतरीन कौशल रखने वाले बल्लेबाज इन्हें झेल भी लेते थे मगर जब शोएब अख्तर के रूप में स्पीड का देवता मैदान पर उतरा तो उसके जलजले में अच्छे अच्छे बल्लेबाजों के भी पैर उखड़ गए. कारगिल जंग में भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने का जिगरा रखने वाले शोएब अख्तर मैदान में भारत के खिलाफ एक अलग ही जोश में नजर आते थे. भारत के खिलाफ उनका प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा है. उन्होंने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को कई बार निराश किया. यहां तक कि द वॉल के रूप में मशहूर राहुल द्रविड़ की पुख्ता सुरक्षा दीवार में भी ना जाने कितनी मर्तबा दरार खोजने में कामयाब रहे.

एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के दूसरे टी 20 मुकाबले में दीपक हुडा ने मुहम्मद हसनैन की शार्ट बॉल जो करीब करीब बाउंसर थी, जिस तरह का हैरान करने वाला शॉट खेला वह आने वाले वक्त में तेज गेंदबाजों के सबसे खौफनाक हथियार को भोथरा कर सकता है.

जबकि बाउंसर और यॉर्कर लंबे वक्त से तेज गेंदबाजों का एक ऐसा भयावह हथियार रहा है कि इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों के पास भी उसकी काट नहीं नजर आती थी. सिवाय सम्मान में सिर झुकाकर गेंदों को खुद से अलग करने के. जिन्होंने अड़ने ई हिम्मत दिखाई, यातो विकेट गंवाना पड़ा या जख्मी होकर मैदान से बाहर गए. इसी हथियार के बूते वेस्टइंडीज के 'खूनी गेंदबाजों' ने लंबे वक्त क्रिकेट में तहलका मचाए रखा. कोई तोड़ नहीं मिलने और गेंदबाजों के दबदबे की वजह से बाद में एकदिवसीय मैचों के लिए बल्लेबाजों के पक्ष में नियम बदलने पड़े. एक बाउंसर डालने का नियम आया. इसमें कोई शक नहीं कि लंबे वक्त तक पाकिस्तान क्रिकेट की सबसे बड़ी ताकत उसकी फास्ट बॉलिंग स्क्वाड ही रही है.

इमरान खान से शोएब अख्तर तक पाकिस्तान ने ऐसे आला दर्जे के गेंदबाज दिए हैं जिनकी गेंदों को खेलना किसी भी धुरंधर बैटर के लिए नाको चने चबाने से कम नहीं था. वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे गेंदबाज तो फास्ट स्विंग गेंदों से कहर ढाते थे. बेहतरीन कौशल रखने वाले बल्लेबाज इन्हें झेल भी लेते थे मगर जब शोएब अख्तर के रूप में स्पीड का देवता मैदान पर उतरा तो उसके जलजले में अच्छे अच्छे बल्लेबाजों के भी पैर उखड़ गए. कारगिल जंग में भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने का जिगरा रखने वाले शोएब अख्तर मैदान में भारत के खिलाफ एक अलग ही जोश में नजर आते थे. भारत के खिलाफ उनका प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा है. उन्होंने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को कई बार निराश किया. यहां तक कि द वॉल के रूप में मशहूर राहुल द्रविड़ की पुख्ता सुरक्षा दीवार में भी ना जाने कितनी मर्तबा दरार खोजने में कामयाब रहे.

दीपक हुडा का जादुई शॉट. फोटो- ट्विटर और डिजनी प्लस हॉट स्टार से साभार.

शोएब के नाम दुनिया की सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि जब स्पीड का देवता भारतीय बल्लेबाजों को बाउंसर डालता होगा, उनके दिल पर क्या गुजर रहा होगा? कभी देखना हो तो यूट्यूब पर ऑफ़ साइड के भगवान कहे जाने वाले अख्तर की गेंदों का सामना करते सौरव गांगुली को देख लीजिए. ज्यादातर मौकों पर वे लाचार, हताश और विवश नजर आते हैं. 150 किमी की रफ़्तार से बिल्कुल कान के पास से गुजरने वाली बाउंसर्स. शार्ट गेंदों का वैसे भी कोई तोड़ नहीं होता? लेकिन इस सिरदर्द का इलाज सेंचुरियन पार्क में सचिन ने ही खोजा और मैच था- साल 2003 के विश्वकप का.

273 रन के मुश्किल लक्ष्य का सामना करने उतरी भारतीय टीम के सामने वसीम अकरम, शोएब अख्तर और शोएब अख्तर की खतरनाक तिकड़ी थी. उस मैच में सचिन पहली ही गेंद से मूड में थे. अकरम के पहले ओवर में 9 रन आए. दूसरा ओवर शोएब लेकर आए. उन्होंने ने तीन तूफानी गेंदे डाली. चौथी गेंद पर सचिन सामने थे और उन्होंने इस बार तेज बाउंसर पटका, इस ऑफ़ साइड बाउंसर कह सकते हैं. सचिन ने गर्दन लगभग 55 डिग्री पर पीछे लटकते हुए हुए एक एंगल बनाया. शरीर के वजन को दोनों पंजों पर शिफ्ट किया, बैट ऊपर लहराया और गेंद की स्पीड का पूरा इस्तेमाल करते हुए गली के ऊपर जोरदार पंच जड़ा.

अख्तर को गेंद पर ऐसे शॉट की उम्मीद बिल्कुल नहीं रही होगी. यह बहुत लंबा छक्का था जो सीधे थर्डमैन स्टैंड में जाकर गिरा. उस एक मुश्किल शॉट ने पूरे मैच में अख्तर समेत पाकिस्तानी गेंदबाजों का मनोबल ढहा दिया. तब अख्तर के ओवर में भारत ने 18 रन कूटे थे. स्ट्राइकर गेंदबाज पिटने के बाद मोर्चे पर वकार यूनिस को लगाया गया. उन्होंने भी चौथे ओवर में एक खतरनाक बाउंसर डाला. यह अख्तर से बेहतर ही कही जाएगी जो बल्लेबाज के शरीर से करीब तो थी ही उसकी उंचाई अख्तर के मुकाबले कम थी. बावजूद सहवाग ने लगभग सचिन के अंदाज को कॉपी किया और कवर के ऊपर से जोरदार छक्का जड़ दिया. अब जब तेज गेंदबाजों के 'ब्रह्मास्त्र' पर ही छक्के पड़ने लगे तो उसके पास डालने को कौन सी गेंद बचती हैं. भारत ने वह मैच आसानी से जीता था. बात में तो दुनियाभर के बल्लेबाजों ने ऐसे शॉट्स के जरिए ना जाने कितनी बार तेज गेंदबाजों के बाउंसर को पॉइंट, गली, और थर्डमैन के ऊपर से छक्का मारा.

जिस शॉट का जिक्र हुआ है उसे यहां नीचे देख सकते हैं:-

उस मैच के लगभग 19 साल बाद पाकिस्तान के खिलाफ ही दीपक हुडा ने भी एक ऐसा ही मुश्किल शॉट मारा है जो टी20 और एकदिवसीय फ़ॉर्मेट में शार्ट और बाउंसर को भोथरा बना सकता है. हुडा का शॉट सचिन और सहवाग के शॉट से रत्तीभर भी कम नहीं. यह लगभग नामुमकीन शॉट है. हर कोई उनके शॉट की तारीफ़ यूं ही नहीं कर रहा. पाकिस्तान के साथ भिड़ंत में टीम इंडिया को बिल्कुल आख़िरी ओवर में मैच गंवाना पड़ा. मगर उससे पहले मैच की सबसे ख़ूबसूरत चीज हुडा का 18वें ओवर में असंभव शॉट ही है जो उन्होंने पाकिस्तानी पेसर हसनैन की गेंद पर मारा. यह असंभव शॉट इसलिए भी था क्योंकि बिल्कुल शरीर को निशाना बनाकर फेंकी गई गेंद पर सिंगल निकालना भी असम्भव था. चौके छक्के तो दूर की बात हैं.

लोअर ऑर्डर में बैटिंग करने उतारे हुडा ने असंभव को भी संभव कर डाला. हसनैन ने 18वें ओवर की तीसरी गेंद बिल्कुल परफेक्ट डाली थी. अच्छा ख़ासा पेस भी था उसमें. बावजूद हुडा की नजरें हसनैन के हाथ से गेंद छूटने के बाद बनी रही. बिल्कुल आख़िरी वक्त तक गेंद का पीछा किया. उसे अपने शरीर के पास पहुंचने दिया. इस दौरान उन्होंने बाए पंजे पर शरीर का पूरा भार डाला और दाए पैर से बाकी संतुलन बनाने की कोशिश की. कमर के ऊपर के हिस्से को पीछे की तरफ धकेला. हुडा के कमर के बाद का हिस्सा लगभग 180 डिग्री पर था. निगाहें ऊपर. जब गेंद बिल्कुल उनके ऊपर पहुंची उन्होंने पेस के साथ हल्का सा नियंत्रित पंच किया. पंच लगाने के बाद हुडा जमीन पर गिर गए. लेकिन विकेट से काफी दूर खड़े होने के बावजूद विकेटकीपर की पहुंच से बाहर थी. गेंद लगभग 360 डिग्री पर बाउंड्री लाइन के पार जा चुकी थी.

हुडा का शॉट यहां नीचे देख सकते हैं:-

सबकुछ इतना अद्भुत था कि इसे नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े विराट कोहली के चेहरे के भाव से समझा जा सकता है. वो अवाक थे. मैदान और स्टेडियम में मौजूद हर कोई हैरान था. जिसने भी हुडा के करतब को देखा उसकी आंखें फटी रह गई. यह क्रिकेट का सबसे मुश्किल शॉट था. वैसे भी किसी गेंदबाज खासकर पेसर को उसके सिर के ऊपर से स्ट्रेट खेलना भी आसान नहीं होता. मगर हुडा ने जो किया वह दुर्लभ ही है. कमेंटेटर्स ने बताया कि हुडा इस तरह के शॉट को खोजते दिखे हैं. हालांकि मैंने उन्हें ऐसा करते नहीं देखा. लगभग 180 डिग्री का कोण बनाकर 360 डिग्री पर शॉट देखना सबसे हैरान करने वाला अनुभव है. और शायद यही वजह है कि मैच में भारत की हार से कहीं ज्यादा हुडा के शॉट की चर्चा है. बावजूद कि हुडा ने अपनी इनिंग में 14 गेंदों पर दो चौकों की मदद से सिर्फ 16 रन बनाए. उन्होंने दिल जीत लिया. इस शॉट पर एक हार क्या सल्तनतें कुर्बान कर दी जाए तो वह भी कम है.

अगर यह शॉट बल्लेबाजों की प्रैक्टिस में आ गया तो 'बाउंसर' दुर्लभ हो जाएंगे. या फिर ऐसे बाउंसर डालने से पहले एक थर्डमैन को ठीक विकेट कीपर के पीछे लगाना होगा.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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