• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

निखिल को बना दिया लव जिहाद का पहला मेल विक्टिम, सिर्फ नुसरत जहां दोषी!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 10 जून, 2021 04:32 PM
  • 10 जून, 2021 04:32 PM
offline
बांग्ला लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी मौजूदा हालत के मद्देनजर दोनों को अलग हो जाने की सलाह दी मगर सांसद की प्रेग्नेंसी, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर उन्होंने बातों की जलेबी बनाई जिसका साउंड नुसरत के निजी जिंदगी में झाकने की कोशिश नजर आती है.

कुछ हुआ नहीं कि सोशल मीडिया पर उसे लेकर बहस करने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इसी तरह की बहस के केंद्र में इन दिनों तृणमूल कांग्रेस की सांसद और बांग्ला अभिनेत्री नुसरत हैं. पति के साथ सांसद की अनबन चल रही है. बिना बताए बैंक से पैसे-गहने निकालने का आरोप लगाते हुए नुसरत ने खुद ही अपनी शादी को अवैध बताया है. ट्विटर पर लोगों के लिए ये एक मसालेदार खबर है. उनको लेकर सोशल मीडिया पर हिंदू-मुस्लिम एंगल पहले से ही था. पिछली बार इस्लामिक कट्टरपंथी हमला कर रहे थे और इस बार कभी बचाव करने वाले लोग ही निशाना साध रहे हैं, एक्ट्रेस को जिहादी बताने पर तुले हुए हैं. जो कुछ लोग (महिलाएं भी) नुसरत के समर्थन में दिखे उनकी संख्या बहुत मामूली है.

डंडा लेकर रिश्तों की चौकीदारी करने वालों समाज को कहा ही क्या जाए. अगर दो लोगों की आपस में नहीं बनी तो इसमें तीसरे की दिलचस्पी का विषय क्या हो सकता है? यह ऐसा रहस्य है जो कभी खुलता ही नहीं. अनबन की वजह क्या है, दोनों साथ क्यों नहीं रहना चाहते ये किसी का भी निजी मामला हो सकता है. ऐसे निजी मसलों में तो नैतिकता यही कहती है कि लोगों को बस उतना ही जानना चाहिए जितना संबंधित बताए. मगर इस तरह के विवाद में एक सिरा तय कर लेना और किसी तीसरे का फैसला सुनाना कितना ठीक है?

शादी वैध थी या अवैध (नुसरत ने क़ानून का हवाला देते हुए अवैध ही बताया है), और अगर वैध थी तो नुसरत ने विवाह से पहले जानकारी सार्वजनिक क्यों की, इन पर बहस की हमेशा गुंजाइश है. मगर नुसरत की धार्मिक पहचान के आधार पर अकेले सिर्फ उन्हें गलत साबित कर देना कहां तक जायज है? कहीं ऐसा तो नहीं कि नुसरत के तेवर पुरुष अहम को चोट पहुंचा रहे हैं और उनपर आनेवाली एकमुश्त प्रतिक्रियाएं उसी के असर से हैं. पलटवार. जैसा कि स्त्री पर होने वाले तीखे हमले हमेशा उसके चरित्र हनन तक ही पहुंचते हैं....

कुछ हुआ नहीं कि सोशल मीडिया पर उसे लेकर बहस करने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इसी तरह की बहस के केंद्र में इन दिनों तृणमूल कांग्रेस की सांसद और बांग्ला अभिनेत्री नुसरत हैं. पति के साथ सांसद की अनबन चल रही है. बिना बताए बैंक से पैसे-गहने निकालने का आरोप लगाते हुए नुसरत ने खुद ही अपनी शादी को अवैध बताया है. ट्विटर पर लोगों के लिए ये एक मसालेदार खबर है. उनको लेकर सोशल मीडिया पर हिंदू-मुस्लिम एंगल पहले से ही था. पिछली बार इस्लामिक कट्टरपंथी हमला कर रहे थे और इस बार कभी बचाव करने वाले लोग ही निशाना साध रहे हैं, एक्ट्रेस को जिहादी बताने पर तुले हुए हैं. जो कुछ लोग (महिलाएं भी) नुसरत के समर्थन में दिखे उनकी संख्या बहुत मामूली है.

डंडा लेकर रिश्तों की चौकीदारी करने वालों समाज को कहा ही क्या जाए. अगर दो लोगों की आपस में नहीं बनी तो इसमें तीसरे की दिलचस्पी का विषय क्या हो सकता है? यह ऐसा रहस्य है जो कभी खुलता ही नहीं. अनबन की वजह क्या है, दोनों साथ क्यों नहीं रहना चाहते ये किसी का भी निजी मामला हो सकता है. ऐसे निजी मसलों में तो नैतिकता यही कहती है कि लोगों को बस उतना ही जानना चाहिए जितना संबंधित बताए. मगर इस तरह के विवाद में एक सिरा तय कर लेना और किसी तीसरे का फैसला सुनाना कितना ठीक है?

शादी वैध थी या अवैध (नुसरत ने क़ानून का हवाला देते हुए अवैध ही बताया है), और अगर वैध थी तो नुसरत ने विवाह से पहले जानकारी सार्वजनिक क्यों की, इन पर बहस की हमेशा गुंजाइश है. मगर नुसरत की धार्मिक पहचान के आधार पर अकेले सिर्फ उन्हें गलत साबित कर देना कहां तक जायज है? कहीं ऐसा तो नहीं कि नुसरत के तेवर पुरुष अहम को चोट पहुंचा रहे हैं और उनपर आनेवाली एकमुश्त प्रतिक्रियाएं उसी के असर से हैं. पलटवार. जैसा कि स्त्री पर होने वाले तीखे हमले हमेशा उसके चरित्र हनन तक ही पहुंचते हैं. और चूंकि एक पक्ष का धार्मिक आधार भी बड़ा प्रश्न है, क्या इसी वजह से बड़े पैमाने पर महिलाओं की भाषा भी पुरुषों की जुबान बोल रही है?

सोशल मीडिया पर नुसरत के पक्ष में मुट्ठीभर लोग दिख रहे. स्वाभाविक रूप से महिलाएं ही हैं. गौरी नाम की एक यूजर ने लोगों से सवाल पूछा- "नुसरत जहां पर उंगली उठाने वाले निखिल जैन पर उंगली क्यों नहीं उठाते? हर युग में अग्निपरीक्षा स्त्री ही क्यों दे? हो सकता है निखिल जैन झूठ बोल रहा हो... पुरुष हमेशा सही, स्त्री हमेशा गलत क्यों दिखती है इस तथाकथित पुरुषप्रधान समाज को?"

प्रियांसी ने भी लगभग ऐसा ही सवाल किया- "नुसरत की शादी वैध थी या अवैध, शादी से जुड़ी गलत जानकारी पहले क्यों सार्वजनिक की गई, क्या शादी का राजनीतिक इस्तेमाल हुआ- इन बातों पर बहस कीजिए ठीक है. नुसरत पर इतना जजमेंटल होने का क्या मतलब है भाई. क्या वो महिला है सिर्फ इस वजह से गलत हो गई. पति पर सवाल उठाते हुए अलग हो जाना गलत है क्या? कुछ और यूजर्स ने भी लगभग ऐसे ही प्रतिक्रिया दी है. बांग्ला लेखिका तसलीमा नसरीन ने भी मौजूदा हालत के मद्देनजर दोनों को अलग हो जाने की सलाह दी मगर सांसद की प्रेग्नेंसी, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर उन्होंने बातों की जलेबी बनाई जिसका साउंड नुसरत के निजी जिंदगी में झाकने की कोशिश नजर आती है.

गौरी या प्रियांसी ऐसे गिने चुने लोग नुसरत से जुड़े ट्रेंड में बहुत खोजने पर मिलेंगे. जबकि दूसरे पक्ष में अनगिनत लोग और उनके नाना प्रकार के तर्क हैं. बांग्ला एक्टर की जिंदगी में आए भूचाल पर बहुतायत साम्प्रदायिक, राजनीतिक और अश्लील टिप्पणियां की जा रही हैं. भद्दे-भद्दे जोक बनाए जा रहे. कुछ तो इतने अश्लील हैं कि यहां उन्हें लिखा भी नहीं जा सकता. नुसरत को लेकर लिखा क्या जा रहा है उसकी एक बानगी देखिए-

"नुसरत जहां- निखिल जैन के साथ शादी अवैध है जो भारतीय क़ानून के तहत मान्य नहीं होती. निखिल जैन- मैं हनीट्रैप के बारे में कुछ भी नहीं जानता. शादी से पहले तक मैंने अदरक प्याज भी नहीं खाया था. लॉग बुक- निखिल लव जिहाद का पहला मेल विक्टिम था."

विनीता सिंह ने हैंडल पर नुसरत-निखिल की शादी की फोटो के साथ लिखा- अमीर और सेकुलर लोग लिव इन रिलेशनशिप को कुछ इस तरह जीते हैं. रावी शंकर शर्मा ने लिखा- "टीएमसी की सांसद और जिहादी नुसरत जहां ने निखिल जैन के साथ तुर्की में हुई शादी को ही अमान्य करार दे दिया, और कहा निखिल के साथ सिर्फ लिव_इन रिलेशनशिप था. जिहादी पर भरोसा करके निखिल ने अपने खुद के पांव पर कुल्हाड़ी मारी है. मधु सिंह ने लिखा- शादी को ही नुसरत जहां ने अवैध करार दे दिया तो टर्की में जो हुआ वो क्या था. गोपाल हरि ने लिखा- नुसरत जहां और निखिल जैन की शादी भी क्या प्रशांत किशोर की रणनीति का हिस्सा थी? सेक्युलर वोट प्राप्त करने का साधन? चुनाव खत्म शादी खत्म!!

हैरान करने वाली बात ये है कि स्त्रीवाद का झंडा उठाने वाला तबका भी मसले पर ज्यादा कुछ नहीं बोल रहा. एक प्रश्न दिमाग में आ रहा कि क्या नुसरत की धार्मिक पहचान अलग होती तो भी कम से कम महिलाओं में इतनी चुप्पी रहती?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲