• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

Tribhanga Review: फिल्म के पीछे जो प्यारी सी सोच है उसकी तारीफ होनी चाहिए!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 जनवरी, 2021 01:48 PM
  • 16 जनवरी, 2021 01:48 PM
offline
OTT प्लेटफॉर्म Netflix पर Renuka Shahane की फिल्म Tribhanga रिलेरेज हो गयी है. फिल्म में Kajol और Tanvi Azmi की एक्टिंग मन मोह लेने वाली है. बाकी एक दर्शक के रूप में हमें उस मैसेज को समझना चाहिए जो इस फिल्म के पीछे छुपा है.

Tribhanga Review And Rating : OTT के इस दौर में वो एक सवाल जिसने फैंस को बेकरार कर रखा था वो ये था कि क्या Kajol अपनी परफॉरमेंस से OTT के दरवाजे पर दस्तक देंगी? ये सवाल इसलिए भी जरूरी हो गया था कि नई से लेकर पुरानी तक हम तमाम एक्ट्रेस को OTT पर अपनी एक्टिंग के जौहर दिखाते देख चुके हैं. फैंस को जवाब मिल गया है. OTT प्लेटफॉर्म Netflix पर सुरभि फेम रेणुका शहाणे लिखित और निर्देशित 'Tribhanga' रिलीज हो गयी है. फ़िल्म तीन पीढ़ी की महिलाओं के इर्द गिर्द घूमती है. फ़िल्म में दिखाया गया है कि स्त्रियों को दर्द से गुजरना पड़ता है. वह ठहर जाता है फिर एक से दूसरी के पास पहुंचता है और दर्द के एक पूरी तरह से नए चक्र का निर्माण होता है. त्रिभंग: टेढ़ी मेढ़ी क्रेजी यूं तो तीन पीढ़ियों की मां बेटी की कहानी है मगर इस फ़िल्म के जरिये जो संदेश रेणुका ने देना चाहा वो जहां एक तरफ आपकी आंखों को नम करता है तो वहीं चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान भी लाता है और बताता है कि एक मां और बेटी के रिश्ते में ऐसा क्या खास होता है जो इस रिश्ते को हद से ज्यादा मजबूत करता है.

मां बेटी के रिश्ते की गहराई को समझना है तो काजोल और तन्वी की त्रिभंग ज़रूर देखिये को

त्रिभंग हॉस्पिटल बेड पर लेटी नयनतारा आप्टे (तन्वी आजमी) बॉलीवुड एक्ट्रेस एवं ओडिशी डांसर अनुराधा आप्टे (काजोल) और माशा मेहता (मिथिला पालकर) के रिश्तों, उनकी ट्यूनिंग की कहानी है. कहानी कुछ ऐसी है कि नयनतारा और अनुराधा अपनी शर्तों पर जीवन को जिया है और इसी आजादी की वजह से उनके जीवन में कई मौके ऐसे भी आए हैं जब 'आज़ादी' या कहें कि 'आज़ाद ख्याल' होने ने उन्हें जमाने से बगावत के लिए प्रेरित किया है.

त्रिभंग देखकर ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि त्रिभंग इंसान की विशेषकर महिलाओं की Complex...

Tribhanga Review And Rating : OTT के इस दौर में वो एक सवाल जिसने फैंस को बेकरार कर रखा था वो ये था कि क्या Kajol अपनी परफॉरमेंस से OTT के दरवाजे पर दस्तक देंगी? ये सवाल इसलिए भी जरूरी हो गया था कि नई से लेकर पुरानी तक हम तमाम एक्ट्रेस को OTT पर अपनी एक्टिंग के जौहर दिखाते देख चुके हैं. फैंस को जवाब मिल गया है. OTT प्लेटफॉर्म Netflix पर सुरभि फेम रेणुका शहाणे लिखित और निर्देशित 'Tribhanga' रिलीज हो गयी है. फ़िल्म तीन पीढ़ी की महिलाओं के इर्द गिर्द घूमती है. फ़िल्म में दिखाया गया है कि स्त्रियों को दर्द से गुजरना पड़ता है. वह ठहर जाता है फिर एक से दूसरी के पास पहुंचता है और दर्द के एक पूरी तरह से नए चक्र का निर्माण होता है. त्रिभंग: टेढ़ी मेढ़ी क्रेजी यूं तो तीन पीढ़ियों की मां बेटी की कहानी है मगर इस फ़िल्म के जरिये जो संदेश रेणुका ने देना चाहा वो जहां एक तरफ आपकी आंखों को नम करता है तो वहीं चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान भी लाता है और बताता है कि एक मां और बेटी के रिश्ते में ऐसा क्या खास होता है जो इस रिश्ते को हद से ज्यादा मजबूत करता है.

मां बेटी के रिश्ते की गहराई को समझना है तो काजोल और तन्वी की त्रिभंग ज़रूर देखिये को

त्रिभंग हॉस्पिटल बेड पर लेटी नयनतारा आप्टे (तन्वी आजमी) बॉलीवुड एक्ट्रेस एवं ओडिशी डांसर अनुराधा आप्टे (काजोल) और माशा मेहता (मिथिला पालकर) के रिश्तों, उनकी ट्यूनिंग की कहानी है. कहानी कुछ ऐसी है कि नयनतारा और अनुराधा अपनी शर्तों पर जीवन को जिया है और इसी आजादी की वजह से उनके जीवन में कई मौके ऐसे भी आए हैं जब 'आज़ादी' या कहें कि 'आज़ाद ख्याल' होने ने उन्हें जमाने से बगावत के लिए प्रेरित किया है.

त्रिभंग देखकर ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि त्रिभंग इंसान की विशेषकर महिलाओं की Complex Lifestyle को दर्शाती फ़िल्म है.

क्या है फ़िल्म की कहानी

फ़िल्म में नयनतारा आप्टे का किरदार निभाने वाली तन्वी आजमी एक राइटर हैं जिन्हें उनके लेखन के कारण साहित्य अकादमी समेत तमाम बड़े इनामों से नवाजा गया है वो एक सिंगल मदर हैं जिन्होंने अपनी दो बच्चियों की परवरिश की है और तमाम तरह के दर्द और यातनाओं को झेलते हुए अपना जीवन जिया है. नयन की बेटी अनु यानी काजोल जब बड़ी होती है तो उसका एक रशियन युवक से अफेयर हो जाता है और वो उसके साथ लिव इन में रहने लगती है जहां रहकर वो प्रेग्नेंट हो जाती है.

अनु ने बच्ची को जन्म तो दिया मगर उस रशियन युवक से शादी नहीं की जिससे उसने प्यार किया. विवाह को लेकर अनु की अपनी एक अलग ही सोच है जिस कारण अक्सर ही उसे अपने आस पड़ोस के लोगों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है.

फ़िल्म ये भी प्रदर्शित करती है कि कैसे अपने स्वभाव के कारण दोनों ही लोगों नयनतारा और अनु के जीवन में ठहराव नहीं आया. भले ही दोनों का जीवन पुरुषों से भरा रहा हो मगर एक अकेलापम था जिसका सामना अपने अपने जीवन में दोनों को करना पड़ा. वहीं फ़िल्म की तीसरी पीढ़ी यानी माशा इन दोनों ही से काफी अलग है.

अपनी मां और नानी के साथ वो ऐसा बहुत कुछ देख चुकी है कि वो यही चाहती है कि जब उसकी संतान हो तो उसे वो स्थिरता मिले जो एक रिश्ते को सामान्य बनाती है.

त्रिभंग तीन पीढ़ियों की कहानी है. उनके दुखों की कहानी है उनके सुखों की कहानी है. कुल मिलाकर रेणुका की इस कहानी में हर वो एलिमेंट है जो ये बताता है कि रिश्ते एक इंसान की ज़िंदगी में क्या एहमियत रखता है.

क्या है फ़िल्म की अच्छी बात

फ़िल्म को लेकर जो सबसे अच्छी बात है वो ये कि बॉलीवुड के 100 साल के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब मां बेटी के रिश्ते को लेकर फ़िल्म बनी हो. रेणुका ने ये रिस्क न केवल लिया बल्कि इसे बखूबी निभाया. फ़िल्म का टॉपिक भले ही गंभीर हो मगर ये फ़िल्म आपको झिलाती नहीं है.

इसे देखकर आप बोर नहीं होते. फ़िल्म में चाहे वो तन्वी हों या फिर काजोल तीनों ही महिलाओं ने अपना रोल बखूबी और एक दूसरे से बिल्कुल अलग निभाया है.

जिस जिस के जीवन में जो घटनाएं हुईं उन घटनाओं को फ़िल्म में बखूबी बताया गया. फ़िल्म का थीम और टेम्परामेंट ऐसा है कि एक बार जब दर्शक इसे देखना शुरू करेगा तो स्क्रीन से उसका ध्यान नहीं हटेगा.

कहां रह गयी कमी

यूं तो फ़िल्म में कोई भी बुराई नहीं है मगर जिस बात ने सोशल मीडिया पर यूजर्स को थोड़ा बहुत आहत किया है वो ये कि हमारे समाज में ऐसा नहीं होता. फ़िल्म के जरिये महिलाओं को कुछ ज्यादा ही आजाद, कुछ ज्यादा ही बोल्ड दिखाया गया है.

तन्वी उससे भी ज्यादा काजोल के लिए देखिये ये फ़िल्म

तन्वी की एक्टिंग लाजवाब है. साफ पता चलता है कि उन्होंने बड़ी ही सहजता के साथ अपना रोल किया. जो भी सीन तन्वी के हिस्से में आए उनके साथ न केवल उन्होंने इंसाफ किया बल्कि बॉलीवुड की अन्य एक्ट्रेस को बड़ा मैसेज देते हुए बता दिया कि असल मायनों में एक्टिंग क्या चीज है.वहीं बात अगर काजोल की हो तो लंबे इंतजार के बाद भले ही वो OTT पर दिखी हों लेकिन जैसी एक्टिंग उन्होंने की वो कहावत चरितार्थ हुई कि देर आईं मगर दुरुस्त आईं.फ़िल्म एक बेहतरीन फ़िल्म है.

अंत में बस इतना ही कि त्रिभंग में न तो कुछ ज्यादा है और न ही कम बाकी किसी के कहने बताने से कुछ नहीं होता. फ़िल्म देखिये. ज़रूर देखिये और तन्वी और काजोल के लिए खास तौर से देखिए.

ये भी पढ़ें -

Tandav Review: सीजन 2 का इंतजार रहेगा, पहला सीजन तो 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' जैसा

KGF 2 और यश पर 'सिगरेट विवाद' अपने में एक बड़ा फर्जीवाड़ा है!

Master (Hindi) Review: बॉलीवुड फिल्‍मों की आंधी के मुकाबले 'मास्‍टर' सुनामी है!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲