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Tandav Review: सीजन 2 का इंतजार रहेगा, पहला सीजन तो 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया' जैसा

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 जनवरी, 2021 08:21 PM
  • 15 जनवरी, 2021 08:21 PM
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Tandav Released On Amazon Prime: निर्देशक अली अब्बास जफर (Ali Abbas Zafar) की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज अमेज़न प्राइम पर रिलीज हो गई है. ट्रेलर और सीरीज में एक बड़ा फर्क दिखाई देता है और खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ होती है. काश निर्देशक सैफ, डिंपल, कुमुद मिश्रा और तिग्मांशु धूलिया जैसे कलाकारों से काम निकलवा पाते.

बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं जो चीज पीली दिख रही हो वो सोना ही हो. सामने जो दिख रहा है वो पीतल भी हो सकता है. तांबा भी. रांगा भी गिलट भी. सवाल होगा कि ये बातें कहां से आईं? जवाब है निर्देशक टाइगर ज़िंदा है, सुल्तान, भारत जैसी हिट फिल्में देने वाले निर्देशक अली अब्बास ज़फर और OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई उनकी Tandav Web Series. अभी कुछ दिन पहले ही सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, ज़ीशान अय्यूब, तिग्मांशु धूलिया, सुनील ग्रोवर, कुमुद मिश्रा स्टारर Amazon Prime की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज Tandav का ट्रेलर रिलीज हुआ. जैसा ट्रेलर था दिखाया गया कि देश के प्रधानमंत्री की मौत हो जाती है और पीएम की कुर्सी का अगला दावेदार कौन होगा. ट्रेलर देखकर माना गया कि 'तांडव' हिट वेब सीरीज होगी मगर अब जबकि सीरीज रिलीज हो गई है तो इसे देखकर हमें अफसोस होता है और महसूस होता है कि Web Series के नाम पर दर्शकों का समय बर्बाद हुआ है.

पीएम की कुर्सी तक पहुंचने की जद्दोजहद है अली अब्बास जफ़र की तांडव

Saif Ali Khan स्टारर Tandav को लेकर यूं तो तमाम बातें की जा सकती हैं लेकिन जो चीज सबसे पहले हमारे जहन में आती है वो ये कि चाहे फ़िल्म हो या वेब सीरीज, कास्टिंग कितनी भी अच्छी हो, कहानी उसकी आत्मा है. यदि कहानी दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई तो फिर कितना भी कुछ क्यों न कर लिया जाए सारी बातें अधूरी रह जाती हैं और Amazon Prime की चर्चित वेब सीरीज इस बाबत सबसे क्लासिकल नमूना है.

सीरीज देखते हुए मजा कम आया दुःख ज्यादा हुआ. सीरीज में बॉलीवुड से लेकर थियेटर तक के मंझे हुए कलाकारों की फौज थी उनको यूजिलाइज किया जा सकता है जिसमें तांडव बुरी तरह से नाकाम होती दिखाई देती है. तांडव की कहानी तो दुःख देती ही है सबसे ज्यादा अफसोस जिस बात का हुआ वो इस वेब...

बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं जो चीज पीली दिख रही हो वो सोना ही हो. सामने जो दिख रहा है वो पीतल भी हो सकता है. तांबा भी. रांगा भी गिलट भी. सवाल होगा कि ये बातें कहां से आईं? जवाब है निर्देशक टाइगर ज़िंदा है, सुल्तान, भारत जैसी हिट फिल्में देने वाले निर्देशक अली अब्बास ज़फर और OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई उनकी Tandav Web Series. अभी कुछ दिन पहले ही सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, ज़ीशान अय्यूब, तिग्मांशु धूलिया, सुनील ग्रोवर, कुमुद मिश्रा स्टारर Amazon Prime की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज Tandav का ट्रेलर रिलीज हुआ. जैसा ट्रेलर था दिखाया गया कि देश के प्रधानमंत्री की मौत हो जाती है और पीएम की कुर्सी का अगला दावेदार कौन होगा. ट्रेलर देखकर माना गया कि 'तांडव' हिट वेब सीरीज होगी मगर अब जबकि सीरीज रिलीज हो गई है तो इसे देखकर हमें अफसोस होता है और महसूस होता है कि Web Series के नाम पर दर्शकों का समय बर्बाद हुआ है.

पीएम की कुर्सी तक पहुंचने की जद्दोजहद है अली अब्बास जफ़र की तांडव

Saif Ali Khan स्टारर Tandav को लेकर यूं तो तमाम बातें की जा सकती हैं लेकिन जो चीज सबसे पहले हमारे जहन में आती है वो ये कि चाहे फ़िल्म हो या वेब सीरीज, कास्टिंग कितनी भी अच्छी हो, कहानी उसकी आत्मा है. यदि कहानी दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई तो फिर कितना भी कुछ क्यों न कर लिया जाए सारी बातें अधूरी रह जाती हैं और Amazon Prime की चर्चित वेब सीरीज इस बाबत सबसे क्लासिकल नमूना है.

सीरीज देखते हुए मजा कम आया दुःख ज्यादा हुआ. सीरीज में बॉलीवुड से लेकर थियेटर तक के मंझे हुए कलाकारों की फौज थी उनको यूजिलाइज किया जा सकता है जिसमें तांडव बुरी तरह से नाकाम होती दिखाई देती है. तांडव की कहानी तो दुःख देती ही है सबसे ज्यादा अफसोस जिस बात का हुआ वो इस वेब सीरीज के डायलॉग थे. कह सकते हैं कि अगर डायलॉग अच्छे होते तो तांडव फिर भी झेली जा सकती थी. तांडव का कैनवस भले ही बड़ा हो मगर कहानी इस हद तक नकली है कि एक दो एपिसोड के बाद मन में जो सबसे पहला विचार आता है वो ये कि आखिर इसे देखने की भूल की ही क्यों गयी.

सीरीज में भले ही 9 एपिसोड्स हों जिनकी लेंथ औसत हो लेकिन सैफ अली ख़ान से लेकर डिंपल कपाड़िया तक और कुमुद मिश्रा से लेकर तिग्मांशु धूलिया, ज़ीशान अय्यूब और सुनील ग्रोवर तक इस पूरी सीरीज में कोई भी कलाकार ऐसा नहीं था जो हमारे जहन में अपनी एक्टिंग स्किल्स से कोई विशेष छाप छोड़ दे. कहानी की कमी ही वो कारण है जिसके चलते इस सीरीज को वन गो में नहीं देखा जा सकता.

जैसा आजकल सिनेमा का माहौल है और एंटरटेनमेंट को लेकर जिस तरह दर्शकों का नजरिया बदला है निर्देशकों ने कहानी को बीच में छोड़ दिया है. रो धोकर 9 एपिसोड्स तक आते आते जब ये पता चले कि असली कहानी तो अब सीजन 2 में शुरू होगी तो और ज्यादा खीझ होती है और ये यकीन पुख्ता हो जाता है कि एक दर्शक के रूप में जब हम अपना समय बर्बाद कर ही रहे थे तो क्यों आज किया भविष्य में जब तांडव का सीजन 2 आता तब ही देख लिया जाता.

गौरतलब है कि जिस वक्त यूट्यूब पर अमेजन प्राइम की तरफ से तांडव का ट्रेलर डाला गया तो उसे महज कुछ घंटों में 80 लाख व्यूज मिले. तब इस बात का एहसास भी हुआ था कि निर्देशक अली अब्बास जफर अपने निर्देशन और एक्टर्स अपनी एक्टिंग से उस संदेश को ऑडियंस तक पहुंचाने में कामयाब हुए है जिस सोच के साथ ये वेब सीरीज बनाई गई. लेकिन अब जबकि पूरी सीरीज रिलीज हो गई है तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हुई है.

ध्यान रहे कि जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा हो हल्ला हुआ था वो 'तांडव' की स्टारकास्ट तो थी ही कहानी भी थी. आइये तांडव की कहानी पर एक नजर डाल ली जाए. देश के प्रधानमंत्री की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाती है. पीएम की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि तमाम लोग पीएम बनने के लिए आगे आ जाते हैं जिसमें सबसे आगे है दिवंगत प्रधानमंत्री का बेटा समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान). समर अभी पीएम बनने के ख्वाब देख ही रहा था कि अंतिम संस्कार के वक़्त ही अनुराधा (डिम्पल कपाड़िया) ने वो दांव खेल दिया और समर की सारी चालाकी और चालबाजी धरी की धरी गयी.

ट्रेलर के मद्देनजर तांडव की कहानी अपने में कई ट्विस्ट एंड टर्न्स  लिए हुए गति मगर अब जबकि पूरी सीरीज ही हमारे सामने आ गई है तो कहना गलत नहीं है कि एक दर्शक के रूप में हमारे साथ केवल और केवल धोखा हुआ है. शुरूआती एपिसोड्स में निर्देशक अली अब्बास ज़फर ने उम्मीद तो जताई लेकिन जैसे जैसे सीरीज आगे बढ़ी एक दर्शक के रूप में हमें सिर्फ और सिर्फ बोझिलता हासिल हुई.

सीरीज बेहतर हो सकती थी बशर्ते इसमें जल्दबाजी न की गयी होती। चूंकि 'तांडव' की कहानी सीजन 2 के भरोसे छोड़ी गई है तो हम भी बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि बड़ी स्टारकास्ट के बावजूद जब पहला ही सीजन उम्मीदों के विपरीत है तो हम दर्शक शायद ही इसका सीजन 2 देखने की हिम्मत जुटा पाएं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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