• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

The Family Man 2: आतंकी राजी बनीं समंथा छेड़छाड़ सहने वाली लड़कियों के लिए हीरो हैं

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 04 जून, 2021 07:53 PM
  • 04 जून, 2021 07:53 PM
offline
द फैमिली मैन 2 (Family Man 2) में दर्जनभर से ज्यादा ऐसे मौके हैं जब राजी के रूप में समंथा (Samantha Akkineni) हिलाकर रख देती हैं. वाकई उनकी परफॉर्मेंस को देखकर ये सवाल आता है कि क्या उनसे बेहतर द फैमिली मैन की 'राजी' को कोई दूसरी अभिनेत्री जी पाती?

द फैमिली मैन 2 में मनोज बाजपेयी के सामने नजर आने वाली समंथा अक्कीनेनी (Samantha Akkineni) इस वक्त हिंदी पट्टी के ऑडियंस का खूब ध्यान बटोर रही हैं. वैसे वो हिंदी ऑडियंस के लिए अनजाना चेहरा नहीं हैं. साउथ की कई डब फिल्मों में उनकी एक्टिंग के हुनर को लोगों ने देखा भी है. लेकिन ये पहली बार है जब वो अमेजन प्राइम की वेब सीरीज की वजह से बहुत बड़े पैमाने पर हिंदी दर्शकों की तारीफ़ पा रही हैं. हर उस जगह जहां द फैमिली मैन के दूसरे सीजन पर बात हो रही है, समंथा के नए-नवेले अवतार और उनके परफॉर्मेंस का जिक्र सबसे ऊपर है.

द फैमिली मैन के क्रिएटर्स ने बहुत चालाकी से डिप्लोमेटिक मसले पर भारत-श्रीलंका के संबंधों के संबंधों के मद्देनजर सशस्त्र श्रीलंकाई तमिल आंदोलन का संदर्भ लिया है. मनोज बाजपेयी और समंथा स्टारर अमेजन प्राइम वीडियो की सीरीज को भले ही काल्पनिक बताया गया है मगर इसके तमाम संदर्भ सच्ची घटनाओं से प्रेरित हैं. सीरीज की कहानी शुरू ही वहां से होती है जब श्रीलंकाई सेना उत्तरी इलाके में तमिलों के सशत्र विद्रोह को बुरी तरह से कुचल देती है. श्रीलंका सरकार से गुरिल्ला संघर्ष करने वाले नेताओं को अपना इलाका छोड़कर भागना पड़ता है. बड़े नेता ब्रिटेन में शरण लेते हैं. जबकि सशस्त्र आंदोलन का हिस्सा रहे दूसरे बचे-खुचे गुरिल्ला सैनिक तमिलनाडु में पहचान छिपाकर रह रहे होते हैं. इन्हीं में से एक है राजी. समंथा ने इस सहमे किरदार को निभाते हुए अदाकारी के चरम को छुआ है.

एक कॉटन मिल में काम करते हुए उसका पथराया चेहरा. जहां का मैनेजर उसे अपना शिकार बनाना चाहता है, लेकिन वो पत्थर बनी खडी रहती है. फैक्ट्री से अपने घर तक बस में सफर करती राजी निरंतर एक शख्स की लगातार शिकार बन रही है. जो उसे मनचाहे ढंग से छू रहा है. राजी का भयभीत चेहरा, और उसकी सहमी हुई चाल हर शोषित लड़की की याद दिला रही है. बसों, ट्रेनों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में छेड़छाड़ और शारीरिक शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं की अपमानजनक पीड़ा को समंथा ने बेमिसाल तरीके से निभाया...

द फैमिली मैन 2 में मनोज बाजपेयी के सामने नजर आने वाली समंथा अक्कीनेनी (Samantha Akkineni) इस वक्त हिंदी पट्टी के ऑडियंस का खूब ध्यान बटोर रही हैं. वैसे वो हिंदी ऑडियंस के लिए अनजाना चेहरा नहीं हैं. साउथ की कई डब फिल्मों में उनकी एक्टिंग के हुनर को लोगों ने देखा भी है. लेकिन ये पहली बार है जब वो अमेजन प्राइम की वेब सीरीज की वजह से बहुत बड़े पैमाने पर हिंदी दर्शकों की तारीफ़ पा रही हैं. हर उस जगह जहां द फैमिली मैन के दूसरे सीजन पर बात हो रही है, समंथा के नए-नवेले अवतार और उनके परफॉर्मेंस का जिक्र सबसे ऊपर है.

द फैमिली मैन के क्रिएटर्स ने बहुत चालाकी से डिप्लोमेटिक मसले पर भारत-श्रीलंका के संबंधों के संबंधों के मद्देनजर सशस्त्र श्रीलंकाई तमिल आंदोलन का संदर्भ लिया है. मनोज बाजपेयी और समंथा स्टारर अमेजन प्राइम वीडियो की सीरीज को भले ही काल्पनिक बताया गया है मगर इसके तमाम संदर्भ सच्ची घटनाओं से प्रेरित हैं. सीरीज की कहानी शुरू ही वहां से होती है जब श्रीलंकाई सेना उत्तरी इलाके में तमिलों के सशत्र विद्रोह को बुरी तरह से कुचल देती है. श्रीलंका सरकार से गुरिल्ला संघर्ष करने वाले नेताओं को अपना इलाका छोड़कर भागना पड़ता है. बड़े नेता ब्रिटेन में शरण लेते हैं. जबकि सशस्त्र आंदोलन का हिस्सा रहे दूसरे बचे-खुचे गुरिल्ला सैनिक तमिलनाडु में पहचान छिपाकर रह रहे होते हैं. इन्हीं में से एक है राजी. समंथा ने इस सहमे किरदार को निभाते हुए अदाकारी के चरम को छुआ है.

एक कॉटन मिल में काम करते हुए उसका पथराया चेहरा. जहां का मैनेजर उसे अपना शिकार बनाना चाहता है, लेकिन वो पत्थर बनी खडी रहती है. फैक्ट्री से अपने घर तक बस में सफर करती राजी निरंतर एक शख्स की लगातार शिकार बन रही है. जो उसे मनचाहे ढंग से छू रहा है. राजी का भयभीत चेहरा, और उसकी सहमी हुई चाल हर शोषित लड़की की याद दिला रही है. बसों, ट्रेनों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में छेड़छाड़ और शारीरिक शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं की अपमानजनक पीड़ा को समंथा ने बेमिसाल तरीके से निभाया है.

लेकिन, इसी राजी का दूसरा चेहरा भी है. जो पथराया हुआ तो है, लेकिन उसकी आंखों में अब खून उतर आया है. अंधेरी रात में बस से उतरकर पीछा करने वाले युवक को कुछ सेकंड में धूल चटाती है, और वहीं उसका काम तमाम कर देती है. यही हश्र उस फैक्ट्री मैनेजर का होता है. जो उसका शारीरिक शोषण करने घर तक आ पहुंचता है. राजी न सिर्फ उसकी हत्या करती है, बल्कि उसकी लाश के टुकड़े टुकड़े कर देती है. इतनी निर्मम हत्याएं करने के बावजूद राजी विलेन नहीं लगती है. वो हर उस लड़की के मन को सुकून देती है, जिनका शोषण किया जाता है. राजी का किरदार ब्लैक नहीं, ग्रे है. जो क्रूर और खूंखार होने के बावजूद कई बार सहानुभूति बटोर लेता है. 

पूरी सीरीज में दर्जनभर से ज्यादा ऐसे मौके हैं जब राजी के रूप में समंथा हिलाकर रख देती हैं. वाकई उनकी परफॉर्मेंस को देखकर ये सवाल आता है कि क्या उनसे बेहतर द फैमिली मैन की राजी को कोई दूसरी अभिनेत्री जी पाती? मुझे लगता है नहीं. इसी लाजवाब काम की वजह से ही लोग उन्हें सीरीज में कई जगह मनोज बाजपेयी से भी भारी बता रहे हैं. हालांकि स्टोरी के लिहाज से श्रीकांत तिवारी और राजी के किरदार में जमीन-आसमान का अंतर है. ऐसा नहीं है कि मनोज बाजपेयी ने श्रीकांत को कुछ कमतर जिया है. जिस तरह से श्रीकांत के व्यवहार के रंग सामने आते हैं मनोज बाजपेयी उसे लेकर खुलते हैं. सधे तरीके से.

जहां तक समंथा के किरदार राजी की बात है- शुरुआती एपिसोड्स को छोड़ दिया जाए तो वो श्रीकांत की तरह बहुरंगी नहीं है. राजी मिशन के लिए जीने वाली एक लड़ाकू है. जिसके पिता व भाई को श्रीलंकाई सैनिकों ने मार दिया है. मां इस सदमे से पागल होकर मर गई है. उसका सामूहिक बलात्कार किया गया है. और अब उसके जीने का एकमात्र मकसद है अपने जैसे दूसरे श्रीलंकाई तमिलों को न्याय दिलाना. दूसरी ओर श्रीकांत दोस्त है, पिता है, पति है, एक कॉरपोरेट ऑफिस का एम्प्लॉई है, झूठ बोलता है, देशभक्त है और एक ईमानदार अफसर भी है. श्रीकांत के किरदार में अपराधबोध भी है. राजी इन तमाम चीजों से परे है. जाहिर सी बात है कि दोनों के अभिनय को एक ही तराजू में रखकर एक-दूसरे से कम या ज्यादा आंकना तार्किक नहीं होगा.

लेकिन जो सबसे जरूरी बात है वो ये कि समंथा ने राजी के रूप में एक बेंचमार्क तो सेट कर ही दिया है. अब तक के उनके करियर में निर्विवाद रूप से सबसे बेहतरीन भूमिका है. जब भी अभिनेत्रियों के सर्वश्रेष्ठ काम की गिनती होगी राजी की वजह से समंथा का नाम जरूर लिया जाना चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲