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The Empire: बाबर पर शो आ रहा है और हल्ला भी नहीं मचा!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 08 अगस्त, 2021 02:00 PM
  • 08 अगस्त, 2021 02:00 PM
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द एम्पायर में भव्यता, एक्शन और ग्लैमर दिख रहा है. लोकेशन, कैमरा और सेट डिजाइन वाकई बहुत प्रभावशाली है. सफाई के साथ तकनीकी इस्तेमाल भी खूब हुआ है. साफ़ पता चलता है कि अच्छा बजट लगा है. दिलचस्पी इतिहास में हो ना हो, द एम्पायर के पहले सीजन में लोगों को तमाम रिफ्रेंस जानने उन्हें ताजा करने का मौका जरूर मिलेगा.

जिस वक्त कथित राजनीतिक वजहों से बॉलीवुड मुगलों के इतिहास पर सिनेमा बनाने से बचता दिख रहा है लगभग उसी दौरान मुगलों के समूचे इतिहास को दिखाने वाली वेब सीरीज आ रही है. द एम्पायर. डिजनी प्लस हॉटस्टार के लिए निखिल आडवाणी ने सीरीज को क्रिएट किया है. मीताक्षारा कुमार का निर्देशन है. सीरीज में बाबर से लेकर औरंगजेब तक मुग़ल साम्राज्य का इतिहास दिखाया जाएगा. द एम्पायर 27 अगस्त से स्ट्रीम की जाएगी. वैसे अभी तक हिंदी में प्राइम वीडियो, डिजनी या नेटफ्लिक्स जैसे दिग्गज ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐतिहासिक सीरीज नहीं बना रहे थे. कुछ दूसरे प्लेटफॉर्म जरूर ऐसा करते दिखे. हाल ही में MX प्लेयर ने छत्रसाल बनाई. मगर सीरीज उस तरह से भव्य नहीं दिखी, एक ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा में जिसकी उम्मीद की जाती है.

फिलहाल तो द एम्पायर का ट्रेलर गारंटी दे रहा है कि कम से कम भव्यता के मामले में दर्शक डिजनी की सीरीज को लेकर शिकायत नहीं करने वाले हैं. सीरीज पर काफी पैसा खर्च किया गया है. वास्तव में द एम्पायर अलेक्स रदरफोर्ड की किताब एम्पायर ऑफ़ द मुग़ल पर आधारित है. किताब में बाबर के बचपन से लेकर जवानी तक और भारत में उसके प्रवेश, मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है. बाबर से लेकर औरंगजेब तक की दास्तान किताब में है. ट्रेलर से साफ़ पता लग रहा है कि इसे कई सीजन में बनाया जाएगा और स्वाभाविक रूप से कहानी बाबर से शुरू होगी.

राजनीतिक बहस में होगी बाबर की कहानी

बाबर भारत में राजनीतिक रूप से हमेशा बहस का विषय रहा है. यह ऐतिहासिक सच भी है कि बाबर वास्तव में भारत हमलावर के रूप में ही आया था और तत्कालीन राजनीति में साम्राज्यों-सल्तनतों के बीच जिस तरह के संघर्ष, लूटपाट, अराजकता होती थी, बाबर ने भी किए. मुगलों के विदेशी आक्रांता होने को लेकर बहस आए दिन होती रहती है....

जिस वक्त कथित राजनीतिक वजहों से बॉलीवुड मुगलों के इतिहास पर सिनेमा बनाने से बचता दिख रहा है लगभग उसी दौरान मुगलों के समूचे इतिहास को दिखाने वाली वेब सीरीज आ रही है. द एम्पायर. डिजनी प्लस हॉटस्टार के लिए निखिल आडवाणी ने सीरीज को क्रिएट किया है. मीताक्षारा कुमार का निर्देशन है. सीरीज में बाबर से लेकर औरंगजेब तक मुग़ल साम्राज्य का इतिहास दिखाया जाएगा. द एम्पायर 27 अगस्त से स्ट्रीम की जाएगी. वैसे अभी तक हिंदी में प्राइम वीडियो, डिजनी या नेटफ्लिक्स जैसे दिग्गज ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐतिहासिक सीरीज नहीं बना रहे थे. कुछ दूसरे प्लेटफॉर्म जरूर ऐसा करते दिखे. हाल ही में MX प्लेयर ने छत्रसाल बनाई. मगर सीरीज उस तरह से भव्य नहीं दिखी, एक ऐतिहासिक पीरियड ड्रामा में जिसकी उम्मीद की जाती है.

फिलहाल तो द एम्पायर का ट्रेलर गारंटी दे रहा है कि कम से कम भव्यता के मामले में दर्शक डिजनी की सीरीज को लेकर शिकायत नहीं करने वाले हैं. सीरीज पर काफी पैसा खर्च किया गया है. वास्तव में द एम्पायर अलेक्स रदरफोर्ड की किताब एम्पायर ऑफ़ द मुग़ल पर आधारित है. किताब में बाबर के बचपन से लेकर जवानी तक और भारत में उसके प्रवेश, मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है. बाबर से लेकर औरंगजेब तक की दास्तान किताब में है. ट्रेलर से साफ़ पता लग रहा है कि इसे कई सीजन में बनाया जाएगा और स्वाभाविक रूप से कहानी बाबर से शुरू होगी.

राजनीतिक बहस में होगी बाबर की कहानी

बाबर भारत में राजनीतिक रूप से हमेशा बहस का विषय रहा है. यह ऐतिहासिक सच भी है कि बाबर वास्तव में भारत हमलावर के रूप में ही आया था और तत्कालीन राजनीति में साम्राज्यों-सल्तनतों के बीच जिस तरह के संघर्ष, लूटपाट, अराजकता होती थी, बाबर ने भी किए. मुगलों के विदेशी आक्रांता होने को लेकर बहस आए दिन होती रहती है. राजनीति में इसे लेकर लगातार सवाल भी हो रहे हैं. मनोरंजन उद्योग से जुड़े अब तक के ट्रेंड देखें तो दावे से कहा जा सकता है कि स्ट्रीमिंग के बाद बहसों में बाबर और मुगलिया सल्तनत बहुत बड़ा टॉपिक बनने जा रहा है. क्योंकि दोनों खेमों के पास बातचीत करने के लिए मसाला होगा. चूंकि सीरीज ही मुग़ल साम्राज्य को बनाने वाले बाबर से शुरू है, स्वाभाविक रूप से उन्हें नायक के तौर पर ही पेश किया गया है. यही बात इसे दूसरे पक्ष को उकसा सकती है.

जहां तक बात ट्रेलर की है उसमें बाबर नायक के रूप में ही दिख रहा है. कहानी समरकंद में है जहां सत्ता पाने के लिए साजिशों का बोलबाला है, युद्ध है वहां एक किशोर की ताजपोशी होती है. बाबर बहादुर और बड़े दिलवाला है. बहन के लिए ताज ठुकराकर इब्राहिम लोदी से दिल्ली सल्तनत छीनने भारत आ पहुंचता है. युद्ध में अतुलनीय बहादुरी दिखाता है और लोदी को हराकर दिल्ली का सुल्तान बनता है. द एम्पायर में कुणाल कपूर ने बाबर की भूमिका निभाई है. शबाना आजमी दौलत बेगम की भूमिका में हैं जिनकी निगरानी में बाबर की ताजपोशी की जाती है. दृष्टि धामी बाबर की बहन के किरदार में और वजीर खान की भूमिका में राहुल देव हैं. कुणाल ठीक हैं, लेकिन बाबर की छवि में थोड़ा सा खटकते हैं. शबाना आजमी भी ठीक लग रही हैं.

ट्रेलर देखने के लिए यहां क्लिक करें:-

द एम्पायर में दिल जीत सकते हैं डिनो मोरिया

हालांकि मोहम्मद शयबानी की भूमिका में डिनो मोरिया जबरदस्त दिखे हैं. सिर्फ ट्रेलर की बात की जाए तो सीरीज में सिर्फ डिनो ही ऐसे एक्टर हैं जो बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं. वो कहानी के खलनायक हैं. और खलनायकों की सारी दुष्टता, धूर्तता की झलक उन्होंने ट्रेलर में दिया है. डिनो मोरिया के पूरे काम को देखना दिलचस्प अनुभव होगा. कुछ कलाकारों को देखकर लगता है कि सीरीज के लिए कास्टिंग को और उम्दा होना चाहिए था. दरअसल, ऐतिहासिक कहानियों में तमाम सन्दर्भ दर्शकों के दिमाग में होते हैं और निजी अनुभव परिवेश की वजह से ऐतिहासिक किरदारों की एक छवि भी उनके दिमाग में होती है. ऐसी छवियों को अक्सर बड़े सितारों की कास्टिंग से तोड़ा जाता है और व्यापक दर्शक वर्ग सहजता से किरदार में धंस जाते हैं. महानायकों के चेहरे की वजह से दर्शकों की निजी छवियां धूमिल होती जाती हैं. या फिर एकदम नया नवेला लेकिन सक्षम चेहरा हो जो लोगों को खटके नहीं. लेकिन नए लोगों के साथ ज्यादातर रिस्क नहीं उठाया जाता है.

यही वजह है कि ऐतिहासिक कहानियों पर हुए कामों को देखने पर पता चलता है कि उन्हीं कहानियों ने रिकॉर्डतोड़ सफलता हासिल की है जिसमें भारी भरकम स्टारकास्ट रही है. कमजोर स्टारकास्ट में अच्छी कहानियां भी डूब गई हैं. बाकी सीरीज में भव्यता, एक्शन और ग्लैमर दिख रहा है. लोकेशन, कैमरा और सेट डिजाइन वाकई बहुत प्रभावशाली है. सफाई के साथ तकनीकी इस्तेमाल भी खूब हुआ है. साफ़ पता चलता है कि अच्छा बजट लगा है. दिलचस्पी इतिहास में हो ना हो, द एम्पायर के पहले सीजन में लोगों को तमाम रिफ्रेंस जानने उन्हें ताजा करने का मौका जरूर मिलेगा.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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