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Teachers day: शिक्षक-छात्र रिश्ते पर बनी ये 5 फिल्में भावुक कर देती हैं!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 05 सितम्बर, 2021 06:50 PM
  • 05 सितम्बर, 2021 06:46 PM
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जिंदगी में शिक्षक (happy teachers day 2021) का रोल बहुत की अहम होता है. कई बार हम बड़े होकर बचपन के उस टीचर को सबसे ज्यादा ढूढ़ते हैं जिसने हमारी सबसे ज्यादा पिटाई की होती है. कॉलेज का वो खड़ूस टीचर अब हमारे फेवरेट लोगों की लिस्ट में होता है.

जिंदगी में शिक्षक (happy teachers day 2021) का रोल बहुत की अहम होता है. कई बार हम बड़े होकर बचपन के उस टीचर को सबसे ज्यादा ढूढ़ते हैं जिसने हमारी सबसे ज्यादा पिटाई की होती है. कॉलेज का वो खड़ूस टीचर अब हमारे फेवरेट लोगों की लिस्ट में होता है. हमारा दिमाग इस भागदौड़ भरी जिंदगी के बोझ से जब भी थोड़ा पीछे मुड़कर देखता है तो बचपन के दिन, कॉलेज के दिन, वो दोस्त से होते हुए वो उस शिक्षक तक पहुंच ही जाता है.

अब समझ आता है कि वे टीचर अब हमारे लिए इतना जरूरी क्यों लगते हैं. लगता है कि काश एक दिन के लिए ही सही वो पुराने दिन लौट आएं लेकिन ये वक्त का सितम कितनी हसीन है ये तो स्कूल, कॉलेज के बाद बड़े होकर पता चलता है. अब समझ आता है कि वो डांट, वो अनुशासन हमारे सुनहरे भविष्य के लिए था. वो टीचर जिनसे हम दूर भागना चाहते थे वो तो हमारी जिंदगी को सही आकार देने की कोशिश कर रहे थे.

ये फिल्में स्कूल और कॉलेज के दिनों की यादें ताजा कर देंगी 

तो चलिए बॉलीवुड की इन फिल्मों के बहाने ही सही क्यों ना यादों को एक बार फिर ताजा कर लिया जाए. वैसे भी ये फिल्में बेहतरीन हैं और हमें स्कूल और कॉलेज की दुनियां में ले जाएंगी. एक बात और आप इन फिल्मों को देखकर इमोशनल भी हो सकते हैं.

1- अगर आपने संजय लीला भंसाली की फिल्म ब्लैक नहीं देखी है तो आपको नहीं पता कि आपने क्या मिस कर दिया है. कथाकार संजय लीला भंसाली जो हमारे जीवन से जुड़े कई अहम पहलुओं को खूबसूरती के साथ बड़े परदे पर उतारते हैं. इस फिल्म निर्माता ने अपनी बेमिसाल कृति ब्लैक बनाकार दर्शकों को एक खूबसूरत उपहार दिया था. इस फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों दोनों की तरफ से शानदार प्रतिक्रिया मिली थी. ‘ब्लैक’ ने ना केवल लोगों का दिल जीता था बल्कि 11 से अधिक फिल्मफेयर...

जिंदगी में शिक्षक (happy teachers day 2021) का रोल बहुत की अहम होता है. कई बार हम बड़े होकर बचपन के उस टीचर को सबसे ज्यादा ढूढ़ते हैं जिसने हमारी सबसे ज्यादा पिटाई की होती है. कॉलेज का वो खड़ूस टीचर अब हमारे फेवरेट लोगों की लिस्ट में होता है. हमारा दिमाग इस भागदौड़ भरी जिंदगी के बोझ से जब भी थोड़ा पीछे मुड़कर देखता है तो बचपन के दिन, कॉलेज के दिन, वो दोस्त से होते हुए वो उस शिक्षक तक पहुंच ही जाता है.

अब समझ आता है कि वे टीचर अब हमारे लिए इतना जरूरी क्यों लगते हैं. लगता है कि काश एक दिन के लिए ही सही वो पुराने दिन लौट आएं लेकिन ये वक्त का सितम कितनी हसीन है ये तो स्कूल, कॉलेज के बाद बड़े होकर पता चलता है. अब समझ आता है कि वो डांट, वो अनुशासन हमारे सुनहरे भविष्य के लिए था. वो टीचर जिनसे हम दूर भागना चाहते थे वो तो हमारी जिंदगी को सही आकार देने की कोशिश कर रहे थे.

ये फिल्में स्कूल और कॉलेज के दिनों की यादें ताजा कर देंगी 

तो चलिए बॉलीवुड की इन फिल्मों के बहाने ही सही क्यों ना यादों को एक बार फिर ताजा कर लिया जाए. वैसे भी ये फिल्में बेहतरीन हैं और हमें स्कूल और कॉलेज की दुनियां में ले जाएंगी. एक बात और आप इन फिल्मों को देखकर इमोशनल भी हो सकते हैं.

1- अगर आपने संजय लीला भंसाली की फिल्म ब्लैक नहीं देखी है तो आपको नहीं पता कि आपने क्या मिस कर दिया है. कथाकार संजय लीला भंसाली जो हमारे जीवन से जुड़े कई अहम पहलुओं को खूबसूरती के साथ बड़े परदे पर उतारते हैं. इस फिल्म निर्माता ने अपनी बेमिसाल कृति ब्लैक बनाकार दर्शकों को एक खूबसूरत उपहार दिया था. इस फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों दोनों की तरफ से शानदार प्रतिक्रिया मिली थी. ‘ब्लैक’ ने ना केवल लोगों का दिल जीता था बल्कि 11 से अधिक फिल्मफेयर अवार्ड भी जीते. इस फिल्म में मुख्य किरदार के रूप में अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी हैं. रानी ने इस फिल्म में बहरी और एक अंधी लड़की की भूमिका निभाई थी. यह फिल्म रानी के करियर में एक ऐतिहासिक फिल्म साबित हुई. यह फिल्म हेलन केलर और उनके शिक्षक के जीवन पर आधारित है. कुछ दृश्य आपको रूलाने की ताकत रखते हैं.

फिल्म ब्लैक का एक सीन

2- परिचय एक ऐसी फिल्म है जो आज के समय में भी आपका मनोरंजन करने की ताकत रखती है. इस फिल्म में छात्रों, उनके अभिभावकों के साथ एक शिक्षक के रिश्ते को बहुत ही संवेदनशील तरीके से दर्शाया गया है. इस फिल्म में रवि बने जिंतेंद्र पांच बच्चों को पढ़ते हैं. पांच बच्चों सबसे बड़ी रमा यानी जया बच्चन है. ये भाई-बहन एक साथ मिलकर खूब शरारत करते हैं. रवि उन्हें पढ़ाने के साथ उनके आपसी रिश्तों को सुलझाता भी है. आप चाहें तो इस फिल्म का लुफ्त उठा सकते हैं, वो भी बिना किसी रिस्क के.

3- अगर आप सिने प्रेमी हैं तो तारें जमीन पर फिल्म जरूर देखी होगी क्योंकि यह फिल्म अपने आप में पूरी की पूरी एक लेशन है. जो समाज में संदेश देने का काम करती है. इस फिल्म में एक ऐसे बच्चे की कहानी है जो डिस्लेक्सिया का शिकार है लेकिन उसके माता-पिता उसे समझ नहीं पाते. उल्टा वे उसे उसे होस्टल भेज देते हैं. स्कूल के सभी टीचर जब हार मान लेते हैं तो उसकी परेशानी को सब्सिट्यूट आर्ट टीचर रामशंकर निकुंभ यानी आमिर खान समझता है. वह ईशान को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाता है. इसके बाद ईशान हर तरह से बेहतर होता जाता है. इस फिल्म के भी कई कई सीन आपको इमोशलन कर सकते हैं. इस फिल्म के गाने आज भी सुपरहिट हैं.

फिल्म तारें जमीन पर का एक दृश्य

4- अब जिस फिल्म के बारे में हम बात करने वाले हैं उसके बारे में आपने जरूर सुना देखा होगा. जी हां फिल्म थ्री इडियट्स के बारे में जितना लिखा जाए कम है. इस फिल्म में दोस्ती है, रोमांस है, कॉमेडी है, इमोशन है और गुरु-शिष्य का रिश्ता भी है. यह फिल्म हमें इंजीनियरिंग कॉलेज की सच्चाई से रूबरू करवाती है. फिल्म में वीरू सहस्त्रबुद्धे यानी बोमन ईरानी एकदम वही खडूस टीचर हैं जो हमारे स्कूलों और कॉलेजों में होते ही हैं. यह फिल्म में इंजीनियरिंग कॉलेज के तीन करीबी दोस्तों रैंचो यानी आमिर खान, राजू यानी शरमन जोशी और फरहान यानी आर. माधवन पर केंद्रित है. बाकी आपने फिल्म नहीं देखी तो देखिए यकीनन आपको पछतावा नहीं होगा.

यह फिल्म हमें इंजीनियरिंग कॉलेज की सच्चाई से रूबरू करवाती है

5- एकतरफ जहां सारी फिल्मों में बच्चों को स्कूल या कॉलेज में संघर्ष करते दिखाया जाता है. वहीं इस फिल्म में एक शिक्षिका नैना यानी रानी मुखर्जी है जो अपने पेशे के साथ न्याय करने के लिए जी जान लगाकर जुटी है.असल में नैना माथुर हमेशा से ही टीचर बनने का सपना देखती है लेकिन वह टॉरेट सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं.

जिसकी वजह से नैना को बार-बार हिचकी आती है.उसकी हिचकी हर जगह उसे हंसी का पात्र बना देती है. यहां तक की स्कूल में वह बच्चों के बीच हंसी का पात्र बन जाती है. इन सब के बीच उसे ऐसे बच्चों को पढ़ाना पड़ता है जो काफी शैतान हैं. नैना हार नहीं मानती है ना अपनी हिचकी को अपने रास्ते में रूकावट बनने देती है. वह उन बच्चों की काफी मदद करती है और उन्हें पढ़ाकर उनकी आदर्श शिक्षिका बन जाती है. इस तरह वह अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेती है. बिना हार माने, बिना रूके. तो अगर आपने ये फिल्में नहीं देखी हैं तो जरूर देखिए, यकीन मानिए आपके पुराने स्कूल और कॉलेज के दिनों की यादें ताजा हो जाएंगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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