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Jai Bhim movie: सच्ची घटना पर बनी फिल्म में भीतर तक उतर गए हैं सुरिया, ट्रेलर ही रौंगटे खड़ा कर देने वाला

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 24 अक्टूबर, 2021 04:16 PM
  • 24 अक्टूबर, 2021 03:02 PM
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जातीय उत्पीड़न की कहानी पर आधारित तमिल की एक और फिल्म जय भीम (Jai Bhim) दीपावली के मौके पर रिलीज के लिए तैयार है. सुरिया (Suriya) की मुख्य भूमिका में सजी लीगल ड्रामा का ट्रेलर (Jai Bhim trailer) रिलीज हो गया है.

दीपावली के त्योहारी सीजन में ओटीटी पर दर्शकों के लिए हम दो हमारे दो जैसी बॉलीवुड की कुछ मसालेदार फ़िल्में आ रही हैं. लेकिन जिन दर्शकों की रूचि मसालेदार कहानियों की तुलना में थोड़ा गंभीर किस्म की फिल्मों को देखने में है उनके लिए अमेजन प्राइम वीडियो पर 2 नवंबर से स्ट्रीम होने जा रहा लीगल ड्रामा जय भीम एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. यह तमिल सुपरस्टार सुरिया (सूर्या) की दमदार भूमिका से सजी फिल्म है. इसे तमिल के अलावा तेलुगु और हिंदी में भी डब किया गया है. फिल्म का निर्देशन टीएस गणनवेल ने किया है.

जय भीम के ट्रेलर में क्या है?

अमेजन ने आज ही फिल्म का थियेरेटिकल ट्रेलर लॉन्च किया है. इससे पहले फिल्म का टीजर आया था. फिल्म की कहानी 1995 में सेट है जो तमिलनाडु में हुई सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. उत्पीडन की एक ऐसी कहानी जो हिलाकर रख देती है. फिल्म में इरुलर सामाज से आने वाला आदिवासी जोड़ा सिस्टम के उत्पीडन का शिकार है. आदिवासी पति-पत्नी के पास ना तो कोई जमीन का टुकड़ा है, ना राशन कार्ड है और ना ही वोटर कार्ड. समझा जा सकता है कि सिस्टम में भला उनकी परवाह किसे होगी? एक ऐसा सिस्टम जो जाति के चश्मे से काम करता है और किसी की जाति ही उसे अपराधी बनाने के लिए पर्याप्त है. भले ही उसने अपराध ना किया हो, मगर असमानता की बुनियाद पर टिका सिस्टम मनमर्जी करने पर आमादा है. दुखद है कि अमानवीयता को कानूनी और संवेधानिक लबादा ओढ़ाने की कोशिश की जाती है. अपराधी बचे हुए हैं क्योंकि उनके पास जाति, पैसा और सत्ता की ताकत का बैकअप है.

जयभीम में पुलिसिया उत्पीड़न की तस्वीर.

पुलिस थाने में अमानवीयता की हद नजर आती है. सिर्फ जाति के निचले पायदान पर होने भर से कोई मनुष्य होने तक का अधिकार खो देता है. भला ऐसे सिस्टम में जाति और अर्थ के मामले में सबसे...

दीपावली के त्योहारी सीजन में ओटीटी पर दर्शकों के लिए हम दो हमारे दो जैसी बॉलीवुड की कुछ मसालेदार फ़िल्में आ रही हैं. लेकिन जिन दर्शकों की रूचि मसालेदार कहानियों की तुलना में थोड़ा गंभीर किस्म की फिल्मों को देखने में है उनके लिए अमेजन प्राइम वीडियो पर 2 नवंबर से स्ट्रीम होने जा रहा लीगल ड्रामा जय भीम एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. यह तमिल सुपरस्टार सुरिया (सूर्या) की दमदार भूमिका से सजी फिल्म है. इसे तमिल के अलावा तेलुगु और हिंदी में भी डब किया गया है. फिल्म का निर्देशन टीएस गणनवेल ने किया है.

जय भीम के ट्रेलर में क्या है?

अमेजन ने आज ही फिल्म का थियेरेटिकल ट्रेलर लॉन्च किया है. इससे पहले फिल्म का टीजर आया था. फिल्म की कहानी 1995 में सेट है जो तमिलनाडु में हुई सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. उत्पीडन की एक ऐसी कहानी जो हिलाकर रख देती है. फिल्म में इरुलर सामाज से आने वाला आदिवासी जोड़ा सिस्टम के उत्पीडन का शिकार है. आदिवासी पति-पत्नी के पास ना तो कोई जमीन का टुकड़ा है, ना राशन कार्ड है और ना ही वोटर कार्ड. समझा जा सकता है कि सिस्टम में भला उनकी परवाह किसे होगी? एक ऐसा सिस्टम जो जाति के चश्मे से काम करता है और किसी की जाति ही उसे अपराधी बनाने के लिए पर्याप्त है. भले ही उसने अपराध ना किया हो, मगर असमानता की बुनियाद पर टिका सिस्टम मनमर्जी करने पर आमादा है. दुखद है कि अमानवीयता को कानूनी और संवेधानिक लबादा ओढ़ाने की कोशिश की जाती है. अपराधी बचे हुए हैं क्योंकि उनके पास जाति, पैसा और सत्ता की ताकत का बैकअप है.

जयभीम में पुलिसिया उत्पीड़न की तस्वीर.

पुलिस थाने में अमानवीयता की हद नजर आती है. सिर्फ जाति के निचले पायदान पर होने भर से कोई मनुष्य होने तक का अधिकार खो देता है. भला ऐसे सिस्टम में जाति और अर्थ के मामले में सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति की पीड़ा को कौन सुनेगा? स्वाभाविक है कि आदिवासी महिला पति की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है. ऐसे माहौल में युवा वकील चंदरू (सुरिया) से उसका सामना होता है. चंदरू के लिए क़ानून ही लड़ाई का सबसे बड़ा औजार है. वह इसी हथियार से सड़े हुए सिस्टम से न्याय के लिए भिड जाता है. चंदरू कोर्ट, उससे बाहर आदिवासी परिवार के मनुष्य और नागरिक होने के हक़ के लिए अंतहीन संघर्ष करता है और कल्पना की जा सकती है कि उसका पाला किन किन चीजों से पड़ रहा होगा. संभवत: फिल्म में इसी चीज को दिखाने का प्रयास है. ट्रेलर में बहुत सारे हुक पॉइंट हैं जिनकी वजह से फिल्म को लेकर एक दिलचस्पी जगती है. नीचे जय भीम का ट्रेलर देख सकते हैं:-

क़ानून और संविधान के बावजूद सिस्टम में जाति, पैसा और राजनीतिक ताकत का किस तरह बोलबाला है जय भीम की कहानी का आधार वही है. फिल्म का विषय काफी बोल्ड है. मगर यह तमिल में ही जातीय भेदभाव पर बनी करणन और असुरा की तरह ऑफ़बीट फिल्म भर नजर नहीं आती. बल्कि थ्रिल होने की वजह से मनोरंजक भी है. जय भीम में सुरिया के अलावा प्रकाश राज, राव रमेश, रजिशा विजयन और मनिकंडन अहम भूमिकाओं में हैं. जय भीम के निर्माताओं में सुरिया का अपना बैनर 2 डी एंटरटेनमेंट भी शामिल है.

जयभीम तमिल सिनेमा के बदलते दौर की नई कहानी है

सुरिया की जयभीम तमिल सिनेमा के बदलते दौर की कहानी है जहां सोशियो-पॉलिटिकल टॉपिक पर बोल्ड फ़िल्में बनाई जा रही हैं. पा रंजीत, वेट्रीमारन, मारी सेल्वाराज तमिल सिनेमा के उन निर्देशकों में शुमार किए जाते हैं जो मुख्यधारा में गैरमसाला फ़िल्में बना रहे हैं लेकिन उन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है. जय भीम के निर्देशक टीजे का नाम भी इसमें शामिल है. ख़ास बात यह है कि तमिल धारा में बोल्ड टॉपिकस पर बन रही इन गैर मसाला फिल्मों को बड़े पैमाने पर दर्शक भी मिल रहे हैं. बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का कलेक्शन भी बेहतर निकल रहा है. अलग सब्जेक्ट के बावजूद रजनीकांत, धनुष, सुरिया और आर्य जैसे सुपरस्टार ऐसी फिल्मों में काम कर रहे हैं. जयभीम से पहले काला, कबाली, कर्णन, असुरा, सरपट्टा परम्बरई जैसी दर्जनों फ़िल्में आ चुकी हैं जिन्हें लेकर हिंदी भाषी क्षेत्रों में दिलचस्पी देखने को मिली.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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