• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

'बॉर्डर' की लोंगेवाला पोस्‍ट की जंग का महारूप है 'सारागढ़ी'

    • अभिषेक पाण्डेय
    • Updated: 02 अगस्त, 2016 07:31 PM
  • 02 अगस्त, 2016 07:31 PM
offline
बॉर्डर फिल्‍म में दिखाई गई 1971 की लोंगेवाला पोस्‍ट की लड़ाई का एक एक मंजर आपको याद होगा. अब एक फिल्‍म बनने जा रही है 'सारागढ़ी की जंग' पर. जहां 21 सिक्‍खों ने दस हजार अफगानियों को हराया था.

अजय देवगन ने जैसे ही ट्वीट करके अपनी आने वाली फिल्म 'संस ऑफ सरदार: बैटल ऑफ सारागढ़ी' का पहला पोस्टर जारी किया तो इस फिल्म की चर्चा शुरू हो गई. लेकिन अभी लोग इस फिल्म के विषय में कुछ जान पाते कि उससे पहले ही राजकुमार संतोषी के निर्देशन और रणदीप हुड्डा के लीड रोल में बनने वाली फिल्म बैटल ऑफ सारागढ़ी के आने का भी ऐलान हो गया. एक ही कहानी को लेकर अजय देवगन और संतोषी दोनों ही फिल्में बना रहे हैं.

अब तक इतिहास की किताबों में दर्ज रहे अगर 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' यानी की 'सारागढ़ी की जंग' पर दो-दो फिल्में एक साथ बन रही हैं. इससे ये बात तो तय है कि सारागढ़ी में कुछ तो खास होगा ही. आखिर क्या है ये कहानी, जिस पर अब दो-दो फिल्में बनने जा रही हैं-

यह भी पढ़े: चीन से देश को बचाने वाले सैनिक की हैरतंगेज

21 सिखों के साहस और वीरता की ये है कहानीः

सारागढ़ी उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में स्थित था, जिसे अब पाकिस्तान स्थित खैबर पख्तूनवा के नाम से जाना जाता है. इन इलाकों में आदिवासी पश्तून समय-समय पर ब्रिटिश सैनिकों पर हमला करते रहते थे. इससे बचने के लिए अंग्रेजों ने वहां कई किले स्थापित किए.

इनमें से लॉकहार्ट किला और गुलिस्तान किले के बीच कुछ मीलों की दूरी थी. इन दोनों किले पर एक साथ नजर रखी जा सके, इसके लिए दोनों किलों के बीच सारागढ़ी पोस्ट की स्थापना की गई. सारागढ़ी चट्टानी चोटी पर स्थित था और उसमें सैनिक पोस्ट के साथ-साथ एक सिग्नलिंग टावर भी लगा था.

27 अगस्त से 11 सितंबर 1897 के बीच पश्तूनों ने सारागढ़ी के किले पर कब्जे के लिए कई हमले किए लेकिन 36वीं सिख रेजिमेंट ने हर बार उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. 12 सितंबर 1897 को 10 हजार पश्तूनों  या पठानों ने सारागढ़ी के सिग्नलिंग पोस्ट पर हमला किया, जिससे...

अजय देवगन ने जैसे ही ट्वीट करके अपनी आने वाली फिल्म 'संस ऑफ सरदार: बैटल ऑफ सारागढ़ी' का पहला पोस्टर जारी किया तो इस फिल्म की चर्चा शुरू हो गई. लेकिन अभी लोग इस फिल्म के विषय में कुछ जान पाते कि उससे पहले ही राजकुमार संतोषी के निर्देशन और रणदीप हुड्डा के लीड रोल में बनने वाली फिल्म बैटल ऑफ सारागढ़ी के आने का भी ऐलान हो गया. एक ही कहानी को लेकर अजय देवगन और संतोषी दोनों ही फिल्में बना रहे हैं.

अब तक इतिहास की किताबों में दर्ज रहे अगर 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' यानी की 'सारागढ़ी की जंग' पर दो-दो फिल्में एक साथ बन रही हैं. इससे ये बात तो तय है कि सारागढ़ी में कुछ तो खास होगा ही. आखिर क्या है ये कहानी, जिस पर अब दो-दो फिल्में बनने जा रही हैं-

यह भी पढ़े: चीन से देश को बचाने वाले सैनिक की हैरतंगेज

21 सिखों के साहस और वीरता की ये है कहानीः

सारागढ़ी उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में स्थित था, जिसे अब पाकिस्तान स्थित खैबर पख्तूनवा के नाम से जाना जाता है. इन इलाकों में आदिवासी पश्तून समय-समय पर ब्रिटिश सैनिकों पर हमला करते रहते थे. इससे बचने के लिए अंग्रेजों ने वहां कई किले स्थापित किए.

इनमें से लॉकहार्ट किला और गुलिस्तान किले के बीच कुछ मीलों की दूरी थी. इन दोनों किले पर एक साथ नजर रखी जा सके, इसके लिए दोनों किलों के बीच सारागढ़ी पोस्ट की स्थापना की गई. सारागढ़ी चट्टानी चोटी पर स्थित था और उसमें सैनिक पोस्ट के साथ-साथ एक सिग्नलिंग टावर भी लगा था.

27 अगस्त से 11 सितंबर 1897 के बीच पश्तूनों ने सारागढ़ी के किले पर कब्जे के लिए कई हमले किए लेकिन 36वीं सिख रेजिमेंट ने हर बार उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. 12 सितंबर 1897 को 10 हजार पश्तूनों  या पठानों ने सारागढ़ी के सिग्नलिंग पोस्ट पर हमला किया, जिससे लॉकहार्ट और गुलिस्तान के किलों के बीच संपर्क टूट जाए. लेकिन इसके बाद जो हुआ उसे इतिहास में 21 सिख सैनिकों की वीरता की दास्तां के तौर पर हमेशा याद रखा जाएगा.

क्या हुआ था 12 सितंबर 1897 को?

इस दिन सुबह 9 बजे सारागढ़ी के सिग्नलिंग पोस्ट की कमान संभाल रहे 36वीं सिख रेजिमेंट के गुरुमुख सिंह ने लॉकहार्ट के किल में कर्नल हॉटेन को इस हमले की जानकारी दी. लेकिन कर्नल ने तुरंत मदद मुहैया करा पाने में असमर्थता जता दी. इसके बाद सारागढ़ी के किले में 36वीं सिख रेजिमेंट के 21 सिख सैनिकों ने हवलदार ईशहर सिंह के नेतृत्व में हमलावरों को मुंह तोड़ जवाब देने का निर्णय लिया.

यह भी पढ़े: वीर सैनिक की शहादत से बड़ी जाति कैसे हो गई?

सबसे पहले शहीद हुए भगवान सिंह. अफगानी सैनिकों ने सिख सैनिकों को आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. इस बीच अफगानी सैनिकों ने दो बार किले का गेट खोलने का प्रयास किया लेकिन नाकाम रहे. इसके बाद दीवार को उड़ा दिया गया. फिर हुई दोनों तरफ के सैनिकों के बीच आमने-सामने की जंग.

12 सितंबर 1897 को सारागढ़ी की जंग में 21 सिख सैनिकों ने 10 हजार से ज्यादा पठानी लड़ाकों का मुकाबला किया था

एक ऐसी जंग जिसकी मिसाल शायद दुनिया के किसी और युद्ध के मैदान में मिलती हो. 10 हजार की विशाल सेना के सामने मुट्ठी भर 21 सिख. लेकिन इन वीर सिख सैनिकों ने अफगानी सैनिकों की हालत खराब कर दी. 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' की हुंकार के साथ सिख सैनिक विशाल अफगानी सेना पर टूट पड़े और एक-एक सिख सैनिक दस-दस अफगानी सैनिकों पर भारी पड़ा.

ईशर सिंह के नेतृत्व में सिख सैनिक पूरी वीरता के साथ लड़े और वीरगति को प्राप्त हुए, सिग्नलिंग पोस्ट संभाल रहे गुरुमुख सिंह शहीद होने वाले आखिरी सिख सैनिक थे. कहा जाता है उन्होंने अकेले ही 20 अफगानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.

आखिर में 21 सिख सैनिकों के शहीद होने के बाद अफगानी सैनिकों ने सारागढ़ी के किले को तबाह कर दिया. इसके बाद वह गुलिस्तान के किले की ओर मुड़े लेकिन सिख सैनिकों से पार पाने में उन्हें इतना वक्त लग गया कि 13-14 सितंबर की रात को मदद के लिए और अंग्रेजी सैनिक आ गए और अफगानी गुलिस्तान के किले को नहीं जीत पाए.

'सारागढ़ी की जंग' को वर्ष 2000 में पंजाब के स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया था

पश्तूनों ने बाद में माना कि 21 सिख सैनिकों के साथ लड़ाई में उनके 180 सैनिक शहीद हुए. लेकिन जब बचाव दल पहुंचा तो उसने सारागढ़ी के किले के आसपास 600 से ज्यादा लाशें देखी, जिससे पता चलता है कि उन 21 वीर सैनिकों ने करीब 600 अफगानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. 14 सितंबर को जवाबी कार्रवाई करते हुए अंग्रेजों ने सारागढ़ी पर फिर से कब्जा कर लिया.

यह भी पढ़े: एक शहीद सैनिक, जो आज भी देश की सेवा में है!

36वीं सिख रेजिमेंट के इन 21 वीर सैनिकों को मरणोपरांत 'इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट' से सम्मानित किया गया, जिसे युद्ध क्षेत्र में सर्वोच्च वीरता प्रदर्शन के लिए अब के परमवीर चक्र के बराबर माना जाता है.

इन 21 वीर सिख सैनिकों की याद में तब से हर साल 12 सितंबर का दिन पूरी दुनिया में सिख सैनिकों और आम सिखों द्वारा सारागढ़ी डे के रूप में मनाया जाता है. सिख रेजिमेंट की सभी यूनिट्स इस दिन को सारागढ़ी डे के रूप में मनाते हैं. इन 21 सिख सैनिकों की वीरता की दास्तां वर्ष 2000 से पंजाब के स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती है.

अजय देवगन ने 'सारागढ़ी की जंग' पर बन रही अपनी फिल्म संस ऑफ सरदार का फर्स्ट लुक ट्वीट कियाः

 राजकुमार संतोषी की सारागढ़ी पर आ रही फिल्म के लीड रोल में रणदीप हुड्डाः

अपने अदम्य शौर्य से वीरता की नई दास्ता लिखने वाले इन वीर 21 सैनिकों की कहानी आने वाली पीढ़ियों को जरूर जाननी चाहिए. इसलिए अजय देवगन और राजकुमार संतोषी में से चाहे जिसकी फिल्म हिट हो कम से कम इसी बहाने भुला दी गई साहस की ये कहानी आने वाली पीढ़ियों तक जरूर पहुंचेगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲