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डबल मीनिंग से ऐसे समझें मर्दों की 'वो' वाली बीमारी

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 02 अगस्त, 2017 08:41 PM
  • 02 अगस्त, 2017 08:41 PM
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मर्दों की एक बीमारी जिसके बारे में उनकी पत्नी तक किसी से नहीं बोलती. ऐसे ही बोल्ड सबजेक्ट के साथ एक फिल्म आ रही है. देखिए कैसे बिना बताए समझा दिया गया है एक बेहद अहम मुद्दे को.

'दम लगा के हईशा' के बाद अब फिर आयुष्मान और भूमी एक साथ नजर आने वाले हैं. फिल्म का नाम है 'शुभ मंगल सावधान'. फिल्म में वो सब कुछ है जो लोगों को शुभ-शुभ कहने के लिए काफी है. फिल्म के ट्रेलर को देखकर लग रहा है जैसे इसमें डबल मीनिंग जोक्स कूट-कूटकर भरे होंगे.

फिल्म बना रहे हैं आनंद एल रॉय. वही जिन्होंने 'तनू वेड्स मनू' और 'रांझणा' जैसी फिल्में बनाई हैं. जिसमें न कोई एडल्ट कंटेंट था. फिल्म में वो सभी चीजें थीं जो लोगों को फिल्म पसंद करने पर मजबूर किया गया. 'शुभ मंगल सावधान' का सब्जेक्ट थोड़ा बोल्ड है. यह फिल्‍म 'मर्दाना कमजोरी' जैसे बेहद अलग विषय पर बनाई गई है.

बॉलीवुड में कई ऐसी ही बोल्ड सब्जेक्ट की फिल्में बनीं, जिन्होंने ऐसी चीजों के बारे में खुलकर बात की. जो पहले कभी सिर्फ बंद कमरों में की जाती थी. अब आयुष्मान की 'विकी डोनर' को ही ले लीजिए. जहां आयुष्मान को स्पर्म डोनर बताया गया था. फिल्म ने शानदार बिजनेस किया और जनता ने भी काफी पसंद किया था.

'लिप्सटिक अंडर माय बुर्का' में महिलाओं की ऐसी कहानियां बताई जो हर गली मुहल्ले में बहुत आम बात है. इस फिल्म को लेकर काफी कॉन्ट्रोवर्सी हुई. लेकिन पर्दे पर आई तो काफी पसंद किया गया. अब इस फिल्म में मर्दों की वो परेशानी को सामने लाया गया जिसके बारे में कोई पत्नी जाहिर नहीं करती. इस गुप्त बात को हमेशा छिपाकर रखती है.

देखा जाता है कि ऐसे सबजेक्ट को कॉमेडी के साथ पेश किया जाता है. जिससे वो आसानी से हजम किया जा सके. इस फिल्म में भी ऐसा ही किया गया है. ट्रेलर में एक सीन बताया गया है कि भूमी को उनकी मां सुहागरात के बारे में बता रही हैं. जहां वो बता रही हैं कि औरत का शरीर रहस्य का खजाना होता है जो गुफा में रहती है और ये गुफा तब खुलती है जब अली बाबा आते हैं... 40 चोरों के लिए. इससे आप आसानी से...

'दम लगा के हईशा' के बाद अब फिर आयुष्मान और भूमी एक साथ नजर आने वाले हैं. फिल्म का नाम है 'शुभ मंगल सावधान'. फिल्म में वो सब कुछ है जो लोगों को शुभ-शुभ कहने के लिए काफी है. फिल्म के ट्रेलर को देखकर लग रहा है जैसे इसमें डबल मीनिंग जोक्स कूट-कूटकर भरे होंगे.

फिल्म बना रहे हैं आनंद एल रॉय. वही जिन्होंने 'तनू वेड्स मनू' और 'रांझणा' जैसी फिल्में बनाई हैं. जिसमें न कोई एडल्ट कंटेंट था. फिल्म में वो सभी चीजें थीं जो लोगों को फिल्म पसंद करने पर मजबूर किया गया. 'शुभ मंगल सावधान' का सब्जेक्ट थोड़ा बोल्ड है. यह फिल्‍म 'मर्दाना कमजोरी' जैसे बेहद अलग विषय पर बनाई गई है.

बॉलीवुड में कई ऐसी ही बोल्ड सब्जेक्ट की फिल्में बनीं, जिन्होंने ऐसी चीजों के बारे में खुलकर बात की. जो पहले कभी सिर्फ बंद कमरों में की जाती थी. अब आयुष्मान की 'विकी डोनर' को ही ले लीजिए. जहां आयुष्मान को स्पर्म डोनर बताया गया था. फिल्म ने शानदार बिजनेस किया और जनता ने भी काफी पसंद किया था.

'लिप्सटिक अंडर माय बुर्का' में महिलाओं की ऐसी कहानियां बताई जो हर गली मुहल्ले में बहुत आम बात है. इस फिल्म को लेकर काफी कॉन्ट्रोवर्सी हुई. लेकिन पर्दे पर आई तो काफी पसंद किया गया. अब इस फिल्म में मर्दों की वो परेशानी को सामने लाया गया जिसके बारे में कोई पत्नी जाहिर नहीं करती. इस गुप्त बात को हमेशा छिपाकर रखती है.

देखा जाता है कि ऐसे सबजेक्ट को कॉमेडी के साथ पेश किया जाता है. जिससे वो आसानी से हजम किया जा सके. इस फिल्म में भी ऐसा ही किया गया है. ट्रेलर में एक सीन बताया गया है कि भूमी को उनकी मां सुहागरात के बारे में बता रही हैं. जहां वो बता रही हैं कि औरत का शरीर रहस्य का खजाना होता है जो गुफा में रहती है और ये गुफा तब खुलती है जब अली बाबा आते हैं... 40 चोरों के लिए. इससे आप आसानी से समझ जाएंगे कि आखिर बात किसकी हो रही है.

आज कल के यूथ ऐसी कॉमेडी को काफी पसंद करने लगे हैं. जहां देसी भाषा में कॉमेडी के साथ सबकुछ परोस दिया जाता है. लेकिन इस फिल्म से एक बात तो समझनी पड़ेगी की अब बॉलीवुड बोल्ड हो चुका है और इंडियन ऑडिएंस भी ऐसी फिल्मों को थिएटर में देखने जाने लगी है.

आनंद एल रॉय की पिछली फिल्म ऐसी थीं जहां युवा भी अपने परिवार के साथ देख सकते हैं. लेकिन इस फिल्म में एडल्ट कंटेंट होने की वजह से शायद आप ये परिवार के साथ एंजॉय ना कर पाएं. अब ये देखना होगा कि 'दम लगा के हईशा' की तरह इस बार भी लोग दोनों की जोड़ी को पसंद करते हैं या नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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